माइग्रेन एक प्रकार का तेज सिरदर्द है, जो कुछ घंटों या दिनों तक रह सकता है. इस स्थिति में व्यक्ति रोशनी, तेज आवाज और गंध के प्रति संवेदनशील हो जाता है. महिलाओं को पुरुषों की तुलना में तीन गुना अधिक माइग्रेन होता है. 10 से 40 साल की उम्र के बीच अधिकतर लोगों को माइग्रेन के दर्द का सामना करना पड़ सकता है. माइग्रेन लोगों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित कर सकता है. इसलिए, समय रहते माइग्रेन का इलाज करवाना जरूरी होता है. एर्गोटामाइन्स व वेरापामिल जैसी दवाइयां माइग्रेन के दर्द को कम करने या उसे रोकने में मददगार हो सकती हैं.

आज इस लेख में हम माइग्रेन की कुछ ऐसी ही दवाओं के बारे में चर्चा करेंगे -

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  1. माइग्रेन में फायदेमंद दवाएं
  2. माइग्रेन के इलाज के लिए दवा
  3. माइग्रेन को रोकने के लिए दवा
  4. सारांश
माइग्रेन की दवा के डॉक्टर

माइग्रेन लोगों को अलग-अलग तरीकों से प्रभावित कर सकता है. माइग्रेन से पीड़ित लगभग 60 प्रतिशत लोगों में थकान, फूड क्रेविंग, भूख न लगनामूड में बदलाव, प्यास लगना, कब्ज या दस्त जैसे लक्षण देखने को मिल सकते हैं. माइग्रेन व्यक्ति की पूरी दिनचर्या को प्रभावित कर सकता है. माइग्रेन के इलाज में इस्तेमाल की जाने वाली दवाइयों को दो कैटेगरी में बांटा गया है -

  • माइग्रेन के सिरदर्द या इसके लक्षणों को कम करने के लिए दवा
  • माइग्रेन से बचने, इसकी गंभीरता और फ्रीक्वेंसी को कम करने के लिए दवा

लेख में आगे हम इन दोनोंं प्रकार की दवाओं के बारे में विस्तार से बता रहे हैं. साथ ही उससे पहले हम स्पष्ट कर दें कि किसी भी दवा का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए. डॉक्टर मरीज की हालत देखकर ही सही दवा बता सकते हैं.

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माइग्रेन के इलाज के लिए कुछ ऐसी दवाइयां उपलब्ध हैं, जो इसके लक्षणों में कमी करती हैं और सिरदर्द से राहत दिलाती हैं. साथ ही माइग्रेन की गंभीरता को भी कम करने में मदद करती हैं. इसमें पेन किलर समेत कई दवाइयों को उपयोग किया जाता है. माइग्रेन के लक्षण नजर आने पर डॉक्टर व्यक्ति को पेन किलर और दूसरी दवाइयां लिख सकते हैं. माइग्रेन का इलाज करने के लिए निम्न दवाइयां उपलब्ध हैं -

पेन किलर - Painkillers

कुछ ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाइयों का उपयोग माइग्रेन के लिए किया जा सकता है. फिर भी इन्हें लेने से पहले डॉक्टर की राय जरूर लें. इन दवाइयों में शामिल हैं -

ये दवाइयां नॉन स्टेराइडल एंटी-इंफ्लेमेटरी ड्रग्स हैं, जो दर्द से राहत दिलाती हैं और सूजन को कम करने में मदद करती हैं. इन दवाइयों में कैफीन की थोड़ी मात्रा मिली होती है, जिससे ये माइग्रेन दर्द में प्रभावी ढंग से काम कर पाती हैं. वहीं, अगर लंबे समय तक पेन किलर को लिया जाता है, तो इसके निम्न प्रकार के नुकसान हो सकते हैं.

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एर्गोटामाइन्स - Ergotamines

एर्गोटामाइन्स माइग्रेन के लिए उपयोग की जाने वाली दवाइयों का पहला समूह है. ये दवाइयां मस्तिष्क के चारों तरफ रक्त वाहिकाओं को आपस में जोड़ती हैं और कुछ ही मिनटों में माइग्रेन की समस्या से छुटकारा दिलाने में कारगर साबित होती हैं. एर्गोटामाइन्स गोलियों के रूप में मिलती हैं. ये दवाइयां जीभ में आसानी से घुल जाती हैं. इन दवाइयों को आमतौर पर माइग्रेन के शुरुआती लक्षणों को कम करने के लिए दिया जाता है. एर्गोटामाइन्स के तहत निम्न प्रकार की दवाइयां आती हैं -

  • डायहाइड्रोएरगोटामाइन
  • एर्गोटामाइन
  • मैथिसरगाइड
  • मिथाइलर्जोनोवाइन

एर्गोटामाइन्स दवाइयों के खतरनाक साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. ये दवाइयां जन्म दोष और हृदय की समस्याएं पैदा कर सकती हैं. अगर गर्भवती या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को हृदय रोग है, तो एर्गोटामाइन्स लेने से बचें. इसके अलावा, अगर कोई एंटीफंगल और एंटीबायोटिक की दवाएं ले रहा है, तो भी एर्गोटामाइन्स को नहीं लेना चाहिए.

