जब भी हम पूजा-पाठ के दौरान ईश्वर को भोग लगाने के लिए कोई भोजन बनाते हैं तो वह पूरी तरह से सात्विक भोजन होता है। आपने कई लोगों को कहते सुना होगा कि सात्विक भोजन ही शरीर के लिए बेस्ट और भारतीय परंपरा में काफी अहम भी माना जाता है। दरअसल, आहार 3 प्रकार का होता है- सात्विक, तामसिक और राजसिक। आयुर्वेद और योग साहित्य में सुझाए गए खाद्य पदार्थों पर आधारित, ताजा, हल्की चिकनाई वाला, शाकाहारी और पौष्टिक भोजन को सात्विक भोजन कहते हैं। दूसरों शब्दों में कहें तो सात्विक भोजन वह जो शरीर को शुद्ध करता है और मन को शांति देता है। 

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दरअसल, सात्विक संस्कृत शब्द "सत्व" से लिया गया है। सत्व भारतीय योग दर्शन की एक अवधारणा है जिसका मतलब है शुद्ध, सच्चा, नैतिक, ऊर्जावान, स्वच्छ, मजबूत, बुद्धिमान और जीवित या अति आवश्यक। इस प्रकार, सात्विक आहार में उन खाद्य पदार्थों को शामिल किया जाता है जो इसके अर्थ का अनुपालन करते हैं। सात्विक भोजन का अर्थ सिर्फ उसमें शामिल खाद्य पदार्थों तक सीमित नहीं है बल्कि इसका अर्थ खाने की आदतों से भी जुड़ा है जैसे- संयम में रहकर खाने की आदत और अधिक खाने से बचना।

आयुर्वेद के मुताबिक, सात्विक भोजन या आहार का सेवन करना इसलिए भी जरूरी है ताकि शरीर और मन के बीच के स्वस्थ संतुलन को बनाए रखने में मदद मिल सके। तो आखिर सात्विक भोजन क्या है और इसे खाने से शरीर को कौन-कौन से फायदे होते हैं इस बारे में हम आपको इस आर्टिकल में बता रहे हैं।

  1. सात्विक भोजन क्या है? - What is sattvic food in hindi?
  2. सात्विक भोजन के फायदे - Benefits of sattvic food in hindi
  3. सात्विक भोजन में क्या-क्या खा सकते हैं? - Sattvic bhojan me kya khaye?
  4. सात्विक भोजन में क्या नहीं खा सकते? - Sattvic bhojan me kya na khaye?
  5. सात्विक भोजन में इन बातों का ध्यान रखें - Sattvic bhojan ki jaruri baatein

सात्विक भोजन या सात्विक डायट फाइबर से भरपूर, लो फैट वाला शाकाहारी आहार है। जैसा की हमने पहले ही बताया कि भोजन 3 प्रकार का होता है- सात्विक, तामसिक और राजसिक। सात्विक का अर्थ होता है शुद्ध तत्व वाला यानी जिसमें शुद्धता के गुण हों। सात्विक भोजन शुद्ध और संतुलित होता है जिससे शांति, शीतलता, खुशी और मानसिक स्पष्टता महसूस होती है। राजसिक भोजन बहुत ज्यादा उत्तेजित करने वाला और तामसिक भोजन कमजोरी और आलस्य बढ़ाने वाला माना जाता है।

इन तीनों प्रकार के भोजन में सात्विक भोजन को भी सबसे पौष्टिक और पोषक तत्वों से भरपूर माना जाता है। आयुर्वेद की मानें तो अगर आप शारीरिक मजबूती, मानसिक सेहत और लंबी आयु को बढ़ावा देना चाहते हैं तो सात्विक भोजन का ही सेवन करें। ऐसा इसलिए क्योंकि सात्विक भोजन में ताजी चीजें शामिल होती हैं जैसे- मौसमी फल और सब्जियां (प्याज और लहसुन को छोड़कर), दूध और दूध से बने उत्पाद, अंकुरित साबुत अनाज, ताजे फलों का जूस, दालें, ड्राई फ्रूट्स, सूखे मेवे और बीज, शहद और जड़ी बूटियों से भरपूर चाय। आयुर्वेद में भी राजसिक और तामसिक भोजन की जगह सात्विक भोजन ही करने का सुझाव दिया गया है।

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सात्विक भोजन करते वक्त पशुओं से प्राप्त होने वाला प्रोटीन (ऐनिमल प्रोटीन), बहुत ज्यादा तली-भुनी चीजें, कैफीन, चीनी, इस तरह के खाद्य पदार्थों का सेवन न करने की सलाह दी जाती है। बहुत से लोगों को लगता है सात्विक भोजन में सिर्फ कच्ची और बिना पका भोजन ही खाया जाता है लेकिन ये सच नहीं है। सात्विक डायट में कच्चा और पका हुआ दोनों तरह का भोजन शामिल होता है। सभी तरह के प्रोसेस्ड यानी परिष्कृत भोजन, बासी भोजन, बहुत ज्यादा पके हुए और बहुत ज्यादा मसालेदार भोजन को तामसिक भोजन की कैटिगरी में रखा जाता है।

