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खांसी, जिसे मेडिकल भाषा में ट्यूसिस (Tussis) कहा जाता है, अचानक से असर करने वाला एक रिफ्लेक्स है। इसका उद्देश्य बाहरी सूक्ष्मजीवों, रोगाणुओं, जलन, तरल पदार्थ और बलगम को हमारे श्वसन नली और गले में से साफ करना होता है। ये फेफेड़ों से हवा का तेज़ी से निष्कासन करती है।

खांसी जानबूझकर या बिना इच्छा के हो सकती है। हालांकि खांसी एक गंभीर बीमारी का संकेत भी है, खांसी के अधिकतर के मामलों में दवा लेने की जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि अमूमन पर खांसी अपने आप ही ठीक हो जाती है।

खांसी क्या है?

खांसने  के मुख्य रूप से तीन चरण हैं:

  1. सांस लेना। 
  2. स्वर तंत्र के बंद होने पर गले और फेफेड़ों में दबाव बढ़ जाना।
  3. स्वर तंत्र के खुलने पर मुंह से तेजी से हवा का बाहर निकलना, खांसी के लिए विशेष संकेत देता है।

यदि कोई खांसी से बहुत ज़्यादा ग्रसित है, तो ये किसी बिमारी का संकेत हो सकता है। अधिकतर खांसी संक्रमित रोगों से होती है, जैसे सामान्य सर्दी जुकाम। खांसी संक्रमण रोगों के बिना भी हो सकती है।

आमतौर पर खांसी प्रदूषण, गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिज़ीज़ (गर्ड), दम घुटना, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, अस्थमा, फेफेडों में ट्यूमर, दिल का दौरा पड़ना, पोस्ट नेजल ड्रिप, धूम्रपान और कुछ दवाईयां जैसे एस इनहिबिटर्स (ACE inhibitors) इन सब स्थितियों के कारण फैलती है।

डॉक्टर खांसी के इलाज के लिए खांसी के कारण पर ध्यान देते हैं। उदाहरण के लिए यदि एस इनहिबिटर्स की वजह से हुई है, तो इसे बंद किया जा सकता है। अक्सर लोग कोडाइन, डिस्ट्रोमेथार्फ़न और अन्य खांसी को कम करने वाली दवाई प्रयोग करते हैं। हालांकि खांसी की दवाईयों पर बहुत अधिक शोध नहीं हुआ है कि ये खांसी के लक्षण को कितना कम कर सकती हैं।

खांसी के प्रकार - Types of Cough in Hindi

खांसी कितने प्रकार की होती है?

  1. एक्यूट खांसी – ये खांसी अचानक होती है और इसका प्रभाव 3 सप्ताह तक बना रहता है।
  2. सब-एक्यूट खांसी – ये खांसी 3 से 8 सप्ताह तक बनी रहती है।
  3. क्रोनिक (पुरानी) खांसी – इस खांसी का प्रभाव 8 सप्ताह तक बना रहता है।
  4. बलगम वाली खांसी – इस खांसी में थूक और बलगम निकलता है।
  5. सूखी खांसी – सूखी खांसी में मुंह सूखा रहता है। इसमें थूक या बलगम नहीं आता है।
  6. रात में होने वाली खांसी – इस प्रकार की खांसी केवल रात के समय ही होती है।

(और पढ़ें - काली खांसी)

खांसी के लक्षण - Cough Symptoms in Hindi

खांसी के लक्षण व संकेत

खांसी के लक्षण व संकेत दोनों ही खांसी के कारण पर निर्भर करते हैं। विभिन्न कारणों से होने वाली खांसी के अलग-अलग लक्षण हो सकते हैं, लेकिन कई करणों के लक्षण सामान्य होते हैं (जैसे कि क्रोनिक खांसी के मामले में)।

एक्यूट खांसी के लक्षण

इस खांसी के लक्षण व संकेत नीचे दिए गए हैं। तीव्र खांसी को संक्रामक और गैर-संक्रामक दो कारणों में विभाजित किया गया है।

