हम अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में इतने व्यस्त हो जाते हैं कि खुद के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं और इस बीच हम थका हुआ महसूस करने लगते हैं। जो लोग डेस्क जॉब करते हैं उन्हें दिन भर में कम से कम आठ से दस घंटे कंप्यूटर पर काम करना पड़ता है। जिससे इतने घंटे बैठे रहने के बाद हमारी पीठ, गर्दन, कंधे, रीढ़ की हड्डी आदि में समस्याएं उत्पन्न होने लगती है जिससे हमें मानसिक और शारीरिक तनाव होने लगता है।

योग शरीर, आत्मा और मन को एक सूत्र में बांधता है। योग पाचन, रक्त परिसंचरण और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है। केवल यही नहीं, ये योग मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति को बढ़ाने, पेट के अंगों, कूल्हों, जोड़ो, चिंता, तनाव, पीठ दर्द की परेशानी को कम करने, साइनसाइटिस, दमा, हाई बीपी और हड्डियों की कमजोरी आदि में मदद करते हैं। आज हम आपको कुछ ऐसे योगासन बताने जा रहे हैं जो आपको इन समस्याओं से छुटकारा प्राप्त करा सकते हैं।

  1. पीठ दर्द के लिए योगासन है ताड़ासन - Tadasana for Back Pain in Hindi
  2. रीढ़ की हड्डी में दर्द का इलाज करें उत्तानासन से - Uttanasana for Cervical in Hindi
  3. पेट की चर्बी कम करने का योगासन है पश्चिमोत्तानासन - Paschimottanasana for Belly Fat in Hindi
  4. मांसपेशियों में दर्द से राहत दिलाएं वृक्षासन - Vriksasana for Muscle Pain in Hindi
  5. कमर दर्द के लिए योग है भुजंगासन - Bhujangasana for Back Pain in Hindi
  6. तनाव कम करने के लिए करें बालासन योग - Balasana for Stress Relief in Hindi
  7. मांसपेशियों को मजबूत बनाए अधोमुख श्वानासन - Adho Mukha Svanasana for Muscle Tone in Hindi
  8. कंधे के दर्द के लिए योग है वीरभद्रासन - Virabhadrasana for Shoulder Pain in Hindi
  9. थायराइड के लिए योग है सेतुबंधासन - Setu Bandhasana for Thyroid in Hindi

जो लोग आसानी से झुक नहीं पाते हैं उनके लिए ताड़ासन (Mountain Pose) बहुत सही आसन है। यह आसन ध्यान, एकाग्रता, स्थिरता और आत्मविश्वास के सुधार में मदद करता है। यह पीठ दर्द को कम करने में भी मदद करता है।

इस योगासन को इस प्रकार करें - 

  • इस आसान का अभ्यास करने के लिए दोनों पैरो को मिलाकर सीधे खड़े हो जाएं और दोनों हथेलियों को अपने बगल में रखें।
  • फिर पूरे शरीर को स्थिर रखें और दोनों पैरों पर अपने शरीर का वजन सामान रखें। उसके बाद दोनों हथेलियों की अंगुलियों को मिलाकर सिर के ऊपर ले जाएं।
  • हथेलियां सीधी रखें, फिर सांस भरते हुए अपने हाथों को ऊपर की ओर खींचिए, जिससे आपके कंधों और छाती में भी खिंचाव आए।
  • इसके साथ ही पैरों की एड़ी को भी ऊपर उठाएं और पैरों की अंगुलियों पर शरीर का संतुलन बनाए रखें। इस स्थिति में कुछ देर रहें।
  • कुछ देर रूकने के बाद सांस छोड़ते हुए हाथों को वापस सिर के ऊपर ले आएं। इस आसन को प्रतिदिन 10-12 बार करें। (और पढ़ें – योग को अपनाएं, पीठ दर्द को हमेशा के लिए भगाएं)

सावधानी - कंधे में हाल में ही या पुरानी चोट हो तो इस योग मुद्रा का अभ्यास करने की सलाह नहीं दी जाती है।

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उत्तानासन (Forward Bend) आपके हाथों को स्ट्रेच कर आपके हाथों, कंधो और रीढ़ की हड्डी के दर्द को दूर करके मांसपेशियों में तनाव से राहत दिलाता है। (और पढ़ें –उत्तानासन करने का तरीका और फायदे)

