नाक से खून निकलने को मेडिकल की भाषा में एपिस्टैक्सिस कहते हैं। अचानक या नाक में किसी चोट लगने के कारण खून निकलने की शिकायत हो सकती है। नाक से खून निकलने को नकसीर भी कहा जाता है। नकसीर की स्थिति जानलेवा तो नहीं है, लेकिन बार-बार नाक से खून निकलने की वजह से व्‍यक्‍ति को असहजता हो सकती है। प्रभावित हिस्‍से के आधार पर एपिस्टैक्सिस को दो भागों में वर्गीकृत किया गया है – एंटीरियर ब्‍लीड (दो नथुनों के बीच की दीवार से खून निकलना) और पोस्‍टीरियर ब्‍लीड (नाक के पीछे से खून निकलता है)। अगर बार-बार नकसीर की समस्‍या हो रही है या ये गंभीर रूप ले चुकी है तो इस पर ध्‍यान देना बहुत जरूरी हो जाता है।

आमतौर पर नाक से खून निकलने को प्राथमिक उपचार, नाक से खून निकलने से संबंधित बीमारी, दवाओं एवं कुछ मामलों में सर्जरी से ठीक किया जाता है। होम्‍योपैथी में व्‍यक्‍ति की मानसिक स्थिति को ध्‍यान में रखने के साथ-साथ कुछ स्‍वास्‍थ्‍य स्थितियों के प्रति उसकी प्रवृत्ति पर भी ध्‍यान दिया जाता है। शरीर की प्रकृति और कुछ बीमारियों के होने के प्रवृत्ति के आधार पर होम्‍योपैथी दवाओं का मिश्रण दिया जाता है, ये हर मरीज में अलग होता है। होम्‍योपैथिक दवाओं की सही खुराक लेना बहुत महत्‍वपूर्ण होता है और होम्‍योपैथी में इसे ही सबसे प्रभावशाली उपचार माना जाता है।

नकसीर के लिए इस्‍तेमाल होने वाली होम्‍योपैथिक दवाओं में एकोनिटम नैपेल्लस, अर्निका मोंटाना, बेलाडोना, ब्रायोनिया अल्‍बा, कैल्‍केरिया कार्बोनिका, क्रोकस सैटाइवस, फेरम फास्फोरिकम, हैमेमेलिस वर्जिनियाना, इपिकाकुअन्‍हा, मेलिलोटस ऑफिसिनेलिस, मिलेफोलियम, नाइट्रिकम एसिडम, नक्स वोमिका, फॉस्‍फोरस और थ्‍लास्‍पी बुर्सा पैस्‍टोरिस शामिल हैं।

  1. नकसीर की होम्योपैथिक दवा - Naksir ki homeopathic medicine
  2. होम्योपैथी में नकसीर के लिए खान-पान और जीवनशैली में बदलाव - Homeopathy me Nosebleed ke liye khan pan aur jeevan shaili me badlav
  3. नाक से खून आने की होम्योपैथी दवा कितनी लाभदायक है - Nakseer ka homeopathic ilaj kitna faydemand hai
  4. नकसीर फूटने के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Naksir ki homeopathic dawa ke nuksan aur jokhim karak
  5. नाक से खून आने के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Naak se khoon aane ke homeopathic upchar se jude anya sujhav

होम्‍योपैथिक उपचार में नकसीर के लिए निम्‍न दवाएं लेने की सलाह दी जाती है :

  • एकोनिटम नैपेल्लस (Aconitum Napellus)
    सामान्‍य नाम :
    मॉन्‍कशूड (Monkshood)
    लक्षण : मानसिक और शारीरिक पीड़ा होने की स्थिति में ये दवा दी जाती है। ये शारीरिक और मानसिक रूप से बेचैनी के साथ डर होने पर भी दी जाती है। इस दवा से निम्‍न लक्षणों को भी ठीक किया जाता है :
    • गंध आने का तेज एहसास होना
    • नाक की रूट (नाक की हड्डी का सबसे ऊपरी हिस्‍सा) में दर्द
    • कोरिजा (सर्दी जुकाम) के साथ ज्यादा छींक आना
    • नथुनों में टीस महसूस होना
    • गहरे लाल रंग की ब्‍लीडिंग
    • श्‍लेष्‍मा झिल्लियों का सूखना
    • सूखा या पतले कोरिजा के साथ नाक बंद होना

