प्रीबायोटिक्स विशेष प्लांट फाइबर होते हैं. ये फर्टिलाइजर की तरह काम करते हैं, जो आंतों में हेल्दी बैक्टीरिया के विकास को प्रोत्साहित करते हैं. प्रीबायोटिक्स, कई फलों और सब्जियों में पाए जाते हैं, विशेष रूप से जिनमें कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जैसे फाइबर और रेसिस्टेंट स्टार्च.

चूंकि, ये कार्ब्स शरीर द्वारा डाइजेस्ट नहीं हो सकते हैं, इसलिए ये डाइजेस्टिव सिस्टम के माध्यम से ट्रेवल करते हैं और बैक्टीरिया व अन्य कीटाणुओं के लिए भोजन बन जाते हैं. प्रीबायोटिक्स को डाइटरी फाइबर का एक रूप माना गया है, जो पेट में "फ्रेंडली" बैक्टीरिया को खिलाते हैं.

गट बैक्टीरिया कोलन सेल्स के लिए पोषक तत्व बना सकते हैं, जो डाइजेस्टिव सिस्टम को हेल्दी बनाने में मदद करता है.

आज इस लेख में हम जानेंगे कि प्रीबायोटिक्स क्या है और इसके फायदे व स्रोत को भी समझेंगे -

(और पढ़ें - प्रोबायोटिक्स के फायदे)

  1. प्रीबायोटिक किसे कहते हैं?
  2. प्रीबायोटिक के फायदे
  3. प्रीबायोटिक के स्रोत
  4. सारांश
प्रीबायोटिक क्या है, फायदे व स्रोत के डॉक्टर

प्रीबायोटिक नॉन-डाइजेस्टिव खाद्य पदार्थ हैं, जो नेचुरल हैं और शरीर में उपयोगी बैक्टीरिया के प्राकृतिक विकास के लिए बेहतर रूप में काम करते हैं. प्रीबायोटिक को अच्छे बैक्टीरिया प्रमोटर के रूप में जाना जाता है. प्रीबायोटिक फूड्स के सेवन से शरीर में कैल्शियम का लेवल बढ़ता है और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल हेल्थ में भी सुधार होता है. प्रीबायोटिक विकास के लिए कोई अलग से पिल्स खाने की जरूरत नहीं होती है. कुछ प्राकृतिक खाद्य पदार्थों में प्रीबायोटिक पाए जाते हैं.

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कुछ खाद्य पदार्थों में प्रीबायोटिक्स शामिल होते हैं, जिसे शरीर डाइजेस्ट नहीं कर सकता है. वे गट में बैक्टीरिया और अन्य लाभकारी जीवों के लिए खाने के रूप में काम करते हैं. प्रीबायोटिक्स न केवल गट हेल्थ के लिए अच्छे हैं, उनका उपयोग कोलोरेक्टल कैंसर और इंफ्लेमेटरी बाउल डिजीज जैसी स्थितियों के इलाज के लिए भी किया जा रहा है. आइए, विस्तार से जानते हैं कि प्रीबायोटिक के फायदे क्या-क्या हैं -

प्रीबायोटिक के फायदे इम्यून सिस्टम के लिए

लोग जो खाते हैं उनसे उनका इम्यून सिस्टम और एलर्जी का रिस्क प्रभावित हो सकता है. हालांकि, इसके लिए और रिसर्च की आवश्यकता है, प्रीबायोटिक्स सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं, विशेष रूप से आंतों में "अच्छे" व "बुरे" बैक्टीरिया के संतुलन को सही रखकर इम्यून सिस्टम में सुधार कर सकते हैं.

एक हेल्दी गट संतुलन शरीर को बीमारी से बचाने में मदद कर सकता है. इतना ही नहीं, प्रीबायोटिक्स प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एलर्जी डिजीज के विकास में शामिल सिस्टम को प्रभावित करके एलर्जी से बचाने और एक्जिमा के लक्षणों में सहायता कर सकते हैं.

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प्रीबायोटिक के फायदे गट और डाइजेस्टिव हेल्थ के लिए

प्रीबायोटिक्स गट और डाइजेस्टिव सिस्टम को हेल्दी रखने में मदद कर सकते हैं. वे "अच्छे" बैक्टीरिया को बढ़ाकर पेट के स्वास्थ्य को मजबूत कर सकते हैं, जो आंत में पैथोजन्स से लड़ते हैं और कब्ज से राहत दिलाते हैं. पैथोजन्स उन्हें कहा जाता है, जो शरीर में कई तरह के रोगों का कारण बनते हैं.

