ट्रेकिआटमी कैसे की जाती है?
यदि ट्रेकिआटमी एक निर्धारित प्रक्रिया है और कोई इमरजेंसी नहीं है, तो आपको अस्पताल में भर्ती करके हॉस्पिटल गाउन पहनने को दिया जाएगा। ऑपरेशन थिएटर में आपको कमर के बल लिटा दिया जाता है और आपकी गर्दन के नीचे कोई कपड़ा मोड़ कर रख दिया जाएगा। ऐसा करने से आपकी गर्दन स्ट्रेच हो जाएगी और सर्जरी करने में आसानी रहेगी। (और पढ़ें - गर्दन में दर्द का इलाज)
ट्रेकिआटमी के प्रकारों के अनुसार इनकी सर्जिकल प्रक्रिया अलग-अलग हो सकती है, जैसे -
कन्वेंशनल या ओपन नेक ट्रेकिआटमी
इस सर्जरी प्रोसीजर को जनरल एनेस्थीसिया देकर किया जाता है, जिससे आप सर्जरी के दौरान गहरी नींद में सो जाते हैं और आपको कुछ महसूस नहीं होता है।
- सर्जन सबसे पहले आपकी गर्दन के अगले हिस्से की त्वचा में एक क्षैतिज (Horizontal) कट लगाएंगे।
- इसके बाद कट के बीच से मांसपेशियों को हटाया जाएगा, जिससे श्वास नली और थायराइड ग्रंथि दिखने लगेगी।
- सर्जरी करने के लिए या तो थायराइड ग्रंथि को एक तरफ कर दिया जाता है या फिर निकाल दिया जाता है।
- इसके बाद श्वास नली में एक कट लगाया जाएगा। यह कट कुछ इस तरह से लगाया जाता है, जिससे ट्रेकिया की कार्टिलेज जैसी संरचना में एक पल्ला (फ्लैप) बन जाए। इसके अलावा सर्जन श्वास नली में छिद्र बनाने के लिए उसके अंदरूनी हिस्से के एक भाग को हटा भी सकते हैं।
- इसके बाद सर्जन छिद्र में ट्रेकिआटमी ट्यूब डालते हैं। ट्रेकिआटमी ट्यूब ठीक से लगी है या नहीं इसकी पुष्टि करने के लिए सर्जन पता करते हैं कि मरीज सांस ठीक से ले रहा है या नहीं, कितनी मात्रा में ऑक्सीजन ले रहा है और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ रहा है।
- ट्यूब को अपनी जगह पर स्थिर रखने के लिए उसके दोनों तरफ टांके लगाए जाते हैं और फिर ट्रेकिआटमी टेप लगा दी जाती है।
परक्यूटीनियस बेडसाइड तकनीक (बेडसाइड ट्रेकिआटमी)
बेडसाइड ट्रेकिआटमी एक मिनिमली इनवेसिव प्रोसीजर है, जिसका मतलब है कि इसमें छोटा सा ही चीरा लगाया जाता है। बेडसाइड ट्रेकिआटमी को भी जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर किया जाता है। जिन लोगों को एंडोट्रेकियल ट्यूब लगी हुई है, उनमें इस प्रोसीजर की मदद से श्वास नली को देखे बिना ही ट्रेकिआटमी ट्यूब को डाल दिया जाता है।
- इस प्रक्रिया में आपको कमर के बल लेटने को कहा जाएगा और आपकी गर्दन के नीचे कोई कपड़ा रख दिया ताकि आपका सिर नीचे हो जाए और गर्दन की लंबाई पूरी हो जाए।
- इसके बाद गर्दन के अगले हिस्से पर सर्जन एक चीरा लगाते हैं और श्वास नली के ऊपर मौजूद ऊतकों को एक तरफ हटाते हैं।
- इसके बाद एंडोट्रेकियल ट्यूब को थोड़ा वापस खींचा जाता है, ताकि उसका कफ ग्लोटिस के स्तर पर आ जाए। ग्लोटिस, वोकल तंत्र होता है जिसमें वोकल कोर्ड होती हैं।
- सर्जन एंडोट्रेकियल ट्यूब के अंदर से एक फाइबरोप्टिक ब्रोंकोस्कोप डालते हैं। ब्रोंकोस्कोप के सिरे पर लाइट लगी होती है, जिसकी मदद से चीरे के अंदर से देखने में मदद मिलती है।
- सर्जन श्वास नली के ऊपर की त्वचा को छूकर और हल्के-हल्के दबाकर कुछ जांच करेंगे। ब्रोंकोस्कोप से निकलने वाली रोशनी की मदद से श्वास नली की स्थिति का पता लगाया जाएगा।
- टेफ्लॉन कैथीटर इंट्रोड्यूसर सुई को ध्यानपूर्वक श्वास नली में डाला जाता है और साथ ही साथ यह ध्यान रखा जाता है कि श्वास नली की पिछली सतह को क्षति न पहुंचे।
