यूरेटेरोस्टोमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें पेट की दीवार में एक छिद्र बनाया जाता है और मूत्रवाहिनी को टांके के जरिए इससे जोड़ा जाता है। मूत्रवाहिनी (Ureter) एक नली है, जो किडनी से मूत्राशय तक यूरिन को लेकर जाती है। यूरेटेरोस्टोमी की प्रक्रिया आमतौर पर उन लोगों में की जाती है जिनका मूत्राशय (ब्लैडर) किसी कारण से निकाल दिया गया हो या फिर जिन्हें मूत्राशय से संबंधी कोई जन्मजात समस्या हो।

इस सर्जिकल प्रक्रिया के बाद यूरिन मूत्राशय में जाने की बजाय सर्जरी करके पेट में बनाए गए छिद्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है। इस छिद्र से एक विशेष थैली को जोड़ दिया जाता है, जिसमें यूरिन जमा होने लगता है। सर्जरी से पहले कुछ नैदानिक टेस्ट भी किये जाते हैं।

सर्जरी के दो से तीन हफ्ते के बाद व्यक्ति अपने सामान्य जीवन की शुरुआत कर सकता है। इस प्रक्रिया के बाद व्यक्ति को किसी तरह के विशेष कपड़े या डाइट की जरूरत नहीं होती। वैसे तो डॉक्टर सर्जरी के दो हफ्तों बाद फिर से आकर जांच करवाने की सलाह देते हैं लेकिन यदि कमर में दर्द, बुखार, यूरिन का गहरा रंग या अन्य कोई समस्या महसूस हो तो डॉक्टर को तुरंत सूचित करें।

(और पढ़ें- पेशाब का रंग)

  1. यूरेटेरोस्टोमी क्या है - What is Ureterostomy in Hindi?
  2. यूरेटेरोस्टोमी क्यों की जाती है - Why is Ureterostomy done?
  3. यूरेटेरोस्टोमी से पहले की तैयारी - Preparations before Ureterostomy in Hindi
  4. यूरेटेरोस्टोमी कैसे होती है - How is Ureterostomy done in Hindi
  5. यूरेटेरोस्टोमी के बाद देखभाल - Ureterostomy After Care in Hindi
  6. यूरेटेरोस्टोमी के खतरे और जटिलताएं - Risk and Complications of Ureterostomy in Hindi

यूरेटेरोस्टोमी एक तरह की यूरिनरी डायवर्जन सर्जरी है, जिसमें पेट के अंदर एक छिद्र बनाया जाता है। इस छिद्र को स्टोमा कहा जाता है और इससे मूत्रवाहिनी को जोड़ दिया जाता है। इसके बाद यूरिन स्टोमा से होते हुए आपके पेट के बाहर लगी थैली में जमा होने लगता है। आपको इस पाउच को हर समय पहने या लगाए रखना होगा, क्योंकि स्टोमा के पास यूरिन पर नियंत्रण रखने के लिए कोई मांसपेशी नहीं होती है।

किडनी यूरिन का उत्पादन करती है और मूत्रवाहिनी वे नलियां होती हैं, जो पेशाब को किडनी से ब्लैडर तक लेकर जाती है। आमतौर पर ब्लैडर यूरिन को तब तक रोककर रखता है जब तक आपको पेशाब करने की इच्छा महसूस नहीं होती। यदि आपके ब्लैडर में चोट लग जाए या किसी तरह की कोई बीमारी हो जाए तो आप पेशाब नहीं कर पाएंगे और यूरिन मूत्रवाहिनी और किडनी में जमा होने लगेगा। इस स्थिति में पेशाब को शरीर से बाहर निकालने के लिए यूरेटेरोस्टोमी सर्जरी करनी पड़ती है।

(और पढ़ें- किडनी को स्वस्थ रखने के उपाय)

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यूरेटेरोस्टोमी सर्जरी तब की जाती है, जब शरीर यूरिन को सामान्य तरीके से शरीर से बाहर नहीं निकाल पाता है। यदि इसका इलाज न किया जाए, तो इसकी वजह से किडनी फेलियरमूत्र मार्ग में संक्रमण और यहां तक कि कुछ गंभीर मामलों में मृत्यु भी हो सकती है। यदि आपके शरीर में निम्नलिखित लक्षण दिखाई देते हैं, तो डॉक्टर यूरेटेरोस्टोमी करने की सलाह दे सकते हैं-

