बहुत से लोग टोफू और पनीर को लेकर कन्फ्यूज हो जाते हैं और टोफू को लेकर अक्सर फूड एक्सपर्ट्स के बीच बहस भी होती है। कुछ एक्सपर्ट्स जहां टोफू को सेहत के लिए बेहद फायदेमंद मानते हैं वहीं बहुत से एक्सपर्ट्स यह भी कहते हैं कि टोफू आनुवंशिक रूप से संशोधित होता है, इसलिए इसका सेवन बिल्कुल नहीं करना चाहिए।

चीनी, थाई, जापानी और अमेरिकी रेसिपीज में ज्यादातर इस्तेमाल होने वाला खाद्य पदार्थ टोफू का सेवन आपको करना चाहिए या नहीं, इसे लेकर आपके मन में कोई सवाल है तो हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं कि आखिर टोफू क्या है, इसे खाने के फायदे और नुकसान क्या-क्या हैं।

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  1. टोफू क्या है? - What is tofu in hindi?
  2. टोफू खाने के फायदे - Benefits of tofu in hindi
  3. टोफू खाने के नुकसान - Side effects of tofu in hindi
टोफू खाने के फायदे और नुकसान के डॉक्टर

टोफू देखने में बिलकुल पनीर जैसा होता है लेकिन पनीर जहां गाय के दूध से बनता है वहीं, टोफू सोया मिल्क को संघनित करके या फिर सोयाबीन के दही से बनाया जाता है। टोफू को बनाने की प्रक्रिया चीज बनाने की प्रक्रिया से मिलती जुलती होती है। टोफू प्राकृतिक रूप से ग्लूटेन-फ्री होता है और इसमें कैलोरी की मात्रा भी बेहद कम होती है। इसमें कोई कोलेस्ट्रॉल नहीं होता और यह आयरनकैल्शियम का एक बेहतरीन स्रोत है।

ज्यादातर सोया खाद्य पदार्थों की ही तरह टोफू भी चीन में ही बना था। ऐसा माना जाता है कि 2 हजार साल पहले चीन के एक कुक ने गलती से सोया मिल्क में निगारी नाम का समुद्री शैवाल मिला दिया था जिससे सोया मिल्क फट गया और टोफू बन गया। चीन और जापान में सैंकड़ों सालों से टोफू का इस्तेमाल किया जा रहा है लेकिन 1960 के दशक में टोफू पश्चिमी देशों में पहुंचा और तब से इस पर कई तरह के रिसर्च भी हो रहे हैं और इसके फायदों के बारे में भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है।

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पोषक तत्वों की बात करें तो टोफू प्रोटीन का महत्वपूर्ण स्त्रोत है खासकर शाकाहारी और वीगन डायट फॉलो करने वाले लोगों के लिए। इसके अलावा टोफू में हमारे शरीर के लिए जरूरी सभी 9 एमीनो एसिड्स भी पाए जाते हैं। साथ ही टोफू में जरूरी फैट, कार्बोहाइड्रेट, विटामिन्स और मिनरल्स भी भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।
100 ग्राम टोफू में

  • प्रोटीन- 8 ग्राम
  • कार्ब्स- 2 ग्राम
  • फाइबर- 1 ग्राम
  • फैट- 4 ग्राम
  • मैंग्नीज- दैनिक जरूरत का 30 प्रतिशत
  • कैल्शियम- दैनिक जरूरत का 20 प्रतिशत
  • सेलेनियम- दैनिक जरूरत का 14 प्रतिशत
  • कॉपर- दैनिक जरूरत का 11 प्रतिशत
  • आयरन- दैनिक जरूरत का 9 प्रतिशत 

साथ ही में 100 ग्राम टोफू में सिर्फ 70 कैलोरी होती है जिस कारण इसे पोषण से भरपूर खाद्य पदार्थ माना जाता है। इसके अलावा इसमें आइसोफ्लैवन्स जैसे फाइटोएस्ट्रोजेन भी पाए जाते हैं। आइसोफ्लैवन्स में एस्ट्रोजेन एगोनिस्ट और एस्ट्रोजेन विरोधी दोनों गुण पाए जाते हैं।

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अगर किसी व्यक्ति के डायट में प्लांट-बेस्ड फूड यानी पौधों से प्राप्त खाद्य पदार्थ की अधिकता हो तो उस व्यक्ति की संपूर्ण सेहत बेहतर बनी रहती है और उसे लाइफस्टाइल से जुड़ी कई बीमारियां जैसे- डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, हृदय रोग और मोटापा होने का खतरा कम होता है। लिहाजा टोफू के सेवन से भी जीवनशैली से जुड़ी कई बीमारियों के खतरे से बचा जा सकता है। वे बीमारियां हैं:

हृदय रोग के खतरे को कम करता है टोफू - Heart disease ka risk kam

सोया आइसोफ्लैवन्स एलडीएल यानी बैड कोलेस्ट्रॉल को कम करने में मदद करते हैं। हालांकि यह एचडीएल यानी गुड कोलेस्ट्रॉल को किसी तरह से बढ़ाते नहीं हैं। वैज्ञानिकों ने अपने अध्ययन में यह बात साबित भी की है कि सोया आइसोफ्लैवन्स रक्त धमनियों में होने वाले सूजन और जलन (इन्फ्लेमेशन) की समस्या को कम कर उनके लचीलेपन को बढ़ाने में मदद करता है।

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इसके अलावा रोजाना करीब 50 ग्राम सोया प्रोटीन का सेवन करने से ब्लड फैट बेहतर होता है और हृदय रोग का खतरा 10 प्रतिशत तक कम हो जाता है। कोलेस्ट्रॉल लेवल पर इसका असर दिखे इसके लिए एफडीएन ने रोजाना कम से कम 25 ग्राम सोया प्रोटीन का सेवन करने की लिमिट तय की है। अब जब कोलेस्ट्रॉल का लेवल कम होगा, रक्त धमनियों में लचीलापन रहेगा तो जाहिर सी बात है कि हाई ब्लड प्रेशर की समस्या नहीं होगी और ये सारी चीजें मिलकर हृदय रोग के खतरे को कम करेंगी।

ब्रेस्ट कैंसर के खतरे को कम करता है टोफू - Breast cancer ka khatra kam

क्लिनिकल और एक्सपेरिमेंट्ल निरीक्षण में यह बात साबित हो चुकी है कि सोया में मौजूद प्रमुख आइसोफ्लैवन जेनिस्टीन में ऐसी एंटीऑक्सिडेंट प्रॉपर्टीज पायी जाती है जो कैंसर कोशिकाओं के विकास में रूकावट उत्पन्न करता है। यही वजह है कि नियमित रूप से सोया या सोया से बनी चीजों का सेवन करने से ब्रेस्ट कैंसर का खतरा कम होता है। रिसर्च में भी यह बात साबित हो चुकी है कि हफ्ते में कम से कम एक बार सोया प्रॉडक्ट्स का सेवन करने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 48 से 56 प्रतिशत तक कम हो जाता है।

(और पढ़ें : पुरुषों में भी हो सकता है ब्रेस्ट कैंसर)

प्रोस्टेट कैंसर से भी बचाता है टोफू - Prostate cancer se bachata hai

सिर्फ ब्रेस्ट कैंसर ही नहीं बल्कि पुरुषों को प्रोस्टेट कैंसर के खतरे से भी बचाता है टोफू। इस बारे में अब तक हो चुकी 2 रिव्यू स्टडीज में यह बात सामने आ चुकी है कि वैसे पुरुष जो सोया प्रॉडक्ट्स खासकर टोफू का अधिक सेवन करते हैं उनमें प्रोस्टेट कैंसर होने का खतरा 32 से 51 प्रतिशत तक कम होता है। इस बारे में हुई एक तीसरी रिव्यू स्टडी में पहली दोनों स्टडी के नतीजों की पुष्टि तो की गई लेकिन साथ ही यह भी कहा गया कि आइसोफ्लैवन्स के फायदे इस बात पर निर्भर करते हैं कि व्यक्ति कितनी मात्रा में उसका सेवन कर रहा है और पेट में किस तरह का गट बैक्टीरिया मौजूद है।

टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कम करता है टोफू - Diabetes ka khatra kam

जानवरों पर टेस्ट-ट्यूब के माध्यम से हुई कई स्टडीज में यह बात साबित हो चुकी है कि सोया आइसोफ्लैवन्स ब्लड शुगर कंट्रोल को बेहतर बनाने में मदद करता है। मेनोपॉज के बाद वाली स्वस्थ महिलाओं पर की गई एक स्टडी में यह बात सामने आयी कि रोजाना करीब 100 मिलिग्राम सोया आइसोफ्लैवन्स के सेवन से ब्लड शुगर का लेवल 15 प्रतिशत तक कम हो जाता है और इंसुलिन का लेवल 23 प्रतिशत तक कम।

टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों को अक्सर किडनी की बीमारी भी हो जाती है जिससे शरीर पेशाब में प्रोटीन की अधिक मात्रा का उत्सर्जन करने लगता है। एक अध्ययन के सबूत ये संकेत देते हैं कि वैसे लोग जो अपने आहार में केवल सोया प्रोटीन का सेवन करते हैं, वे उन लोगों की तुलना में कम प्रोटीन उत्सर्जित करते हैं जो केवल ऐनिमल प्रोटीन का सेवन करते हैं। शोधकर्ताओं का प्रस्ताव है कि इससे टाइप 2 डायबिटीज के रोगियों को फायदा हो सकता है।

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किडनी फंक्शन को बेहतर बनाता है टोफू - Kidney function better

