विरीमिया - Viremia in Hindi

Dr. Ajay Mohan (AIIMS)MBBS

November 23, 2020

September 15, 2021

विरीमिया
विरीमिया

जब वायरस रक्तप्रवाह में मिल जाता है तो इसे मेडिकल की भाषा में विरीमिया कहा जाता है। वायरस एक जैनेटिक मैटेरियल होता है, जो चारों तरफ से प्रोटीन से ढका होता है। इनका आकार अतिसूक्ष्म होता है। वायरस को जीवित या सक्रिय रहने के लिए एक जीवित शरीर की आवश्यकता होती है, जैसे कोई व्यक्ति या जानवर आदि। ये वायरस शरीर में घुसकर कोशिकाओं को क्षति पहुंचाने लगते हैं, जिससे उनकी संख्या बढ़ने लगती है। इसी प्रक्रिया को संक्रमण कहा जाता है।

वायरस के विभिन्न प्रकार होते हैं और ये काफी संक्रामक भी होते हैं। जिसका मतलब है कि ये एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तीव्रता से फैल जाता है। कुछ प्रकार के वायरस त्वचा को प्रभावित करते हैं, जबकि कुछ रक्त तक भी पहुंच जाते हैं।

(और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण के लक्षण)

विरीमिया के प्रकार - Types of Viremia in Hindi

विरीमिया को आमतौर पर चार भागों में बांटा गया है, जिनमें निम्न शामिल है -

  • प्राइमरी विरीमिया -
    यह विरीमिया का सबसे आम प्रकार होता है, इसमें वायरस रक्त में उस जगह से ही फैलता है, जिस जगह से वह शरीर के अंदर घुसा था।
  • सेकेंड्री विरीमिया -
    जब वायरस शरीर के उस अंग में फैल जाता है, जो रक्त के संपर्क में आता है। ऐसी स्थिति में वायरस उस अंग में ही अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं और फिर रक्त में फैल जाते हैं।
  • एक्टिव विरीमिया -
    जब वायरस रक्त में जाकर अपनी संख्या बढ़ाने लगते हैं, तो इसका मतलब है कि रक्त में वायरल संक्रमण सक्रिय हो गया है, इसलिए इसे एक्टिव विरीमिया कहा जाता है।
  • पैसिव विरीमिया -
    इस स्थिति में वायरस पहले शरीर के किसी अन्य हिस्से में न होकर सीधे रक्त में ही मिल जाते हैं। ऐसा आमतौर पर मच्छरों के काटने पर ही होता है।

(और पढ़ें - वायरल फीवर का इलाज)

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विरीमिया के लक्षण - Viremia Symptoms in Hindi

विरीमिया के लक्षण मुख्य रूप से स्थिति के अंदरूनी कारणों के अनुसार ही विकसित होते हैं। हालांकि, कुछ कम मामलों में विरीमिया की गंभीरता के अनुसार भी कुछ अन्य लक्षण देखे जा सकते हैं। विरीमिया और वायरल संक्रमण के कुछ लक्षण एक समान होते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

कई बार वायरस के संपर्क में आने के बाद भी आपको किसी प्रकार के लक्षण महसूस नहीं हो पाते हैं। ऐसा आमतौर पर इसलिए होता है, क्योंकि प्रतिरक्षा प्रणाली संक्रमण गंभीर होने से पहले ही उसे नियंत्रित कर लेती है।

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

कुछ प्रकार के वायरल संक्रमण अपने आप ठीक हो जाते हैं और उनका इलाज करने की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि, कई बार संक्रमण नियंत्रित नहीं हो पाता है और वायरस रक्त में चला जाता है। ऐसी स्थिति से बचने के लिए यदि आपको उपरोक्त में से कोई लक्षण महसूस हो रहा है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।

वैसे तो ये लक्षण गंभीर नहीं हैं, फिर भी डॉक्टर से बात कर लेना अच्छा विकल्प है। उसके बाद डॉक्टर खुद सुनिश्चित करते हैं कि आपको इलाज की जरूरत है या नहीं।

(और पढ़ें - कोरोना वायरस संक्रमण)

