षट्कर्म छः यौगिक शुद्धता क्रियाों का एक सेट है, जिसका जिक्र योग के प्राचीन ग्रंथों में भी है. इसका दूसरा नाम षटक्रिया है. इन छः क्रियाओं के जरिए मनुष्य के सारे शरीर का शुद्धिकरण किया जाता है. इसके माध्यम से मानव के स्वास्थ्य में सुधार आता है. हठ योग की इन 6 क्रियाओं यानी षट्कर्म से साइनस रोग और सिर दर्द में आराम मिलता है.
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इस लेख में हम जानेंगे कि षट्कर्म थेरेपी कौन-कौन सी हैं और उनके फायदों के बारे में जानेंगे-
क्या है षट्कर्म थेरेपी?
षट्कर्म दो शब्दों से मिलकर बना है षट् यानी छः और कर्म यानी काम. यह थेरेपी शरीर से रोग को दूर रखती हैं. छाती और गले को आराम देती है. बंद नाक खोलती है. कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक, प्राणायाम करने से पहले अगर षट्कर्म किया जाए, तो और अधिक लाभ मिलते हैं. इन क्रियाों में धौती (आंतरिक शुद्धिकरण), बस्ती (योग द्वारा होने वाला एनिमा), नेती (नाक का शुद्धिकरण), त्राटक (ध्यान लगा कर एक ही ओर घूरना), नौली (पेट की मसाज) और कपालभाती शामिल होती हैं. आइए, विस्तार से जानते हैं इन 6 क्रिया के बारे में-
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धौती क्रिया
धौती का अर्थ आंतरिक रूप से शुद्धिकरण होना होता है. इस प्रक्रिया में विभिन्न फॉर्म्स होती हैं. कुंजल क्रिया में हल्का गर्म और नमक युक्त पानी पीना होता है और इसके बाद उल्टियां करनी होती हैं, ताकि पेट ढंग से साफ हो सके. वस्त्र धौती में एक दो मीटर का सूती कपड़ा अपने मुंह में काफी अंदर तक डालना होता है. शंख प्रक्षालन क्रिया में गर्म नमक का पानी पीकर उसे स्टूल के माध्यम से बाहर निकालना होता है. इस क्रिया को अगर किसी प्रोफेशनल की देखरेख में किया जाए, तो ये आमतौर पर सुरक्षित ही होती है. इससे निम्न फायदे मिलते हैं :
- कब्ज, गैस, अपाचन और एसिडिटी जैसी अपाचन की समस्याओं से छुटकारा पाया जा सकता है.
- इस क्रिया के माध्यम से हृदय मजबूत होता है.
- खांसी व अस्थमा जैसी रेस्पिरेटरी बीमारियों में भी कमी आती है.
- इस प्रक्रिया द्वारा फेफड़े अच्छे से खाली हो पाते हैं, जिससे लंग्स डिसऑर्डर से बचा जा सकता है.
- वजन संतुलित करने में सहायक है.
- गठिया और डायबिटीज जैसी बीमारियों से लड़ने में मदद करती है.
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नेती क्रिया
यह प्रक्रिया नेसल पैसेज को साफ करने में काम आती है. इसकी चार विभिन्नताएं : जल, धागा, दूध और घी होती हैं. जल नेती में नमक का हल्का गर्म पानी एक नासिका से डालकर दूसरी नासिका द्वारा निकाला जाता है. धागा या सूत्र नेती में धागे को एक नाक से डाल कर मुंह से निकाला जाता है. नेती द्वारा नाक से बलगम, साइनस आदि निकलने में मदद मिलती है, ताकि हवा फेफड़ों तक बिना किसी रुकावट के पहुंच सके. इस क्रिया से निम्न लाभ प्राप्त होते हैं :
- एलर्जिक राइनाइटिस जैसी स्थिति को कम करने में सहायक.
- खांसी, जुकाम और आंख दर्द के कारण होने वाले सिर दर्द से बचाती है.
- नाक से सारा कचरा साफ हो जाता है, जिसके कारण शुद्ध हवा फेफड़ों तक बिना रुकावट के पहुंच सकती है.
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त्राटक क्रिया
इस क्रिया में किसी एक छोटी–सी वस्तु पर एकटक ध्यान केंद्रित करना होता है. इस दौरान तब तक पलक नहीं झपकनी होती, जब तक कि आंखों से पानी न आने लग जाएं. जो व्यक्ति बहुत अधिक आलसी होते हैं या जिन्हें आंखों की समस्या होती है, वो इस क्रिया का प्रयोग कर सकते हैं. इस क्रिया से निम्न लाभ प्राप्त होते हैं-
- आलस दूर होता है.
- आंखों के कुछ डिसऑर्डर से निजात मिलती है.
- कॉग्निटिव फ्लेक्सिबिलिटी में सुधार आता है.
- ध्यान लगाने की क्षमता बढ़ती है.
- मानसिक तनाव से छुटकारा मिलता है.
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कपालभाती
कपाल का अर्थ माथा होता है और भाती का अर्थ चमकना. इस क्रिया में जल्दी–जल्दी सांस का छोड़ना होता है. साथ ही पेट अंदर की ओर जाता है. यह क्रिया श्वसन समस्याओं से जूझ रहे मरीजों के लिए लाभदायक होती है. इसे रोजाना करने से खून में यूरिया की मात्रा कम होती है. इन बदलावों से ऑक्सिडेशन जैसी प्रक्रिया में मदद मिलती है. इस क्रिया से निम्न लाभ प्राप्त होते हैं-
- शरीर व मन शांत होता है.
- रेस्पिरेटरी बीमारियों में कमी आती है.
- दिमागी फंक्शन बढ़ते हैं और याद्दाश्त तेज होती है.
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बस्ती क्रिया
बस्ती क्रिया आंतों को साफ करने में मदद करती है. इसके दो रूप होते हैं- जल और स्थल. यह क्रिया मन को शुद्ध करती है. इसे योगिक एनिमा के नाम से भी जाना जाता है. इससे निम्न लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं :
- पाचन सही ढंग से होता है.
- त्रिदोष और धातु को संतुलित करने में लाभदायक है.
- यूरिनरी समस्याओं से छुटकारा मिलता है.
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नौली
इस क्रिया में पेट की मसल्स को सिकोड़ना और फिर छोड़ना होता है. इसके भी तीन रूप होते हैं- दक्षिण नौली, वामा नौली, माध्यम नौली. इस क्रिया से निम्न लाभ प्राप्त होते हैं-
- इससे गैस्ट्रिक जूस की सेक्रेशन प्रक्रिया मजबूत होती है.
- पैंक्रियाज के फंक्शन में सुधार आता है.
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सारांश
इन सभी क्रियाओं से मानसिक व शारीरिक लाभ पाए जा सकते हैं, जैसे- एलर्जिक राइनाइटिस और पाचन में सुधार आदि. हालांकि कपालभाति जैसी क्रिया से दिमाग भी शांत रहता है. अगर योगिक ग्रंथों में अधिक विश्वास रखते हैं और प्राकृतिक रूप से शरीर का शुद्धिकरण करना चाहते हैं, तो इस हठ योग को एक बार करके देख सकते हैं.
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