रीढ़ की हड्डी में चोट लगने पर पेशाब संबंधी निम्न लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें ठीक करने के लिए डॉक्टर यूरेटेरोस्टोमी की सलाह दे सकते हैं-

  • यूटीआई
  • ब्लैडर को खाली करने में कठिनाई
  • मूत्र असंयमिता (ब्लैडर पर कंट्रोल न रहना)

स्पाइना बाइफिडा के लक्षणों में शामिल है-

यूरेटेरोस्टोमी से पहले निम्नलिखित तैयारी की जरूरत होती है-

  • डॉक्टर निम्न टेस्ट करने को कह सकते हैं-
    • किडनी फंक्शन टेस्ट
    • ब्लड टेस्ट
    • इंट्रावीनस पायलोग्राम - इस प्रक्रिया में डॉक्टर यूरिनरी कार्य पद्धति की जांच करने के लिए एक खास तरह की डाई को शरीर में इंजेक्ट करते हैं
    • एंटीग्रेड नेफ्रोस्टोग्राम - इस टेस्ट में डॉक्टर किडनी में नेफ्रोस्टोमी ट्यूब लगाकर डाई को यूरेटर में डालते हैं। इसके बाद किडनी और मूत्रवाहिनी में किसी भी तरह के अवरोध की जांच करने के लिए एक्स रे किया जाता है
    • इमेजिंग टेस्ट जैसे मैग्नेटिक रेज़ोनेंस इमेजिंग (एमआरआई) या अल्ट्रासाउंड
  • डॉक्टर इस प्रक्रिया के बारे में आपसे बातचीत करेंगे। इसके बाद आपको सर्जरी की अनुमति देने के लिए एक फॉर्म साइन करने के लिए कहा जाएगा
  • यदि आप गर्भवती हैं या फिर आपको कोई एलर्जी है तो इसके बारे में डॉक्टर को बताएं
  • आप जो भी दवाएं ले रहे हैं उनके बारे में डॉक्टर को बताएं
  • डॉक्टर आपसे रक्त को पतला करने वाली कुछ दवाइयां जैसे एस्पिरिन, वॉरफैरिन और आइबूप्रोफेन लेने से मना कर सकते हैं
  • सर्जरी से पहले धूम्रपान न करें, क्योंकि इससे समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है
  • सर्जरी से एक रात पहले न कुछ खाएं और ना पियें
  • सर्जरी के दिन अपनी दवाएं थोड़े पानी के साथ लें
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अस्पताल में भर्ती होने के बाद आपको अस्पताल का गाउन पहनने के लिए दिया जाएगा और आपको एंटीथ्रोम्बोटिक स्टॉकिंग पहनने को भी कहा जाएगा जिससे रक्त का प्रवाह ठीक तरह से होने में मदद मिलेगी। आपकी बांह या हाथ में इंट्रावीनस लाइन लगाई जाएगी, जिसके जरिये सर्जरी के दौरान आपको एंटीबायोटिक व अन्य आवश्यक दवाएं दी जाएंगी।

यह सर्जरी ऑपरेटिंग रूम में की जाएगी और आपको जनरल एनेस्थीसिया दिया जाएगा। सर्जरी निम्न चरणों में की जाएगी-

  • सर्जन आपके पेट पर एक चीरा लगाएंगे
  • ब्लैडर से यूरेटर को हटाया जाएगा
  • यूरेटर को सीधे स्टोमा से जोड़ा जाएगा
  • अंत में सर्जन टांकों से यूरेटर व स्टोमा को जोड़ देंगे। चीरे के ऊपर एक स्टोमा बैग लगाया जाएगा
  • सर्जरी को पूरा होने में तीन से चार घंटे लग सकते हैं

सर्जरी के बाद आपको ये चीजें महसूस हो सकती हैं-

  • सर्जरी के बाद आपको रिकवरी रूम में भेज दिया जाएगा जहां नर्स नियमित रूप से आपके रक्तचाप और तापमान की निगरानी करेगी
  • डॉक्टर दर्द को कम करने के लिए पेन किलर देंगे
  • अस्पताल में रहने के दौरान आपके द्रव के संतुलन और क्रिएटिन लेवल की जांच की जाएगी
  • पांच से छह दिन बाद आपको यूरेटेरोस्टोमी बैग का इस्तेमाल कैसे करना है इस बारे में सिखाया जाएगा

