आयरन एक खनिज है जो कि हीमोग्लोबिन और लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन के लिए जरूरी है।

यह प्रमुख तौर पर आहार से ग्रहण किया जाता है और आंतों द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है। आयरन इसके बाद ट्रांस्फेरिन से बंधता है और शरीर में संचारित होता है। अधिकतर, आयरन हीमोग्लोबिन के संश्लेषण के लिए प्रयोग में आता है, इसीलिए यह सबसे अधिक मात्रा में हीमोग्लोबिन में पाया जाता है। हीमोग्लोबिन एक प्रोटीन है जो कि फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर शरीर के विभिन्न अंगों तक पहुंचाता है।

अतिरिक्त आयरन इसके बाद अन्य प्रोटीन और एंजाइम बनाने में मदद करता है और विभिन्न ऊतकों में फेरिटिन के रूप में जमा होता है। यदि आप भोजन में पर्याप्त मात्रा में आयरन नहीं ले रहे हैं तो शरीर जमा हुई आयरन को प्रयोग करेगा। यदि शरीर में संचारित हो रहे आयरन के स्तर और संचित आयरन के स्तर कम हो जाते हैं तो आयरन की कमी एनीमिया हो जाती है। इसका मतलब हीमोग्लोबिन के स्तर में कमी और आरबीसी का छोटा आकार होता है।

वहीं दूसरी तरफ अत्यधिक आयरन से शरीर में विषाक्तता हो सकती है। आयरन की अत्यधिक मात्रा लेने और शरीर द्वारा अत्यधिक आयरन की मात्रा अवशोषित करने से ऊतकों  में आयरन जमा होने लगेगा, जिससे शरीर के अंदरूनी अंग काम करना बंद कर देते हैं या फिर ठीक तरीके से काम नहीं कर पाते हैं।

आयरन स्टडी में निम्न टेस्ट आते हैं -

  • आयरन - यह शरीर में मौजूद आयरन की मात्रा का पता लगाता है।

  • अनसेचुरेटेड टोटल आयरन बाइंडिंग कैपेसिटी (यूआईबीसी) - यह टेस्ट शरीर में उस आयरन की मात्रा का पता लगाता है, जो ट्रांस्फेरिन से नहीं बंधा है। इसे रिज़र्व ट्रांस्फेरिन कहा जाता है।

  • टोटल आयरन बाइंडिंग कैपेसिटी (टीआईबीसी) - यह ब्लड टेस्ट देखता है कि ट्रांस्फेरिन किस तरह से आयरन को रक्त तक ले जा रहा है। यह बताता है कि आपके आयरन कंटेंट कम हैं या अधिक। यूआईबीसी और शरीर में मौजूद आयरन के जोड़ को टीआईबीसी कहा जाता है।

  • परसेंट ट्रांस्फेरिन सेचुरेशन (टीएस) - यह टेस्ट आयरन को बांधने वाले प्रोटीन जैसे ट्रांस्फेरिन आदि की रक्त में प्रतिशत मात्रा का पता लगाता है। इसे मापने का फार्मूला "% TS = आयरन /टीआईबीसी × 100 है"।

  • फेरिटिन - आयरन शरीर में फेरिटिन के रूप में संचित किया जाता है। फेरिटिन टेस्ट शरीर में संचित आयरन की मात्रा का पता लगाता है। फेरिटिन के स्तरों में अधिकता का मतलब है कि आपके शरीर में आयरन के स्तर अधिक हैं। वहीं इसके स्तरों में कमी का मतलब है कि आयरन का संचय कम है और आपको आयरन की कमी से संबंधित एनीमिया है।

  • एचबी इलेक्ट्रोफोरेसिस -  यह टेस्ट आपके रक्त में मौजूद एचबी के प्रकारों के बारे में पता लगाता है। एचबी के सबसे सामान्य प्रकार एचबीए, एचबी2 और एचबीएफ हैं। हालांकि, असामान्य एचबी के 350 से अधिक प्रकार हैं, इनमें एचबीएस और एचबीसी शामिल हैं। असामान्य हीमोग्लोबिन से एनीमिया और सिकल सेल डिजीज हो सकती है। इलेक्ट्रोफोरेसिस प्रक्रिया में इलेक्ट्रिक करंट का प्रयोग करके रक्त में मौजूद भिन्न प्रकार के एचबी का पता लगाया जाता है।

  1. आयरन स्टडी क्यों की जाती है - Why Iron Studies test is done in Hindi
  2. आयरन स्टडी से पहले - Before Iron Studies test in Hindi
  3. आयरन स्टडी के दौरान - During Iron Studies test in Hindi
  4. आयरन स्टडी के परिणाम का क्या मतलब है - What does Iron Studies test result mean in Hindi

आयरन स्टडी क्यों किया जाता है?

