यूरेटेरोस्टोमी एक सर्जिकल प्रक्रिया है, जिसमें पेट की दीवार में एक छिद्र बनाया जाता है और मूत्रवाहिनी को टांके के जरिए इससे जोड़ा जाता है। मूत्रवाहिनी (Ureter) एक नली है, जो किडनी से मूत्राशय तक यूरिन को लेकर जाती है। यूरेटेरोस्टोमी की प्रक्रिया आमतौर पर उन लोगों में की जाती है जिनका मूत्राशय (ब्लैडर) किसी कारण से निकाल दिया गया हो या फिर जिन्हें मूत्राशय से संबंधी कोई जन्मजात समस्या हो।
इस सर्जिकल प्रक्रिया के बाद यूरिन मूत्राशय में जाने की बजाय सर्जरी करके पेट में बनाए गए छिद्र के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाता है। इस छिद्र से एक विशेष थैली को जोड़ दिया जाता है, जिसमें यूरिन जमा होने लगता है। सर्जरी से पहले कुछ नैदानिक टेस्ट भी किये जाते हैं।
सर्जरी के दो से तीन हफ्ते के बाद व्यक्ति अपने सामान्य जीवन की शुरुआत कर सकता है। इस प्रक्रिया के बाद व्यक्ति को किसी तरह के विशेष कपड़े या डाइट की जरूरत नहीं होती। वैसे तो डॉक्टर सर्जरी के दो हफ्तों बाद फिर से आकर जांच करवाने की सलाह देते हैं लेकिन यदि कमर में दर्द, बुखार, यूरिन का गहरा रंग या अन्य कोई समस्या महसूस हो तो डॉक्टर को तुरंत सूचित करें।
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