सटन रोग-2 - Sutton Disease II in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

December 15, 2020

August 17, 2023

सटन रोग-2
सटन रोग-2

सटन रोग-2, मुंह में बार-बार होने वाले छालों की समस्या है जिसमें दर्द के साथ जलन भी होने लगती है। 'नैशनल ऑर्गेनाइजेशन फॉर रेयर डिसऑर्डर' (एनओआरडी) में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार इस स्थिति में मुंह में अलग-अलग आकार के कई अल्सर यानी छाले हो सकते हैं। इस प्रकार के मुंह के छाले आमतौर पर कैंकर सोर्स या नासूर कहलाते हैं। सटन रोग 2, को रीकरंट ऐफथस स्टोमेटाइटिस के रूप में भी जाना जाता है। इस बीमारी का सटीक कारण क्या है, इसे अब तक समझा नहीं जा सका है, हालांकि ऐसा माना जा रहा है कि मुंह में सामान्य रूप से मौजूद बैक्टीरिया के प्रति शरीर की असामान्य इम्यून प्रतिक्रिया की वजह से यह रोग हो सकता है।

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सटन रोग-2 के लक्षण - Sutton Disease II Symptoms in Hindi

एनओआरडी के अनुसार सटन रोग-2 से पीड़ित व्यक्ति कई तरह के लक्षणों को महसूस करता है, जैसे- 

  • जीभ, गाल के अंदरुनी हिस्से की परत (बकल म्यूकोसा), मुंह के नीचे का हिस्सा और कंठ के पीछे के हिस्से (कोमल तालु) में लाल रंग के छाले हो जाते हैं जिसमें काफी दर्द होता है
  • ये अल्सर या छाले गुच्छे के रूप में हो सकते हैं या फिर पूरे मुंह में बिखरे हुए एक घाव के रूप में दिखाई दे सकते हैं।
  • इस समस्या के दौरान एक बार में मुंह में करीब 15 घाव या छाले भी हो सकते हैं।
  • सटन रोग-2 से पीड़ित व्यक्ति को बार-बार मुंह के छालों की समस्या का अनुभव होता है और हर बार मुंह में करीब 2 से 3 छाले जरूर हो जाते हैं।

इसके साथ ही सटन रोग-2 से संबंधित छालों का आकार अलग-अलग हो सकता है। जब सटन रोग-2 से जुड़े मुंह के छाले सबसे पहले निकलते हैं तो वे आमतौर पर लाल रंग के सूजे हुए और उत्तेजित हल्की रगड़ जैसे नजर आते हैं। एक सेंटीमीटर से कम आकार के छालों को छोटा या सूक्ष्म छाला माना जाता है। ये छोटे छाले बीमारी का सबसे आम रूप है और जो आमतौर पर 10 से 14 दिनों तक बने रहते हैं।

सटन रोग-2 के गंभीर मामलों में कई और अन्य लक्षण भी हो सकते हैं जैसे कमजोरी महसूस होना (अस्वस्थता), बुखार और गर्दन व सिर के आसपास मौजूद लिम्फ नोड्स में सूजन (लिम्फैडेनोपैथी) होना शामिल है।

सटन रोग-2 के कारण - Sutton Disease II Causes in Hindi

सटन रोग-2 का सही और सटीक कारण अभी तक पता नहीं चल पाया है। कई अध्ययनों में यह सुझाव दिया गया है कि यह बीमारी इसलिए भी हो सकती है क्योंकि मुंह में सामान्य रूप से मौजूद बैक्टीरिया के प्रति हमारा शरीर असामान्य इम्यून प्रतिक्रिया देता है। जिन लोगों के शरीर में  आयरन की कमी, विटामिन बी12 की कमी और फोलिक एसिड की कमी होती है उनमें इस बीमारी के प्रति संवेदनशीलता बढ़ जाती है।

किसी तरह का तनाव या चोट के कारण भी यह समस्या हो सकती है। विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि सटन रोग-2 और मासिक धर्म, गर्भावस्था या रजोनिवृत्ति (मेनोपॉज) के बीच कोई संबंध नहीं है और ना ही यह हर्पीस वायरस के कारण होता है, जो सामान्य कैंकर सोर्स (नासूर) का मुख्य कारण होता है।

सटन रोग-2 का निदान - Diagnosis of Sutton Disease II in Hindi

अमेरिका के एनआईएच के इंस्टिट्यूट- नैशनल सेंटर फॉर एडवांसिंग ट्रांसलेशनल साइंसेज के मुताबिक कैंकर सोर्स यानी नासूर जिसमें सटन रोग 2 भी शामिल है को डायग्नोज करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज की जांच करते हैं और उसकी मेडिकल हिस्ट्री का भी पता लगाते हैं। इस बीमारी के निश्चित निदान के लिए कोई प्रयोगशाला प्रक्रिया उपलब्ध नहीं है। कुछ मामलों में, अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की जांच के लिए टेस्ट भी किए जाते हैं, खासकर तब जब छाले गंभीर हों या फिर 10 से लेकर 14 दिनों से अधिक समय तक बने रहें। डेंटिस्ट (दंत चिकित्सक) या ओरल मेडिसिन में ट्रेंड प्रोफेशनल्स, सटन रोग-2 के निदान में सहायता कर सकते हैं।

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सटन रोग-2 का इलाज - Sutton Disease II Treatment in Hindi

मामूली कैंकर सोर्स (नासूर) जो एक या दो सप्ताह में अपने आप ठीक हो जाते हैं उनके लिए किसी तरह का इलाज जरूरी नहीं होता। लेकिन वैसे छाले जिनका साइज बड़ा होता है, जो बार-बार हो जाते हैं और जिसमें बहुत ज्यादा दर्द होता है उन्हें ठीक करने के लिए चिकित्सीय देखभाल की जरूरत होती है। इलाज का मकसद दर्द को कम करना, घाव को जल्दी भरना और इसे दोबारा होने से रोकना है। ऐसी कोई एक थेरेपी नहीं है जो इन तीनों मकसदों को पूरा कर सके लेकिन ऐसी कई थेरेपीज हैं जो कई तरह से फायदेमंद हो सकती हैं। इलाज में कुल्ला करना, ऑइंटमेंट को छाले वाली जगह पर लगाना या सिस्टेमिक कोर्टिकोस्टेरॉयड्स का इस्तेमाल करना भी शामिल है।

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सटन रोग-2 के डॉक्टर

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