एचपीवी टीका मुख्य रूप से एचपीवी यानि ह्यूमन पेपिलोमा वायरस से होने वाले कैंसर से आपका बचाव करता है। बाहरी कुछ देशों में यह वायरस हर चार में से एक व्यक्ति में पाया जाता है। बड़ी संख्या में किशोर और युवा भी इस वायरस की चपेट में आ जाते हैं। एचपीवी के अधिकतर वायरस से न तो कोई लक्षण दिखाई देते हैं और ना ही किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होती है। एचपीवी से होने वाले 10 में से 9 प्रकार के संक्रमण दो साल के अंदर स्वतः ही ठीक हो जाते हैं। लेकिन कुछ संक्रमण लंबे समय तक रहते हैं और यह कैंसर व अन्य स्वास्थ्य समस्याओं की वजह बनते हैं। इस वायरस से होने वाला संक्रमण कैंसर का कारण न बने इसलिए कम आयु में ही बच्चों को एचपीवी वैक्सीन दी जाती है।

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इस लेख में आपको एचपीवी संक्रमण की रोकथाम के लिए एचपीवी के टीके के बारे में विस्तार से बताया गया है। साथ ही आपको एचपीवी टीकाकरण क्या है, एचपीवी टीके की खुराक व आयु सीमा, एचपीवी वैक्सीन की कीमत, एचपीवी वैक्सीन के साइड इफेक्ट और एचपीवी वैक्सीन किसे नहीं देनी चाहिए आदि विषयों के बारे में भी विस्तार से बताने का प्रयास किया गया है।

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  1. एचपीवी टीकाकरण क्या है - HPV vaccine kya hai
  2. एचपीवी टीके की खुराक और आयु सीमा - HPV vaccine dose and age limit in hindi
  3. एचपीवी वैक्सीन की कीमत - HPV vaccine cost in Hindi
  4. एचपीवी वैक्सीन के साइड इफेक्ट - HPV vaccine ke side effects in Hindi
  5. एचपीवी वैक्सीन किसे नहीं दी जानी चाहिए - HPV vaccine kise nahi di jani chahiye
  6. भारत में एचपीवी वैक्सीन - HPV vaccine in india

ह्यूमन पेपिलोमा वायरस (human papillomavirus) बच्चों और अन्य व्यक्तियों में कई तरह के संक्रमण का मुख्य कारण होता है। एचपीवी के समूह में करीब 150 वायरस आते हैं। यह वायरस सामान्यतः यौन क्रिया के दौरान त्वचा के माध्यम से फैलते हैं। किशोरावस्था में सेक्स आदि क्रियाओं में शामिल होने वालों को एचपीवी होना एक आम बात है। सामान्यतः यौन गतिविधियों में सक्रिय रहने वाले हर दूसरे व्यक्ति को अपने जीवनकाल में कभी न कभी एचपीवी वायरस से संक्रमण होता है। लेकिन अधिकतर व्यक्ति इसकी सही पहचान नहीं कर पाते हैं।

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एचपीवी के वायरस से संक्रमित होने के ज्यादातर मामलों में आपका शरीर गंभीर समस्या उत्पन्न करने से पहले स्वयं ही इस वायरस को कम कर देता है। लेकिन जिन मामलों में शरीर वायरस को स्वतः दूर नहीं कर पाता है, उस दौरान एचपीवी निम्न तरह की गंभीर समस्याओं और कैंसर का कारण बन जाता है।

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एचपीवी होने पर व्यक्ति के शरीर में मस्से उभरना शुरू हो जाते हैं। इस संक्रमण में निम्न तरह के लक्षण दिखाई देते हैं –