  1. तेज खांसी के लक्षण जो किसी संक्रमण की ओर संकेत करते हैं, वो इस प्रकार हैं - बुखार, ठंड लगना, बदन दर्द, गले में खराश, मतली, उल्टी, सिरदर्द, साइनस में दबाव, नाक बहना, रात में पसीना आना और पोस्टनेजल ड्रिप आदि। कभी-कभी ये बलगम और कफ संक्रमण की उपस्थिति को दर्शाते हैं, लेकिन ये गैर-संक्रामक कारणों को भी दर्शाते हैं।
  2. इस खांसी के लक्षण जो किसी असंक्रामक कारण की ओर संकेत करते हैं, वो इस प्रकार हैं - जब कोई व्यक्ति किसी ऐसे वातारवरण में जाता है जहां कैमिकल या सांस लेने में तकलीफ पैदा करने वाले पदार्थ हों, और वहां पर उसे खांसी होने लगे, तो यह असंक्रामक कारण का संकेत है। अगर खांसी को इनहेलर्स या एलर्जी जैसी दवाईयों का प्रयोग करके कम किया जा सकता है, तो यह भी असंक्रामक कारण का संकेत है।

क्रोनिक खांसी के लक्षण

क्रोनिक खांसी के लक्षण और संकेत को सही तरीके से जांचना डॉक्टर के लिए बेहद मुश्किल हो सकता है, क्योंकि क्रोनिक खांसी के कई कारणों के लक्षण व संकेत एक समान ही होते हैं।

  1. यदि खांसी वातावरण में उत्तेजक पदार्थ की वजह से हुई है, तो ये तब बढ़ सकती है जब आप आपत्तिजनक या ख़राब कारकों के संपर्क में आते हैं। यदि किसी व्यक्ति को वातावरण में किसी पदार्थ से एलर्जी है, तो एलर्जी की दवाइयां खाकर खांसी में सुधार किया जा सकता है।
  2. यदि खांसी धूम्रपान की वजह से है, तो धूम्रपान को कम करके खांसी में सुधार लाया जा सकता है और यदि धूम्रपान अधिक करते हैं तो खांसी और भी बढ़ सकती है।
  3. यदि किसी व्यक्ति को लंबे समय से फेफेड़ों की कोई बिमारी है, जैसे अस्थमा या क्रोनिक ब्रोंकाइटिस, उसके लिए कुछ स्थान या गतिविधियों का संपर्क उनके लक्षणों को बढ़ा सकता है। ऐसी खाँसी में ज़रूरी नहीं है की खाँसी के साथ बलगाम भी आए।
  4. अगर खांसी लंबे समय से हो रहे साइनस संक्रमण, बहती नाक या पोस्‍ट नेसल ड्रिप (बलगम के गले के पीछे की ओर बढ़ना) की वजह से होती है तो इन रोगों के लक्षण भी व्‍यक्‍ति में देखने को मिलते हैं। इन रोगों के बढ़ने पर खांसी की समस्‍या भी बढ़ने लगती है एवं इनका इलाज करने पर खांसी से भी राहत मिलने लगती है।
  5. यदि कोई व्यक्ति ऐस इन्हिबिटर्स जैसी दवाईयों ले रहा हो, तो खांसी उन दवा को शुरू करने पर हो सकती है या फिर उन दवा के इस्तेमाल के दौरान हो सकती है। जब इन दवाईयों को लेना बंद कर दिया जाता है तो खांसी अपने आप ठीक हो जाती है।
  6. जो खांसी गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिज़ीज़ से संबंधित होती है इसमें अक्सर सीने में जलन होती है। इस प्रकार की खांसी दिन के दौरान या जब हम पीठ के बल लेटे होते हैं, उस समय तेज हो जाती है। गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिज़ीज़ के मरीजों में से कुछ लोगों को रिफ्लक्स के लक्षण नहीं दिखते पर उन्हे फिर भी खांसी हो सकती है। हालाँकि ऐसे ज्यादातर लोग अपनी खांसी में सुधार महसूस करते हैं जब उनका इलाज गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिज़ीज़ के लिए किया जाता है।
  7. यदि खांसी से किसी व्यक्ति में कैंसर के शुरूआती चेतावनी संकेत मिल रहे हैं, तो हो सकता है कि उस व्यक्ति में एक साथ कई लक्षण हों। यदि किसी व्यक्ति को फेफड़ों का कैंसर है, तो उस व्यक्ति को खांसी के दौरान खून आ सकता है। इसके अलावा कुछ अन्य लक्षण या संकेत जो कैंसर होने पर महसूस हो सकते हैं, वो इस प्रकार हैं - थकान, भूख कम लगना, वजन कम होना और उसके कोई ठोस कारण ना पता चल पाना, ठोस या तरल पदार्थों को निगलने की क्षमता कम होना आदि।

खांसी के कारण - Cough Causes in Hindi

खांसी क्यों होती है?

