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वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी एक विशेष प्रोसीजर है, जिसकी मदद से हृदय मे मौजूद सेप्टम के छिद्र को सही किया जाता है। यह सेप्टम हृदय के निचले कक्ष में वेंट्रिकल्स के बीच में स्थित होता है। हृदय के सेप्टम में छिद्र होना आमतौर पर जन्मजात होता है। यदि छिद्र छोटा है तो वह आमतौर पर अपने आप बंद हो जाता है। अगर छिद्र बड़ा है तो वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी की मदद से उसे ठीक किया जाता है। वेंट्रिकुलर सेप्टम में छिद्र होने के कारण ऑक्सीजन युक्त रक्त में बिना ऑक्सीजन वाला रक्त मिलने लग जाता है, जिससे सांस लेने में दिक्कत और वजन न बढ़ना आदि समस्याएं होने लगती हैं।

जैसा कि यह एक जन्मजात रोग है और बच्चे के एक साल का होने से पहले ही यह सर्जरी की जाती है। हालांकि, कुछ मामलों में यह सर्जरी बच्चे के 6 महीने से 2 साल का होने तक भी की जा सकती है। वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी से पहले मरीज के कुछ विशेष टेस्ट किए जाते हैं और साथ ही एक सहमति पत्र पर हस्ताक्ष किए जाते हैं।

यह ऑपरेशन होने में कुछ घंटों का समय लगता है और इसके बाद मरीज को आईसीयू में भर्ती करा दिया जाता है। आपको लगभग चार से पांच दिन रिकवरी वार्ड में रखा जाता है और फिर घर के लिए छुट्टी दे दी जाती है। यदि आपको सर्जरी के बाद सांस लेने में दिक्कत या बुखार जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो फिर डॉक्टर को इस बारे में बता दें।

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  1. वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी क्या है - What is Ventricular septal defect surgery in Hindi
  2. वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी क्यों की जाती है - Why is Ventricular septal defect surgery done in Hindi
  3. वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी से पहले - Before Ventricular septal defect surgery in Hindi
  4. वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी के दौरान - During Ventricular septal defect surgery in Hindi
  5. वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी के बाद - After Ventricular septal defect surgery in Hindi
  6. वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी की जटिलताएं - Complications of Ventricular septal defect surgery in Hindi
वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी के डॉक्टर

हृदय चार अलग-अलग कक्षों से मिलकर बना है, जिसमें ऊपर वाले दो हिस्सों को एट्रियम और नीचे वाले दो हिस्सों को वेंट्रिकल के नाम से जाना जाता है। ऑक्सीजन रहित रक्त दाएं वेंट्रिकल में प्रवेश करता है। ऑक्सीजन युक्त रक्त फेफड़ों से बाएं एट्रियम में जाता है और फिर वहां से बाएं वेंट्रिकल में पहुंचता है। लेफ्ट वेंट्रिकल से रक्त को शरीर के सभी हिस्सों में पंप किया जाता है। सेप्टम एक विशेष ऊतकों से बनी दीवार है, जो बाएं और दाएं कक्षों को अलग करता है। सेप्टम की मदद से ही ऑक्सीजन युक्त रक्त और बिना ऑक्सीजन वाला रक्त आपस में मिल नहीं पाते हैं।

वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट यानि दिल में छेद एक जन्मजात रोग है, जिसमें बच्चे के हृदय के दाएं व बाएं वेंट्रिकल के बीच की दीवार (सेप्टम) में छिद्र होता है। इस छिद्र के कारण ऑक्सीजन युक्त व रहित दोनों रक्त आपस में मिलने लगते हैं। इस समस्या के कारण फेफड़ों में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। यदि छिद्र छोटा है तो हो सकता है कि रक्त आपस में मिल न पाएं और ऐसे में छिद्र अपने आप बंद भी हो जाता है। हालांकि, यदि छिद्र बड़ा है, तो इससे दोनों रक्त आपस में मिलने लगते हैं और इसे बंद करने के लिए सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।

इस प्रकार वीएसडी को ठीक करने के लिए वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी करनी पड़ती है। अधिकतर मामलों में यह सर्जरी बच्चे के एक साल का होने से पहले भी की जाती है। हालांकि, कुछ दुर्लभ मामलों एक से दो साल की उम्र के बीच भी यह सर्जरी की जा सकती है। हालांकि, यदि इस बीमारी का पता बचपन में न लग पाए तो वयस्कों में भी इस सर्जरी प्रोसीजर को किया जा सकता है।