आयरन स्टडी आपके रक्त में आयरन के स्तरों की जांच करने, शरीर में संचित आयरन की मात्रा जानने और शरीर में आयरन का संचालन करने की क्षमता का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह टेस्ट एनीमिया के भिन्न कारणों का पता लगाने में भी मदद करता है। आयरन स्टडी पैनल के परिणामों को एक साथ देखा जाता है ताकि आयरन की कमी, एनीमिया और आयरन की अधिकता का पता लगाया जा सके।

आयरन की कमी के कुछ लक्षण निम्न हैं -

  • बच्चों में मानसिक विकास धीमी गति से होना
  • बार-बार संक्रमण हो जाना
  • ठंड लगना
  • जीभ में सूजन
  • कमजोर और थका हुआ महसूस होना
  • दिनभर काम कर पाने में मुश्किल होना

आयरन की अधिकता के निम्न लक्षण हैं -

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आयरन, टीआईबीसी, यूआईबीसी, % टीएस और ट्रांस्फेरिन टेस्ट से पहले आपको बारह घंटे के लिए भूखे रहने को कहा जा सकता है। यदि आपने हाल ही में ऐसा भोजन किया है, जिसमें आयरन की अधिकता थी तो इससे आपके टेस्ट के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।

जो लोग हेमोलिटिक रोग से ग्रस्त होते हैं, इलाज के तौर पर उनके शरीर में आर्टिफीशियल रूप से आयरन डाला जाता है जो आयरन, टीआईबीसी, यूआईबीसी, % टीएस और फेरिटिन टेस्ट के परिणाम को प्रभावित कर सकता है। यदि आपने हाल ही में रक्तदान करवाया है तो भी इस आयरन स्टडी के परिणामों पर प्रभाव पड़ सकता है।

यदि आप किसी भी तरह की दवा ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को जरूर बता दें।

खासतौर पर निम्न दवाएं आपके शरीर में आयरन के स्तर को बढ़ा सकती हैं - 

  • क्लोरम्फेनिकल
  • ओएस्ट्रोजन
  • डेक्सट्रान
  • इथनोल
  • गर्भ निरोधक गोलियां
  • मिथाइलडोपा
  • आयरन युक्त दवाएं व सप्लीमेंट्स

निम्न दवाएं आयरन के स्तरों को कम कर सकती हैं -

  • कोल्चिकिन
  • मेथिसिलिन
  • क्लोरम्फेमिकल
  • एड्रेनोकॉर्टिकोट्रोपिक हार्मोन (ऐसीटीएच)
  • टेस्टोस्टेरोन
  • डेफेरोक्सामिन

गर्भ निरोधक गोलियां और फ्लूओरिडेस जैसी दवाएं भी टीआईबीसी के स्तर बढ़ा सकती हैं और वहीं क्लोरम्फेमिकल, ऐसीटीएच, टीआईबीसी के स्तर को कम कर सकती हैं। डॉक्टर आपको टेस्ट से पहले ये दवाएं लेने से मना कर सकते हैं।

मासिक धर्म से पीड़ित महिलाओं में भी आयरन और फेरिटिन के स्तर कम हो सकते हैं।

यदि आप आयरन से युक्त पदार्थ खांएगे तो फेरिटिन के स्तर बढ़ सकते हैं। ये कुछ इंफ्लेमेटरी रोगों और गोशेर रोग की स्थिति में अधिक हो सकते हैं।

आयरन स्टडी कैसे की जाती है?

आयरन स्टडी के लिए एक ब्लड सैंपल लेने की जरूरत होती है। टेक्नीशियन आपकी बांह की नस में सुई लगाकर रक्त की थोड़ी सी मात्रा सिरिंज में ले लेंगे। टेस्ट के दौरान या बाद में आपको चक्कर आ सकता हैं या फिर बेहोशी महसूस हो सकती है। इंजेक्शन लगी जगह पर नील भी पड़ सकता है, लेकिन यह जल्दी ही ठीक हो जाएगा। यदि आपको रक्त निकाले गए स्थान पर संक्रमण के कोई भी निशान जैसे सूजन या लालिमा दिखाई देती है या फिर बुखार महसूस हो रहा है तो इसके बारे में तुरंत डॉक्टर को बताएं।

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सामान्य परिणाम -

इन टेस्टों की सामान्य वैल्यू निम्न है -

  • आयरन  -

    • पुरुष - 80-180 mcg/dL
    • महिलाएं - 60-160 mcg/dL
    • बच्चे - 50-120 mcg/dL
    • नवजात शिशु - 100-250 mcg/dL
    • टीआईबीसी  - 250-460 mcg/dL
  • ट्रांस्फेरिन -

