प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट क्या है?

प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट सीरम में भिन्न प्रकार के प्रोटीन की जांच करने के लिए किया जाता है। सीरम रक्त का वह भाग है जिसमें क्लॉटिंग फैक्टर या थक्का जमने की विशेषता नहीं होती है।

प्रोटीन में पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों आवेश (चार्ज) होते हैं, जब इसे किसी विद्युत क्षेत्र के संपर्क में लाया जाता है तो यह गतिशील हो जाता है। इस नियम का पालन करते हुए इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम में विद्युत् ऊर्जा लगाता है ताकि उसमें मौजूद प्रोटीन अपने रंग व आकार के अनुसार समूह बना लेते हैं।

इस टेस्ट में निम्न प्रोटीन की जांच की जाती है :

  • एल्ब्यूमिन - एल्ब्यूमिन सीरम में मौजूद टोटल प्रोटीन का 60 प्रतिशत भाग होता है
  • ग्लोब्यूलिन - ग्लोब्यूलिन में एल्ब्यूमिन के अतिरिक्त सभी प्रोटीन मौजूद होते हैं। ये अल्फा1, अल्फा2, बीटा और गामा ग्लोब्युलिन (एंटीबॉडीज) में विभाजित होते हैं

ये प्रोटीन भिन्न तरह से किसी भी विद्युत् क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं और अलग-अलग तरह के पैटर्न बनाते हैं जिससे विशेष रोगों के बारे में पता लगाने में मदद मिलती है। प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट आमतौर पर असामान्य प्रोटीन की उपस्थिति का पता लगाने के लिए किया जाता है, जिसे एम प्रोटीन कहा जाता है। एम प्रोटीन मल्टीपल मायलोमा नामक कैंसर में देखे जाते हैं।

  1. प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट क्यों किया जाता है - Protein electrophoresis serum Test Kisliye Kiya Jata Hai
  2. प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट से पहले - Protein electrophoresis serum Test Se Pahle
  3. प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट के दौरान - Protein electrophoresis serum Test Ke Dauran
  4. प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट के परिणाम का क्या मतलब है - Protein electrophoresis serum Test Ke Parinam Ka Kya Matlab Hai

प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट किसलिए किया जाता है?

डॉक्टर आमतौर पर ऐसी स्थितियों की जांच करने के लिए यह टेस्ट करते हैं, जिनके कारण प्लाज्मा सेल प्रभावित होते हैं जैसे मल्टीपल मायलोमा (प्लाज्मा कोशिकाओं का कैंसर), वॉल्डनस्ट्रोम मैक्रोग्लोबुलीनीमिया (बी लिम्फोसाइट का कैंसर) ऐमाइलोयडोसिस (एक स्थिति जिसमें अमीलॉइड क्लंप बन जाते हैं)। प्लाज्मा कोशिकाएं वे सफेद रक्त कोशिकाएं हैं जो शरीर में संक्रमण से लड़ने के लिए जरूरी एंटीबॉडीज बनाता है।

प्लाज्मा सेल के विकार से निम्न लक्षण दिखाई दे सकते हैं :

प्रोटीन के असामान्य उत्पादन या प्रोटीन की कमी से जुड़ी निम्न स्थितियों की जांच करने के लिए भी इस टेस्ट की सलाह दी जाती है :

प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट की तैयारी कैसे करें?

इस टेस्ट से पहले आपको किसी भी तरह की कोई विशेष तैयारी करने की जरूरत नहीं होती है। डॉक्टर टेस्ट से कुछ घंटे पहले आपसे खाने-पीने को मना करेंगे। यदि आप किसी भी तरह की दवा, विटामिन या सप्लीमेंट ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बताएं। दवाएं जैसे कॉर्टिकोस्टेरॉयड, एनाबॉलिक स्टेरॉयड, एंड्रोजन, डेक्सट्रान, ग्रोथ हार्मोन, इन्सुलिन, फेनाजोपायरीडीन और प्रोजेस्टेरोन प्रोटीन के स्तरों को बढ़ा देते हैं। दूसरी ओरअमोनियम आयन, हेपटोटॉक्सिक ड्रग्स, एस्ट्रोजन और ओटीसी से प्रोटीन के स्तरों में कमी आती है।

प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट कैसे किया जाता है?

