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साल्पिंगोटॉमी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से फैलोपियन ट्यूब से एक्टोपिक प्रेगनेंसी को निकाला जाता है। फैलोपियन ट्यूब अंडा बनाने वाले अंडाशय को गर्भाशय से जोड़ती है। इस सर्जरी की मदद से पूरी फैलोपियन ट्यूब को हटाने की बजाय सिर्फ उसके अंदर विकसित भ्रूण को निकाल दिया जाता है।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी ऐसी स्थिति है, जहां पर निषेचित अंडा गर्भाशय के बाहर फैलोपियन ट्यूब या अन्य किसी हिस्से में प्रत्यारोपित हो जाता है। निषेचित अंडा सामान्य रूप से गर्भाशय के बाहर विकसित नहीं हो पाता है और यदि ऐसा होता है तो, इससे महिला का स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। यदि आपके रक्त में एचसीजी का स्तर बढ़ गया है या फिर दवाओं से इस स्थिति का इलाज नहीं किया जा रहा है, तो साल्पिंगोटॉमी करने पर विचार किया जाता है।

साल्पिंगोटॉमी सर्जरी को जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन देकर किया जाता है और इसे पूरा करने में लगभग 30 मिनट का समय लग जाता है। सर्जरी के बाद आपको एक या दो दिन के लिए अस्पताल में रहना पड़ सकता है। साल्पिंगोटॉमी सर्जरी भविष्य में आपके बच्चा पैदा करने की उम्मीद को बढ़ाती है।

(और पढ़ें - एचसीजी हार्मोन क्या है)

  1. साल्पिंगोटॉमी क्या है - What is Salpingotomy in Hindi
  2. साल्पिंगोटॉमी किसलिए की जाती है - Why is Salpingotomy done in Hindi
  3. साल्पिंगोटॉमी से पहले की तैयारी - Before Salpingotomy in Hindi
  4. साल्पिंगोटॉमी के दौरान - During Salpingotomy in Hindi
  5. साल्पिंगोटॉमी के बाद - After Salpingotomy in Hindi
  6. साल्पिंगोटॉमी की जटिलताएं - Complications of Salpingotomy in Hindi

साल्पिंगोटॉमी क्या है?

साल्पिंगोटॉमी एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसकी मदद से फैलोपियन ट्यूब में निषेचित हो रहे अंडे को निकाला जाता है। फैलोपियन ट्यूब में अंडा निषेचित होने की स्थिति में एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो जाती है, जो महिला के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होती है। इस सर्जरी से फैलोपियन ट्यूब को काटने से बचाया जाता है, ताकि आप भविष्य में भी गर्भधारण कर सकें।

महिलाओं के आंतरिक प्रजनन अंगों में अंडाशय, फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय और योनि शामिल हैं। गर्भाशय को बच्चेदानी व कोख आदि के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें निषेचित अंडा विकसित होता है। अंडाशय का काम अंडे को बनाना होता है, इस अंग का आकार भी अंडे जैसा ही होता है। अंडाशय और गर्भाशय को आपस में जोड़ने वाली ट्यूब को फैलोपियन ट्यूब कहा जाता है। जो शुक्राणु महिला की प्रजनन प्रणाली में पहुंच जाते हैं, वे फैलोपियन ट्यूब में अंडे को निषेचित करते हैं। इसके बाद निषेचित अंडे को विकसित होने के लिए गर्भाशय में भेज दिया जाता है।

हालांकि, एक्टोपिक प्रेगनेंसी में निषेचित अंडा गर्भाशय से बाहर ही विकसित होने लगता है, जहां पर यह बच्चे के रूप में विकसित नहीं हो पाता है। यदि एक्टोपिक प्रेगनेंसी का समय पर इलाज न किया जाए, तो इससे महिला के स्वास्थ्य संबंधी जोखिम भी विकसित हो जाते हैं। कुछ स्थितियां एक्टोपिक प्रेगनेंसी का खतरा बढ़ा देती हैं, जिनमें धूम्रपान, उम्र बढ़ना और पेल्विक इन्फ्लेमेटरी डिजीज आदि।

एक्टोपिक प्रेगनेंसी को आमतौर पर दो अलग-अलग प्रकार की सर्जरी के साथ निकाला जाता है, जिन्हें साल्पिंजेक्टॉमी और साल्पिंगोटॉमी के नाम से जाना जाता है। साल्पिंजेक्टॉमी में फैलोपियन ट्यूब को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है और साल्पिंगोटॉमी में सिर्फ एक्टोपिक प्रेगनेंसी को हटाया जाता है। साल्पिंगोटॉमी सर्जरी के दौरान फैलोपियन ट्यूब में एक कट लगाया जाता है और उसकी मदद से निषेचित अंडे को निकाल दिया जाता है। फैलोपियन ट्यूब को न निकालने के कारण भविष्य में गर्भधारण करने की उम्मीद भी रहती है।

(और पढ़ें - फैलोपियन ट्यूब निकालने की सर्जरी कैसे की जाती है)

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साल्पिंगोटॉमी सर्जरी क्यों की जाती है?