विरीमिया के कारण - Viremia Causes in Hindi

अधिकतर प्रकार के वायरस आमतौर पर विरीमिया का कारण बन सकते हैं। वैसे तो दुनियाभर में अनगिनत वायरस हैं, जिनमें से कुछ प्रकार के वायरसों का पता चल पाया है, जो मनुष्यों में विरीमिया का कारण बन सकते हैं। विरीमिया का कारण बनने वाले वायरसों में निम्न शामिल हैं -

कई प्रकार के वायरस हैं, जो शरीर के अंदर एक से दूसरे हिस्सों में फैलने लग जाते हैं। जबकि कुछ प्रकार के वायरस हैं, जो सूखी सतहों पर भी एक हफ्ते तक जीवित रह सकते हैं, जैसे प्लास्टिक के डब्बे या दरवाजे के हैंडल आदि। वायरस फैलने के सबसे आम तरीकों में निम्न शामिल हैं -

  • संक्रमित मल किसी तरीके से मुंह के अंदर चला जाना (जैसे दूषित हाथों या भोजन के माध्यम से)
  • संक्रमित व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने से
  • मच्छरों के काटने से
  • स्तनपान कराना (मां से शिशु में)
  • गर्भावस्था के दौरान या बच्चे को जन्म देते समय (मांस से भ्रूण में)
  • रक्त चढ़ाने के दौरान (संक्रमित रक्त से)
  • अंगदान करने पर (यदि अंग संक्रमित हो तो)
  • घाव या कट से

(और पढ़ें - घाव ठीक करने के घरेलू उपाय)

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विरीमिया का परीक्षण - Diagnosis of Viremia in Hindi

विरीमिया का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर सबसे पहले मरीज के लक्षणों की जांच करते हैं और साथ ही मरीज का शारीरिक परीक्षण करते हैं। यदि विरीमिया का पता लग जाता है, तो भी डॉक्टर वायरस के प्रकार और अंदरूनी कारणों का पता लगाने के लिए कुछ प्रकार के ब्लड टेस्ट और ब्लड कल्चर कर सकते हैं।

कुछ मामलों में डॉक्टर विरीमिया का परीक्षण व पुष्टि करने के लिए मरीज के लक्षणों की तुलना किसी वायरल संक्रमण से ग्रसित व्यक्ति के लक्षणों से कर सकते हैं। हालांकि, ऐसा आमतौर पर तब होता है, जब किसी खास वायरस की महामारी चल रही हो

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

विरीमिया का इलाज - Viremia Treatment in Hindi

विरीमिया का इलाज वायरस के प्रकार और लक्षणों की गंभीरता के अनुसार किया जाता है। कुछ मामलों में विरीमिया का इलाज करने की आवश्यकता नहीं होती है, क्योंकि प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस के प्रति प्रतिक्रिया करके रक्त को साफ कर देती है। ऐसे में डॉक्टर इलाज करने से पहले कुछ समय के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली का इंतजार भी कर सकते हैं। हालांकि, इस दौरान डॉक्टर मरीज के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए कुछ दवाएं भी दे सकते हैं। विरीमिया के इलाज में निम्न शामिल है -

  • मरीज को तरल पेय पदार्थ देना
  • एसिटामिनोफेन दवाएं
  • एंटी-इन्फ्लेमेटरी (सूजन रोधी) दवाएं
  • दस्त रोकने वाली दवाएं जैसे लोपेरामाइड
  • खुजली को रोकने के लिए कुछ प्रकार की क्रीम
  • बंद नाक के लिए नेजल डिकॉन्जेस्टेंट
  • गले में दर्द के लिए गले को शांत करने वाली दवाएं (लोजेन्जेस)

विरीमिया के इलाज में मुख्य रूप से एंटीवायरल दवाओं का उपयोग किया जाता है, जो वायरस को नष्ट करने में मदद करती हैं। कुछ प्रकार की एंटीवायरल दवाएं हैं, जो रक्त में असर करती हैं और रक्त में मौजूद वायरस को नष्ट कर देती हैं। इनमें आमतौर पर निम्न दवाएं शामिल हैं -

  • गैन्सीक्लोविर
  • रिबैविरिन
  • फैमसिक्लोविर
  • इंटरफेरॉन
  • इम्यून ग्लोबुलिन

(और पढ़ें - गले में इन्फेक्शन)

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