सांस फूलने को डिस्पेनिया भी कहा जाता है। इस स्थिति में सांस लेने में दिक्कत और घुटन महसूस होती है। आमतौर पर, ऊंचाई पर जाने से ये समस्या होती है, लेकिन व्यक्ति की शारीरिक व मानसिक स्थिति के अनुसार सांस फूलने की दिक्क्त और भी कई कारणों से हो सकती है जैसे सीढ़ियां चढ़ना, भागना, चलना इत्यादि। सांस फूलने की समस्या अचानक हो सकती है या ये कुछ हफ्तों व महीनों में धीरे-धीरे भी विकसित हो सकती है।
मुख्य तौर पर, हृदय या फेफड़ों की समस्याओं के कारण सांस फूलने की समस्या होती है। ये दोनों अंग शरीर में ऑक्सीजन पहुंचाते हैं और खून व ऊतकों से कार्बन डाइऑक्साइड निकालते हैं। ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड या हीमोग्लोबिन में किसी भी प्रकार का असंतुलन होने से शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली पर प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा कई अन्य समस्याओं से भी सांस फूलने की समस्या हो सकती है, जैसे अस्थमा, सीओपीडी, एलर्जी, लो ब्लड प्रेशर, एनीमिया, दिल बढ़ना, कोरोनरी धमनी रोग और गले में कुछ फंसना।
होम्योपैथी में ऐसे उपचार मौजूद हैं, जिससे सांस फूलने की स्थिति का इलाज किया जा सकता है। ब्लाटा ओरिएंटलिस, इपिकाकुअन्हा, लोबेलिया इन्फ्लेटा और एंटीमोनियम टार्टारिकम ऐसी ही दवाएं हैं, जिन्हें व्यक्ति के लक्षणों के आधार पर चुना जाता है, ताकि उसके सामान्य स्वास्थ्य में सुधार आ सके।