यदि आपकी फैलोपियन ट्यूब में एक्टोपिक प्रेगनेंसी हो गई है, तो साल्पिंगोटॉमी सर्जरी की जा सकती है।

यह सर्जरी आमतौर पर तब की जाती है, जब एक्टोपिक प्रेगनेंसी का आकार बढ़ गया हो, एचसीजी (ह्यूमन कोरिओनिक गोनाडोट्रोपिक) का स्तर बढ़ गया हो या फिर अंदर अधिक ब्लीडिंग हो रही हो। एक्टोपिक प्रेगनेंसी के लक्षण आमतौर पर चौथे हफ्ते के बाद विकसित होने लगते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

साल्पिंगोटॉमी सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

कुछ स्थितियां हैं, जिनमें साल्पिंगोटॉमी सर्जरी नहीं की जाती है या फिर विशेष ध्यान रखते हुए की जाती है जैसे -

  • फैलोपियन ट्यूब फटना
  • फैलोपियन ट्यूब में अत्यधिक ब्लीडिंग होना

(और पढ़ें - ब्लीडिंग कैसे रोकें)

साल्पिंगोटॉमी सर्जरी से पहले क्या तैयारी की जाती है?

सर्जरी से एक दिन पहले आपको अस्पताल बुलाया जाता है और वहां पर आपका शारीरिक परीक्षण किया जाता है। शारीरिक परीक्षण से पहले के आमतौर पर निम्न टेस्ट किए जाते हैं -

इसके अलावा डॉक्टर आपको सर्जरी से पहले कुछ अन्य बातों का ध्यान रखने की सलाह देते हैं, जैसे -

  • आपको सर्जरी वाले दिन खाली पेट अस्पताल आने को कहा जाता है, इसके लिए सर्जरी से कम से कम छह घंटे पहले कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए।
  • सर्जरी के लिए अस्पताल आने से पहले आपको सभी प्रकार के आभूषण, गैजेट व मेकअप आदि घर पर ही उतारकर आने को कहा जाता है।
  • अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लाएं, जो सर्जरी से पहले के कार्यों में आपकी मदद कर सकें और सर्जरी के बाद आपको घर ले जा सकें।
  • अस्पताल में आपको सहमति पत्र दिया जाएगा, जिसपर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देते हैं। हालांकि, सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले उसे एक बार अच्छे से पढ़ व समझ लेना चाहिए।

(और पढ़ें - सर्जरी से पहले की तैयारी)

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साल्पिंगोटॉमी सर्जरी कैसे की जाती है?

जब आप सर्जरी के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो हॉस्पिटल स्टाफ आपको हॉस्पिटल गाउन पहनने को देते हैं। इसके बाद आपकी बाजू की नस में सुई लगाकर इंट्रावेनस लाइन शुरू की जाती है, जिसकी मदद से सर्जरी के दौरान आवश्यक दवाएं और द्रव दिए जाते हैं। साल्पिंगोटॉमी को लेप्रोस्कोपिक व ओपन दोनों सर्जिकल प्रोसीजर की मदद से किया जा सकता है।

(और पढ़ें - लेप्रोस्कोपी क्या है)

सर्जरी के लिए आपको ऑपरेशन थिएटर ले जाया जाएगा और एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगा दिया जाता है। एनेस्थीसिया से आप गहरी नींद में सो जाते हैं, जिसके बाद साल्पिंगोटॉमी का प्रोसीजर शुरू किया जाता है, जो इस प्रकार है -

  • सबसे पहले विशेष उपकरणों की मदद से नाभि के पास एक छोटा सा कट लगाया जाता है और निचले हिस्से में दो छोटे-छोटे कट लगाए जाते हैं।
  • पेट में कार्बन डाइऑक्साइड गैस भरी जाती है, जिससे पेट फूल जाए और ऑपरेशन करने में आसानी रहे।
  • इसके बाद छिद्र के माध्यम से एक विशेष उपकरण पेट में डाला जाता है, जिसके सिरे पर कैमरा व लाइट लगी होती है।
  • इसके बाद फैलोपियन ट्यूब में कट लगाकर एक्टोपिक प्रेगनेंसी को निकाल दिया जाता है।
  • इसके बाद घाव को बंद करके टांके लगा दिए जाते हैं। इन टांकों को निकालने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, ये कुछ समय बाद अपने आप त्वचा में अवशोषित हो जाते हैं।

यदि साल्पिंगोटॉमी को ओपन सर्जरी प्रोसीजर से किया जा रहा है, तो पेट में कई छोटे-छोटे कट लगाने की जगह एक बड़ा चीरा लगाया जाता है।

साल्पिंगोटॉमी सर्जरी को पूरा करने में लगभग 30 मिनट का समय लग जाता है। सर्जरी के बाद आपको रिकवरी रूम में शिफ्ट कर दिया जाता है, जहां पर आपके शारीरिक संकेतों पर निरंतर नजर रखी जाएगी। आपको एक या दो दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है।

(और पढ़ें - घाव भरने के उपाय)

साल्पिंगोटॉमी सर्जरी के बाद की देखभाल कैसे की जाती है?

