मुंह के छालों का मतलब है मुंह और होठों की श्लेष्मा झिल्ली में सूजन होना, जिससे मुंह में छालों वाले घाव हो जाते हैं। मुंह में कई कारणों से छाले हो सकते हैं। ये अचानक दांतों से गाल को काटने के कारण या विटामिन की कमी के कारण हो सकते हैं। ग्लूटेन, स्ट्रॉबेरी या ड्राई फ्रूट्स जैसी चीजों से एलर्जी के कारण भी मुंह में छाले हो सकते हैं। मुंह के छालों के कुछ अन्य कारण, स्ट्रेस और हर्पीस वायरस इन्फेक्शन आदि हैं। मुंह के छालों के मुख्य लक्षण श्लेष्मा झिल्ली में लाली और खाने में व निगलने में कठिनाई, जिसके कारण शरीर में पानी की कमी हो जाती है, छाले होने पर मुंह से लाकर निकलना और मसूड़ों में सूजन आदि हो सकते हैं। इसकी एक ही जटिलता है कि छाले बार-बार हो सकते हैं।

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मुंह की सही देखभाल और गर्म चीजें खाने-पीने से बचना छालों की समस्या को रोक सकता है और इसके इलाज में भी मदद कर सकता है। होम्योपैथी में मुंह के छालों के लिए सुरक्षित और असरदार इलाज मौजूद है। मुंह के छालों के लिए उपयोग की जाने वाली कुछ आम होम्योपैथिक दवाएं, बोरेक्स (Borax), एसिड नाइट्रिकम (Acid Nitricum), कार्बोलिक एसिड (Carbolic aid), मर्क्यूरियस कोरोसिवस (Mercurius corrosivus) और मर्क्यूरियस सोलूबिलिस (Mercurious solubilis) आदि हैं।

  1. होम्योपैथी में मुंह के छालों का उपचार कैसे होता है - Homeopathy me muh ke ulcer ka ilaj kaise hota hai
  2. मुंह के छालों के लिए होम्योपैथिक दवा - Muh ke chalo ki homeopathic medicine
  3. होम्योपैथी में मुंह के छालों के लिए खान-पान और जीवन शैली के बदलाव - Homeopathy me muh ke ulcer ke liye khan-pan aur jeevan shaili ke badlav
  4. मुंह में छालों के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Muh me ulcer ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
  5. मुंह में छालों के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Muh ke chaale ka homeopathic ilaj se jude anya sujhav
मुंह के छाले की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

होम्योपैथी के अनुसार, मुंह के छाले केवल विटामिन की कमी से ही नहीं होते, बल्कि तब भी होते हैं, जब आपका शरीर खाने में से विटामिन को नहीं पचा पाता है। होम्योपैथिक दवाओं से शरीर इन विटामिन को पचा पाता है, जिससे मुंह के छालों के लक्षण बेहतर होते हैं।

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मुंह के छालों से पीड़ित 100 लोगों पर किए गए एक परीक्षण में उन्हें दिन में दो बार 12-12 घंटों बाद बहुत कम खुराक में होम्योपैथिक दवा दी गई। इससे हर रोगी में 4 से 6 दिन के अंदर छालों के दर्द, अकार और संख्या में कमी आई। किसी भी व्यक्ति में किसी भी प्रकार के दुष्प्रभाव नहीं देखे गए।

होम्योपैथिक डॉक्टर कोई भी दवा देने से पहले न केवल बीमारी के लक्षणों का ध्यान रखते हैं, बल्कि व्यक्ति के लक्षणों को भी समझते हैं। होम्योपैथिक दवाएं न केवल बीमारी के लक्षण को ठीक करती हैं, बल्कि इसके अंदरूनी कारण और व्यक्ति कोई बीमारी होने की संभावना का भी इलाज करती है। कोई बीमारी होने की संभावना को ठीक करने से ही लक्षणों का असरदार उपचार किया जा सकता है और दोबारा समस्या होने से बचा जा सकता है।

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होम्योपैथी में मुंह के छालों के लिए उपयोग की जाने वाली दवाएं नीचे दी गई हैं:

  • आर्सेनिकम एल्बम (Arsenicum Album)
    सामान्य नाम: आर्सेनियस एसिड (Arsenious acid)
    लक्षण: ये दवा उन लोगों को दी जाती है, जिन्हें मौत के डर के साथ और भी डर होते हैं और जो नुकताचीन हैं व दूसरों के काम में कमियां निकालते रहते हैं। निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा का उपयोग किया जाता है:
  • मर्क्यूरियस कोरोसिवस (Mercurius corrosivus)
    सामान्य नाम: कोरोसि सब्लिमेट (Corrosive sublimate)
    लक्षण: नीचे दिए लक्षणों में इस दवा से आराम मिल सकता है:
  • मर्क्यूरियस सोलूबिलिस (Mercurious solubulis)
    सामान्य नाम: क्विकसिलवर (Quicksilver)
    लक्षण: ये दवा उन लोगों के लिए है जिनका आत्मबल कमजोर है, जो शक्की हैं और अपने आप को किसी काम का नहीं समझते। निम्नलिखित लक्षण अनुभव होने पर इस दवा का इस्तेमाल किया जाता है:
  • बोरेक्स वेनेटा (Borax Veneta)
    सामान्य नाम: बोरेट ऑफ़ सोडियम (Borate of sodium)
    लक्षण: नीचे दिए लक्षण अनुभव करने पर इस दवा को दिया जाता है:
    • मुंह के छालों में गर्माहट और संवेदनशीलता महसूस होना।
    • गैस करने वाले पदार्थ खाने से लक्षण बढ़ जाना। (और पढ़ें - पेट में गैस बनने पर क्या खाएं)
    • अत्यधिक लार बनने के बाद भी मुंह सूखना
    • गाल के अंदर, मसूड़ों पर और कभी-कभी जीभ पर छाले होना।
    • कुछ मामलों में रोगी के मुंह में सफ़ेद फंगस जैसा भी दिखाई देता है। (और पढ़ें - फंगल इन्फेक्शन के लक्षण)
    • मुंह में गर्मी महसूस होना।
    • हल्का सा छूने पर भी छालों से खून निकलना।
    • मुंह में कड़वा स्वाद आना।
       
  • नाइट्रिकम एसिडिकम (Nitricum Acidicum)
    सामान्य नाम: नाइट्रिक एसिड (Nitric acid)
    ​लक्षण: ये दवा ज्यादा उम्र के उन लोगों के लिए असरदार है, जिन्हें ज्यादा भूख लगती है। ऐसे लोग चिड़चिड़े होते हैं और उनमें बिना किसी कारण बदला लेने की इच्छा होती है। ऐसे लोगों को निम्नलिखित लक्षण अनुभव होते हैं:
    • ज्यादातर मुंह के ऊपरी, मुलायम अंदरूनी हिस्से में छाले होना।
    • ऐसा दर्द होना जैसे मुंह के अंदर कोई चाकू से काट रहा हो।
    • अत्यधिक लार बनना।
    • जीभ और जननांग जैसे अन्य अंगों पर फफोले होना।
    • फफोले और छालों से आसानी से खून निकल आना।
    • सांस में बदबू आना। (और पढ़ें - मुंह की बदबू का घरेलू उपाय)
    • जीभ साफ होने के साथ उसके बीच में लंबी लकीर में गढ्ढा होना।
    • मसूड़ों की सूजन।
    • लार में खून आना।
    • शाम के समय लक्षण बढ़ जाना।
    • न पचने वाली चीजें खाने का मन होना, जैसे मिट्टी, चाक आदि। (और पढ़ें - मिट्टी खाने के नुकसान)
    • कब्ज होना। (और पढ़ें - कब्ज के लिए क्या करना चाहिए)
       