सात्विक भोजन या सात्विक आहार में पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थ शामिल होते हैं और इसमें प्रोसेस्ड फूड्स की कोई जगह नहीं होती। यही वजह है कि यह सेहत के लिए कई तरह से फायदेमंद है:

बीमारियों का खतरा होगा कम - Bimariyan rahegi door

हालांकि अब तक खासतौर पर सात्विक भोजन को लेकर कोई रिसर्च नहीं की गई है, लेकिन यह बात तो हम सभी जानते हैं कि अगर हम साबुत अनाज और पोषक तत्वों से भरपूर चीजों का सेवन करें तो लंबे समय तक रहने वाली कई बीमारियों जैसे- डायबिटीज, हृदय रोग और कई तरह के कैंसर का खतरा भी काफी हद तक कम हो जाता है। खासकर शाकाहारी भोजन तो कई तरह की बीमारियों से बचाने में फायदेमंद साबित हो सकता है।

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उदाहरण के लिए- शाकाहारी भोजन का सेवन करने से हृदय रोग से जुड़े जोखिम कारक जैसे- हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल जैसे जोखिम कारकों को नियंत्रित रखने में मदद मिलती है। सात्विक भोजन में दालें और फलियां, सब्जियां, फल, मेवा आदि का सेवन किया जाता है जिससे कई तरह की बीमारियों का खतरा और समय से पहले मौत का खतरा भी अपने आप ही कम हो जाता है।

विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है
सात्विक आहार मांस, प्रोसेस्ड फूड्स, बहुत अधिक नमक, कैफीन और मसालेदार भोजन जैसे खाद्य पदार्थों को प्रतिबंधित करता है। इन खाद्य पदार्थों को प्रतिबंधित करने से लिवर पर काम का बोझ कम होता है और इस तरह यह विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने का काम अच्छे से करता है।

वजन घटाने में मददगार - Weight loss me hogi help

सात्विक भोजन फाइबर और प्लांट बेस्ड फूड से भरपूर होता है, सात्विक आहार मुख्य रूप से एक शाकाहारी भोजन है, फाइबर में उच्च खाद्य पदार्थ संतृप्ति की भावना को बढ़ाकर वजन घटाने में भी मदद मिलती है। इस बारे में अब तक हो चुके कई अध्ययनों में यह बात सामने आयी है कि जो लोग शाकाहारी भोजन का सेवन करते हैं उनका बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और बॉडी फैट दोनों मांसाहारी लोगों की तुलना में कम होता है। इतना ही नहीं जिन लोगों का वजन अधिक है (ओवरवेट) वे भी अगर शाकाहारी भोजन का सेवन करें तो उनका भी वजन घटने लगता है। ऐसा इसलिए क्योंकि सात्विक शाकाहारी भोजन में कैलोरी की मात्रा कम होती है और फाइबर की अधिकता।

मानसिक स्वास्थ्य भी बना रहता है - Mental health ke liye faydemand

सात्विक भोजन का सेवन करने से न सिर्फ आप शारीरिक रूप से स्वस्थ रहते हैं बल्कि मानसिक रूप से भी चुस्त और स्फूर्तिदायक बने रहते हैं। सात्विक भोजन का सेवन करने से शरीर, मन और अन्तर्आत्मा के बीच एक संतुलन बना रहता है जिससे व्यक्ति की उम्र लंबी होती है।

सात्विक आहार में अश्वगंधा, ब्राह्मी जैसी फायदेमंद जड़ी बूटियों का सेवन भी शामिल है। ये जड़ी-बूटियां स्मृति, संज्ञानात्मक कार्य को बढ़ाती हैं और अपक्षयी रोगों को रोकती हैं। सात्विक आहार मस्तिष्क को स्वस्थ रखता है और उसके कार्यों में सुधार करता है।

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शरीर की इम्यूनिटी होती है मजबूत - Immunity hogi majboot

सात्विक भोजन में हम सिर्फ क्या खा रहे हैं इस पर ही जोर नहीं दिया जाता, बल्कि कब खा रहे हैं और कितना खा रहे हैं इस पर जोर दिया जाता है। सात्विक भोजन में हमेशा ही ओवरईटिंग से बचने और सीमित मात्रा में भोजन करने की सलाह दी जाती है। ऐसा करने से शरीर की इम्यूनिटी यानी रोगों से लड़ने की क्षमता मजबूत बनती है। सात्विक भोजन करने के साथ ही अगर आप रोजाना कुछ मिनट योग और प्राणायाम या कोई और व्यायाम कर लें तो आपका शरीर सभी तरह की बीमारियों से हमेशा दूर रहेगा।

पाचन तंत्र के लिए फायदेमंद है - Digestion me faydemand

सात्विक भोजन में हरी पत्तेदार सब्जियां, फल, अंकुरित अनाज आदि चीजें शामिल होती हैं और गर्मी से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे- मांस, मछली, प्याज, लहसुन आदि इस भोजन का हिस्सा नहीं होते। लिहाजा पाचन तंत्र के लिए इस तरह के भोजन को पचाना बेहद आसान होता है और पाचन तंत्र को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती। जब शरीर का पाचन बेहतर तरीके से होता है तो कब्ज या पेट से जुड़ी कोई और समस्या भी नहीं होती। सात्विक भोजन का सेवन करने से पेट, आंत, लिवर और अग्नाशय को भी मजबूत बनाने में मदद मिलती है।