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कुछ बच्चों में वीएसडी के लक्षण जन्म के तुरंत बाद ही दिखने लग जाते हैं, जबकि अन्य लोगों में उनके बड़े होने के बाद उनमें लक्षणों का पता चलता है। यदि सेप्टम में छिद्र छोटा है, तो डॉक्टर स्टेथोस्कोप की मदद से हार्ट मर्मर सुन सकते हैं और हो सकता है कि कोई अन्य लक्षण न दिखाई दे। हालांकि, यदि छिद्र बड़ा है, तो उससे निम्न लक्षण हो सकते हैं -

वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

यदि व्यक्ति को निम्न समस्याएं हैं, तो वीएसडी सर्जरी की जा सकती है -

  • यदि सेप्टम में होने वाला छिद्र छोटा है और वह बिना सर्जरी के ही अपने आप बंद हो सकता है।
  • फिक्सड पल्मोनरी वैस्कुलर ऑब्सट्रक्टिव डिजीज, जो सेप्टल डिफेक्ट के कारण धीरे-धीरे विकसित होता है और उसके कारण इरिवर्सिबल पल्मोनरी आर्टेरियल हाइपरटेंशन होना। वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी को यह समस्या पैदा होने से पहले ही की जाती है।

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वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी से पहले निम्न तैयारियां की जाती हैं। सबसे पहले आपके आपका शारीरिक परीक्षण किया जाता है और फिर उसके बाद निम्न टेस्ट किए जाते हैं -

इसके अलावा आपको सर्जरी प्रोसीजर से पहले निम्न बातों का ध्यान रखने की सलाह दी जाती है -

  • यदि आप कोई दवा, हर्बल उत्पाद, विटामिन व अन्य कोई सप्लीमेंट ले रहे हैं, तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें। डॉक्टर आपकी कुछ दवाओं को बंद करवा सकते हैं, जैसे एंटीकॉएग्युलेंट, बीटा-ब्लॉकर और एंटीरिदमिक दवाएं आदि।
  • यदि मरीज को कोई अन्य बीमारी या एलर्जी है, तो सर्जरी से पहले ही उसको उस बारे में बता देना चाहिए। संक्रमण आदि के मामलों में सर्जरी को कुछ दिनों के लिए टाला जा सकता है।
  • सर्जरी के लिए अस्पताल जाने से पहले आपको नहाने की सलाह दी जाती है और साथ ही यदि आपने कोई आभूषण पहना है तो उसे भी घर पर उतार दें।
  • आपको सर्जरी से लगभग आठ घंटे पहले कुछ भी न खाने या पीने को कहा जाता है, क्योंकि यह सर्जरी खाली पेट की जाती है।
  • अंत में आपको एक सहमति पत्र दिया जाता है, जिसपर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति देते हैं। हालांकि, सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले उसे एक बार अच्छे से पढ़ व समझ लेना चाहिए।
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जब आप ऑपरेशन के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो आपको एक विशेष ड्रेस पहनने को दी जाती है और फिर ऑपरेशन थिएटर में ले जाया जाता है। ऑपरेशन रूम में जाने के बाद सर्जरी प्रोसीजर को शुरू किया जाता है, जो इस प्रकार है -

  • सबसे पहले आपको एनेस्थीसिया का इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे आप गहरी नींद में सो जाते हैं और आपको सर्जरी के दौरान कुछ महसूस नहीं होता है।
  • जब एनेस्थीसिया का असर शुरू हो जाता है, तो सीने में एक चीरा लगाया जाता है। सीने की हड्डियों को अलग-अलग करके हृदय तक पहुंचा जाता है।
  • सर्जरी के दौरान हृदय और फेफड़ों के कार्यों को चालू रखने के लिए हार्ट-लंग मशीन का इस्तेमाल किया जाता है।
  • सर्जन किसी एक हार्ट वाल्व को खोलते हैं, जिसकी मदद से प्रभावित सेप्टम तक पहुंचा जाता है।
  • जब सेप्टम में छिद्र का पता लग जाता है, तो उसे एक विशेष सिंथेटिक मैटीरियल से बने पैच से बंद कर दिया जाता है या फिर टांके लगाकर उसे बंद कर दिया जाता है।
  • जब सेप्टम बंद हो जाता है, तो हार्ट-लंग मशीन को हटा दिया जाता है और सीने की हड्डी को फिर से आपस में विशेष तारों की मदद से जोड़ दिया जाता है। इसके बाद ऊपर की त्वचा में टांके लगा दिए जाते हैं और फिर उपर पट्टी बांध दी जाती है।

सर्जरी पूरी होने के बाद बच्चे को आईसीयू में भर्ती कर दिया जाता है और इस दौरान दर्दनिवारक व अन्य सीडेटिव दवाएं दी जाती हैं ताकि मरीज को किसी प्रकार की तकलीफ महसूस न हो।