  • कार्बोलिकम एसिडम (Carbolicum Acidum)
    सामान्य नाम: फिनॉल-कार्बोलिक एसिड (Phenol-Carbolic acid)
    लक्षण: ये दवा हर उम्र के व्यक्ति के लिए असरदार है, लेकिन ये बड़े लोगों के लिए ज्यादा असरदार मानी जाती है। जिन लोगों को सिगरेट व तम्बाकू की आदत होती है, उन्हें इस दवा से बेहतर असर होता है। निम्नलिखित लक्षणों में इसका उपयोग किया जाता है:
    • होंठ की अंदरूनी तरफ छाले। (और पढ़ें - सुन्दर होंठ पाने का तरीका)
    • गाल के अंदर की तरफ छाले, जो ज्यादातर गलती से दांत से कटने के कारण होते हैं।
    • मुंह में जलन।
    • मुंह के अंदर लाली होना।
    • छालों से होने वाले रिसाव बदबूदार और गंदे होना।
    • कब्ज से संबंधित मुंह की बदबू। (और पढ़ें - मवाद के कारण)
    • लगातार मतली और डकार की समस्या होना।
       
  • नक्स वोमिका (Nux Vomica)
    सामान्य नाम: पाइजन-नट (Poison- nut)
    लक्षण: ये दवा काम करने वाले लोगों को अधिक सूट करती है, खासकर पतले और चिड़चिड़े पुरुषों को। ये लोग अपने काम के प्रति रवैये के कारण चिंता और स्ट्रेस में रहते हैं। निम्नलिखित लक्षणों वाले लोगों को इस दवा से आराम मिलता है:
    • छोटे, लेकिन बहुत सारे छाले होना।
    • लार के साथ खून आना। (और पढ़ें - बलगम में खून आने के कारण)
    • जीभ का आगे वाला आधा हिस्सा साफ और पीछे वाले आधे हिस्से में पीले रंग की परत हों।
    • मसूड़ों की सूजन के साथ उनका रंग सफ़ेद होना। इनका रंग फीका लगना और कभी-कभी खून निकलना।
    • पेट फूलने की समस्या होना। (और पढ़ें -पेट फूल जाए तो क्या करें)
    • हल्का सा छूने पर भी लक्षण बढ़ जाना।
    • ज्यादा खाने से, तीखा खाने से और चाय व कॉफी जैसे उत्तेजक पदार्थ लेने से दर्द बढ़ जाना।
       
  • काली क्लोरिकम (Kali Chloricum)
    सामान्य नाम: क्लोरेट ऑफ पोटैशियम (Chlorate of potassium)
    लक्षण: इस दवा को छाले ठीक करने के लिए माउथवाश के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। नीचे दिए लक्षणों में इस दवा से फायदा होता है:
    • मुंह की अंदरूनी तरफ सूजन के साथ मुंह सूखना और दर्द। (और पढ़ें - गले के सूखने के लिए क्या करें)
    • छालों का ऐसा लगना जैसे उनमें खून बचा नहीं है।
    • सांस से बदबू आना।
    • बहुत ज्यादा लार बनना, जिसका स्वाद थोड़ा खट्टा होता है।
    • जीभ में सूजन
    • ऐसे छाले होना जो नीचे से ग्रे रंग के होते हैं।
    • डकार, पेट की सूजन और पेट में भारीपन महसूस होना।
       
  • फॉस्फोरस (Phosphorus)
    सामान्य नाम: फॉस्फोरस (Phosphorus)
    लक्षण: मुंह के अंदर मौजूद श्लेष्मा झिल्ली की सूजन और दर्द के लिए इस दवा का उपयोग किया जाता है। ये उन लोगों को सूट करती है, जो रौशनी, गंध और मिट्टी के प्रति अतिसंवेदनशील होते हैं। निम्नलिखित लक्षणों को अनुभव करने पर ये दवा दी जाती है:
    • मसूड़ों से खून आना और सूजन।
    • मसूड़ों के कोने खराब दिखना। (और पढ़ें - पायरिया के लक्षण)
    • जीभ बहुत सूखी महसूस होना।
    • जीभ की सूजन और लाली। कभी-कभी जीभ का रंग फीका लगना। (और पढ़ें - जीभ के कैंसर के लक्षण)
    • ठंडा पानी पीने की इच्छा लगातार होना।
    • हर बार खाना खाने के बाद अपच के कारण खट्टी डकार आना।
    • खाने के बाद तेज डकार आना।
       