ज़्यादातर खांसी वायरस के कारण होती हैं और इलाज के बिना ही ठीक हो जाती है।

एक्यूट खांसी के कारण

इस प्रकार की खांसी में ज़्यादातर संक्रमण ऊपरी श्वसन नली और गले को प्रभावित करती है। इसे यूआरटीआई (ऊपरी श्वसन तंत्र के संक्रमण) के नाम से भी जाना जाता है। उदाहरण – फ्लू, सामान्य जुकाम, लेरिन्जाइटिस आदि।

यदि हमको एलआरटीआई (निचले श्वसन तंत्र के संक्रमण) है, तो हमारे श्वसन नली और फेफड़ों में संक्रमण है। उदाहरण के लिए - ब्रोंकाइटिस और निमोनिया आदि शामिल हैं।

परागज ज्वर या बुखार की वजह से भी खांसी हो सकती है।

क्रोनिक खांसी के कारण

जीर्ण खांसी के कारण का पता लगाने के लिए इनको पांच भागों में विभाजित किया गया है -

  1. पर्यावरण में मौजूद कुछ चीज़ों से परेशानी
  2. फेफड़ों से सम्बंधित समस्याएं
  3. फेफेड़ों से वातावरण तक हवा पहुँचाने वाले मार्ग में दिक्कत
  4. फेफेड़ों से बाहर छाती के भीतर की गुहा की समस्या
  5. पाचन संबंधी कारण

जीर्ण खांसी  के कारण इस प्रकार हैं - 

  1. धूम्रपान 
  2. गर्ड
  3. सीओपीडी (क्रोनिक अब्स्ट्रक्टिव पल्मनेरी डिज़ीज़)
  4. अस्थमा
  5. कुछ दवाएं जैसे कि ऐस इन्हिबिटर्स

कोई भी ऐसा पदार्थ जिससे हमें परेशानी होती है, अगर वो हवा में हो और साँस लेने पर लगातार हमारे फेफड़ों में जाता है, तो ऐसा होने से हमें क्रोनिक खांसी हो सकती है। सिगरेट का धुआं क्रोनिक खांसी का सबसे सामान्य कारण है। धूल, पालतू जानवरों की रूसी, छोटे कण, औद्योगिक कैमिकल, प्रदूषण, सिगरेट और पाइप स्मोक इन सब की वजह से भी हमें क्रोनिक खांसी हो सकती है।

बच्चों में क्रोनिक खांसी अक्सर अस्थमा की वजह से होती है। इसके अलावा गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिज़ीज़ में भी बच्चों को खांसी हो सकती है।

टीबी, फेफेड़ों में फंगल संक्रमण, या फेंफेडों का कैंसर भी क्रोनिक खांसी के कारण हो सकते हैं, पर ऐसा बहुत कम होता है। 

खांसी से बचाव - Prevention of Cough in Hindi

खांसी की रोकथाम किस प्रकार करें

खांसी पर रोकथाम के लिए हम उन परस्तितियों से परहेज कर सकते हैं जिनसे खांसी होने का खतरा होता है। हालांकि खांसी को रोकने के लिए कोई निश्चित तरीक़ा नहीं है। खांसी होने जोखिम को कम करने के लिए कुछ तरीके इस प्रकार हैं -

