बोलने में दिक्कत - Difficulty Speaking in Hindi

Dr. Nadheer K M (AIIMS)MBBS

September 18, 2018

August 31, 2021

बोलने में दिक्कत
बोलने में दिक्कत

बोलने में दिक्कत होना क्या है?

बोलने में दिक्कत एक ऐसी समस्या है जिसमें किसी व्यक्ति को आवाज निकाल कर कोई शब्द बोलने में समस्या होने लगती है। अंग्रेजी में इस समस्या को स्पीच डिसऑर्डर (Speech disorder) कहा जाता है। आवाज या बोलने से संबंधित कुछ प्रकार के विकारों को भी स्पीच डिसऑर्डर माना जाता है।

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बोलने में दिक्कत का सबसे अधिक महसूस किया जाने वाला लक्षण “हकलाना” होता है। बोलने में परेशानी से संबंधित अन्य विकारों में एपरैक्सिया (Apraxia) और डिसार्थरिया (Dysarthria) आदि शामिल हैं:

  • एपरैक्सिया - इस में मस्तिष्क का वह हिस्सा प्रभावित होता है जो स्वभाविक बोल-चाल की प्रक्रिया नियंत्रित करता है। 
  • डिसार्थरिया - यह एक ऐसा विकार है जिसमें मुंह, चेहरे या श्वसन प्रणाली की मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं या उनको हिलाने में कठिनाई होने लगती है।

इस विकार से ग्रस्त लोग आम तौर पर जानते है कि वे क्या कहना चाहते हैं लेकिन वे अपने विचारों को शब्द देकर बाहर निकालने में असफल रहते है। इसके चलते कई बार वे आत्मविश्वास की कमी से भी दो चार होते हैं जो आगे चलकर डिप्रेशन में बदल सकती है। 

बोलने में दिक्कत छोटे बच्चों से बड़ों तक किसी को भी हो सकती है। बिना देरी किए समय पर किया गया इलाज इस स्थिति को ठीक कर सकता है।

(और पढ़ें - मांसपेशियों की कमजोरी का इलाज)

बोलने में दिक्कत के लक्षण - Difficulty Speaking Symptoms in Hindi

बोलने में दिक्कत होने पर किस प्रकार के लक्षण महसूस होने लगते हैं?

बोलने में दिक्कत के कारण के आधार पर इस स्थिति में कुछ प्रकार के लक्षण उपस्थित हो सकते हैं। इस समस्या से ग्रस्त लोगों में निम्न कुछ सामान्य लक्षण महसूस हो सकते हैं जैसे:

  • बात करते समय आवाज बिगड़ना
  • गला बैठने जैसी आवाज आना या आवाज में घरघराहट होना
  • बोलते समय झटके लगना या आमतौर पर सिर हिलाना
  • बोलने या कुछ बताने की कोशिश करने के दौरान मरीज में स्पष्ट रूप से  निराशा या परेशानी दिखाई देना
  • बोलते वक्त जल्दी जल्दी पलकें झपकना 
  • बोलते समय बार-बार रुकना एक ही आवाज को बार-बार निकालना, यह लक्षण आमतौर पर उन लोगों में देखा जाता है जिनमें बोलते समय हकलाने की समस्या होती है।
  • अतिरिक्त आवाज या शब्द बोलना
  • किसी शब्द को लंबा बनाना (जैसे एक शब्द को अधिक देर तक बोलना)

(और पढ़ें - बच्चे कब बोलना शुरू करते हैं)

बोलने में दिक्कत के कारण व जोखिम कारक - Difficulty Speaking Causes & Risk Factors in Hindi

बोलने में दिक्कत किस कारण से होने लगती है?

बोलने में दिक्कत पैदा करने वाला विकार वोकल कोर्ड (स्वर रज्जु/स्वर तंत्री), मांसपेशियों, नसों और गले की अन्य संरचनाओं को प्रभावित करता है। 

इसके कारणों में निम्न शामिल हो सकते हैं:

(और पढ़ें - चेहरे के लकवा के लक्षण)

कुछ लोगों को कुछ निश्चित प्रकार की मेडिकल या शारीरिक विकास संबंधी स्थितियों के कारण भी बोलने में दिक्कत की समस्या हो सकती है। कुछ सामान्य स्थितियां जिनके कारण बोलने में दिक्कत होने लग सकती है:

बोलने में दिक्कत की समस्या आनुवंशिक भी हो सकती है जो समय के साथ-साथ विकसित हो सकती है।

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बोलने में दिक्कत का परीक्षण - Diagnosis of Difficulty Speaking in Hindi

बोलने में दिक्कत की समस्या का परीक्षण कैसे किया जाता है?

