आयुर्वेद में किसी भी बीमारी का इलाज उसकी प्रकृति को ध्यान में रखकर किया जाता है. प्रत्येक व्यक्ति के शरीर में वात, पित्त और कफ पाया जाता है. इनमें से किसी के भी असंतुलित होने पर स्वास्थ्य समस्याएं होने लगती हैं. इसलिए, स्वस्थ रहने के लिए इन तीनों का संतुलन में होना जरूरी है. इसमें वात का संबंध हवा, पित्त का संबंध अग्नि और कफ का संबंध पानी से है. अगर सिर्फ कफ दोष की बात की जाए, तो इसके असंतुलित होने पर कैंसर व मोटापा जैसी समस्या हो सकती हैं. ऐसे में लाइफस्टाइल में बदलाव कर इस समस्या को ठीक किया जा सकता है.

आज इस लेख में आप कफ दोष और इसके इलाज के बारे में विस्तार से जानेंगे -

(और पढ़ें - वात, पित्त व कफ असंतुलन के लक्षण)

  1. कफ दोष क्या होता है?
  2. कफ दोष के लक्षण
  3. कफ दोष का इलाज
  4. सारांश
कफ दोष के लक्षण व इलाज के डॉक्टर

कफ दोष ‘पृथ्वी’ और ‘पानी’ दो तत्वों से मिलकर बना है. पानी इस दोष के लिए रेगुलेटरी एलिमेंट के रूप में काम करता है. जब पानी अधिक होता है, तो यह तेजी से चलता है. वहीं, जब पृथ्वी का स्तर अधिक होता है, तो इसका असर धीमा हो जाता है. ऐसे में पृथ्वी और पानी दोनों में संतुलन होना चाहिए. शरीर में कफ बढ़ने पर अस्थमाकैंसरडायबिटीजमतलीमोटापा और सांस संबंधी बीमारियां जन्म ले सकती हैं. 

अधिक सोने, मीठा खाने और नमकीन खाद्य पदार्थ खाने से कफ बढ़ सकता है. अधिक नींद लेने से कफ बढ़ता है, इससे व्यक्ति को थकान और आलस महसूस हो सकता है. इसके अलावा, ठंडा मौसम और फैटी फूड्स भी कफ बढ़ा सकते हैं.

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जिन लोगों की कफ प्रकृति होती है, उनमें आमतौर पर ऊर्जा का स्तर अधिक होता है. इनकी त्वचा ऑयली और चिकनी होती है. कफ वाले लोगों का पाचन अच्छा रहता है. इसके अलावा, कफ वाले लोग स्वभाव में अच्छे होते हैं और दूसरों की मदद भी करते हैं. जब शरीर में कफ असंतुलित होता है, तो निम्न लक्षण नजर आ सकते हैं -

कफ दोष खराब जीवनशैली और खान-पान से बढ़ सकता है, लेकिन कुछ उपायों की मदद से कफ दोष का इलाज भी किया जा सकता है. कफ दोष को संतुलित करने का इलाज इस प्रकार हैं -

एक्सरसाइज करें

वात, पित्त हो या कफ, तीनों को संतुलित रखने के लिए एक्सरसाइज करना जरूरी होता है. नियमित रूप से व्यायाम करके कफ को संतुलित किया जा सकता है. कफ दोष बढ़ने पर कार्डियो एक्सरसाइज की जा सकती है.

ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें

कफ दोष बढ़ने पर सांस से संबंधित समस्याएं होने लगती हैं. ऐसे में ब्रीदिंग एक्सरसाइज करना अच्छा विकल्प हो सकता है. रोजाना सांस लेने वाले एक्सरसाइज करने से कफ को संतुलित किया जा सकता है. आप हल्के योगमेडिटेशन और प्राणायाम भी कर सकते हैं.

(और पढ़ें - पित्त दोष क्या है और संतुलित करने के उपाय)

पैदल चलें

रात को खाना खाने के बाद कुछ देर टहलने की आदत जरूर डालनी चाहिए. रात को खाने के बाद हल्की सैर करने से पाचन तेज होता है.

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गर्म तासीर की चीजें खाएं

ठंड की वजह से कफ दोष बढ़ जाता है. ऐसे में कफ को संतुलित करने के लिए गर्म तासीर के खाद्य पदार्थों को डाइट में शामिल करना चाहिए. इसके लिए आप वेजिटेबल सूप व साग आदि का सेवन कर सकते हैं. इसके अलावा, साबुत अनाजअंडे, लो फैट पनीरज्वारचना, मसूर, करेला और बैंगन का सेवन भी किया जा सकता है. खाना बनाने के लिए सरसों या तिल का तेल उपयोग में लाया जा सकता है.

सुबह जल्दी उठें

कफ प्रधान वाले लोग आमतौर पर अधिक नींद लेते हैं. उनमें अधिक सोने की प्रवृत्ति होती है. ऐसे में कफ को संतुलित रखने के लिए सुबह जल्दी उठना चाहिए.

शरीर की मालिश करें

ठंड में कफ दोष बढ़ सकता है. ऐसे में शरीर में गर्मी लाने की जरूरत होती है. कफ को संतुलित करने के लिए नीलगिरी और अदरक जैसे तेलों से मालिश की जा सकती है. ऐसे में नहाने से पहले शरीर की मालिश जरूर करनी चाहिए. नहाने के लिए गर्म या गुनगुने पानी का उपयोग कर सकते हैं.

(और पढ़ें - कफ की आयुर्वेदिक दवा)

सोने का सही पैटर्न रखें

कफ को संतुलन में रखने के लिए हमेशा रात को 10 बजे से पहले सो जाना चाहिए. वहीं, सुबह सूर्योदय से पहले उठ जाना चाहिए. जल्दी सोने और उठने की आदत से व्यक्ति हमेशा स्वस्थ रह सकता है. रात को डिनर सोने से कम से कम 2 घंटे पहले कर लेना चाहिए. आप 7 बजे तक डिनर कर सकते हैं. दिन के समय सोने से बचना चाहिए.

शोधन कर्म

कफ दोष को शांत करने के लिए शोधन कर्म किया जा सकता है. इसमें वमन यानी उल्टी करवाई जाती है और अपशिष्ट पदार्थों को शरीर से बाहर निकाला जाता है.

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जब शरीर में कफ असंतुलित होता है, तो व्यक्ति को सांस से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं. इनसे बचने के लिए कफ को संतुलन में रखना जरूरी होता है. इसके लिए सही डाइट और लाइफस्टाइल को अपनाना चाहिए. कफ को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों का सेवन करने से बचना चाहिए. साथ ही ऐसी आदतें अपनानी चाहिए, जो कफ को संतुलित रखने में मदद करती हैं.

(और पढ़ें - कफ की होम्योपैथिक दवा)

Dr. Dhruviben C.Patel

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