आपको पांच से सात दिन बाद अस्पताल से छुट्टी मिलेगी। डिस्चार्ज के समय आइवी लाइन को निकाल दिया जाएगा।

घर पर आपको अपनी देखभाल इस तरह से करनी है-

स्टोमा की देखरेख - रोजाना स्टोमा का ध्यान निम्न तरह से रखें -

  • यदि स्टोमा पर किसी भी तरह का पस है, तो उसे हटा दें। पस एक चिपचिपा पदार्थ होता है, जो कि शरीर के कई ऊतकों में मौजूद होता है। स्टोमा के आसपास कुछ पस मौजूद हो सकता है
  • स्टोमा और उसके आसपास की त्वचा को साफ करने के लिए सौम्य साबुन का प्रयोग करें
  • स्टोमा को पूरी तरह से धोकर सुखा लें

यूरेटेरोस्टोमी​ पाउच की देखरेख - 

  • किसी गीले तौलिये या कपड़े से स्टोमा के आसपास की त्वचा को साफ करें और पाउच बदलने से पहले इसे पूरी तरह से साफ़ कर लें
  • यदि आपको त्वचा में जलन या खुजली महसूस हो तो खास तौर पर डिजाइन किए गए प्रोटेक्टिव पाउडर या त्वचा को साफ करने वाले वाइप्स का प्रयोग करें। 

गतिविधियां 

  • सर्जरी के बाद शुरुआती दो से तीन हफ्ते में अपनी गतिविधियों को कम से कम करें
  • भारी सामान उठाना, गाड़ी चलाना जैसे काम तब तक न करें जब तक कि घाव न भर जाए
  • ठीक होने के बाद आप अपने रोजाना के कामों पर लौट सकते हैं। हालांकि, जटिल व्यायाम व खेल-कूद और मार्शल आर्ट्स जैसी चीजों से बचें।
  • यदि आपकी नौकरी में आपको शारीरिक मेहनत करने की जरूरत हो तो डॉक्टर से सलाह लेकर ही काम शुरू करें

आहार 

  • आप अपना सामान्य आहार ले सकते हैं। लेकिन कुछ विशेष भोजन जैसे सीफूड और ऐस्पैरगस (शतावरी) का सेवन करने से पेशाब में बदबू आ सकती है। ऐसे मामलों में डॉक्टर की सलाह लें
  • दिन भर में आठ गिलास पानी पिएं ताकि शरीर से सारे बैक्टीरिया निकल जाएं और आपको संक्रमण का कोई डर न हो

कपड़े

  • यूरेटेरोस्टोमी पाउच के नए मॉडल इस तरह से बनाये गए हैं कि कपड़ों के अंदर वे फूले हुए दिखाई नहीं देते हैं। इसीलिए पाउच के लिए आपको कोई विशेष कपड़े नहीं पहनने होंगे
  • पाउच को आप अंडरगार्मेंट्स के अंदर या फिर अंडरवियर और पैन्ट्स के बीच में भी रख सकते हैं

रिलेशनशिप और सेक्शुअल लाइफ 

  • आप एक सामान्य सेक्शुअल रिलेशनशिप रख सकते हैं। हालांकि इसके लिए डॉक्टर की अनुमति और सलाह लें
  • स्टोमा को यौन संबंधों के दौरान कैसे बचाना है इसके बारे में डॉक्टर आपको बेहतर तरीके से समझाएंगे

डॉक्टर के पास कब जाएं?

यदि आपको निम्न में से कुछ भी महसूस होता है तो इसके बारे में डॉक्टर को तुरंत बताएं-

  • स्टोमा या उसके आसपास की त्वचा में बदलाव जैसे बहुत अधिक पस निकलना, लालिमा, चकत्ते या छाले 
  • यूरिन में बदलाव (गहरे रंग का, बदबूदार या पस की मौजूदगी)
  • भूख कम लगना
  • बुखार
  • कमर में दर्द
  • जी मिचलाना और उल्टी आना
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यूरेटेरोस्टोमी से जुड़े संभावित खतरे और जटिलताएं इस तरह से हैं-

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