इस योगासन को इस प्रकार करें - 

  • पैरों को एक साथ रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ और हाथों को शरीर के साथ रखें।
  • अपने शरीर के वजन को दोनो पैरों पर समान रूप से रखें।
  • साँस अंदर लें और हाथों को सिर के ऊपर ले जाएँ।
  • साँस छोड़ें, आगे और नीचे की ओर झुकते हुए पैरों की तरफ जाएँ।
  • इस अवस्था में 20-30 सेकेंड्स तक रूकें और गहरी साँसे लेते रहें।
  • शुरुआत में यदि आप इसे नहीं कर पा रहे हैं, आपका हाथ पैरो को नहीं छू पा रहा है तो थोड़े बहुत घुटनों को आप मोड़ सकते हैं।
  • दैनिक रूप से 5 से 7 बार दोहराएँ।

सावधानी - हाल ही में जिन लोगों ने घुटने की सर्जरी करवाई है, उन्हें इस अभ्यास से बचना चाहिए।

पश्चिमोत्तानासन (Seated Forward Bend) तनाव, चिंता, अवसाद और हल्के सिरदर्द से छुटकारा पाने में मदद करता है। दिन भर बैठ कर काम काज करने वाले व्यक्तियों की पेट और कमर के आसपास अतिरिक्त चर्बी बढ़ जाती है। साथ ही लगातार काम करने से उन्हें तनाव भी महसूस होने लगता है। ऐसे व्यक्ति अगर प्रतिदिन यह आसन करें तो ना केवल तेजी से चर्बी कम कर सकते हैं, बल्कि तनाव और अवसाद से भी मुक्ति पा सकते हैं।

(और पढ़ें – पश्चिमोत्तानासन योग कैसे करें और इसके फायदे)

इस योगासन को इस प्रकार करें - 

  • फर्श पर सीधे पैर करके बैठ जाएँ।
  • दोनों पैरों को आपस में परस्पर मिलाकर रखें तथा अपने शरीर को सीधा रखें।
  • श्वास और अपने हाथों को सीधे ऊपर की ओर खींचे।
  • इसके बाद दोनों हाथों को धीरे-धीरे अपने पैरों की तरफ लाते हुए दोनों पैरों के अंगूठों को पकड़ने की कोशिश करें। ऐसा करते समय अपने पैरों और हाथों को एकदम सीधा रखें।
  • इस प्रकार यह क्रिया एक बार पूरी होने के बाद 30 सैकेंड के लिए आराम से बैठें रहे और इस प्रक्रिया को 10 से 12 बार दोहराएँ।
  • इस आसन को करते समय सांस को सामान्य रूप से लेते और छोड़ते रहें। (और पढ़ें – पेट की चर्बी कम करें इन आसान योग आसन से)

सावधानी - अस्थमा या दस्त से पीडित लोगो को इस मुद्रा से बचना चाहिए या एक विशेषज्ञ की कड़ी निगरानी में ही करना चाहिए।

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शरीर की सभी मांसपेशियों और जोड़ों के लिए वृक्षासन (Tree Pose) मुद्रा सबसे प्रभावी व्यायाम में से एक है। यह आसन खिंचाव में मदद करता है और रीढ़ की हड्डी को लंबा, संतुलन में सुधार और इसके अलावा पैरों, टखनों, जांघों, रीढ़ की हड्डी और पिण्डली को मजबूत करता है। यह आपको ध्यान, एकाग्रता और समन्वय हासिल करने में भी मदद करता है।

(और पढ़ें – वृक्षासन करने का तरीका और फायदे)

इस योगासन को इस प्रकार करें - 

  • अब दोनो पैरो को एक दूसरे से थोड़ा दूर करके खड़े हो जाएं।
  • रीढ़ और गर्दन को सीधा रखें। (और पढ़ें – मांसपेशियों में दर्द का कारण)
  • धीरे-धीरे अपने दाहिने पैर को अपनी बाईं जांघ के ऊपर रखें।
  • अपने बाएँ पैर को सीधा रखें और एक पैर पर खुद का संतुलन बनाएं।
  • श्वास और धीरे-धीरे अपनी बाजुओं को अपने सिर से ऊपर उठाएं।
  • 10 सेकंड के लिए गहरी सांस लें।
  • धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए अपने हाथों को नीचे लाएं और अपना दाहिना पैर खोलें।
  • यह प्रक्रिया दूसरे पैर से भी दोहराएँ।
  • हर दिन 12 से 15 बार इसका अभ्यास करें। (और पढ़ें – मसल्स (बॉडी) बनाने के लिए क्या खाना चाहिए)