प्रीबायोटिक के फायदे हड्डियों के लिए

हड्डियों का मजबूत होना स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे ऑस्टियोपोरोसिस और हड्डी के फ्रैक्चर होने का जोखिम कम हो सकता है. कुछ स्टडी ये बताती हैं कि प्रीबायोटिक्स कैल्शियम के अब्सॉर्प्शन में मदद कर सकते हैं, जो हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है.

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प्रीबायोटिक के फायदे मोटापे से बचाव के लिए

गट माइक्रोबायोटा को लो-ग्रेड इंफ्लेमेशन के विकास से जुड़कर देखा जाता है, जो ग्लूकोज के मेटाबॉलिज्म और फैट के अब्सॉर्प्शन को बाधित करता है. इसी गड़बड़ी के कारण ही मोटापा होता है. प्रीबायोटिक्स, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल बैरियर को मजबूत करने के साथ ही आंत में लो-ग्रेड इंफ्लेमेशन को कम करते हैं. साथ ही मेटाबॉलिज्म में होने वाले बदलाव को कम करते हैं, जिससे वजन को घटाने में मदद मिलती है.

प्रीबायोटिक के फायदे कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव के लिए

प्रीबायोटिक्स आंतों के माइक्रोफ्लोरा के कम्पोजीशन को बदलकर कोलोरेक्टल कैंसर की रोकथाम में सहायता कर सकते हैं. जानवरों पर हुए कई स्टडीज से ये बात सामने आई है कि प्रीबायोटिक्स के सेवन के बाद कोलोरेक्टल कैंसर के कुछ मार्कर कम हो जाते हैं. यहां हम स्पष्ट कर दें कि इस तरह का शोध अभी तक मनुष्यों पर नहीं हुआ है.

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प्रीबायोटिक्स विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थों  में पाए जाते हैं, जिनमें सब्जियां, फल और साबुत अनाज शामिल हैं. आइए, विस्तार से जानते हैं कि प्रीबायोटिक के स्रोत कौन-कौन से हैं -

  • केला - ऐसा केला चुनें जो पूरी तरह से पके न हों. दही और शहद के साथ केला स्मूदी का सेवन करना अच्छा विकल्प हो सकता है.
  • प्याज - प्याज में कई एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और इसमें मौजूद प्रीबायोटिक्स खाने को तेजी से टूटने में मदद करते हैं.
  • लहसुन - लहसुन खाना सबसे अच्छा होता है. इसके प्रीबायोटिक लाभ प्राप्त करने के लिए इसे कच्चा क्रश करके सलाद या ब्रेड में मिलाकर खाना सही रहता है.
  • मसूर की दाल - मसूर की दाल को हेल्दी बैक्टीरिया का अहम स्रोत माना गया है. यह भरपूर मात्रा में प्रोटीन पाने के अलावा बाउल मूवमेंट में मदद करता है.
  • ओट्स - ओट्स में फाइबर और अन्य पोषक तत्व भरपूर मात्रा में होते हैं, जो डाइजेस्टिव सिस्टम और हृदय की देखभाल करते हैं.
  • अलसी - अलसी में मौजूद फाइबर खाद्य पदार्थों से डाइटरी फैट को अवशोषित करता है और आसान मल त्याग को बढ़ावा देता है. अलसी को एंटीऑक्सीडेंट से भी भरपूर माना गया है, जो शरीर के कोलेस्ट्रॉल स्तर को कंट्रोल करते हैं.
  • सेब - सेब में पाए जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट, पॉलीफेनोल्स और पेक्टिन न केवल डाइजेशन में सहायता करते हैं, बल्कि मेटाबॉलिज्म में सुधार और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करते हैं.
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प्रीबायोटिक्स मूल रूप से खाद्य पदार्थों में नॉन-डाइजेस्टिव फाइबर कंपाउंड्स होते हैं और ओलिगोसैचेराइड से बने होते हैं. वे हेल्दी गट फ्लोरा के विकास को बढ़ावा देते हैं, जो पैथोजन्स और असामान्य फ्लोरा के विकास को रोकता है. यह इम्यून सिस्टम, गट और डाइजेस्टिव हेल्थ के लिए फायदेमंद होने के साथ-साथ हड्डियों के लिए, मोटापा से बचने के लिए और कोलोरेक्टल कैंसर से बचाव के लिए लाभकारी माना जाता है.

Dr. Dhanamjaya D

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