प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट में यह मापा जाता है कि आपका खून कितनी जल्दी थक्का बनाता है। इस टेस्ट को कभी पीटी तो कभी प्रो टाइम टेस्ट कहते हैं। इस टेस्ट को ब्लड टेस्ट की मदद से करते हैं। प्रोथ्रोम्बिन हमारे लीवर द्वारा बनाए जाने वाला एक तरह का प्रोटीन होता है। यह हमारे खून के थक्के जमने के कई फैक्टर्स में से एक है। यानी इसके अलावा भी कई फैक्टर्स होते हैं, जो हमारे खून के थक्के जमाने में मदद करते हैं। अगर आप खून को पतला करने वाली दवाओं (जैसे वारफेरिन/कौमादिन) का सेवन करते हैं तो आपके प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट के परिणाम इंटरनैशनल नॉर्मलाइज्ड रेशियो (आईएनआर) नाम से व्यक्त किए जाते हैं। 

  1. प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट क्या होता है? - What is Prothrombin Time Test in Hindi?
  2. प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट क्यों किया जाता है? - What is the purpose of PT Test in Hindi?
  3. पीटी टेस्ट से पहले - Before Prothrombin Time Test in Hindi
  4. प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट के दौरान - During Prothrombin Time Test in Hindi
  5. प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट के बाद - After Prothrombin Time Test in Hindi
  6. प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं? - What are the risks of Prothrombin Time Test in Hindi?
  7. प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Prothrombin Time Test Result and Normal Range in Hindi

प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट ब्लीडिंग डिसऑर्डर का पता लगाने और उनके उपचार के लिए किया जाता है। इस टेस्ट से ब्लीडिंग डिसऑर्डर के अलावा बहुत अधिक थक्के बनने की समस्या की भी जांच की जाती है। इस टेस्ट में परिणाम को इंटरनैशनल नॉर्मलाइज्ड रेशियो यानी आईएनआर से मापा जाता है। इससे यह पता लगाया जाता है कि खून को पतला करने वाली दवा कितनी बेहतर तरीके से काम कर रही है। 

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निम्नलिखित वजहों से डॉक्टर आपको प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं:

  • आपके द्वारा ली जा रही खून को पतला करने वाली दवाइयों के असर का आंकलन करने के लिए।
  • लीवर की समस्याओं का इलाज करने के लिए।
  • सर्जरी से पहले आपकी शरीर के खून का थक्का बनाने की क्षमता पता करने के लिए।

प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट उन टेस्ट्स में से एक है जो लीवर ट्रांसप्लांट कराने का इंतजार कर रहे मरीजों से करवाया जाता है। लीवर के अंतिम स्टेज वाले मरीजों के लिए इस स्क्रीनिंग को मॉडल कहा जाता है। इससे पुरानी लिवर की बीमारी की गंभीरता का अंदाजा लगाया जाता है। इस टेस्ट के साथ डॉक्टर आपको लीवर की जांच के लिए कुछ और टेस्ट कराने की सलाह दे सकते हैं। 

डॉक्टर आपको प्रोथ्रोम्बिन टाइम टेस्ट के साथ निम्न जांच कराने को कह सकते हैं:

  • लिवर की बीमारी का संदेह होने पर कुछ और जांच सुझा सकते हैं।
  • ब्लीडिंग डिसऑर्डर का संदेह होने पर क्लॉटिंग फंक्शन टेस्ट करवाने की अलग से सलाह दे सकते हैं।

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इस टेस्ट के लिए खून के सैंपल की जरूरत होती है। ज्यादातक मामलों में टेस्ट से पहले आपको किसी तरह की कोई नई तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है। हालांकि कुछ दवाएं आपके टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकती हैं। इसीलिए अगर आप किसी डॉक्टर द्वारा सुझायी गई या फिर बिना किसी डॉक्टर के सुझायी गई किसी तरह की दवा का सेवन करते हैं तो इस बारे में अपने डॉक्टर को जरूर बताएं। अगर आप किसी तरह का घरेलू उपचार भी करते हैं तो भी अपने डॉक्टर से इस बारे में जरूर बताएं।

