हमारे शरीर से रोजाना कम से कम 500 मिली लीटर पानी निकलना जरूरी होता है। अगर किसी व्यक्ति को इस न्यूनतम मात्रा से कम पेशाब आ रहा है, तो यह पेशाब कम आने की स्थिति मानी जाती है। पेशाब के जरिए हमारे शरीर के सभी विषाक्त पदार्थ बहार निकल जाते हैं, इसलिए यह प्रक्रिया बेहद आवश्यक होती है। पेशाब कम आने की स्थिति के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन और किडनी रोग शामिल हैं। इस बीमारी के लक्षणों को कुछ घरेलू उपायों से ठीक किया जा सकता है।

  1. अधिक तरल पदार्थ पीना है पेशाब बढ़ाने का घरेलू इलाज - Hydration hai peshab badhane ka gharelu upay
  2. विटामिन सी युक्त आहार है पेशाब बढ़ाने का तरीका - Vitamin C yukt aahar hai peshab badhane ka tarika
  3. क्रैनबेरी का जूस है पेशाब कम आने का घरेलू उपाय - Cranberry juice hai peshab kam aane ka gharelu upay
  4. पेशाब कम आने का देसी नुस्खा है गर्म सिकाई - Peshab kam aane ka desi nuskha hai garam sikai
पेशाब कम आने के घरेलू उपाय के डॉक्टर

कम पेशाब आने का कारण ब्लैडर से जुड़ी समस्याएं भी हो सकती हैं, जैसे कि यूटीआई (ब्लैडर में होने वाले संक्रमण), इस स्थिति को ठीक करने के लिए डॉक्टर अधिक तरल पदार्थ पीने की सलाह देते हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि तरल पदार्थ बैक्टीरिया को बाहर निकालने और ब्लैडर में बैक्टीरिया को बनने से रोकने में मदद करते हैं। एक अध्ययन में लंबे समय से पेशाब कम आने वाली स्थिति से पीड़ित व्यक्ति में यह पाया गया कि इसके कारण यूटीआई होने की आशंका बढ़ जाती है। 2003 में हुए एक शोध के अनुसार 141 लड़कियों में यह देखा गया कि पानी कम पीना और पेशाब कम आना बार-बार यूटीआई होने के खतरे को और बढ़ा देते हैं। इसके बाद एक अन्य शोध में 28 महिलाओं ने खुद पर यह तरीका आजमाया, जिसमें उन्होंने तरल पदार्थ के सेवन को बढ़ा दिया। इससे ब्लैडर में संक्रमण की आशंका कम होती देखी गई और पेशाब भी सामान्य रूप से आने लगा। अधिक से अधिक पानी पीने से पेशाब आना बढ़ेगा और साथ ही ब्लैडर में बन रहे बैक्टीरिया भी साथ ही साथ निकलते रहेंगे। 

कब और कितना सेवन करें
हाइड्रेटेड रहने के लिए दिनभर में कई बार पानी या अन्य तरल पदार्थ जैसे नारियल पानी, जूस या मिल्क शेक का सेवन करते रहना चाहिए। दिन में कम से कम 4 से 6 लीटर पानी पिएं जब तक पेशाब कम आने की स्थिति पूरी तरह से ठीक न हो जाए।

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कई मामलों में यह देखा गया है कि विटामिन सी का सेवन हमें ब्लैडर में होने वाले इन्फेक्शन से बचाता है। विटामिन सी पेशाब में एसिड को बढ़ाता है, जिससे बैक्टीरिया नष्ट हो जाते हैं। 2007 में किए शोध में गर्भवती महिलाओं को 100 मिलीग्राम विटामिन सी का सेवन करवाया गया और पाया कि यह यूटीआई से होने वाले हानिकारक बैक्टीरिया से बचाने में मदद करता है, जिससे पेशाब आने की स्थिति में भी सुधार होता है।

विटामिन सी युक्त आहार
कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिनके सेवन से विटामिन सी की कमी के लक्षणों को दूर करके कम पेशाब आने की स्थिति को ठीक किया जा सकता है।

इन सभी आहारों को अपने रोजाना के खाने में शामिल करें।

क्रैनबेरी जूस के सेवन से शरीर को कई लाभ पहुंचते हैं। यह पेशाब से संबंधित समस्याओं को ठीक करने का सबसे बेहतरीन विकल्प माना जाता है। क्रैनबेरी जूस मूत्र पथ और ब्लैडर में मौजूद बैक्टीरिया को नष्ट करता है और शरीर में तरल की मात्रा भी बढ़ाता है। ऐसे कई शोध हो चुके हैं, जो साबित करते हैं कि क्रैनबेरी का जूस पेशाब की मात्रा को नियमित करने में मदद करता है।

कब और कितना सेवन करें
एक रिसर्च में शोधकर्ताओं के क्रैनबेरी के उत्पादों का सेवन करने से खासतौर पर महिलाओं में यूटीआई में कमी आती है। साल 2015 में हुए एक शोध के मुताबिक 240 मिली लीटर करौंदे के जूस के सेवन से यूटीआई की आशंका आधी हो जाती है। सुबह के समय इसका सेवन सबसे लाभदायी माना जाता है।

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ब्लैडर में सूजन और जलन के कारण जननांग क्षेत्र में दबाव, दर्द और जलन महसूस होती है। गर्म सिकाई की मदद से इसे आराम पहुंचाया जा सकता है। पेशाब कम आने के कई कारण हो सकते हैं जैसे किडनी में समस्या या फिर जननांग के आस पास की मांसपेशियों में ऐठन। सिकाई आसपास की मांसपेशियों को मुलायम बनाती है, जिससे पेशाब कम आने की स्थिति के लक्षण कम हो सकते हैं।

आवश्यक सामग्री

  • हीटिंग पैड

इस्तेमाल का तरीका

  • हीटिंग पैड को 15 मिनट के लिए अपने जननांग के पास रखें
  • हीटिंग पैड को सीधा जननांग पर न रखें, अन्यथा जलने का खतरा हो सकता है। इससे पेशाब कम आने की समस्या दूर तो नहीं होगी, लेकिन दर्द से आराम जरूर मिलेगा

कब इस्तेमाल करें
इस उपाय को दिन में 3 से 4 बार, जब तक दर्द कम न हो जाए अपनाएं।

इन सभी उपायों के साथ ब्लैडर का खास ध्यान रखें, इसे तकलीफ देने वाले पदार्थों का सेवन न करें जैसे कि कैफीन, शराब, मसालेदार खाना, धूम्रपान और सॉफ्ट ड्रिंक्स। अपने ब्लैडर की स्थिति बेहतर करने के लिए फाइबर युक्त आहार जैसे ओटमील या दालों के सूप का सेवन करें, यह आपकी पाचन प्रक्रिया में भी मदद करेगी और ब्लैडर को भी स्वस्थ रखने में मदद मिलेगी।

इसके अलावा नियमित रूप से व्यायाम करें, जिससे आपका स्वास्थ्य बना रहेगा और आपके मूत्राशय की मांसपेशियां ठीक से काम करती रहेंगी।

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