आयुर्वेद में कई तरह की औषधियां मौजूद हैं, जिसके जरिए कई तरह की समस्याओं को दूर किया जा सकता है. आयुर्वेद प्राकृतिक चीजों का इस्तेमाल बीमारियों से छुटकारा दिलाता है. आयुर्वेद की इन्हीं प्राकृतिक औषधियों में से एक है जीवा जात्यादि तेल. इस तेल के इस्तेमाल से घाव, खुजली, विषैले कीड़े का दंश इत्यादि से आराम मिल सकता है.

इस तेल को आयुर्वेद में सुरक्षित तरीके से तैयार किया जाता है. इसलिए, इसको लगाने से नुकसान होने की आशंका कम होती है. हालांकि, इस तेल के सेवन से आपके शरीर को कुछ नुकसान हो सकते हैं.

इस लेख में जात्यादि तेल के फायदे, नुकसान, कीमत, बनाने की विधि के बारे में विस्तार से बताया गया है -

(और पढ़ें - क्षार तेल के फायदे)

  1. जात्यादि तेल के फायदे
  2. जात्यादि तेल के नुकसान
  3. जात्यादि तेल की कीमत
  4. जात्यादि तेल बनाने की विधि
  5. सारांश
जात्यादि तेल के फायदे, नुकसान व बनाने की विधि के डॉक्टर

जात्यादि तेल में एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल और एंटीमाइक्रोबियल गुण पाए जाते हैं, जो कई तरह के इन्फेक्शन से बचाव करने में मददगार होते हैं. इसके इस्तेमाल से खुजली, स्किन की समस्याएं, घाव व बवासीर की परेशानी से छुटकारा पाया जा सकता है. आइए, विस्तार से जानते हैं इसके फायदों के बारे में -

घाव पर प्रभावी

जात्यादि तेल एंटी-बैक्टीरियल गुणों से भरपूर होता है. ऐसे में यह घाव को सुखाने और घाव में बार-बार पस बनने की समस्या को दूर करने में प्रभावी हो सकता है. इस तेल को घाव पर लगाने से घाव जल्दी सूख सकता है, लेकिन ध्यान रखें कि घाव पर इस तेल का इस्तेमाल एक्सपर्ट की सलाह पर ही करें.

(और पढ़ें - सांडे के तेल के फायदे)

जलन करे कम

जात्यादि तेल में एंटी-फंगल और एंटी-बैक्टीरियल गुण मौजूद होते हैं, जो स्किन पर होने वाले फंगल और बैक्टीरियल इंफेक्शन को दूर करने में प्रभावी हो सकते हैं. साथ ही अगर आपकी स्किन पर किसी तरह की जलन हो रही है, तो यह उसे ठीक करने में प्रभावी हो सकता है.

(और पढ़ें - बिल्व तेल के फायदे)

सूजन व दर्द करे कम

जात्यादि तेल शरीर में होने वाली सूजन और दर्द को कम करने में प्रभावी है. दरअसल, इस तेल में एंटी-इंफ्लेमेटरी का गुण पाया जाता है, जिसके इस्तेमाल से शरीर के सूजन को कम किया जा सकता है.

(और पढ़ें - अणु तेल के फायदे)

बवासीर में लाभकारी

बवासीर रोगियों के लिए भी जात्यादि तेल फायदेमंद है. इस तेल में मौजूद गुण बवासीर में होने वाले घाव को कम कर सकते हैं. साथ ही इससे बवासीर के दौरान होने वाले दर्द से भी राहत मिल सकती है.

(और पढ़ें - महुआ के तेल के फायदे)

पुरानी चोट में लाभदायक

जात्यादि तेल का इस्तेमाल पुरानी से पुरानी चोट को ठीक करने के लिए भी कर सकते हैं. चोट को ठीक करने के लिए मरहम पट्टी की तरह इस तेल का इस्तेमाल किया जाता है.

(और पढ़ें - जिरेनियम तेल के फायदे)

जात्यादि तेल को स्किन पर लगाने से किसी तरह का नुकसान नहीं होता है. हां, अगर इसका सेवन किया जाए, तो इससे कुछ नुकसान हो सकते हैं, जैसे- उल्टी, पेट में दर्द व मरोड़ इत्यादि. इसलिए, एक्सपर्ट की सलाह के बिना इसका सेवन नहीं करना चाहिए. वहीं, इस तेल को अपने स्किन या फिर प्रभावित हिस्से पर लगाने से पहले एक बार डॉक्टर या फिर आयुर्वेदाचार्य से उचित परामर्श जरूर लें.