जैसा कि ऊपर आप पढ़ चुके हैं, इस आहार में राजस और तामसिक खाद्य पदार्थों की खपत से दूर रखा जाता है, क्योंकि वे पित्त दोष के संतुलन को बाधित करते हैं, जो ऊर्जा पाचन और शरीर के तापमान को नियंत्रित करती है। सात्विक आहार इस ऊर्जा को संतुलित रखता है, जिसके कारण पाचन में सुधार होता है।

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सात्विक भोजन का सेवन करते वक्त आपको राजसिक और तामसिक कैटिगरी के खाद्य पदार्थों से पूरी तरह से दूर रहना चाहिए। लेकिन कई बार हम इस बात को लेकर कन्फ्यूज हो जाते हैं कि किस खाद्य पदार्थ का सोर्स क्या है और हमें उसे सात्विक भोजन के तहत खाना चाहिए या नहीं। सात्विक भोजन में आप क्या-क्या खा सकते हैं, यहां जानें:

  • सब्जियां : पालक, गाजर, आलू, ब्रॉकली, गोभी, पत्ता गोभी, लेटस, मटर आदि
  • फल और फल का जूस : सेब, केला, पपीता, आम, चेरी, तरबूज, खरबूज, पीच, अमरूद, फलों का ताजा जूस आदि
  • अंकुरित अनाज : चावल, बार्ली, अमरंथ (चौलाई), मोटा पिसा हुआ गेंहू, दलिया, जौ, बाजरा, कीन्वा आदि
  • सूखे मेवे और बीज : अखरोट, ब्राजील नट, बादाम, कद्दू का बीज, सूरजमुखी का बीज, तिल, अलसी आदि
  • तेल और फैट : घी, तिल का तेल, जैतून का तेल, अलसी का तेल, आदि
  • दूध और गैर-दुग्ध उत्पाद : अच्छी क्वॉलिटी का दूध, दही, चीज, बादाम का दूध, नारियल का दूध, काजू का दूध, टोफू आदि
  • दालें और फलियां : मूंग दाल, काबुली चना, अंकुरित अनाज, दालें आदि
  • पेय पदार्थ : बिना कैफीन वाली हर्बल चाय, पानी, फलों का जूस
  • सात्विक मसाले : धनिया, जायफल, जीरा, मेथी, हल्दी, अदरक, दालचीनी आदि
  • मीठा : शहद और गुड़

सात्विक भोजन में वे सभी चीजों की मनाही है तो तामसिक और राजसिक भोजन की कैटिगरी में आते हैं। इस कारण से सभी ऐनिमल प्रॉडक्ट्स, बहुत ज्यादा प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ, सफेद वाली परिष्कृत चीनी और तली-भुनी चीजें खाने की मनाही है। सात्विक आहार में निम्नलिखित चीजों का सेवन न करें:

  • अतिरिक्त चीनी और मीठी चीजें : सफेद चीनी, फ्रक्टोज कॉर्न सीरप, कैंडी, सोडा आदि
  • फ्राइड फूड : फ्रेच फ्राइज, तली हुई सब्जियां, पेस्ट्री, केक आदि
  • प्रोसेस्ड फूड : चिप्स, कॉर्नफ्लेक्स आदि ब्रेकफस्ट सीरियल, फास्टफूड, फ्रोजन फूड आदि
  • मांस, मछली, अंडा, आदि
  • प्याज, लहसुन, अचार, आदि
  • अल्कोहल, चीनी युक्त पेय पदार्थ, कैफीन वाले पेय पदार्थ आदि

बहुत ज्यादा खट्टे, नमकीन और मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए और इसके अलावा बासी खाना या फिर जिन चीजों को पकाने के लिए उन्हें रातभर खमीर उठने के लिए छोड़ना पड़ता है वे भी तामसिक की कैटिगरी में ही आते हैं।

  • सात्विक भोजन हमेशा ताजा बना हुआ और शुद्ध होना चाहिए।
  • खाने को बनाकर फ्रिज में रख देने और बाद में उसका सेवन करने की सात्विक भोजन में मनाही होती है।
  • सात्विक भोजन में केमिकल-फ्री ऑर्गैनिक खाद्य पदार्थों के सेवन पर जोर दिया जाता है।
  • सात्विक भोजन में खाने के समय का भी महत्व है यानी आपको रोजाना अपना खाना एक ही समय पर करना चाहिए। उदाहरण के लिए अगर आप सुबह का नाश्ता 8 बजे करते हैं तो रोजाना ऐसा ही करें।
  • सात्विक आहार के तहत आपको सोने या किसी भी तरह का योग या आसन करने से 2 घंटे पहले ही अपना भोजन कर लेना चाहिए।
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