इंडियन हार्ट जर्नल नाम की पत्रिका में वर्ष 2019 में प्रकाशित एक स्टडी के नतीजों की मानें तो भारत में हर 3 में से 1 वयस्क को हाइपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है। इन आंकड़ों से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह बीमारी कितनी ज्यादा व्यापक है। बीमारी का यह उच्च प्रसार न केवल हाई ब्लड प्रेशर को सबसे कॉमन और लंबे समय तक जारी रहने वाली बीमारियों में से एक बनाता है जिससे भारतीय पीड़ित हैं, बल्कि आसानी से रोकी जा सकने वाली इस बीमारी की वजह से भारतीय स्वास्थ्य प्रणाली पर एक बड़ा बोझ भी है।

इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल रिसर्च के एक संपादकीय में इस बात का सुझाव दिया गया है कि हाई ब्लड प्रेशर के इस प्रसार को असरदार तरीके से सिर्फ तभी कम किया जा सकता है, जब बीमारी की स्क्रीनिंग यानी जांच के बारे में लोगों के बीच जागरूकता फैलायी जाए। अगर आपको इस बारे में जानकारी नहीं है तो हम आपको बता दें कि हाई ब्लड प्रेशर को रोकने के निवारक उपायों में से पहला कदम है एक स्वस्थ और संतुलित डायट का सेवन करना। इसमें डैश डाइट यानी डायट्री अप्रोच टू स्टॉप हाइपटेंशन भी शामिल है।

आप यहां दिए लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं कि हाई ब्लड प्रेशर का आयुर्वेदिक इलाज क्या है।

आज इस लेख में आप विस्तार से जानेंगे कि हाई बीपी को कंट्रोल करने के लिए प्लांट बेस्ड डाइट किस प्रकार फायदेमंद है -

(और पढ़ें - हाई ब्लड प्रेशर में क्या खाएं और क्या नहीं)

  1. ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखे प्लांट-बेस्ड डायट
  2. बीपी कंट्रोल करने में 7 अलग-अलग प्लांट बेस्ड डायट की समीक्षा
  3. स्ट्रोक, हार्ट अटैक और मौत का खतरा भी कम
  4. प्लांट बेस्ड 7 प्रमुख डाइट
  5. सारांश
ब्लड प्रेशर को कम करने में मददगार है प्लांट-बेस्ड डायट के डॉक्टर

जर्नल ऑफ हाइपरटेंशन में प्रकाशित स्टडी में बताया गया है कि dash डायट के अलावा 6 और तरह की डायट है जिनमें आपके ब्लड प्रेशर के लेवल को कम करने की क्षमता है। इन सातों तरह की डायट में एक बात कॉमन है और वो ये कि- ये सभी मुख्य रूप से प्लांट बेस्ड यानी पौधों पर आधारित डायट हैं। हालांकि, कुछ डायट में सीमित मात्रा में ऐनिमल प्रॉडक्ट जैसे- मीट और दुग्ध उत्पाद भी शामिल है।

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यूके के कोवेन्ट्री स्थित यूनिवर्सिटी ऑफ वॉरविक मेडिकल स्कूल के अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम ने इस रिसर्च को संचालित किया। इस दौरान स्टडी के लीड ऑथर जोशुआ गिब्स ने कहा, हमने 8,416 प्रतिभागियों से जुड़े 41 अध्ययनों की समीक्षा की, जिसमें ब्लड प्रेशर कंट्रोल पर सात अलग-अलग पौधों पर आधारित आहार (डैश डायट, मेडिटेरेनियन, वेजिटेरियन, वीगन, नॉर्डिक, हाई फाइबर और फल और सब्जियों वाली डायट) के प्रभावों का कंट्रोल्ड क्लिनिकल ट्रायल में अध्ययन किया गया। इन अध्ययनों की एक व्यवस्थित समीक्षा और मेटा-विश्लेषण से पता चला है कि इनमें से अधिकांश डायट ब्लड प्रेशर को कम करते हैं।  

(और पढ़ें - आयुर्वेद के अनुसार शाकाहारी और मांसाहारी भोजन के फायदे और नुकसान)