  1. फ्लू और जुकाम के मौसम में बार-बार हाथ धोएं, ये वायरस को फैलने से रोकता है, जो कि जुकाम और इंफ्लुएंजा के कारण बनते हैं।
  2. जितना हो सके उन लोगों से बचें जो लोग इंफ्लुएंजा और जुकाम से संक्रमित हैं।
  3. धूम्रपान न करें और तंबाकू के किसी भी प्रकार के उत्पाद का सेवन न करें। खांसी के दौरान धूम्रपान करने से हमारे फेफेड़ों में लगातार जलन होती है।
  4. घर और कार्यस्थल दोनों जगहों में इसका ख़ास ध्यान रखें, यदि कोई धूम्रपान करता है, तो धूम्रपान करते समय उसके आप-पास न रहें, क्योंकि इससे दूसरा व्यक्ति भी उतना ही प्रभावित होता है। 
  5. तरल पदार्थ का अधिक से अधिक सेवन करें, क्योंकि ये हमारे गले में बनने वाले बलगम को पतला करन में मदद करता है। साथ ही ये हमारे शरीर में पानी की मात्रा को बनाए रखता है।
  6. हर साल इन्फ्लुएंजा वैक्सीन (फ्लू टीका) लगवाएं।
  7. यदि आपकी उम्र 65 से अधिक है या आप लंबे समय से फेफेंड़ो से संबंधित बीमारी से ग्रसित हैं जैसे अस्थामा, सीओपीडी तो न्यूमोकॉकल वैक्सीन ज़रूर लगवाएं। यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपको स्वास्थ्य से संबंधित कोई जोखिम है, तो इन हालातों में आपके खांसी के लक्षण की गंभीरता और भी बढ़ सकती है।
  8. यह सुनिश्चित कर लें कि वर्तमान में आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत है या नहीं, यदि हमारी रोग प्रतिरोधक क्षमता मज़बूत हैं तो कुकुर खांसी या काली खांसी के जोखिम को हम कम कर सकते हैं।
  9. गैस्ट्रोएसोफैगेल रीफ्लक्स डिज़ीज़ जैसे रोगों की रोकथाम के लिए मरीज अपने आहार में परिवर्तन करें। बिस्तर के ऊपरी और ऊंचे भाग की तरफ सिर करके सोएं व सभी दवाओं का निर्धारित रूप से सेवन करें।
  10. यदि कोई व्यक्ति, लंबे समस से ग्रसित फेफेड़ों की बिमारी के लिए दवा ले रहा है, तो डॉक्टर द्वारा निर्धारित नियमों का पूर्ण रूप से पालन करना ही उसके बचाव का सबसे बेहतर तरीका है।

खांसी का परीक्षण - Diagnosis of Cough in Hindi

खांसी की जांच कैसे की जाती है?

यदि डॉक्टर आपको बताते हैं कि खांसी सामान्य जुकाम या फ्लू की वजह से हुई है, तो इस स्थिति में आप आराम करें, अधिक मात्रा में तरल पदार्थ का सेवन करें और इसे कुछ दिनों तक जारी रखें। अधिकतर मामलों में इस तरह की खांसी 1 से 2 सप्ताह में ठीक हो जाती है।

अगर खांसी वायरल संक्रमण से हुई है, तो ये खांसी 2 हफ्ते से भी ज़्यादा समय तक रह सकती है। इस तरह की खांसी के लिए डॉक्टर को ज़रूर दिखाएं।

डॉक्टर निदान के लिए कुछ टेस्ट करने की सलाह दे सकते हैं जैसे छाती का एक्स-रे, आपके बलगम के सैंपल को प्रयोगशाला में भेज सकते हैं, ये पता लगाने के लिए कि संक्रमण का कारण क्या है।

शायद डॉक्टर मरीज को श्वसन विशेषज्ञ से मिलने की सलाह दे सकते हैं।

खांसी का इलाज - Cough Treatment in Hindi

खांसी होने पर कब डॉक्टर से सलाह लेना ज़रूरी है

यदि किसी व्यक्ति में बिना सुधार के 3 सप्ताह तक खांसी लगातार जारी है, तो इस हालात में आप डॉक्टर से सलाह ज़रूर लें। अधिकतर मामलों में खांसी कोई गंभीर समस्या नही है। हालांकि कुछ दुर्लभ मामलों में लंबे समय से चल रही खांसी फेफेड़ों का कैंसर या हृदय गति का रुकना जैसे बिमारियों का लक्षण हो सकती है।

डॉक्टर से सलाह लेने के अन्य कारणों में निन्म स्थितियां शामिल हैं -

  1. खांसी का बढ़ना
  2. गर्दन के आस-पास सूजन व गांठ हो जाना
  3. वजन घटना
  4. गंभीर रूप से खांसी होना
  5. खांसी के साथ खून का आना
  6. सांस लेने में परेशानी
  7. सीने में दर्द
  8. बुखार जो कि काफी समय से ठीक नहीं हो रहा है

खांसी के लिए इलाज

वायरल संक्रमण से होने वाले खांसी का सबसे बेहतर तरीक़ा है, कि इसे प्रतिरक्षा प्रणाली पर ही छोड़ दें। आमतौर पर इस प्रकार की खांसी अपने आप ठीक हो जाती है। इंग्लैंड की "नेशनल हेल्थ सर्विस" के अनुसार शहद और नींबू खांसी का एक अच्छा घरेलू उपचार हैं - यहाँ तक कि कई खाँसी की ओटीसी दवा (बिना डॉक्टर के पर्चे के मिलने वाली दवा) से भी बेहतर है।