खुली हवा में लक्षणों में सुधार आता है जबकि गर्म कमरे, शाम के दौरान और रात में, प्रभावित हिस्‍से की ओर लेटने, गाना सुनने, तंबाकू लेने, धूम्रपान करने एवं सूखी और ठंडी हवा में लक्षण और बढ़ जाते हैं।

  • अर्निका मोंटाना (Arnica Montana)
    सामान्‍य नाम :
    लैपर्डबेन (Leopard's bane)
    लक्षण : ये दवा चोट लगने, गिरने, झटका लगने और गुम चोट से पैदा होने वाली स्थितियों में ज्‍यादा असर करती है। इसके अलावा नीचे बताए गए लक्षणों को भी इस दवा से ठीक किया जा सकता है :
    • हर बार खांसी आने के बाद नाक से गहरा खून आना
    • नाक में दर्द और ठंडा महसूस होना

गीले और ठंडे मौसम में, हल्‍का-सा भी छूने पर, चलने या हिलने पर, आराम करने और वाइन पीने पर ये लक्षण और बढ़ जाते हैं।

  • बेलाडोना (Belladonna)
    सामान्‍य नाम :
    डेडली नाइटशेड (Deadly nightshade)
    लक्षण : बेलाडोना तंत्रिका तंत्र के प्रत्‍येक हिस्‍से पर कार्य करती है और ये कफ जमने, बहुत ज्‍यादा उत्‍साहित होने, झटके आने, दौरे पड़ने और दर्द जैसे लक्षणों में असरकारी है। इस दवा से निम्‍न लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है :
    • गंध न होने पर भी उसका एहसास होना
    • नाक के सिरे पर झुनझुनी महसूस होना
    • नाक पर लालिमा और सूजन
    • चेहरे का रंग लाल होने के साथ नाक से खून आना
    • कोरिजा और खून के साथ म्यूकस बनना

छूने पर, शोर में, ठंडी हवा, दोपहर में और लेटने पर लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। हालांकि, पीठ को सहारा देकर लेटने पर लक्षणों में सुधार आता है।

  • ब्रायोनिया अल्‍बा (Bryonia Alba)
    सामान्‍य नाम :
    वाइल्‍ड हॉप्‍स (Wild hops)
    लक्षण : ये दवा सभी सीरस झिल्लियों (हृदय, फेफड़ों और पेट जैसे अंगों के आसपास ऊतकों की मुलायम परत) और इनमें मौजूद विस्‍केरा (अंदरूनी अंगों) एवं मांसपेशियों में दर्द के इलाज में उपयोगी सीरस झिल्लियों पर कार्य करती है। इस दवा से निम्‍न लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है :
    • महिलाओं में माहवारी के दौरान बार-बार नाक से खून निकलना
    • कोरिजा के साथ माथे पर चुभने वाला दर्द होना
    • सुबह के समय नाक से खून आना जो सिरदर्द से राहत दिलाए
    • नाक के टिप पर सूजन, जिसे छूने पर ऐसा लगे कि उस पर अल्‍सर हो गया है

गरमाई में, किसी भी तरह से हिलने-डुलने या चलने पर, सुबह के समय, गर्म मौसम में, खाना खाने पर, मेहनत करने पर और छूने पर लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। ऐसे मरीजों को बैठने में दिक्‍कत होती है और उन्‍हें बेहोशी महसूस होती है एवं ये आसानी से बीमार पड़ जाते हैं। हालांकि, ये लक्षण दर्द वाले हिस्‍से से लेटने पर, दबाव पड़ने, आराम करने और ठंडी चीजों से ठीक हो जाते हैं।

  • कैल्‍केरिया कार्बोनिका (Calcarea Carbonica)
    सामान्‍य नाम :
     कार्बोनेट ऑफ लाइम (Carbonate of lime)
    लक्षण : ये दवा अमूमन शरीर की हर गतिविधि को प्रभावित करती है और पोषण की कमी होने पर ये बहुत असरकारी है। ये दवा नकसीर में निम्‍न स्थितियों के साथ प्रभावी है :
    • नथुनों में सूखापन, दर्द और अल्‍सर होना
    • पीले रंग के डिस्‍चार्ज (रिसाव) से नांक बंद होना
    • नाक से बदबू आना
    • नाक की रूट पर सूजन और पॉलिप्‍स (श्लेष्मा झिल्लियों में ऊतकों का असामान्य रूप से बढ़ना)
    • कोरिजा
    • मौसम बदलने पर हर बार जुकाम होने की प्रवृत्ति
    • भूख के साथ श्‍वसन मार्गों में बहुत ज्‍यादा म्यूकस (श्लेष्मा झिल्लियों और ग्रंथियों से बनने वाला चिपचिपा पदार्थ) बनना
    • कभी कोरिजा तो कभी पेट दर्द होना

