हुक्का क्या होता है?

ऐसा सब मानते हैं कि सिगरेट पीने से स्वास्थ्य संबंधी कई हानिकारक समस्याएं हो जाती है। हालांकि कुछ लोग ऐसे भी हैं, जिनका मानना है कि सिगरेट की जगह पर हुक्का पीने से स्वास्थ्य संबंधी कोई परेशानी नहीं होती है या कम परेशानियां होती हैं। हालांकि कुछ अध्ययन किए गए हैं, जो इन धारणाओं को गलत ठहराते हैं। 

हुक्का एक प्रकार का ऐसा उपकरण होता है, जिसका उपयोग धूम्रपान करने के लिए किया जाता है। हुक्का के अंदर से आने वाला धुआं पानी के अंदर से आता है और इसमें इस्तेमाल किया जाने वाला तम्बाकू भी अलग-अलग फ्लेवर (स्वाद) में आता है। आजकल तो हुक्का के तम्बाकू एप्पल (सेब), मिंट, चेरी, चॉकलेट, लीकोरिस, कैपेचीनो और वॉटरमेलन (तरबूज) आदि फ्लेवर में आने लगे हैं।

हालांकि हुक्का पीने वाले काफी सारे लोग ऐसा मानते हैं कि सिगरेट के मुकाबले यह कम हानिकारक होता है, लेकिन आपके बता दें कि हुक्का पीने से सिगरेट पीने के समान ही स्वास्थ्य संबंधित कई जोखिम होते हैं।

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  1. हुक्का पीने से क्या बीमारी होती है - Disease caused by Hookah smoking in Hindi
  2. हुक्का पीने के नुकसान - Health risks of Hookah in Hindi
  3. हुक्का के प्रकार - Types of Hookah in Hindi
  4. हुक्के का इतिहास - History of Hookah in Hindi
  5. हुक्का छोड़ने के उपाय - How to quit hookah Smoking in Hindi
  6. हुक्का पीने के फायदे - Benefits of Hookah smoking in Hindi

हुक्का पीने से होने वाली बीमारियां कौन सी हैं?

हुक्का पीने से उन सभी बीमारियों के जोखिम अत्यधिक बढ़ जाते हैं, जो सिगरेट पीने से होती हैं जैसे: 

हुक्का पीने से फेफड़ों के ठीक से काम करने की क्षमता धीरे-धीरे कम होती रहती है और दिल संबंधी रोगों के जोखिम भी अत्यधिक बढ़ जाते हैं। इतना ही नहीं हुक्का पीने से व्यक्ति की प्रजनन शक्ति पर गहरा असर पड़ता है और बांझपन का जोखिम अत्यधिक बढ़ जाता हैं। 

हुक्का पीने वाले व्यक्ति से आने वाला धुंआ (सेकेंड हैंड स्मोक) भी काफी हानिकारक होता है। यदि आप किसी ऐसे कमरे में हैं, जहां हुक्का चल रहा तो आप कैंसर का कारण बनने वाले धुंए में सांस ले रहे हैं।

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हुक्का पीने से स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

हुक्का पीने से स्वास्थ्य संबंधी क्या-क्या समस्याएं होती हैं, इस बारे में रिसर्च अभी भी चल रही है। हालांकि कुछ प्रमाण बताते हैं, कि हुक्का पीने से स्वास्थ्य संबंधी कई जोखिम पैदा हो जाते हैं:

  • हुक्के के धुंए में काफी मात्रा में हानिकारक विषाक्त पदार्थ पाए जाते हैं, जिसमें टार, कार्बन मोनोक्साइड, धातु के विषाक्त और ऐसे केमिकल शामिल हैं, जो कैंसर का कारण बन सकते हैं। वास्तव में सिगरेट पीने वाले लोगों के मुकाबले हुक्का पीने वाले लोगों के शरीर में अधिक धुंआ और कार्बन मोनोक्साइड गैस जाती है।
  • सिगरेट की तरह हुक्का पीने से भी लंग कैंसर, मुंह का कैंसर, हृदय रोग व अन्य गंभीर बीमारियां होने का खतरा अत्यधिक बढ़ जाता है।
  • हुक्का से भी शरीर के अंदर लगभग उतना ही निकोटीन प्राप्त होता है, जितना सिगरेट से मिलता है। 
  • हुक्का पीने से सेकेंड हैंड स्मोक द्वारा होने वाले रोगों का खतरा भी अत्यधिक बढ़ जाता है। हुक्का पी रहे व्यक्ति से निकलने वाले धुएं के संपर्क में आना सेकेंड हैंड स्मोक होता है। 
  • यदि कोई गर्भवती महिला हुक्का पीती है, तो उससे होने वाले शिशु का वजन सामान्य से कम हो सकता है। 
  • हुक्का बार और कैफ़े आदि में इस्तेमाल की गई हुक्का पाइप को अच्छे से साफ नहीं किया जाता, जिस कारण संक्रमण व अन्य रोग फैलने का भी खतरा काफी रहता है।

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हुक्का कितने प्रकार का होता है?

हुक्का अलग-अलग आकार-प्रकार और स्टाइल में आता है।

आजकल हुक्के का डिजाइन भी काफी मॉडर्न बना दिया गया है, आजकल के हुक्के को धातु से बनाया जाता है। इसके ऊपर चिलम और नीचे पानी का बर्तन भी धातु से ही बना होता है। साथ में इसमें 3 से 4 पाइप लगे होते हैं, ताकि एक साथ कई लोग पी सकें। 

कुछ प्रकार के हुक्के ऐसे होते हैं, जिनमें सिर्फ एक ही पाइप लगी होती है और ग्रुप में पीने के दौरान एक ही पाइप से सब पिया करते हैं।

इतना ही नहीं आजकल हुक्के को कई अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है, जैसे नारघाइल, शीशा, हब्बल-बब्बल और गोजा आदि। 

हुक्का के लिए इस्तेमाल किए गए तंबाकू में हल्की-हल्की मिठास लाने के लिए उसमें कई अलग-अलग चीजें मिलाई जा सकती हैं, जैसे गुड़, फलों के छिल्के या शहद आदि। आजकल तो तंबाकू में कई प्रकार के फ्लेवर भी आने लगे हैं, जैसे नारियल, मिंट, कॉफी और अन्य फलों के फ्लेवर आदि। तंबाकू में अलग-अलग फ्लेवर व सुगंध आने से आजकल की युवा  पीढ़ी भी हुक्का की तरफ काफी आकर्षित होने लगी है। 

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हुक्के का इतिहास क्या है?

हुक्के का इस्तेमाल लगभग 400 सालों से हो रहा है, जिसकी शुरुआत भारत और एशिया में हुई थी। 1600 ई. की शुरुआत में भारत के एक फिजीशियन “हकीम अब्दुल फतेह” ने हुक्के का आविष्कार किया था। उनका मानना यह था कि तंबाकू का धुंआ पानी के अंदर से निकलने के बाद इतना हानिकारक नहीं रहता है। 

इतना ही नहीं कुछ लोग मानते हैं कि हुक्का पीना इतना हानिकारक नहीं होता है, जितना सिगरेट होती है। इस आर्टिकल में हम हुक्का के कारण होने वाले स्वास्थ्य संबंधी जोखिमों के बारे में चर्चा करेंगे।

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हुक्का कैसे छोड़े?

तो आप इस आदत को छोड़ने के लिए तैयार हैं? बहुत बढ़िया, क्योंकि ठान लेना ही आधी लड़ाई जीत लेने जैसा होता है। हुक्का छोड़ना आसान तो नहीं होता, लेकिन हुक्का छोड़ने के लिए सबसे जरूरी होता है पहला कदम ठीक से उठाना और उसका पालन करना। हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने वाले हैं, जो हुक्का छुड़ाने में आपकी मदद करेंगे:

  • एक तारीख निर्धारित करें:
    अगले दो हफ्तों के भीतर की कोई तारीख निर्धारित कर लें ताकि आप हुक्का छोड़ने के लिए खुद को तैयार कर सकें। अधिक दूर की तारीख भी तय ना करें, ऐसे में आपका मूड बदल सकता है। यदि आप मुख्य रूप से काम के दौरान हुक्का पीते हैं, तो पहले रविवार और शनिवार को छोड़ने की कोशिश करें। इससे आपको एकदम से बदलाव करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
     
