आयुर्वेदिक डाइट खाने-पीने की आदत को संतुलित करने की एक पद्धति है. इसका पालन आज से नहीं, बल्कि हजारों वर्षों से किया जा रहा है. इस डाइट का मुख्य उद्देश्य शारीरिक ऊर्जा को बेहतर बनाकर संतुलित करना होता है. इतना ही नहीं इसे प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक संरचना व रोग के अनुसार तय किया जाता है कि किसे क्या खाना है और क्या नहीं. इसमें प्राकृतिक खाद्य पदार्थों को अधिक महत्व दिया जाता है.
आज इस लेख में आप आयुर्वेदिक डाइट के फायदों और नुकसान के बारे में विस्तार से जानेंगे -
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- आयुर्वेदिक डाइट क्या है?
- आयुर्वेदिक डाइट के फायदे
- आयुर्वेदिक डाइट के नुकसान
- दोष के अनुसार चुनें भोजन
- इन बातों का रखें ध्यान
- सारांश
आयुर्वेदिक डाइट क्या है?
आयुर्वेदिक डाइट आयुर्वेदिक चिकित्सा के सिद्धांतों पर आधारित है. इसमें तीनों दोषों के बीच संतुलन को बढ़ावा दिया जाता है. आयुर्वेदिक डाइट को शरीर के दोष के आधार पर तय किया जाता है. इसमें दोष के अनुसार देखा जाता है कि किसी व्यक्ति को कौन-से खाद्य पदार्थ खाने चाहिए और कौन-से नहीं. आयुर्वेदिक डाइट न सिर्फ स्वास्थ्य, बल्कि मस्तिष्क और मन के लिए भी अच्छी साबित हो सकती है.
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आयुर्वेदिक डाइट के फायदे
आयुर्वेद के अनुसार हमारा शरीर पांच तत्वों का निर्माण करता है. इसमें वायु, जल, आकाश, अग्नि और पृथ्वी शामिल हैं. ये सभी तत्व शरीर में वात, पित्त और कफ दोष का निर्माण करते हैं. पित्त दोष भूख, प्यास और शरीर के तापमान को नियंत्रित करता है. वात दोष इलेक्ट्रोलाइट संतुलन और गति को बनाए रखता है. वहीं, कफ दोष शारीरिक जोड़ों पर असर डालता है. अगर बात की जाए, आयुर्वेदिक डाइट को, तो इसे इन्हीं शारीरिक दोषों के आधार पर तय किया जाता है. ऐसे में आयुर्वेदिक डाइट लेने से कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं -
प्राकृतिक खाद्य पदार्थों को अहमियत
आयुर्वेदिक डाइट में प्रत्येक दोष के लिए विशिष्ट फल, सब्जियां, अनाज और दाल खाने की सलाह दी जाती है. ये सभी खाद्य पदार्थ स्वास्थ्य के लिए जरूरी होते हैं. ये विटामिन, मिनरल और प्रोटीन से भरपूर होते हैं. ये प्रोसेस्ड फूड की क्रेविंग को भी कम कर सकते हैं. दरअसल, प्रोसेस्ड फूड स्वास्थ्य के लिए नुकसानदायक होते हैं. इसलिए, आयुर्वेद में इन फूड्स से दूरी बनाने की सलाह दी जाती है. साथ ही प्राकृतिक खाद्य पदाथों को खाने की सलाह दी जाती है.
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वजन घटाने में मददगार
आयुर्वेदिक डाइट पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ खाने की सलाह देता है, जो वजन घटाने में मददगार साबित हो सकते हैं. एक रिसर्च में भी साबित हुआ है कि आयुर्वेदिक डाइट लेने से पित्त और कफ दोष वाले लगभग 200 लोगों का वजन कम हुआ है. इसके अलावा, लाइफस्टाइल में आयुर्वेदिक डाइट और योग शामिल करने से वेट लॉस तेजी से हो सकता है.
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तनाव व चिंता करे दूर
आयुर्वेदिक डाइट तनाव या चिंता को दूर करने में भी सहायक साबित हो सकता है. एक अध्ययन से पता चलता है कि आयुर्वेदिक डाइट लेने से वेट लॉस में मदद मिल सकती है. साथ ही तनाव, चिंता और अवसाद से भी छुटकारा मिल सकता है. आयुर्वेदिक डाइट लेने से मन खुश रहता है व व्यक्ति अच्छा महसूस करता है.