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इस टेस्ट के लिए भी ब्लड का सैंपल बिल्कुल उसी तरह से लिया जाता है, जैसा दूसरे ब्लड टेस्ट में किया जाता है।सबसे पहले तो जिस नस से खून निकालना होता है, उसके चारो ओर अल्कोहाल से स्किन को साफ कर दिया जाता है। इसके बाद जिस जगह से खून का सैंपल लेना होता है, सबसे पहले तो उस जगह पर एक इलास्टिक बैंड बांध दिया जाता है। इससे उस जगह से खून का बहाव रुक जाता है जिसके कारण खून की नसें उभर आती हैं।

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अब उस जगह से नसों में से खून का सैंपल लेना आसान हो जाता है। इसके बाद सूई चुभोकर खून का सैंपल लिया जाता है। सूई के दूसरे सिरे पर पहले से ही एक शीशी लगी होती है। इस शीशी में खून को इकट्ठा कर लेते हैं। इसके बाद जैसे ही सूई को निकाला जाता है, उस स्थान से खून निकलने से रोकने के लिए वहां पर रूई रखकर सहलाया जाता है।

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खून का सैंपल लेने के बाद उसे सैंपल को जांच के लिए लैब में भेजा जाएगा। अगर सैंपल लेने वाली जगह पर ब्लड की जांच भी की जाती है या फिर लैब पास में ही है तो फिर आपकी ब्लड रिपोर्ट आपको कुछ ही घंटों में मिल सकती है। अगर आपके डॉक्टर आपके ब्लड सैंपल को जांच के लिए बाहर भेजते हैं तो फिर ब्लड रिपोर्ट यानी जांच का रिजल्ट पाने में आपको कई दिनों का समय भी लग सकता है। कुछ विशेष क्लीनिक्स में तो नर्स आपकी उंगली से फिंगर स्टिक की मदद से खून का नमूना लेकर कुछ ही मिनटों में रिजल्ट दे सकती हैं।

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पीटी (प्रोथ्रोम्बिन टाइम) टेस्ट में भी उसी तरह के खतरे हैं, जैसे अन्य तरह के ब्लड टेस्ट में खतरे होते हैं। यानी जिस जगह से खून का सैंपल लिया जाता है, वहां आपको थोड़ी सी चुभन, दर्द, हल्की सी सूजन जैसी शिकायत हो सकती हैं।

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पीटी (प्रोथ्रोम्बिन टाइम) टेस्ट के परिणाम का निम्नलिखित अर्थ हो सकता है :

  • अगर आपका खून बहुत धीरे जमता है तो इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं : 
    • आप किसी ऐसी दवा का सेवन करते हैं, जो खून को पतला करती है।
    • आपके लीवर में किसी तरह की समस्या है।
    • खून को जमाने वाले प्रोटीन की अपर्याप्त मात्रा होना।
    • विटामिन K की कमी होना।
    • शरीर में अन्य पदार्थों की कमी होना, जो खून को जमाने का काम करते हैं। 
       
  • अगर आपका खून जल्द जमता है तो इसके निम्नलिखित कारण हो सकते हैं: 

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संदर्भ

  1. Lab Tests Online-Au; Australasian Association of Clinical Biochemist; Hypercoagulable disorders
  2. Guyton A.C, Hall J.E. Textbook of medical physiology. 11th edition. Pennsylvania: Elsevier Saunders; 2016. Chapter 36, Hemostasis and Blood Coagulation; p. 457-468.
  3. National Health Service [internet]. UK; Warfarin
  4. Ortel TL. Antithrombotic therapy. McPherson RA, Pincus MR, eds. Henry's Clinical Diagnosis and Management by Laboratory Methods. 23rd ed. St Louis, MO: Elsevier; 2017:chap 42.
  5. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Prothrombin time (PT)
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