(और पढ़ें - वनस्पति तेल के फायदे)

जात्यादि तेल की कीमत अलग-अलग ब्रांड में अलग-अलग हो सकती है. औसत कीमत की बात कि जाए, तो 20 ग्राम जात्यादि तेल 30 से 50 रुपये तक में उपलब्ध हो सकता है. ब्रांड के मुताबिक इसके कीमतों में अंतर हो सकता है.

(और पढ़ें - गेहूं के तेल के फायदे)

यहां पर बताया गया है कि जात्यादि तेल बनाने के लिए किन-किन सामग्रियों की जरूरत होगी और इसे घर में कैसे बनाया जा सकता है-

सामग्री:

  • जातिपत्र- 10.66 ग्राम
  • करंज- 10.66 ग्राम
  • तुत्थ- 10.66 ग्राम
  • हरीतकी- 10.66 ग्राम
  • पद्माख- 10.66 ग्राम
  • निम्बपत्र- 10.66 ग्राम
  • पटोल पत्र- 10.66 ग्राम
  • सिक्थ- 10.66 ग्राम
  • कुष्ठ- 10.66 ग्राम
  • सारिवा - 10.66 ग्राम
  • नीलोत्पल - 10.66 ग्राम
  • लोध्र - 10.66 ग्राम
  • मुलेठी- 10.66 ग्राम
  • कुटकी- 10.66 ग्राम
  • हरिद्रा- 10.66 ग्राम
  • मंजिष्ठा - 10.66 ग्राम
  • दारुहरिद्रा - 10.66 ग्राम
  • तिल तेल - 768 ग्राम
  • पानी - 3. 072 लीटर

विधि:

  • जात्यादि तेल को तैयार करने के लिए द्रव्य सामाग्री को अलग कर दिया जाता है.
  • फिर जिन औषधियों का चूर्ण तैयार होता है, उन्हें एक साथ मिक्स करके लुग्दी तैयार कर ली जाती है.
  • इसके बाद तिल के तेल को कड़ाही में गर्म किया जाता है और फिर इस तेल में तैयार लुग्दी व पानी को डालकर अच्छी तरह से गर्म किया जाता है.
  • जब तेल अच्छे से गर्म हो जाता है, तो इसे एक बारीक छलनी से छान लिया जाता है.
  • इसके बाद बची हुई सामग्री में थोड़ा-सा पानी मिलाकर फिर से तेल को गर्म किया जाता है.
  • जब यह गर्म हो जाता है, तो इसे आंच से उतारकर ठंडा होने के बाद एक शीशी में भरकर रख दिया जाता है. इस प्रकार जात्यादि तेल घर में ही तैयार हो जाता है.

(और पढ़ें - मकई के तेल के फायदे)

जात्यादि तेल का इस्तेमाल करने से घाव जल्द से जल्द भर सकते हैं. साथ ही इसके इस्तेमाल से बवासीर की भी परेशानी दूर हो सकती है, लेकिन ध्यान रखें कि इसका सेवन नहीं किया जाता है. अगर इस तेल का सेवन करते हैं, तो इससे शरीर को नुकसान हो सकता है. वहीं, अगर तेल के इस्तेमाल से किसी तरह की परेशानी महसूस हो, तो डॉक्टर या फिर आयुर्वेदाचार्य से संपर्क करें, ताकि परेशानी बढ़ने पर तुरंत से तुरंत इलाज किया जा सके.

(और पढ़ें - कुंकुमादि तेल के फायदे)

Dr Bhawna

Dr Bhawna

आयुर्वेद
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Padam Dixit

Dr. Padam Dixit

आयुर्वेद
10 वर्षों का अनुभव

Dr Mir Suhail Bashir

Dr Mir Suhail Bashir

आयुर्वेद
2 वर्षों का अनुभव

Dr. Saumya Gupta

Dr. Saumya Gupta

आयुर्वेद
1 वर्षों का अनुभव

ऐप पर पढ़ें
cross
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