मानसिक या शारीरिक थकान होने,  ऊपर चढ़ने, ठंडी चीजों या हवा के संपर्क में आने, नम हवा, गीले मौसम, पूर्णिमा के दौरान और खड़े होने पर लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। इन लक्षणों में शुष्‍क मौसम और जलवायु में एवं दर्द वाली तरफ से लेटने पर आराम मिलता है।

  • क्रोकस सैटाइवस (Crocus Sativus)
    सामान्‍य नाम :
    सैफ्रॉन (Saffron)
    लक्षण : ये दवा अक्‍सर काले रंग की और चिपचिपी ब्‍लीडिंग में उपयोगी होती है। इसके अलावा इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है :
    • नकसीर में गहरा, चिपचिपा और थक्‍के वाला खून निकलना
    • नाक से गहरे रंग का खून आना

लेटने पर, गर्म मौसम में, गर्म कमरे में, सुबह के समय, व्रत रखने, नाश्‍ते से पहले और किसी चीज को एक टक देखने पर लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। ये लक्षण खुली हवा में बेहतर होते हैं।

  • फेरम फास्फोरिकम (Ferrum Phosphoricum)
    सामान्‍य नाम :
    फॉस्‍फेट ऑफ आयरन (Phosphate of iron)
    लक्षण : ये दवा ज्‍वर-संबंधी स्थितियों के पहले चरण पर और शरीर के किसी भी हिस्‍से से ब्‍लीडिंग होने से पहले सूजन होने पर दी जाती है। निम्‍न लक्षणों के लिए भी प्रमुख तौर पर इस दवा को लेने की सलाह दी जाती है :
    • सिर में ठंड लगने के पहले चरण पर
    • बार-बार ठंड लगने की प्रवृत्ति

रात के समय, छूने पर, चलने पर और दाईं करवट लेटने पर लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। कुछ ठंडा लगाने पर लक्षणों में सुधार आता है।

  • हैमेमेलिस वर्जिनियाका (Hamamelis Virginica)
    सामान्‍य नाम :
    विच हेजल (Witch-hazel)
    लक्षण : विच हेजल नसों की दीवारों को आराम देती है, जिससे खून का प्रवाह बेहतर होता है। इससे नीचे बताए गए लक्षणों को भी ठीक किया जा सकता है :
    • नाक से नीचे की ओर पतला खून अधिक आना और इसके साथ ही नाक की हड्डी में कसाव महसूस होना
    • नाक से बदबू आना

गर्म और नम हवा में लक्षण और बढ़ जाते हैं।

  • इपिकाकुअन्‍हा (Ipecacuanha)
    सामान्‍य नाम :
    इपिकाक रूट (Ipecac-root)
    लक्षण : नीचे बताए गए लक्षणों पर ये दवा बेहतर असर करती है :

नम गर्म हवा और लेटने पर लक्षण और गंभीर हो जाते हैं।

  • मेलिलोटस ऑफिसिनेलिस (Melilotus Officinalis)
    सामान्‍य नाम :
    यैलो मेलिलोट, स्‍वीट क्‍लोवर (Yellow melilot, sweet clover)
    लक्षण : इस दवा से निम्‍न लक्षणों को ठीक किया जा सकता है :
    • नाक में सूखापन और बंद नाक
    • नाक में सूखी और सख्‍त गंदगी बनना
    • अत्‍यधिक नकसीर की समस्‍या

बारिश और मौसम में बदलाव होने पर, आंधी आने या कोई गतिविधि करने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं।

  • मिलेफोलियम (Millefolium)
    सामान्‍य नाम :
    यैरो (Yarrow)
    लक्षण : ब्‍लीडिंग के कई प्रकारों के लिए मिलेफोलियम प्रभावशाली दवा है।

नकसीर के अलावा ये दवा आंखों से नाक की रूट की ओर बढ़ने वाले तेज दर्द से भी राहत दिलाती है।