इस टेस्ट के लिए एक ब्लड सैंपल लिया जाता है। डॉक्टर टेस्ट से पहले आपको टेस्ट की प्रक्रिया के बारे में समझा देंगे। डॉक्टर आपकी बांह की नस में से निम्न तरह से सैंपल लेंगे :

  • डॉक्टर आपकी बांह पर एक इलास्टिक बैंड बांधेंगे और आपसे मुट्ठी बनाने के लिए कहेंगे
  • एक विशेष कंटेनर से सुई से को जोड़ा जाएगा या सिरिंज को बांह की नस में लगाकर ब्लड सैंपल ले लिया जाएगा
  • सैंपल लेने के बाद बैंड हटा कर सुई निकल दी जाएगी
  • सैंपल पर लेबल लगाकर इसे आगे के परीक्षण के लिए लैब में भेज दिया जाता है

आपको सुई लगी जगह पर हल्का सा नील भी पड़ सकता है। हालांकि आमतौर पर यह जल्दी ही ठीक हो जाता है।

प्रोटीन इलेक्ट्रोफोरेसिस सीरम टेस्ट के परिणाम क्या बताते हैं?

सीरम प्रोटीन के लिए संदर्भ वैल्यू को ग्राम प्रति डेसीलिटर (g/dL) में लिखा जाता है जो कि निम्न सारणी में बताई गई है :

टोटल प्रोटीन

6.4-8.3 g/dL

एल्ब्यूमिन

3.5-5.0 g/dL 

अल्फा1 ग्लोब्युलिन 

0.1-0.3 g/dL 

अल्फा2 ग्लोब्युलिन

0.6-1.0 g/dL 

बीटा ग्लोब्युलिन

0.7-1.2 g/dL 

गामा ग्लोब्युलिन

0.7-1.6 g/dL

असामान्य परिणाम -

सीरम प्रोटीन निम्न स्थितियों में बढ़ा हुआ दिखाई दे सकता है :

प्रोटीन

स्थिति

बढ़ा हुआ एल्ब्यूमिन

शरीर में पानी की कमी

बढ़ा हुआ अल्फा1 ग्लोब्युलिन

गर्भावस्था

बढ़ा हुआ अल्फा2 ग्लोब्युलिन

बढ़ा हुआ बीटा1 or बीटा2 ग्लोब्युलिन

बढ़ा हुआ गामा ग्लोब्युलिन

  • ऐमाइलोयडोसिस
  • क्रोनिक इन्फेक्शन (ग्रेनुलोमेटॉस डिजीज) 
  • वॉल्डनस्ट्रोम मैक्रोग्लोब्युलिनेमिया
  • क्रोनिक लिम्फोटिक ल्यूकेमिया
  • सिरोसिस
  • हॉजकिन्स डिजीज
  • मलिग्नैंट लिंफोमा
  • मल्टीपल मायलोमा
  • रूमेटाइड और कोलेजन रोग (कनेक्टिव टिशू के विकार)

सीरम प्रोटीन के कम स्तर निम्न  स्थितियों में देखे जाते हैं :

प्रोटीन

स्थिति

घटा हुआ टोटल प्रोटीन

  • पाचन पथ से प्रोटीन की अत्यधिक हानि या पाचन पथ द्वारा प्रोटीन अवशोषित करने में असमर्थता (प्रोटीन-लूज़िंग एंट्रोपैथी)
  • कुपोषण
  • किडनी का विकार जिसे नेफ्रोटिक सिंड्रोम कहते हैं
  • लिवर पर खरोंच के निशान और लिवर का ठीक तरह से कार्य न कर पाना (सिरोसिस)

घटा हुआ एल्ब्यूमिन

  • क्रोनिक कचेस्टिक या वेस्टिंग डिजीज
  • लंबे समय से कोई संक्रमण होना
  • हेमरेज, जलना या प्रोटीन-लूज़िंग एंट्रोपैथी
  • लिवर का ठीक तरह से कार्य न कर पाना जिसके कारण एल्ब्यूमिन के अवशोषण में कमी
  • कुपोषण
  • नेफ्रोटिक सिंड्रोम
  • गर्भावस्था

घटा हुआ अल्फा1 ग्लोब्युलिन

अल्फा1-ऐंटीट्रिप्सिन डेफिशियेंसी

घटा हुआ अल्फा2 ग्लोब्युलिन

  • कुपोषण
  • मेगालोब्लास्टिक एनीमिया
  • प्रोटीन-लूज़िंग एंट्रोपैथी
  • गंभीर लिवर रोग
  • विल्सन डिजीज

घटा हुआ बीटा1 or बीटा2 ग्लोब्युलिन

       प्रोटीन मालन्यूट्रिशन

घटा हुआ गामा ग्लोब्युलिन

  • अगामाग्लोब्युलिनेमिया
  • हाइपोगामाग्लोब्युलिनेमिया
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संदर्भ

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