बच्चों में पानी की कमी होना किसे कहते हैं?

पानी की कमी या डिहाइड्रेशन एक ऐसी स्थिति है, जिसमें शरीर में पर्याप्त तरल नहीं बचता। बच्चों के शरीर में पानी की कमी होने का ख़तरा अधिक होता है, क्योंकि उनके शरीर से तरल जल्दी निकलता है। कभी-कभी बच्चों को महसूस नहीं  कि उन्हें प्यास लगी है या वे इसके लक्षणों को नज़रअंदाज़ करते हैं। खेलते समय अधिक पसीना आने से या बार-बार पेशाब आने से भी बच्चों के शरीर में पानी की कमी हो सकती है।

बच्चों में निर्जलीकरण के लक्षण क्या होते हैं?
बच्चों के शरीर में पानी की कमी के निम्नलिखित लक्षण हो सकते हैं:

बच्चों के शरीर में पानी की कमी के कारण क्या होते हैं?
नीचे दिए कारणों से बच्चों के शरीर में पानी की कमी हो सकती है:

डायबिटीज को नियंत्रियत करने के लिए myUpchar Ayurveda Madhurodh डायबिटीज टैबलेट का उपयोग करे और डायबिटीज से होने वाली अन्य बीमारियों से बचे।

बच्चों के शरीर में पानी की कमी का पता कैसे चलता है और इलाज कैसे होता है?

ज्यादातर मामलों में डॉक्टर शारीरिक परीक्षण करके बच्चों में पानी की कमी का पता लगा लेते हैं। हालांकि, इन्फेक्शन, इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन या मूत्राशय के संक्रमण का पता लगाने के लिए डॉक्टर ब्लड टेस्ट कर सकते हैं। अगर बच्चे को पेशाब अधिक आ रहा है, तो शुगर के स्तर का पता लगाने के लिए भी ब्लड टेस्ट किया जा सकता है। छाती का एक्स-रे, मल का टेस्ट या रोटावायरस टेस्ट भी किया जा सकता है।

पानी की कमी का इलाज करने के लिए शरीर में पानी को बढ़ाने के तरीकों का इस्तेमाल किया जाता है। नवजात शिशुओं के लिए उनकी माताओं को बार-बार थोड़ा-थोड़ा दूध पिलाने के लिए कहा जा सकता है। डिहाइड्रेशन के कम गंभीर मामलों में डॉक्टर बच्चों को मौखिक रूप से तरल देने की सलाह देते हैं और उनके खान-पान का ध्यान रखें के लिए कहा जाता है। प्राथमिक चिकित्सा के रूप में, नारियल पानी, नींबू पानी, जूस, छाछ और पानी देना आवश्यक होता है। बच्चे को थोड़ी-थोड़ी देर में तरल पदार्थ दिए जा सकते हैं।

मध्यम डिहाइड्रेशन होने पर, शरीर के वजन का 5 से 10 प्रतिशत वजन घट जाता है। इन मामलों में, डॉक्टर बच्चे को नसों के माध्यम से तरल देते हैं और अगर बच्चा मौखिक रूप से खाने-पीने की हालत में है, तो उसे घर भेज दिया जाता है। गंभीर मामलों में, बच्चे के वजन का 15 प्रतिशत वजन घट जाता है। इन मामलों में, बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया जाता है, उनका अवलोकन किया जाता है, नसों के माध्यम से तरल दिए जाते हैं और आगे की जांच की जाती है।

Dr. Mayur Kumar Goyal

पीडियाट्रिक
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Gazi Khan

पीडियाट्रिक
4 वर्षों का अनुभव

Dr. Himanshu Bhadani

पीडियाट्रिक
1 वर्षों का अनुभव

Dr. Pavan Reddy

पीडियाट्रिक
9 वर्षों का अनुभव

और पढ़ें...
ऐप पर पढ़ें