  • कंड्यूरंगो (Condurango)
    समान्य नाम: कंडर प्लांट (Condor plant)
    लक्षण: ये दवा हर उम्र के व्यक्तियों को सूट करती है, लेकिन इसे 60 साल से ऊपर के लोगों के लिए अधिक असरदार माना जाता है। इसका उपयोग मुख्य तौर पर पाचन प्रणाली बेहतर करने के लिए किया जाता है। निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा से आराम आता है:
    • मुंह के साइड में छिद्र और छाले।
    • मुंह के कोनों में छाले।
    • मुंह में लगातार जलन होना, जो पेट तक फैल सकती है। (और पढ़ें - पेट में जलन होने पर क्या करना चाहिए)
    • पेट और आंतों में भी छाले होना।
    • उल्टी के लक्षण महसूस होना।
    • जांच करने पर लिवर के क्षेत्र में कठोरता महसूस होना।

होम्योपैथिक दवाओं के साथ आपको कुछ सावधानियां बरतने की आवश्यकता होती है, जिनके बारे में नीचे दिया गया है:

क्या करें:

  • रोगी को जो भी खाने या पीने का मन करे, उसे वह चीज अवश्य दें, ऐसा करने से व्यक्ति को कुछ देर के लिए बेहतर महसूस होगा।
  • रोगी को शारीरिक और मानसिक रूप से आराम करना बहुत जरुरी है। (और पढ़ें - व्यायाम करने के फायदे)

क्या न करें:

  • ऐसा कोई पदार्थ खाएं या पिएं नहीं, जिससे होम्योपैथिक दवा के कार्य पर कोई दुष्प्रभाव हो क्योंकि इन दवाओं को बहुत ही हलकी खुराक में दिया जाता है। निम्नलिखित खान-पान से दवा के कार्य पर असर पड़ सकता है:
  • रोगी को किसी भी प्रकार का शारीरिक या मानसिक स्ट्रेस न होने दें।

 

ऐसा मान जाता है कि एक योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर द्वारा बताई गई दवा की सही खुराक लेना बिलकुल सुरक्षित है। इससे छाले का कारण भी ठीक होता है और दोबारा छाले होने से भी बचाव होता है। होम्योपैथिक दवाओं का नियमित प्रयोग करने के कोई दुष्प्रभाव आज तक सामने नहीं आए हैं।

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मुंह के अल्सर कई कारणों से हो सकते हैं। रोग के कारण को पहचान पाना असरदार इलाज के लिए बहुत जरुरी है। होम्योपैथी इलाज से व्यक्ति को बार-बार छाले होने की संभावना कम होती है। साथ ही होम्योपैथी दवाओं से शरीर को विटामिन पचाने में भी मदद मिलती है। विटामिन की कमी मुंह के छालों का एक मुख्य कारण है। नियमित रूप से होम्योपैथिक दवाएं लेने का कोई दुःप्रभाव अभी तक सामने नहीं आया है, हालांकि इन्हें एक योग्य होम्योपैथिक डॉक्टर की सलाह से उचित खुराक में ही लेना चाहिए।

 

Dr. Anmol Sharma

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Dr. Sarita jaiman

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Dr.Gunjan Rai

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DR. JITENDRA SHUKLA

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संदर्भ

  1. National Health Portal [Internet] India; Mouth Ulcers (Stomatitis).
  2. Oscar E. Boericke. Clinical Repertory and Therapeutic Index of Homoeopathic Materia Medica. Roy Publishing House, 1969 - Homeopathy. Medi-T 1999
  3. Mousavi F et al. Homeopathic treatment of minor aphthous ulcer: a randomized, placebo-controlled clinical trial. Homeopathy. 2009 Jul;98(3):137-41. PMID: 19647206
  4. British Homeopathic Association [Internet]. United Kingdom; Sulphuric acid.
  5. William Boericke. Homeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
  6. National Center for Homeopathy Condurango. Mount Laurel, New Jersey [Internet].
  7. Samuel Hahnemann B. Organon of Medicine. Jain Publishers, 2002 - Medical - 6Th Edition. MEDI-T 1998
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