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ट्रिपटैन - Triptans

ट्रिपटैन माइग्रेन के इलाज के लिए उपयोगी दवा है. यह दवा मस्तिष्क में सेरोटोनिन के स्तर को बढ़ाती है और सूजन कम करती है. साथ ही रक्त वाहिकाओं को भी संकुचित करने का काम करती है. ट्रिपटैन गोलियों, इंजेक्शन और नोज स्प्रे के रूप में उपलब्ध हैं. ये दवाइयां जीभ के नीचे आसानी से घुल जाती हैं और माइग्रेन को ठीक करने के लिए जल्दी काम करती हैं. कुछ ट्रिपटैन हैं, जिन्हें माइग्रेन को कम करने के लिए लिया जा सकता है -

ट्रिपटैन दवाएं माइग्रेन के दर्द को कम करती है, लेकिन इसे लेने के दौरान कुछ लोगों में इसके साइड इफेक्ट भी नजर आ सकते हैं, जो इस प्रकार हैं -

जिन लोगों को दिल से जुड़ी कोई बीमारी है या फिर जिन्हें स्ट्रोक का खतरा है, उन्हें ट्रिपटैन लेने से बचना चाहिए. अगर ट्रिपटैन को एंटीडिपेंटेंट्स दवा के साथ लिया जाता है, तो यह सेरोटोनिन सिंड्रोम का कारण बन सकता है.  

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एंटीनोजिया दवाएं - Antinausea Drugs

एंटीनोजिया दवाइयां गंभीर माइग्रेन के साथ होने वाली मतली और उल्टी की समस्या को कम करने में मदद करती हैं. आमतौर पर इन दवाइयों का सेवन पेन किलर के साथ किया जाता है, क्योंकि ये दवाइयां माइग्रेन के दर्द रोकती नहीं हैं, सिर्फ इसके लक्षणों को कम करती हैं. एंटीनोसिया दवाइयों में शामिल हैं -

कुछ लोगों में इन दवाइयों के साइड इफेक्ट्स भी नजर आ सकते हैं. एंटीनोजिया दवाइयां अनिद्रा, चक्कर आने और ध्यान केंद्रित करने में कमी जैसे दुष्प्रभाव पैदा कर सकती हैं.

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ओपिओइडी - Opioids

अगर माइग्रेन का दर्द पेन किलर से ठीक नहीं हो रहा है और व्यक्ति एर्गोटामाइन्स या ट्रिपटैन लेने योग्य नहीं हैं, तो इस स्थिति में डॉक्टर ओपिओइडी दवा लिख सकते हैं. ओपिओइडी दवा काफी पावरफुल पेन किलर है. ओपिओइडी दवाइयों में शामिल हैं -

  • कौडीन
  • मेपरिडीन
  • मार्फिन
  • आक्सीकोडोन

ओपिओइडी दवा की लत लग सकती है, इसलिए इसे अधिक मात्रा में लेने से बचना चाहिए. डॉक्टर के द्वारा बताई गई खुराक के अनुसार ही इस दवा का सेवन करना चाहिए. इन दवाइयों को माइग्रेन अटैक के दौरान लिया जा सकता है. ये दवाइयां माइग्रेन के शुरुआती लक्षणों में कमी करके दर्द को कम करने में मदद करती हैं. लेकिन इन दवाइयों के अधिक सेवन से बचना चाहिए, क्योंकि ये सभी दवाइयां कुछ-न-कुछ दुष्प्रभाव पैदा कर सकती हैं.

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अगर बार-बार माइग्रेन का दर्द होता है, तो कुछ दवाइयां इसकी फ्रीक्वेंसी और तेजी को कम करने में मदद कर सकती हैं. इन दवाइयों का सेवन नियमित रूप से किया जा सकता है. इन दवाइयों को लेने के बाद माइग्रेन के दर्द को काफी हद तक रोका जा सकता है, लेकिन इसमें कई सप्ताह या महीने लग सकते हैं. माइग्रेन को रोकने के लिए निम्न दवाइयां उपलब्ध हैं -

सीजीआरपी एंटागोनिस्ट - CGRP Antagonists

सीजीआरपी एंटागोनिस्ट माइग्रेन के दर्द को रोकने के लिए एक कारगर और नया दवा समूह है. ये दवाइयां मस्तिष्क के आसपास पाए जाने वाले प्रोटीन पर काम करती है, जिसे कैल्सीटोनिन जीन से संबंधित पेप्टाइड यानी सीजीआरपी कहा जाता है. इन दवाओं के समुह में एरेनुमाब और फ्रेमानेज़ुमाब शामिल हैं.