    • पुरुष - 215-365 mg/dL
    • महिलाएं - 250-380 mg/dL
    • बच्चे - 203-360 mg/dL
    • नवजात शिशु - 130-275 mg/dL
  • % TS - 

    • पुरुष - 20 प्रतिशत - 50 प्रतिशत 
    • महिलाएं - 15 प्रतिशत - 50 प्रतिशत 
  • फेरिटिन -

    • पुरुष - 12-300 ng/mL
    • महिलाएं - 10-150 ng/mL
    • छह माह से पंद्रह वर्ष के बच्चे - 7-142 ng/mL
    • दो माह से पांच माह तक के बच्चे - 50-200 ng/mL
    • एक माह के बच्चे या इससे कम - 200-600 ng/mL
    • नवजात शिशु - 25-200 ng/mL
  • एचबी इलेक्ट्रोफोरेसिस - 

    • एचबी ए1 - कुल एचबी का 96.5 प्रतिशत - 98.5 प्रतिशत 
    • एचबी ए2 - कुल एचबी का 1.5 प्रतिशत - 3.5 प्रतिशत
    • एचबी एफ - कुल एचबी का 0 प्रतिशत -1 प्रतिशत
    • असामान्य  एचबी - शून्य
    • यूआईबीसी  - 153-308 mcg/dL

असामान्य परिणाम  -

आयरन स्टडी पैनल के असामान्य परिणाम निम्नलिखित स्थितियों की तरफ संकेत कर सकते हैं -

आयरन के बढ़े हुए स्तर निम्न स्थितियों या रोगों के कारण हो सकते हैं -

आयरन के कम स्तर निम्न स्थिति की तरफ संकेत करते हैं -

  • अत्यधिक रक्त क्षति
  • आहार में अपर्याप्त आयरन
  • आयरन का अपर्याप्त अवशोषण
  • आयरन की कमी (एनीमिया)
  • गर्भावस्था
  • लंबे समय से गैस्ट्रोइंटेस्टाइन में रक्त की क्षति
  • नियोप्लासिया
  • लंबे समय से हेमाट्यूरिया
  • क्रोनिक हैवी पैथोलॉजिकल या फिजियोलॉजिकल मासिक धर्म

टीआईबीसी या ट्रांस्फरिन के अधिक स्तर निम्न की तरफ संकेत कर सकते हैं -

टीआईबीसी या ट्रांस्फरिन के कम स्तर निम्न की तरफ संकेत कर सकते हैं -

% टीएस की बढ़ी हुई मात्रा निम्न की तरफ संकेत कर सकती है -

  • हेमोलिटिक एनीमिया
  • आयरन की अधिक खुराक 
  • हेमोसिडेरोसिस
  • हेमोक्रोमाटोसिस

% टीएस की कम मात्रा निम्न के कारण हो सकती है - 

  • लंबे समय से कोई रोग जैसे मालिग्नन्सी 
  • आयरन की कमी (एनीमिया)

फेरिटिन के बढ़े हुए स्तर का निम्न मतलब हो सकता है -

  • हेमोसिडेरोसिस
  • हेमोक्रोमैटोसिस
  • एनीमिया
  • एल्कोहोलिक या इंफ्लेमेटरी हेप्टोसेल्युलर डिजीज
  • हेमोलिटिक एनीमिया
  • इंफ्लेमेटरी रोग
  • अंतिम अवस्थाओं में कैंसर
  • कोलेजन वैस्कुलर डिजीज
  • क्रोनिक इलनेस जैसे सिरोसिस और ल्यूकेमिया
  • जन्मजात और उपार्जित सिडेरोब्लास्टिक एनीमिया
  • हेमोफेगोसाइटिक सिंड्रोम

फेरिटिन का कम स्तर निम्न स्थितियों के कारण हो सकता है -

एचबी इलेक्ट्रोफोरेसिस के परिणाम निम्न कारण से असामान्य आ सकते हैं -

  • एचबीए 2 और एचबीएफ के अधिक स्तर माइल्ड थेलासीमिया की तरफ संकेत करता है वहीं एचबीए 2 और एचबीएफ के कम स्तर गंभीर थैलासीमिया की तरफ संकेत कर सकते हैं।
  • भ्रूण में एचबी एफ का बढ़ा हुआ स्तर हेरेडिटरी पर्सिसटेंस का संकेत देता है।
  • एचबीसी और एचबीएफ के कम स्तर एचबीई और एचबीसी ट्रेट के कारण हो सकता है, वहीं इनके अधिक स्तर एचबीई रोग और एचबीसी की तरफ संकेत करता है
  • सिकल सेल ट्रेट एचबीएस के सामान्य स्तरों के कारण हो सकते हैं और सिकल सेल रोग एचबी के अधिक स्तरों के कारण हो सकती है

संदर्भ

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