सोया प्रोटीन किडनी के कार्यों को बढ़ा सकता है और यह उन लोगों के लिए फायदेमंद हो सकता है जो डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट के दौर से गुजर रहे हों। 9 परीक्षणों के एक मेटा विश्लेषण ने लंबे समय से किडनी की बीमारी से पीड़ित मरीज के कुछ बायोमार्कर्स पर सोया का सकारात्मक प्रभाव देखा। यह टोफू की प्रोटीन सामग्री के कारण हो सकता है।

ऑस्टियोपोरोसिस से बचाता है टोफू - Osteoporosis se bachata hai

सोया आइसोफ्लैवन्स से भरपूर टोफू हड्डियों की कमजोरी की समस्या को कम कर हड्डियों में खनिज की सघनता को बढ़ाता है खासकर मेनोपॉज के बाद। इस वजह से हड्डियों से जुड़ी समस्या ऑस्टियोपोरेसिस होने का खतरा भी कम रहता है। टोफू में कैल्शियम भी अधिक होता है। 113 ग्राम टोफू में गाय के दूध के 250 मिलिलीटर के बराबर कैल्शियम होता है। यह उन महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है जिन्हें ऑस्टियोपोरोसिस होने का खतरा सबसे अधिक है।

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ब्रेन से जुड़ी बीमारियां दूर करता है टोफू - Brain disease se bachata hai

सोया आइसोफ्लैवन्स याददाश्त और मस्तिष्क के कार्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है विशेष रूप से 65 साल से अधिक उम्र की महिलाओं पर। निश्चित जनसंख्या पर किए गए अध्ययनों ने संकेत दिया है कि, जिन क्षेत्रों में लोग अधिक सोया का सेवन करते हैं, वहां आयु संबंधी मानसिक विकारों का खतरा कम रहता है।

वजन घटाने में मददगार है टोफू - Weight loss me madad karta hai

एक अध्ययन में यह बात सामने आयी है कि जिन लोगों ने 8 हफ्तों से लेकर 52 हफ्तों तक सोया आइसोफ्लैवन्स से भरपूर टोफू का सेवन किया उनके वजन में औसतन 10 पाउंड यानी 4.5 किलोग्राम की कमी देखने को मिली। इसके अलावा टोफू में कैलोरी भी बेहद कम होती है और प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। इस लिहाज से भी टोफू वेट लॉस के लिए परफेक्ट फूड है।

वैसे तो आमतौर पर टोफू या बाकी के सोया उत्पादों का भी रोजाना सेवन करना पूरी तरह से सुरक्षित माना जाता है लेकिन बहुत से लोगों को इससे कई तरह के नुकसान भी हो सकते हैं। लिहाजा सीमित मात्रा में ही टोफू का सेवन किया जाए तो वही बेहतर होगा। अधिक मात्रा में टोफू का सेवन करने से ये दिक्कतें हो सकती हैं :

  • ब्रेस्ट ट्यूमर : टोफू के कमजोर हार्मोनल असर की वजह से बहुत से डॉक्टर उन महिलाओं को जिनमें एस्ट्रोजेन सेंसिटिव ब्रेस्ट ट्यूमर की समस्या होती है उन्हें सोया का सीमित मात्रा में सेवन करने की सलाह देते हैं।
  • थायराइड की समस्या : कुछ एक्सपर्ट्स का ये भी मानना है कि जिन लोगों के शरीर में थायराइड का फंक्शन बेहतर तरीके से नहीं होता है उन्हें भी टोफू के सेवन से बचना चाहिए और इसका कारण है टोफू में मौजूद गॉइट्रोजन कॉन्टेंट।
  • छोटे बच्चों के लिए हानिकारक : शोधकर्ताओं का मानना ​​है कि नवजात शिशु और छोटे बच्चों को सोया आइसोफ्लैवन्स के संपर्क में नहीं आना चाहिए क्योंकि इससे उनके प्रजनन अंगों के विकास में बाधा आ सकती है।
  • फर्टिलिटी पर पड़ सकता है असर : हालांकि इस बारे में इंसानों पर कोई अध्ययन नहीं हुआ है लेकिन जानवरों पर हुई स्टडी में यह बात सामने आयी है कि सोया के अधिक सेवन से फर्टिलिटी यानी बच्चा पैदा करने की क्षमता पर असर पड़ सकता है।

कुल मिलाकर देखें तो टोफू में प्रोटीन की अत्यधिक मात्रा होती है और कई और पोषक तत्वों से भरपूर होने की वजह से टोफू को बेहद हेल्दी माना जाता है। साथ ही यह कई तरह की बीमारियों से भी बचाने में मदद करता है। बावजूद इसके अगर आपके मन में किसी भी तरह की शंका हो तो अपने डॉक्टर या डायटिशियन से बात करने के बाद ही टोफू का सेवन करें।

Dr. Dhanamjaya D

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पोषणविद्‍
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Dt. Surbhi Upadhyay

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