  • जननांग मस्सा (Genital Warts) – इसमें व्यक्ति को कम बेचैनी या दर्द होता है, हालांकि इसमें संक्रमित व्यक्ति को खुजली की समस्या हो सकती है। (और पढ़ें - जननांग मस्सों के घरेलू उपाय)
  • सामान्य मस्सा (Common Warts) – यह मस्सा खुरदरा और त्वचा की सतह से ऊपर उठा हुआ होता है, जो आमतौर पर हाथों, उंगलियों और कोहनी पर निकल आता है। ज्यादातर मामलों में मस्सा उभरने और दिखाई देने की वजह से व्यक्ति को समस्या होती है। (और पढ़ें - मस्से का इलाज)
  • तलवे का मस्सा (Plantar Warts) – यह मस्सा एक कठोर, रूखा और दाने के आकार में होता है, जो पैर के तलवे के उस हिस्सों पर होता है, जहां शरीर का सबसे ज्यादा भार पड़ता है। इस मस्से में व्यक्ति को दर्द और बेचैनी हो सकती है।
  • स्पाट मस्सा (Flat Warts) – यह मस्सा सामान्य त्वचा से थोड़ा सा ऊपर की ओर उठा होता है, आमतौर पर यह संक्रमित व्यक्ति के चेहरे, गर्दन या खरोंच वाले हिस्सों में दिखाई देते हैं।

एचपीवी की वजह से होने वाले कई कैंसर ऐसे भी होते हैं, जो गंभीर स्थिति में पहुंचने के बाद ही समझ में आते हैं या उनके लक्षण दिखाई देते हैं। आपके द्वारा एचपीवी वैक्सीन लेने से होने वाले बच्चे को एचपीवी संक्रमण की संभावना कम हो जाती हैं। एचपीवी की वजह से बच्चे को कैंसर भी हो सकता है।

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एचपीवी वैक्सीन में मृत जीवाणु मौजूद होते हैं, जो मुख्य रूप से एचपीवी के चार प्रकारों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। इन चारों में से दो प्रकार के एचपीवी गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के लगभग 70 प्रतिशत मामलों का कारण होते हैं, जबकि अन्य दो प्रकार के एचपीवी जननांग मस्से के 90 प्रतिशत मामलों की मुख्य वजह होते हैं। एचपीवी वैक्सीन गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर और जननांग में होने वाले मस्सों के अधिकतर मामलों से बचाव करती है।

एचपीवी वैक्सीन से आपका लंबे समय तक बचाव होता है। लेकिन महिलाओं को एचपीवी वैक्सीन लेने के बाद भी गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर की जांच करवाते रहना चाहिए, क्योंकि एचपीवी वैक्सीन गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर के सभी जीवाणुओं से सुरक्षा प्रदान नहीं करती है।

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बच्चों, किशोरों और युवाओं को 9 से 26 आयु के बीच एचपीवी वैक्सीन लेने की आवश्यकता होती है।

एचपीवी टीके की आयु सीमा के बारे में आगे विस्तार से जानें-

9 से 14 वर्ष के बच्चे और किशोरों के लिए

  • 13 साल से कम व अधिक आयु के बच्चों और किशोरों को एचपीवी वैक्सीन की दो खुराक लेने की आवश्यकता होती है। अपनी पहली खुराक को लेने के बाद 6 से 12 महीनों के अंतराल में बच्चों व किशोरों को दूसरी खुराक लेनी चाहिए। सामान्यतः 13 साल से कम आयु के बच्चों को 11 से 12 साल के बीच में पहली खुराक दी जाती है, जबकि कुछ मामलों में 9 साल की आयु से भी एचपीवी वैक्सीन को शुरू किया जा सकता है। (और पढ़ें - डीपीटी वैक्सीन कब लगाई जाती है

15 और 26 साल के किशोरों और युवाओं के लिए

  • अगर 15 साल से पहले किसी बच्चे या बच्ची को एचपीवी वैक्सीन नहीं दी गई है, तो उसको 26 साल का होने तक यह वैक्सीन दी जा सकती है। इस आयु सीमा वाले बच्चों को एचपीवी वैक्सीन की तीन खुराक दी जाती है। पहले खुराक के बाद दूसरी खुराक एक से दो महीनों के बाद दी जाती है, जबकि तीसरी खुराक पहली खुराक के 6 महीनों बाद दी जाती है। (और पढ़ें - बच्चों की इम्यूनिटी कैसे बढ़ाएं)

महिलाओं को अधिकतम 26 और पुरुषों को 21 साल की आयु तक एचपीवी वैक्सीन दी जा सकती है।