बच्चा जब तक अस्पताल में भर्ती रहता है, हेल्थकेयर टीम उसके सभी शारीरिक संकेतों की ध्यानपूर्वक निगरानी करते हैं जैसे हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर और ऑक्सीजन लेवल आदि। साथ ही इस दौरान इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम या इकोकार्डियोग्राम जैसे टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जिसे हृदय की कार्य क्षमता का पता लगाया जाता है।

जब बच्चे का स्वास्थ्य स्थित लगता है और उसे आईसीयू की आवश्यकता नहीं पड़ती है, तो उसे घर के लिए छुट्टी दी जा सकती है।

इस सर्जरी के बाद मरीज को कम से कम चार से पांच दिन रखा जाता है और फिर घर के लिए छुट्टी दे दी जाती है।

(और पढ़ें - इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम और इकोकार्डियोग्राम में अंतर)

ऑपरेशन के बाद जब घर के लिए छुट्टी मिल जाती है, तो डॉक्टर व अन्य हेल्थकेयर प्रोफेश्नल आपको निम्न बातों की देखभाल करने की सलाह देते हैं -

  • बच्चे को छुट्टी मिलने के बाद भी उसे कुछ पेनकिलर दवाएं दी जाती हैं, जिन्हें डॉक्टर की सलाह के अनुसार लेते रहना चाहिए।
  • सर्जरी वाले हिस्से को लगभग एक हफ्ते तक पट्टी से ढक कर रखा जाता है और इस दौरान बच्चे को नहाने से मना किया जाता है। जब बच्चा नहाना शुरू करता है, तब भी घाव गीला होते ही उसे स्वच्छ कपड़े से साफ कर लें।
  • घाव को किसी भी प्रकार की खरोंच लगने से बचाएं और न ही सीधे धूप के संपर्क में आने दें। 
  • सर्जरी के बाद बच्चे को कुछ दिन सामान्य से कम भूख लग सकती है, इस दौरान उसे जबरदस्ती खिलाने की कोशिश न करें। साथ ही शुरुआत में हल्का व पतला खाना दें और धीरे-धीरे सब्जियांफल आहार में शामिल करें।
  • सर्जरी के बाद कुछ दिन बच्चे को संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है, ऐसे में एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं और साथ ही बच्चे को धूल-मिट्टी के संपर्क में आने या भीड़ वाले क्षेत्रों में ले जाने से मना किया जाता है।
  • बच्चे को गोद उठाते समय ध्यान रखने की सलाह दी जाती है, ताकि बच्चे के सर्जरी वाले घाव को कोई नुकसान न पहुंचे और न ही छाती की हड्डी पर जोड़ पड़े।
  • यदि किसी व्यस्क का ऑपरेशन किया गया था, तो फिर उसे किसी भी प्रकार की अधिक मेहनत वाली एक्सरसाइज करने से मना किया जाता है।
  • यदि बच्चे को सर्जरी के दौरान हार्ट-लंग मशीन लगाई गई थी, तो सर्जरी के बाद कम से कम छह हफ्तों तक कोई भी वैक्सीन न लगाने को मना किया जाता है। 

डॉक्टर को कब दिखाएं?

वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी के बाद निम्न लक्षण दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर को दिखा देना चाहिए -

  • सांस लेने में दिक्कत
  • बच्चा लगातार रोना या चिड़चिड़ापन होना
  • बच्चे का वजन न बढ़ना
  • दस्तउल्टी रहना
  • होठ व जीभ नीली होना
  • बच्चे में ज्यादा थकान रहना (लंबे समय तक सोना)
  • दूध न पी पाना (भूख न लगना)
  • सर्जरी के घाव के आसपास सूजन बढ़ना और दर्द रहना
  • घाव से पस या अन्य द्रव रिसना
  • बुखार होना

(और पढ़ें - घाव ठीक करने के घरेलू उपाय)

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वेंट्रिकुलर सेप्टल डिफेक्ट सर्जरी के साथ निम्न जोखिम व जटिलताएं जुड़ी हो सकी हैं -

  • सर्जरी के घाव में संक्रमण होना
  • अधिक रक्तस्राव होना और इस कारण से फिर से सर्जरी करने की आवश्यकता पड़ना
  • हार्ट ब्लॉकेज होना
  • रक्त का थक्का बनना जो स्ट्रोक का कारण बन सकता है।
  • हार्ट वाल्व क्षतिग्रस्त होना
  • एनेस्थीसिया से जटिलताएं होना (एलर्जी आदि)
  • हृदय के ठीक से काम न करने के साथ-साथ पल्मोनरी हाइपरटेंशन
  • फिर से सर्जरी करने की आवश्यकता करना
  • मरीज की मृत्यु होना

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संदर्भ

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