सावधानी - जो सिर दर्द, अनिद्रा और निम्न रक्तचाप से पीड़ित हैं, उनको इस योग मुद्रा का अभ्यास करने के लिए सलाह नहीं दी जाती है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित लोगों को सिर से ऊपर अपनी बाजुओं को नहीं उठाना चाहिए। 

(और पढ़ें - सिर दर्द के लक्षण)

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भुजंगासन (Cobra Pose) आपके शरीर में मांसपेशियों को मजबूत और लंबा करने में मदद करता है। यह पीठ दर्द के लिए लाभकारी आसन है। यह रीढ़ को मजबूत बनाने, फेफड़े और सीने में खिंचाव, पेट के अंगों, हृदय और फेफड़ों को खोलने में मदद करता है। यह अस्थमा के इलाज में फायदेमंद होता है।

(और पढ़ें – भुजंगासन करने की विधि और फायदे)

इस योगासन को इस प्रकार करें - 

  • अपने पेट के बल लेट जाएँ, पैरों को एक साथ जोड़े।
  • अपने हाथ अपने कंधों से नीचे लाएं।
  • धीरे-धीरे श्वास लेते हुए धीरे से मस्तक, फिर छाती और बाद में पेट को उठाएँ। नाभि को ज़मीन पे ही रखें।
  • अब शरीर को ऊपर उठाते हुए, दोनों हाथों का सहारा लेकर, कमर को पीछे की ओर खीचें।
  • ध्यान रहे, दोनों बाजुओं पर भार एक समान रहे। (और पढ़ें – कमर मे दर्द के कारण)
  • गर्दन उठाते हुए ऊपर की ओर देखें और सुनिश्चित करें कि आपके कंधे आपके कानों से दूर रहें।
  • धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए वापस पहले वाली स्थिति में आ जाएं।
  • दैनिक रूप से इस मुद्रा को 5 बार दोहराएँ। (और पढ़ें – कमर दर्द का आयुर्वेदिक इलाज)

सावधानी - गर्भवती महिलाओं, सिर दर्द, पीठ की चोट से पीड़ित लोगों को इस योग मुद्रा का अभ्यास करने के लिए सलाह नहीं दी जाती है। 

(और पढ़ें – सिर दर्द के घरेलु उपाय)

बालासन योग (Child Pose) शरीर की चर्बी घटाने मे सहायक है। बालासन पीठ, कंधे और गर्दन के तनाव को दूर करता है। यह आसन शरीर के भीतरी अंगो में लचीलापन और शरीर और दिमाग को शांति देता है। इस आसन से मांसपेशियां मजबूत होती हैं। (और पढ़ें – बालासन करने की विधि और फायदे)

इस योगासन को इस प्रकार करें - 

  • दोनो पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए ऐड़ियों पर बैठ जाएँ।
  • फिर आपके शरीर का ऊपरी भाग जाँघो पर टिका दें।
  • अब नीचे की तरफ झुकते हुए सिर को ज़मीन पर टिकाएँ।
  • इसके बाद आपके दोनों हाथो को सिर के समीप रखते हुए सीधा रखें तथा हथेलियों को ज़मीन पर लगाएँ।
  • इस प्रक्रिया को करते समय गहरी साँस लें।
  • अपने कुल्हों को ऐड़ियों की तरफ रखें और साँस को बाहर की तरफ छोड़ें।
  • इस अवस्था में करीब 15 से 20 सेकेण्ड तक रहें।
  • हर दिन 20 बार दोहराएँ। (और पढ़ें – तनाव से राहत के लिए योग)

सावधानी - गर्भवती महिलाओं और घुटनों की समस्या से पीड़ित लोगों को यह योग मुद्रा को करने की सलाह नहीं दी जाती है।

अधो मुख श्वानासन (Downward-Facing Dog Pose) आपकी रीढ़ की लंबाई और आपके हैमस्ट्रिंग को मजबूत बनाने और मस्तिष्क में रक्त संचार को बढ़ाने में मदद करता है। यह मुख्य रूप से शरीर की मांसपेसियो को मजबूती करने में मदद करता है और फेफड़े की क्षमता को भी बढ़ाता है।