ऑपरेशन के बाद जब आपको अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है, तो डॉक्टर घर पर निम्न बातों का ध्यान रखने की सलाह देते हैं -

  • सर्जरी के बाद कुछ दिन तक डॉक्टर आपको सिर्फ थोड़ा-बहुत चलने की अनुमति देते हैं। धीरे-धीरे चलने की गति और दूरी को बढ़ाया जाता है। हालंकि, आपको लंबे समय तक खड़े रहने से मना किया जाता है।
  • आपको सर्जरी के बाद एक या दो हफ्तों तक योनि से रक्तस्राव हो सकता है (मासिक धर्म की तरह), जो कि सामान्य स्थिति है। कुछ महिलाओं को साल्पिंगोटॉमी के छह हफ्तों बाद तक भी योनि से हल्की ब्लीडिंग महसूस हो सकती है।
  • सर्जरी के बाद जब तक आप पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं, आपको हल्का पेट दर्द रह सकता है। ऐसा आमतौर पर सर्जरी के दौरान गैस भरे जाने के कारण होता है। डॉक्टर दर्द को कम करने के लिए आपको दर्द निवारक दवाएं देते हैं और साथ ही कुछ गतिविधियां करने व सिकाई करने की सलाह भी देते हैं।
  • सर्जरी के 48 घंटों बाद आपको नहाने व शॉवर लेने की अनुमति दी जाती है। हालांकि, पूल या बाथटब में नहाने से पहले डॉक्टर से पूछ लें।
  • आपको घाव को खुला (बिना पट्टी) रखने की सलाह दी जाती है। हालांकि, यदि घाव पर बार-बार कुछ लग रहा है, तो आप हल्की पट्टी कर सकती हैं। (और पढ़ें - घाव की मरहम पट्टी कैसे करें)
  • जब तक डॉक्टर अनुमति न दें, कोई भी अधिक मेहनत वाली शारीरिक गतिविधि न करें और न ही जिम जाएं।
  • आपको सर्जरी के बाद कम से कम छह हफ्ते तक काम से छुट्टी लेने की सलाह दी जाती है, ताकि आप शारीरिक व मानसिक रूप से पूरी तरह से ठीक हो सकें।
  • सर्जरी के चार से छह हफ्तों बाद आपको फिर से पीरियड्स आने लगेंगे और लगभग दो महीनों के समय में मासिक धर्म नियमित होने लगेंगे।
  • सर्जरी के बाद आपको पूरी तरह से स्वस्थ होने में कम से कम तीन महीनों का समय लगता है, जिसके बाद आप फिर से गर्भधारण कर सकती हैं।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

साल्पिंगोटॉमी के बाद यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या महसूस होती है, तो जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए -

  • बुखार
  • ठंड लगना
  • घाव के आसपास लालिमा होना
  • सर्जरी वाले हिस्से व उसके आसपास दर्द होना
  • घाव से बदबूदार द्रव निकलना

(और पढ़ें - अधिक ठंड लगने का कारण)

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साल्पिंगोटॉमी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

साल्पिंगोटॉमी सर्जरी से निम्न जोखिम व जटिलताएं हो सकती हैं -

  • सर्जरी के दौरान आसपास के अंग क्षतिग्रस्त हो जाना जैसे आंत या मूत्राशय आदि
  • घाव में संक्रमण होना
  • पेल्विस या मूत्राशय में संक्रमण होना
  • सर्जरी वाले स्थान से रक्तस्राव होना
  • दोबारा सर्जरी करने की आवश्यकता पड़ना
  • गर्भाशय के निचले हिस्से (सर्विक्स) में क्षति होना
  • एनेस्थीसिया के साइड इफेक्ट होना जैसे उल्टी, जी मिचलाना या एलर्जी आदि

कुछ मामलों में सर्जरी के दौरान एक्टोपिक प्रेगनेंसी पूरी तरह से निकल नहीं पाती है और कुछ ऊतक फैलोपियन ट्यूब में ही रहते हैं। ऐसी स्थितियों में दोबारा सर्जरी या मेडिकल इलाज करने की आवश्यकता पड़ती है।

(और पढ़ें - एलर्जी के घरेलू उपाय)

संदर्भ

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