- सुई को निकाल दिया जाएगा और डायलेटर की मदद से इस छिद्र को थोड़ा बड़ा बना दिया जाएगा।
- ट्यूब लगने के बाद इसकी स्थिति की जांच की जाती है और फिर आस-पास की त्वचा में टांके लगाकर इसे स्थिर बना दिया जाता है। टांकों के ऊपर ट्रेकिआटमी टेप लगा दी जाती है। (और पढ़ें - टांके कैसे लगाते हैं)
इमरजेंसी ट्रेकिआटमी
इमरजेंसी ट्रेकिआटमी को आमतौर पर दो तरीकों से किया जाता है, जिन्हें ओपन ट्रेकिआटमी और क्रिकोथायरॉइडोटमी के नाम से जाना जाता है। इनकी सर्जिकल प्रोसीजर निम्न प्रकार से हैं -
ओपन ट्रेकिआटमी -
ओपन ट्रेकिआटमी बहुत तेजी से की जाती है, ताकि जल्द से जल्द श्वास नली में छिद्र करके श्वसन प्रक्रियाओं को चालू किया जा सके।
क्रिकोथायरॉइडोटमी -
इस प्रोसीजर में क्रिकोथायरॉइड मेम्बरेन में एक छिद्र बनाया जाता है। क्रिकोइड कार्टिलेज को ढकने वाली झिल्ली को क्रिकोथायरॉइड मेम्बरेन कहा जाता है, जो थायराइड ग्रंथि के सामने मौजूद होती है। यह मेम्बरेन त्वचा की सतह के बहुत पास होती है, इसलिए इसमें ज्यादा बड़ा चीरा लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
- सर्जन क्रिकोथायराइड मेम्बरेन का पता लगाएंगे और उपकरणों की मदद से उसमें चीरा लगाएंगे।
- इसके बाद छिद्र में एंडोट्रेकियल ट्यूब को डाला जाएगा।
- यदि आपकी स्वास्थ्य स्थिति स्थिर है या यदि आपको 4 दिनों से अधिक समय तक ब्रीथिंग मशीन की आवश्यकता पड़ती है, तो कन्वेंशनल ट्रेकिआटमी की जाती है।
जब आप खुद सामान्य रूप से सांस लेने लगते हैं, तो इस ट्यूब को निकाल दिया जाता है। ट्रेकिआटमी के छिद्र पर टांके लगाने की जरूरत नहीं पड़ती है, यह अपने आप बंद हो जाता है।
जब ट्यूब निकाली जाती है, तो छिद्र को बंद करके उस पर पट्टी लगा दी जाती है और दो हफ्तों के भीतर छिद्र अपने आप बंद हो जाता है।
आपको सर्जरी के बाद तीन से पांच दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है। हालांकि, यदि आपकी हालत स्थिर नहीं है या डॉक्टर को कुछ संदेह है, तो वे आपको अधिक समय तक भी अस्पताल में भर्ती रख सकते हैं।
सर्जरी प्रोसीजर होने के बाद निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -
- ट्रेकिआटमी ट्यूब के आगे एक विशेष उपकरण लगाया जाएगा, जिसको ह्यूमिडिटी कॉलर कहा जाता है। यह कॉलर आपको नम और ऑक्सीजन से भरपूर हवा प्रदान करता है।
- संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए एंटीबायोटिक दवाएं दी जाएंगी।
- डॉक्टर आपकी छाती का एक्स रे करेंगे, जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि ट्यूब सही जगह पर है और उससे कोई समस्या होने का खतरा नहीं है।
- ट्रेकिआटमी ट्यूब को सर्जरी होने के 7 दिनों बाद बदला जाएगा।
- अस्पताल में छुट्टी मिलने से पहले आपको कैथेटर और ट्यूब के आस-पास की त्वचा को साफ करना सिखाया जाएगा।
- आप जिस हवा में सांस ले रहे हैं, उसे नम करने के तरीकों के बारे में भी आपको सिखाया जाएगा।
- यदि आपके बोलने की प्रक्रिया प्रभावित हो गई है, तो स्पीच थेरेपिस्ट आपको ट्रेकिआटमी के बाद बोलने के तरीके सिखाएंगे।
- ट्रेकिआटमी ट्यूब लगने के बाद आपको चबाने और निगलने में भी कठिनाई आ सकती है। पोषक तत्व विशेषज्ञ इसमें आपकी मदद कर सकते हैं।
(और पढ़ें - पोषण की कमी के लक्षण)