खांसी के उपचार या इलाज का मुख्य उद्देश्य रोगी को बेहतर महसूस कराना होता है। सामान्य तौर पर खांसी के समय को कम नहीं किया जा सकता है।

खांसी के कुछ उपचार इस प्रकार हैं - 

  • शहद – यह गले पर परत बना देता है, जिससे गले में जलन और खांसी कम हो जाती है। शहद राहत देने वाली एक प्रकार की औषधि है।
  • खांसी की दवाएं – खांसी के कुछ लक्षणों में दवाई मदद कर सकती हैं, जैसे कि बुखार या नाक बंद होना। हालांकि ऐसा प्रमाणित नहीं है जिससे ये कहा जाए, कि खांसी की दवाई लेने से बहुत कम समय में खांसी ठीक हो जाएगी।
  • छोटे बच्चों को ओटीसी दवा देने से पहले डॉक्टर से ज़रूर सलाह लें, खांसी की दवाईयों में कुछ ऐसे भी तत्व होते हैं जो छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित नहीं होते हैं।
  • खांसी को कम करने वाली दवाएं – खांसी को कम करने वाली दवाएं केवल सूखी खांसी के उपचार के लिए होती हैं। उदाहरण के लिए फोल्कोडाइन (pholcodine), डिस्ट्रोमाथार्फ़न (dextromethorphan) और एंटीहिस्टामाइन (antihistamine) आदि।
  • कफ निस्सारक (बलगम दूर करने वाली) – ये खांसी के दौरान श्वासनली, ब्रांकाई और फेफेड़ों से बलगम को निकालने में मदद करते हैं। उदाहरण के लिए गुइफेनिसिन (Guaifenesin) जो बलगम को पतला करता है और हमारे श्वासन नली को चिकनापन भी मिलता है, जिससे वायुमार्ग के द्वारा बलगम को निकलने में मदद मिलती है।  
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खांसी की सबसे अच्छी दवा कौन सी है? - What is the best medicine for cough in Hindi

खांसी घरेलू या प्राकृतिक उपचार से भी ठीक हो सकती है. 

कपूर और मेन्थॉल प्राकृतिक उपचार हैं. वह आमतौर पर एक मलहम में आते हैं जिसे आप अपने गले और छाती पर रगड़ते हैं. उनकी तेज महक वाली भाप आपकी खांसी को कम कर सकती है. आप उन्हें वेपोराइज़र (घर में भाप बनाने वाला उपकरण) में डाल कर तरल रूप में भी इस्तेमाल कर सकते हैं.

अगर अलोपैथिक दावा लेने चाहते हैं तो इसमें तीन प्रकार की दवाएं सर्दी या ब्रोंकाइटिस के कारण होने वाली खांसी को कम कर सकती हैं. ये हैं - सप्रेसेंट्स, एक्सपेक्टोरेंट, और टोपिकल मलहम (यानी जिसे आप अपनी त्वचा पर लगाते हैं). 

सप्रेसेंट्स आपके कफ रिफ्लेक्स को ब्लॉक करके अपना काम करता है. बलगम वाली खांसी के इलाज के लिए इस प्रकार की दवा का उपयोग नहीं किया जाता है. आपको इसमें डॉक्टर की सलाह की आवश्यकता होगी.