(और पढ़ें – अधो मुख श्वानासन करने की विधि और फायदे)

इस योगासन को इस प्रकार करें - 

  • यह आसान अपने एड़ी के ऊपर बैठकर शुरू करें।
  • चटाई पर आगे की ओर अपनी बाजुओं को खीचें, अपने सिर को झुकाएं और अपने हिप्स को ऊपर की ओर उठाएं।
  • अपने घुटनों को फर्श से दूर उठाते हुए, अपने हिप्स को ऊपर छत की ओर ले जाएं।
  • और अपनी गर्दन की मांसपेशियों को आराम दें और अपनी जांघों पर ध्यान लगाएँ।
  • 30 सेकेंड के लिए इसी स्थिति में रहें।
  • धीरे धीरे पहले वाली स्थिति में आ जाएँ।
  • हर दिन 3 से 5 बार यह मुद्रा दोहराएँ।

सावधानी - पीठ, हाथ या कंधे से घायल लोगों को इस मुद्रा का अभ्यास करने की सलाह नहीं दी जाती है। गर्भावस्था में महिलाओं को भी इस मुद्रा से बचना चाहिए। 

(और पढ़ें - गर्भावस्था में पेट में दर्द और लड़का पैदा करने के उपाय)

वीरभद्रासन (Warrior Pose) कंधो की जकड़न में अत्यंत प्रभावशाली होता है। यह पीठ, हाथ, कंधे और जांघों की मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। इससे शरीर में संतुलन और सहनशीलता बढती है।

(और पढ़ें – वीरभद्रासन 2 करने के फायदे)

इस योगासन को इस प्रकार करें - 

  • अपने पैरों के बीच 3 से 4 फुट की दूरी रख सीधे खड़े हो जाएँ।
  • अपने दाहिने पैर को 90 डिग्री और बायें पैर को लगभग 15 डिग्री तक घुमाएँ।
  • दोनों हाथों को कंधों तक ले जाएँ और ध्यान रहे कि हाथ जमीन के समांतर हों।
  • धीरे धीरे साँस छोड़ें और अपने दाहिने घुटने को मोड़ें।
  • धीरे से अपने सिर को घुमाएँ और अपने दाहिने और देखें।
  • अपनी बाजुओं को आगे की ओर खीचें और धीरे-धीरे से श्रोणि (पेल्विस) को नीचे करें।
  • 1 मिनट के लिए इसी स्थिति में रहें।
  • श्वास लें और ऊपर की ओर आएं।
  • साँस छोड़ते हुए धीरे-धीरे अपने हाथ नीचे की तरफ ले आएं।
  • बाएँ तरफ से भी इसे दोहराएं।
  • दैनिक रूप से 8 से 10 बार करें। (और पढ़ें – सर्वांगासन करने का तरीका और फायदे)

सावधानी - हाल ही में या पुरानी लगी पीठ की चोट में, उच्च रक्तचाप, दस्त या गठिया से पीड़ित लोगों को इस आसन से बचने के लिए सलाह दी जाती है।

सेतुबंधासन योग (Bridge Pose) थाइरोइड के रोगियों को अवश्य करना चाहिए। सेतुबंधासन आपके कूल्हे, हैमस्ट्रिंग, पीठ के निचले हिस्से को मजबूत बनाने और लंबा करने में मदद करता है। इससे पेट के विकार भी दूर होते हैं। 

(और पढ़ें – सेतुबंधासन करने का तरीका और फायदे)

इस योगासन को इस प्रकार करें - 

  • अपनी पीठ के बल लेट जाएँ।
  • घुटनों को मोड़कर पैरों को जमीन पर सीधा लाएँ।
  • धीरे-धीरे अपने पैरों के माध्यम से अपने निचले हिस्से को उठाएँ।
  • 2 सेकंड के लिए रूकें और फिर धीरे से नीचे लाएँ।
  • दैनिक रूप से 10 से 20 बार दोहराएँ।

सावधानी - गर्दन या रीढ़ की चोट से पीड़ित लोगों को इस आसन को करने से बचना चाहिए। (और पढ़ें – थायराइड में असर करेंगे यह विशेष प्राणायाम)

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