  • नाइट्रिकम एसिडम (Nitricum Acidum)
    सामान्‍य नाम :
    नाइट्रिक एसिड (Nitric acid)
    लक्षण : ये दवा उन सांवले लोगों पर असर करती है जो मध्‍यम आयु से पार कर चुके हैं। जहां पर श्‍लेष्‍मा झिल्लियां और त्‍वचा मिलती है, उन हिस्‍सों पर कार्य करने के लिए इस दवा को चुना जाता है। निम्‍न स्थितियों के इलाज में भी इस दवा का इस्‍तेमाल किया जा सकता है:
    • रोज सुबह नाक से हरे रंग का म्‍यूकस निकलना
    • कोरिजा के साथ नथुनों में दर्द और ब्‍लीडिंग
    • नाक की टिप पर लालिमा
    • छाती में संक्रमण के साथ नकसीर होना
    • नाक से बार-बार पीले रंग का म्‍यूकस निकलना
    • नेजल डिप्‍थीरिया (नाक और गले की श्लेष्मा झिल्ली में होने वाला बैक्‍टीरियल संक्रमण) के साथ पतला डिस्‍चार्ज होना

ये लक्षण शाम, रात के समय और ठंडी जलवायु एवं गर्म मौसम में और बढ़ जाते हैं।

  • नुक्‍स वोमिका (Nux Vomica)
    सामान्‍य नाम :
    प्वाइजन नट (Poisonnut)
    लक्षण : कई स्थितियों के इलाज में नुक्‍स वोमिका दवा की सलाह दी जाती है। इस दवा से निम्‍न लक्षणों को ठीक किया जा सकता है :
    • नाक भरना, खासतौर पर रात के समय
    • शुष्‍क या ठंडे वातावरण में जाने के बाद नाक भरना और जुकाम होना
    • गर्म कमरे में जुकाम का बढ़ जाना
    • तेज गंध की वजह से बेहोश होना
    • कोरिजा का दिन के समय ज्‍यादा होना, रात के समय या बाहर जाने पर नाक भरना (कभी एक नथुने में तो कभी दूसरे में)
    • सुबह नाक से खून बहना
    • नाक से तीखा डिस्‍चार्ज होना, लेकिन नाक भरने जैसा एहसास रहना

सुबह के समय, मानसिक थकान होने के साथ, खाना खाने के बाद, छूने पर, मसालों, उत्तेजक, नारकोटिक लेने पर, शुष्‍क और ठंडे मौसम में लक्षण और गंभीर हो जाते हैं। सोने से, शाम के समय, आराम करने के दौरान, नम और गीले मौसम में या तेज दबाव पड़ने पर लक्षणों में सुधार आता है।

  • फॉस्‍फोरस (Phosphorus)
    सामान्‍य नाम :
    फॉस्‍फोरस (Phosphorus)
    लक्षण : वैसे तो फॉस्‍फोरस एक विषाक्त तत्व है लेकिन होम्‍योपैथी में इसे औषधि के रूप में इस तरह तैयार किया जाता है कि इसके दुष्‍प्रभाव खत्‍म हो जाते हैं। इस दवा से नीचे बताए गए लक्षणों को ठीक किया जा सकता है :
    • सांस लेने के दौरान नथुने फूलना
    • पीरियड्स की बजाय नाक से खून आना
    • गंध के प्रति बहुत ज्‍यादा संवेदनशील होना
    • नाक की हड्डियों के आसपास के ऊतकों में सूजन
    • ऐसी गंध महसूस होना जो कि आसपास न हो
    • कम ब्‍लीडिंग होना, नाक पर रूमाल लगाने पर रूमाल पर हमेशा खून आना
    • पॉलिप्‍स बनना जिनमें से आसानी से ब्‍लीडिंग हो

छूने पर, शारीरिक या मानसिक थकान होने, सांझ होने, गर्म खाद्य या पेय पदार्थ लेने, मौसम में बदलाव, गर्म मौसम में गीले होने और शाम के समय, बाईं करवट या दर्द वाली जगह से लेटने, आंधी के दौरान और सीढ़ी चढ़ने पर लक्षण और बढ़ जाते हैं। अंधेरे, दाईं करवट लेटने, ठंडा खाने पर, ठंडी हवा, ठंडा पानी डालने पर और पर्याप्‍त नींद लेने पर लक्षणों में सुधार आता है।

  • थ्‍लास्‍पी बुर्सा पैस्‍टोरिस (Thlaspi Bursa Pastoris)
    सामान्‍य नाम : शेफर्ड पर्स (Shepherd's purse)
    लक्षण : शेफर्ड पर्स ब्‍लीडिंग रोकने और यूरिक एसिड रोधी दवा है। इसका इस्‍तेमाल निम्‍न स्थितियों में भी किया जा सकता है :
    • नाक का ऑपरेशन होने के बाद ब्‍लीडिंग
    • धमनियों की बजाय नसों से ब्‍लीडिंग होना
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नकसीर के लिए होम्‍योपैथी उपचार लेने के दौरान कुछ बातों का ध्‍यान रखना जरूरी होता है, जैसे कि :