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आयुर्वेदिक डाइट के नुकसान
जहां एक तरफ आयुर्वेदिक डाइट लेने से स्वास्थ्य को कई लाभ मिलते हैं. वहीं इस डाइट के कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, जो इस प्रकार हैं -
पालन करने में मुश्किल
आयुर्वेदिक डाइट का पालन करना थोड़ा मुश्किल हो सकता है, क्योंकि इसमें प्रत्येक व्यक्ति की शारीरिक प्रकृति अलग होती है और उसी प्रकृति के अनुसार भोजन खाने की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही आयुर्वेदिक डाइट मौसम पर भी निर्भर करती है. आयुर्वेदिक डाइट को कब, कितनी बार खाना चाहिए, इसके बारे में भी अक्सर लोगों को जानकारी नहीं होती है. इसलिए, आयुर्वेदिक डाइट को फॉलो करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है. खासकर, उन लोगों के लिए जो आयुर्वेदिक डाइट लेने की शुरुआत करने वाले हैं.
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खाद्य पदार्थों से परहेज
आयुर्वेदिक डाइट में कुछ खाद्य पदार्थों को खाना होता है, तो वहीं कुछ से पूरी तरह से परहेज करना होता है. इस डाइट को शरीर की प्रकृति को ध्यान में रखकर ही लिया जाता है. अगर ऐसे खाद्य पदार्थों को खाया जाता है, जो दोष के विरुद्ध हैं, तो इससे रोग पैदा हो सकते हैं. आयुर्वेद में मांस व शराब पूरी तरह से न लेने की सलाह दी जाती है.
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दोष के अनुसार चुनें भोजन
आयुर्वेद में तीन तरह के दोष माने गए हैं वात, पित्त व कफ और आयुर्वेद में इसी के अनुसार डाइट को तय किया जाता है. आइए, जानते हैं कि इन दोषों के तहत क्या-क्या खाया जा सकता है -
पित्त
- डेयरी - दूध, घी और मक्खन
- फल - मीठे और पके हुए फल, जैसे - संतरे, नाशपाती, अनानास, केला व खरबूजे
- सब्जियां - फूलगोभी, अजवाइन, ककड़ी, तोरई, पत्तेदार साग, शकरकंद और गाजर
- दाल - मूंग, चना और बीन्स
- अनाज - जौ, जई, चावल, गेहूं
- नट और सीड्स - भिगोए हुए बादाम, कद्दू के बीज, सूरजमुखी के बीज
- मसाले - थोड़ी मात्रा में काली मिर्च, जीरा, दालचीनी और हल्दी
वात
- डेयरी - दूध, मक्खन, दही, पनीर और घी
- फल - केला, ब्लूबेरी, स्ट्रॉबेरी, अंगूर, आम व आड़ू
- सब्जियां - बीट्स, शकरकंद, प्याज, मूली, शलजम, गाजर और हरी बीन्स
- दाल - चना और मूंग दाल
- अनाज - पके हुए जई और चावल
- नट और सीड्स - बादाम, अखरोट, पिस्ता, चिया बीज और सूरजमुखी के बीज
- मसाले - इलायची, अदरक, जीरा, तुलसी, लौंग, अजवाइन और काली मिर्च
कफ
- डेयरी - बकरी का दूध और सोया मिल्क
- फल - सेब, ब्लूबेरी, नाशपाती, अनार और चेरी
- सीड्स - सूरजमुखी, चिया और कद्दू के बीज
- नट्स - किशमिश और अंजीर
- सब्जियां - पत्तेदार साग, प्याज, आलू, मशरूम, मूली और भिंडी
- फलियां - काली बीन्स, छोले, दाल और नेवी बीन्स
- अनाज - जई, राई, जौ, मक्का और बाजरा
- मसाले - जीरा, काली मिर्च, हल्दी, अदरक, दालचीनी, तुलसी व अजवाइन
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इन बातों का रखें ध्यान
आयुर्वेदिक डाइट को लेते समय कुछ बातों पर ध्यान देने की जरूरत होती है, जिसके बारे में नीचे बताया गया है -
- पित्त दोष में ठंडे और मीठे खाद्य पदाथ खाने चाहिए. वहीं मसालेदार, नट्स और बीजों का सेवन नहीं करना चाहिए.
- वात दोष में सूखे मेवे और कच्ची सब्जियों से परहेज करें. वहीं, गर्म खाद्य पदार्थों का सेवन करें.
- कफ दोष में फलों, सब्जियों और फलियों का सेवन करें और नट्स, बीज व ऑयल का उपयोग कम करें.
- रेड मीट, आर्टिफिशियल मिठास और प्रोसेस्ड फूड्स को तीनों दोषों में परहेज करना चाहिए. आयुर्वेदिक डाइट हेल्दी फूड्स लेने की सलाह देता है.
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सारांश
आयुर्वेद में सबसे पहले शरीर की वात, पित्त और कफ की प्रकृति की जांच की जाती है. इसी के आधार पर आयुर्वेदिक डाइट बनाकर दी जाती है. आयुर्वेदिक डाइट में कुछ खास खाद्य पदार्थों को खाने की सलाह दी जाती है, तो कुछ से परहेज करना होता है. आप भी शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए डॉक्टर की सलाह पर आयुर्वेदिक डाइट ले सकते हैं.
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