इस स्थिति का परीक्षण करने के लिए काफी टेस्ट उपलब्ध हैं।

  • डेनवर आर्टीकुलेशन स्क्रीनिंग एग्जाम - 
    यह आर्टीकुलेशन डिसऑर्डर (साफ ना बोल पाने की समस्या) का परीक्षण करने के लिए सबसे आम तौर पर इस्तेमाल किया जाने वाला टेस्ट है। यह टेस्ट 2 से  7 साल के बच्चों में शब्दों के उच्चारण की शुद्धता की जांच करता है। इस टेस्ट में पांच मिनट का समय लगता है जिसमें बच्चे की आवाज की जांच करने के लिए कई प्रकार की प्रक्रियाएं अपनाई जाती हैं।  (और पढ़ें - सीटी स्कैन क्या है)
     
  • अरली लेंगवेज माइलस्टोन स्केल 2 - 
    यह टेस्ट बच्चों के विशेषज्ञ डॉक्टर James Coplan द्वारा बनाया गया था, यह टेस्ट यह निर्धारित करता है कि बच्चे में भाषा विकास कितने अच्छे से हो रहा है। इस टेस्ट की मदद से काफी विलंब से बोल पाना या भाषा संबंधी अन्य समस्याओं को जल्दी पकड़ लिया जाता है। (और पढ़ें - ईसीजी टेस्ट)
     
  • भारतीय बच्चों के लिए टेस्ट - 
    नवजात से लेकर दो साल तक के बच्चों के लिए भारत में दो टेस्ट काफी प्रचलित हैं। जिन्हें त्रिवेंद्रम डेवलपमेंट स्क्रीनिंग चार्ट और हरोड़ा डेवलपमेंट के तौर पर जाना जाता है। ये दोनों ही स्क्रीनिंग टेस्ट हैं, जिनके आधार पर बच्चें की प्रगति का जायजा लिया जाता है। इन टेस्टों में उसके हाथ पैर हिलाने की गतिविधि और संज्ञानात्मक क्षमता का आंकलन किया जाता है। इन टेस्टों को करने में पांच से दस मिनट का ही वक्त लगता है। 

(और पढ़ें - क्रिएटिनिन टेस्ट क्या होता है)

बोलने में दिक्कत का इलाज - Difficulty Speaking Treatment in Hindi

बोलने में दिक्कत की स्थिति का इलाज कैसे किया जाता है?

बोलने में दिक्कत की कम गंभीर स्थिति को अक्सर इलाज की आवश्यकता भी नहीं पड़ती है। बोलने से संबंधित कुछ विकार सामान्य रूप से अपने आप ठीक हो जाते है जबकि कुछ स्थितियों को ठीक होने के लिए इलाज व स्पीच थेरेपी आदि की आवश्यकता पड़ती है।

इस स्थिति का इलाज इसके प्रकार पर निर्भर करता है। स्पीच थेरेपी में एक विशेषज्ञ थेरेपिस्ट आपको उन एक्सरसाइज के बारे में बताएंगे जो आपके चेहरे और गले में मांसपेशियों को मजबूत करने में मदद करती हैं। इस थेरेपी में आपको बोलने के दौरान सांस को नियंत्रित करना सिखाया जाता है। मांसपेशियों को मजबूत बनाने वाली एक्सरसाइज और बोलते समय सांसों को कंट्रोल करने की प्रक्रिया आपकी आवाज और बोलने से जुड़ी समस्याओं में सुधार ला सकती है। आपको मधुर आवाज में और बिना रुके लगातार बोलने की प्रैक्टिस करने के तरीके भी सिखाए जा सकते हैं। (और पढ़ें - मांसपेशियों को मजबूत करने के उपाय)

बोलने में दिक्कत के विकारों से ग्रस्त कुछ लोग घबराहट, शर्मिंदगी और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं। इन स्थितियों में टॉक थेरेपी (इस थेरेपी में मरीज के साथ बात की जाती है और उसके बोलने के तरीके व अन्य चीजें सीखाई जाती हैं) उनकी मदद कर सकती है। थेरेपिस्ट मरीज़ को ऐसी स्थितियों से निपटने और इस स्थिति के दृष्टिकोण में सुधार करने के तरीके सीखा सकता है। यदि डिप्रेशन अधिक गंभीर है तो एंटीडिप्रेसेंट्स (डिप्रेशन को रोकने वाली) दवाएं मदद कर सकती है।

(और पढ़ें - डिप्रेशन से बचने का तरीका)

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बोलने में दिक्कत की जटिलताएं - Difficulty Speaking Complications in Hindi

बोलने में दिक्कत होने से कौन सी समस्याएं पैदा हो सकती हैं?

यदि इस स्थिति का इलाज ना किया जाए तो यह स्थिति मरीज को गंभीर रूप से चिंतित और बेचैन बना सकती है। समय के साथ-साथ यह पब्लिक में बोलने के प्रति डर लगना (फोबिया) आदि जैसे विकार पैदा कर सकती है। चिंता की स्थिति का समय पर इलाज कर देने से फोबिया व अन्य चिंता विकार होने से रोकथाम की जा सकती है। इसके उपचारों में टॉक थेरेपी और चिंता निवारक दवाएं (Antianxiety medications) आदि शामिल हैं।

(और पढ़ें - चिंता दूर करने के उपाय)