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बीटा ब्लॉकर्स - Beta Blockers

बीटा ब्लॉकर्स दवाइयों का उपयोग आमतौर पर हाई ब्लड प्रेशर के लिए किया जाता है. बीटा ब्लाकर्स दवाएं हृदय और रक्त वाहिकाओं पर स्ट्रेस हार्मोन के प्रभाव को कम करती हैं. ये दवाइयां माइग्रेन की फ्रीक्वेंसी और तीव्रता को कम करने में भी मदद कर सकती हैं. बीटा ब्लॉकर्स में शामिल हैं-

बीटा ब्लॉकर्स लेने पर थकान, जी मिचलाने, चक्कर आने, डिप्रेशन और अनिद्रा जैसे साइड इफेक्ट्स महसूस हो सकते हैं.

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कैल्शियम चैनल ब्लाकर्स - Calcium Channel Blockers

कैल्शियम चैनल ब्लाकर्स दवाइयां रक्त वाहिकाओं के दबाव और फैलाव को नियंत्रित करती हैं, जो माइग्रेन के दर्द का कारण बनती हैं. कैल्शियम चैनल ब्लाकर्स दवाओं में शामिल हैं -

इन दवाइयों के सेवन से माइग्रेन के दर्द को रोकने में मदद मिल सकती है, लेकिन इसे अधिक मात्रा में खाने से बचना चाहिए, क्योंकि इसके कुछ साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं. इसमें लो ब्लड प्रेशर, वजन बढ़ना, चक्कर आना और कब्ज होना शामिल हैं.

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एंटीडिप्रेसेंट - Antidepressants

एंटीडिप्रेसेंट दवाएं सेरोटोनिन सहित कई ब्रेन कैमिकल के स्तर को प्रभावित करती है. सेरोटोनिन की वृद्धि सूजन को कम कर सकती है और रक्त वाहिकाओं को संकुचित कर सकती है. इससे माइग्रेन को कम करने में मदद मिलती है. माइग्रेन को रोकने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कुछ एंटीडिप्रेसेंट हैं -

इन दवाइयों का अधिक सेवन वजन बढ़ने और कामेच्छा में कमी का कारण बन सकता है. इसलिए, इनका सेवन डॉक्टर की सलाह पर सीमित मात्रा में ही करना चाहिए.

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एंटीकॉन्वेलेंट्स - Anticonvulsants

एंटीकॉन्वेलेंट्स दवा का उपयोग आमतौर पर मिर्गी के दौरे को रोकने के लिए किया जाता है. ये दवाइयां मस्तिष्क में ओवरएक्टिव नसों को शांत करके माइग्रेन के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकती हैं. इन दवाइयों में डाइवलप्रोएक्स-सोडियम, गाबापेंटिन, लेवेतिरसेटम, प्रेगाबैलिन, टियागाबिनटोपिरामेट, वैल्प्रोएट और जोनिसामाइड शामिल हैं. इन दवाइयों का अधिक सेवन जी मिचलाने, उल्टी, दस्त, वजन बढ़ने, अनिद्रा, चक्कर आना और धुंधली दृष्टि जैसे लक्षण पैदा कर सकता है.

अगर किसी को बार-बार माइग्रेन का दर्द होता है, तो इस स्थिति में इसकी फ्रीक्वेंसी को कम करने के लिए ये दवाइयां कारगर साबित हो सकती हैं. ये दवाइयां माइग्रेन के लिए प्रभावी मानी जाती हैं.

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माइग्रेन एक प्रकार का सिरदर्द है, जो काफी पीड़ादायक होता है. कुछ लोगों को कभी-कभी माइग्रेन का दर्द होता है, तो कुछ लोगों को यह हर हफ्ते या पूरे महीने में हो सकता है. ऐसे में माइग्रेन के इलाज के लिए कुछ दवाइयों का सेवन करना लाभकारी हो सकता है. इसके अलावा, माइग्रेन की फ्रीक्वेंसी, तीव्रता को रोकने के लिए भी डॉक्टर की सलाह पर दवाइयां ली जा सकती है. माइग्रेन की दवाइयां सिरदर्द को ठीक करने और रोकने में मदद कर सकती हैं, लेकिन किसी भी दवा का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के न करें.

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