स्टडी में इस बात की ओर इशारा किया गया है कि वैसे तो सभी प्लांट-बेस्ड डायट में से dash डायट सबसे ज्यादा असरदार है, लेकिन बाकी 6 डायट भी ब्लड प्रेशर के लेवल को कम करने में मददगार हैं। स्टडी में यह भी पाया गया कि डायट में पशु उत्पादों के समावेश के बाद भी अगर इनमें से किसी भी एक डायट का अनुसरण किया जाए तो ब्लड प्रेशर का लेवल कम हो सकता है जिसके बदले में स्ट्रोक का खतरा 14 प्रतिशत, हार्ट अटैक का खतरा 9 प्रतिशत और मृत्युदर का खतरा 7 प्रतिशत तक कम हो सकता है।

यह कोई पहली स्टडी नहीं है, जिसमें पौधों पर आधारित खानपान (प्लांट-बेस्ड डायट) के जरिए हाइपरटेंशन के रिस्क को कम करने की बात की जा रही हो। उदाहरण के लिए- साल 2017 में जर्नल ऑफ गेरिऐट्रिक कार्डियोलॉजी की एक स्टडी में यह बात कही गई कि वीगन और वेजिटेरियन डायट ब्लड प्रेशर के लेवल को कम करने में काफी हद तक सक्षम हैं। वीगन या वेजिटेरियन डायट के अलावा निम्नलिखित 7 डायट को लेने से हाई बीपी में फायदा हो सकता हैं -

डैश डायट

इस डायट में आपको चीनीसोडियम यानी नमक और सैचुरेटेड फैट के सेवन को सीमित करना है जबकि फल, सब्जियां, साबुत अनाजसूखे मेवे और बीज, लो-फैट डेयरी आदि चीजों के सेवन को बढ़ाना है। इस डायट में सीमित मात्रा में बिना चर्बी वाले चिकन और मछली के सेवन की भी इजाजत है।

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मेडिटेरेनियन डायट

इस डायट में भी सब्जी, फल, साबुत अनाज, जैतून का तेल, दालें और फलियां, नट्स, डेयरी, मछली और अंडे को शामिल किया गया है और कभी-कभार सीमित मात्रा में मांस के सेवन को भी।

नॉर्डिक डायट

इस डायट की शुरुआत डेनमार्क, नॉर्वे, स्वीडन, फिनलैंड और आइसलैंड जैसे देशों से हुई है। इस डायट में पौधों से मिलने वाले प्लांट फूड, वेजिटेबल फैट, मछली और अंडों के सेवन की इजाजत है और मांस, डेयरी, मीठा और अल्कोहल के सेवन को कम से कम करना है।

वीगन डायट

इस कम फैट वाले डायट में सिर्फ पौधों से मिलने वाले प्लांट बेस्ड फूड ही शामिल हैं और इसमें किसी भी तरह का ऐनिमल उत्पाद शामिल नहीं है (दूध और मक्खन भी नहीं)।

फल और सब्जियों वाली डायट

इस डायट में फल और सब्जियों के अधिक सेवन का सुझाव दिया जाता है और कई बार इसमें डार्क चॉकलेट को भी शामिल किया जाता है ताकि पॉलिफेनॉलिक के सेवन को बढ़ाया जा सके।

हाई-फाइबर डायट

फल और सब्जियों के अलावा इस डायट में साबुत अनाज और दालों के सेवन पर ज्यादा फोकस किया जाता है ताकि डायट्री फाइबर, विटामिन्स, मिनरल्स और फाइटोकेमिकल्स के सेवन को बढ़ाया जा सके।

लैक्टो-ओवो-वेजिटेरियन डायट

इस डायट में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, फलियां, सूखे मेवे और बीज के अलावा अंडा और दुग्ध उत्पादों को भी शामिल किया गया है। लेकिन इसमें जानवरों का मांस खाने की इजाजत नहीं है।

डाइट के जरिए हाई बीपी को कंट्रोल करना आसान है। इसमें प्लांट बेस्ड डाइट काफी हद तक फायदेमंद साबित हो सकती है। प्लांट बेस्ड में मुख्य रूप से 7 प्रकार की डाइट शामिल है, जैसे - डैश डाइट, वीगन डाइट, हाई फाइबर डाइट आदि। हाई बीपी का मरीज डॉक्टर से पूछकर अपने लिए कोई एक डाइट चुन सकता है।

Dr. Farhan Shikoh

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