क्‍या करें

  • कमरे को ठंडा और हवादार रखें
  • आप जो दवा ले रहे हैं, उसी के हिसाब से आपके आसपास का तापमान होना चाहिए
  • संतुलित आहार और स्‍वस्‍थ जीवनशैली अपनाएं
  • अपने आसपास साफ-सफाई रखें
  • नाक से खून निकलने के खतरे को कम करने के लिए धीरे-धीरे चलें और हल्‍के व्‍यायाम ही करें

क्‍या न करें

  • कैफीनयुक्‍त पेय पदार्थ, चाइनीज टी और अन्‍य हर्बल चाय न पिएं
  • औषधीय तत्‍वों से बनी बीयर और शराब न पिएं
  • तेज गंध वाली चीजों जैसे कि अलग-अलग तरह के परफ्यूम से बचने की कोशिश करें
  • मसालेदार खाना, चटनी, पुरानी चीज, मसालेदार केक और चॉकलेट, जड़ी बूटियों से बने व्‍यंजन, औषधीय गुणों से युक्‍त डंठल और जड़ से तैयार व्‍यंजन, सेलेरी एवं प्‍याज न खाएं।
  • बासी मीट या औषधीय गुणों से युक्‍त मीट न खाएं (जैसे कि बत्तख का मांस और खट्टी चीजें)
  • अत्‍यधिक नमक, चीनी और मादक पदार्थों के सेवन से बचें
  • ऐसे कठिन व्‍यायाम और कार्य करने से बचें, जिनकी वजह से दोबारा नाक से खून आ सकता हो

मरीज के लक्षणों को जानने के बाद होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक दवा का चयन करते हैं। होम्‍योपैथिक ट्रीटमेंट में न सिर्फ बीमारी के लक्षणों का इलाज किया जाता है, बल्कि इसके अंतर्निहित कारणों की पहचान कर उन्‍हें दूर करने पर काम किया जाता है। खांसी और खाने की वजह से नाक से खून आने की समस्‍या को अर्निका मोंटाना से ठीक किया जाता है, जबकि हीमोफीलिया के कारण नकसीर होने का इलाज इपिकाकुअन्‍हा और फॉस्‍फोरस जैसी दवाओं से किया जाता है।

होम्‍योपैथिक उपचार लेने पर आपको लक्षणों के ठीक होने से पहले उनमें वृद्धि महसूस हो सकती है। ये होम्‍योपैथी दवा के असर करने का प्रमाण ही होता है। नकसीर के इलाज में उपयोगी होम्‍योपैथी दवाओं के कोई जोखिम या हानिकारक प्रभाव नहीं होते हैं। इन दवाओं को इस तरह तैयार किया जाता है कि तरल पदार्थों की मात्रा ज्‍यादा होती है, जबकि दवाओं की मात्रा कम रखी जाती है। इस वजह से होम्‍योपैथी दवाओं का शरीर पर कोई हानिकारक प्रभाव नहीं पड़ता है। हालांकि, अगर होम्‍योपैथी दवाओं की उचित खुराक न ली जाए तो इनकी वजह से ऐसे लक्षण पैदा हो सकते हैं जिनका संबंध बीमारी से नहीं होता।

(और पढ़ें - नाक से खून आने पर क्या करना चाहिए)

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एपिस्टैक्सिस या नकसीर के इलाज में होम्‍योपैथी कारगर है। आमतौर पर होम्‍योपैथिक चिकित्‍सक बहुत कम मात्रा में दवा देते हैं। होम्‍योपैथी में उपचार की उस पद्धति के अंतर्गत दवा दी जाती है, जिसमें न केवल लक्षणों का इलाज किया जाता है, बल्कि एपिस्टैक्सिस के कारण का भी पता लगाकर उसे ठीक किया जाता है।

(और पढ़ें - नकसीर का घरेलू इलाज)

संदर्भ

  1. Oscar E. Boericke. Nose. Médi-T; [lnternet]
  2. William Boericke. Homoeopathic Materia Medica. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
  3. Wenda Brewster O’Reilly. Organon of the Medical art by Wenda Brewster O’Reilly . B jain; New Delhi
  4. Tabassom A, Cho JJ. Epistaxis (Nose Bleed). In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2019 Jan
  5. MedlinePlus Medical Encyclopedia: US National Library of Medicine; Nosebleed
  6. Ministry of AYUSH, Govt. of India. Ministry of AYUSH. [Internet]

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