Siddhartha Vatsa

सामान्य चिकित्सा
3 वर्षों का अनुभव

Dr. Harshvardhan Deshpande

सामान्य चिकित्सा
13 वर्षों का अनुभव

Dr. Supriya Shirish

सामान्य चिकित्सा
20 वर्षों का अनुभव

Dr. Priyanka Rana

सामान्य चिकित्सा
2 वर्षों का अनुभव

खांसी की दवा - OTC medicines for Cough in Hindi

खांसी के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

OTC Medicine NamePack SizePrice (Rs.)
Kaphaja Respiratory Support Capsule By Myupchar Ayurvedaएक बोतल में 60 कैप्सूल719.0
Kaphaja Vaporizing Chest Rub By Myupchar Ayurvedaएक बोतल में 50 ml बाम224.0
Kerala Ayurveda Vasarishtamएक बोतल में 450 ml सिरप200.0
SBL Nux moschata Dilution 30 CHएक बोतल में 30 ml डाइल्यूशन90.0
Phensedyl LR Suspensionएक बोतल में 100 ml सस्पेंशन110.5
Baksons B1 Influenza & Fever Dropएक बोतल में 30 ml ड्रौप180.0
Brozeet Ls Plus Syrupएक बोतल में 100 ml सिरप112.95
Chericof LS Syrupएक बोतल में 100 ml सिरप93.1
Bro Zedex LS Oral Dropsएक बोतल में 15 ml ड्रौप64.3
Allen A91 Uterine Fibroids Dropएक बोतल में 30 ml ड्रौप156.0

खांसी से जुड़े सवाल और जवाब

सवाल 4 साल से अधिक पहले

क्या खांसी एक या दो दिन में ठीक हो सकती है? खांसी में कौन-सी दवा लेनी चाहिए? क्या बीटाडीन ले सकते हैं?

Dr. Anand Singh MBBS , सामान्य चिकित्सा

जी नहीं, आप खांसी में बीटाडीन न लें। खांसी लंबे समय तक रह सकती है, लेकिन दवा से खांसी को कम करने में मदद मिल सकती है। सबसे पहले आप ईएनटी स्पेशलिस्ट से मिलें और उनकी सलाह से गले की जांच करवा लें, रिपोर्ट के बाद ही वह आपको इसके लिए सही दवा देंगे। आप खुद से कोई भी दवा न लें।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मुझे एक हफ्ते से गंभीर खांसी और गले में खराश हो रही है। इसके लिए मुझे कोई दवा बताएं?

Dr. Abhijit MBBS , सामान्य चिकित्सा

आपको खांसी अधिक हो रही है और साथ ही में गले में खराश भी हो रही है, तो आप ईएनटी डॉक्टर या पुलमोनोलॉजिस्ट से मिलकर अपनी जांच करवा लें।

 

सवाल लगभग 4 साल पहले

मुझे पिछले तीन महीने से खांसी हो रही है। खांसी के साथ हल्का बलगम और गले में खराश भी होती है। मैं कफ सिरप ले रहा हूं, लेकिन मुझे इससे आराम नहीं मिल रहा है। मैं क्या करूं?

Dr. K. M. Bhatt MBBS, PG Dip , कार्डियोलॉजी, पीडियाट्रिक, सामान्य शल्यचिकित्सा, सामान्य चिकित्सा, आकस्मिक चिकित्सा, भौतिक चिकित्सक

आपको तीन महीने से खांसी हो रही है और साथ में बलगम भी आ रहा है, तो आप ईएनटी स्पेशलिस्ट से मिलकर अपनी टीबी की जांच करवा लें। तीन हफ्ते से ज्यादा समय तक खांसी होने पर टीबी का खतरा रहता है। इसलिए आपको एक बार डॉक्टर से मिलकर टीबी की जांच करवा लेनी चाहिए।

सवाल लगभग 4 साल पहले

मुझे पिछले दो हफ्ते से खांसी और गले में खराश की समस्या है। पिछले हफ्ते मैं ईएनटी डॉक्टर के पास गया था, उन्होंने मुझे एंटीबायोटिक दवा का 5 दिन का कोर्स दिया था जो कि पूरा हो चुका है। पहले मुझे खांसी के साथ पीले रंग का बलगम आता था, लेकिन अब सिर्फ खांसी हो रही है और कभी-कभी बलगम भी आता है। मुझे गले में खराश और खाना निगलने में दिक्कत होती है। मैं कभी-कभी सिगरेट भी पीता हूं। मुझे क्या करना चाहिए?

Dr. Saurabh Shakya MBBS , सामान्य चिकित्सा

सबसे पहले आप स्मोकिंग करना छोड़ दें। इससे गले में खराश और ये लक्षण बढ़ सकते हैं। आप अपने गले में नमी बनाए रखने के लिए अधिक मात्रा में पानी पिएं, खाने में नरम और हल्की चीजें खाएं, कैफीन मुक्त चाय पिएं, गर्म पानी में शहद डालकर पिएं और गर्म पानी में नमक डालकर गरारा करें। इसी के साथ गले में खराश को कम करने वाली दवा भी लें।

खांसी के प्रकार

Dr. Nadheer K M (AIIMS)
MBBS
3 वर्षों का अनुभव
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