  • अपने परिवार, दोस्तों व साथ काम करने वालों को बताएं:
    जब आपने हुक्का छोड़ने की ठान ही ली है, तो अपने परिवार व दोस्तों को अपने प्लान के बारे में बता दें। अपने परिवार के सदस्यों व अपने दोस्तों को भी प्लान में शामिल करें ताकि वे हुक्का छुड़ाने में आपकी मदद कर सकें। यदि आपका हुक्का पीने वाला कोई दोस्त है, जो खुद भी हुक्के की आदत छोड़ना चाहता है तो उसे प्लान में शामिल करना बेहतर हो सकता है। आप इस समय एक दूसरे के काफी काम आ सकते हैं।
     
  • हुक्का छोड़ने के दौरान आने वाली चुनौतियों के प्रति पहले ही तैयार रहें:
    ज्यादातर लोग जो हुक्का छोड़ देते हैं, वे तीन महीनों के अंदर फिर से पीना शुरू कर देते हैं। यदि आप हुक्के की आदत छोड़ने का प्लान बना रहे हैं, तो ऐसी परेशानियों से लड़ने के लिए तैयार रहें जैसे निकोटीन लेने की तलब होना या हुक्का पीने की तीव्र इच्छा हो जाना।
     
  • घर, ऑफिस या कार में तंबाकू वाले अन्य पदार्थों का इस्तेमाल ना करें:
    सिगरेट की डिब्बी, लाइटर, एशट्रे और माचिस आदि को अपने आस-पास ना रखें। उन सभी कपड़ों को धो लें जिनसे धुंएं या तंबाकू जैसी गंध आती हो। अपनी कार, फर्नीचर, पर्दे और कालीन आदि को भी धो कर अच्छे से साफ कर लें, ताकि उनमें से तंबाकू या धुंए की गंध ना आए।
     
  • डॉक्टर की मदद लें:
    यदि आपको निकोटीन की तलब होती है, तो आप डॉक्टर की मदद ले सकते हैं। डॉक्टर कुछ प्रकार की दवाएं देकर तंबाकू की तलब के लक्षणों को कम कर सकते हैं। यदि किसी कारण से आप डॉक्टर के पास नहीं जा सकते, तो भी आपके लिए ऐसे बहुत से प्रोडक्ट मेडिकल स्टोर पर उपलब्ध हैं जो हुक्का छुड़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं। ये प्रोडक्ट डॉक्टर की पर्ची के बिना ही मिल जाते हैं (ओटीसी), जो चुइंगम, चूसने वाली गोलियां व अन्य कई रूपों में उपलब्ध हैं। 

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हुक्का पीने के क्या फायदे हैं?

हुक्का पीने वाले ज्यादातर लोग यह सोचते हैं कि हुक्का, सिगरेट के जितना हानिकारक नहीं होता है। इनका मानना है कि हुक्के का धुंआ पानी के अंदर से फिल्टर होकर आता है, जिससे धुंआ साफ हो जाता है। जबकि ऐसा कुछ नहीं है, हुक्के के धुंए में भी वही विषाक्त पदार्थ पाए जाते हैं, जो कि सिगरेट के धुंए में होते हैं जैसे टार, निकोटीन, कार्बन मोनोक्साइड, हेवी मेटल और कैंसर का कारण बनने वाले अन्य हानिकारक पदार्थ। ऐसे में हुक्का पीने से कोई लाभ नहीं होता। 

क्या सिगरेट की तरह हुक्के की भी लत लग जाती है?

जैसा कि कुछ लोग सोचते हैं कि सिगरेट के मुकाबले हुक्का हमारे शरीर को कम हानि पहुंचाता है, वैसे ही कुछ लोगों का मानना है कि हुक्के की लत नहीं लगती। हालांकि सच्चाई यह है कि सिगरेट की तरह इसमें भी निकोटीन होता है जिसकी आदत पड़ जाती है। सिगरेट की तरह ही हुक्के की लत को छुड़ाना भी मुश्किल हो सकता है। हालांकि हुक्के का इस्तेमाल आमतौर पर नशा करने के लिए नहीं किया जाता है।

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