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एचपीवी के वायरस से बचाव के लिए देश में एचपीवी वैक्सीन कई ब्रांड में उपलब्ध है। ब्रांड के आधार पर इस वैक्सीन की मात्रा और कीमत अलग-अलग हो सकती है। देश में मिलने वाले कुछ मुख्य एचपीवी वैक्सीन और उनकी कीमतों को नीचे विस्तार से बताया जा रहा है।

एचपीवी वैक्सीन  अनुमानित कीमत
गार्डासिल वैक्सीन (Gardasil Vaccine) 3259
सिरवैरिक्स वैक्सीन (Cervarix Vaccine) 2405

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सामान्यतः एचपीवी के टीके से होने वाले साइड इफेक्ट बेहद कम होते हैं और यह कुछ ही दिनों में ठीक हो जाते हैं। इस वैक्सीन से गंभीर साइड इफेक्ट बेहद कम मामलों में देखने को मिलते हैं। इस वैक्सीन को लगाना सुरक्षित होता है, लेकिन कई मामले ऐसे भी सामने आते हैं, जिसमें इस वैक्सीन की प्रतिक्रियाएं गंभीर हो सकती हैं।

एचपीवी के टीके से होने वाले सामान्य साइड इफेक्ट को निम्न तरह से बताया गया है-

एचपीवी वैक्सीन निम्न दवाओं के साथ प्रतिक्रिया कर सकती है-

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कई बार एचपीवी वैक्सीन को कुछ विशेष परिस्थितियो में लेने की सलाह नहीं दी जाती है। किसी रोग या अन्य स्वास्थ्य स्थिति के कारण डॉक्टर इस वैक्सीन को बच्चों या वयस्कों को देना उचित नहीं मानते है। आगे जानते हैं कि किन परिस्थितियों में एचपीवी वैक्सीन नहीं दी जानी चाहिए।

  • यदि किसी व्यक्ति को एचपीवी वैक्सीन की पिछली खुराक से घातक एलर्जी हुई हो या इंजेक्शन की जगह पर एलर्जी हो जाएं, तो ऐसे में व्यक्ति को वैक्सीन की दोबारा खुराक नहीं लेनी चाहिए। (और पढ़ें - एलर्जी होने पर क्या करें)
     
  • एचपीवी वैक्सीन में मौजूद तत्व से किसी प्रकार की गंभीर एलर्जी होने वाले लोगों को इस वैक्सीन को नहीं लेना चाहिए। (और पढ़ें - एलर्जी के घरेलू उपाय)
     
  • वैक्सीन लेने से पहले एलर्जी हो (जैसे – यीस्ट एलर्जी) तो आपको अपने डॉक्टर से बात करनी चाहिए। (और पढ़ें - एलर्जी टेस्ट कैसे होता है
     
  • गर्भवती महिला को वैक्सीन लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। (और पढ़ें - बच्चों की सेहत के इन लक्षणों को न करें नजरअंदाज)
     
  • स्तनपान कराने वाली महिलाओं के दूध में वैक्सीन के तत्व मिल सकते हैं या नहीं, इस विषय में कोई तथ्य मौजूद नहीं हैं। स्तनपान कराने वाली महिलाओं को वैक्सीन लेने से पहले डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।  

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भारत में बीते वर्षों के आंकड़ों पर नजर डाले तो पता चलता है कि साल 2012 में महिलाओं में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर के करीब 123000 नए मामले सामने आए थे, जिसकी वजह से करीब 67000 महिलाओं के मृत्यु हो गई थी। गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर से दुनियाभर जितनी मृत्यु होती है, उसमें से करीब 25 प्रतिशत मामले केवल भारत के ही होते हैं। देश के विभिन्न राज्यों में एचपीवी वैक्सीन की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए कई कार्यक्रम चलाए जा रहें हैं। वर्ष 2017 मार्च तक दिल्ली में करीब 1200 बच्चों को एचपीवी के टीके लगाए गये। वहीं पंचाब में कई जिलों की स्कूली छात्राओं को भी टीकाकरण के कार्यक्रम के तहत एचपीवी वैक्सीन देने पर विचार किया गया, जबकि इस राज्य में पहले से भी कई लड़कियों को एचपीवी की वैक्सीन दी जा चुकी है।  

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