क्या आप कार्डियो करने के दौरान बीच में ही थकान महसूस करने लगते हैं? क्या आप उन लोगों में से एक हैं जो दौड़ने के दौरान पूरी तरह थका हुआ महसूस करते हैं? या फिर आप रोजाना के अपने रनिंग रूटीन से ऊब गए हैं और अब अपनी स्पीड बढ़ाने के लिए नए और दिलचस्प तरीके ढूंढ़ रहे हैं?

खैर, आपके लिए अच्छी खबर यह है कि आप आसानी से अपनी वर्कआउट रूटीन में कुछ बदलाव करके अपने लिए बेहतर एक्सरसाइज चुन सकते हैं। आपका रनिंग स्टैमिना न सिर्फ आपकी मांसपेशियों को मजबूती देता है बल्कि फेफड़ों की क्षमता में भी सुधार लाता है।

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  1. रनिंग स्टैमिना बढ़ाने के तरीके क्या हैं - running stamina badhane ke upay
  2. फेफड़ों की क्षमता को बेहतर करने के लिए अन्‍य सुझाव
  3. ऐसे खाद्य पदार्थ जो वर्कआउट के पहले और बाद में ऊर्जा से भर सकते हैं
  4. क्रॉस ट्रेनिंग है रनिंग स्टैमिना बढ़ाने का तरीका - daudne ka stamina badhaye cross training se
  5. रनिंग स्टैमिना बढ़ाने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज के लाभ - bhagne ka stamina badhane ka tarika hai breathing exercise
  6. दौड़ने का स्टैमिना बढ़ाने के लिए प्राणायाम - running stamina ko badhane ke liye pranayam
  7. रनिंग स्टैमिना बढ़ाने के लिए योग है बेहतर - running stamina badhane ke liye konsa yoga karna chahiye
  8. रनिंग स्टैमिना कैसे बढ़ाएं के डॉक्टर

अमूमन अपने स्वास्थ्य के लिए सजग व्यक्ति अपने सामान्य ट्रेनिंग रूटीन से ज्यादा दौड़ लगाने की भी चाह रखता है। यहां तक कि अगर आप बहुत ज्यादा नहीं दौड़ते हैं तो आप अपने रनिंग स्‍टैमिना से अपनी फिटनेस का आंकलन कर सकते हैं। इस लेख में स्‍टैमिना बढ़ाने और मांसपेशियों को मजबूती देने के लिए कुछ तरीकों के बारे में बताया जा रहा है।

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  1. इंटरवल ट्रेनिंग

इंटरवल ट्रेनिंग

अंतराल प्रशिक्षण को स्प्रिंट इंटरवल ट्रेनिंग भी कहा जाता है। यह स्टैमिना बढ़ाने का सबसे बेहतरीन तरीका है। अध्ययनों से भी यह साबित हुआ है कि नियमित इंटरवल ट्रेनिंग, खासकर हाई इंटरवल ट्रेनिंग करने से हृदय की क्षमता और स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

इंटरवल ट्रेनिंग में पहले शरीर पर ज्‍यादा दबाव नहीं डाला जाता है और धीरे-धीरे नई चुनौतियों को इसमें जोड़ दिया जाता है। अगर आप स्पोर्ट्स में सक्रिय नहीं हैं और सोचते हैं कि इंटरवल ट्रेनिंग आपके लिए नहीं हैं, तो ऐसा कतई न सोचें। अपने लिए आप कुछ नए और अलग तरीकों को आजमा सकते हैं। मुख्य रूप से इंटरवल ट्रेनिंग निम्न दो तरीकों से की जा सकती है:

हाई इंटेनसिटी इंटरवल ट्रेनिंग:

इसमें लगातार हाई इंटेनसिटी एक्‍सरसाइज ट्रेनिंग दी जाती है और बीच-बीच में कुछ समय आराम करके हल्‍के व्‍यायाम भी किए जाते हैं। सामान्यतः यह प्रशिक्षित एथलीटों द्वारा किया जाता है। पल्मोनरी फंक्शन टेस्ट से जुड़े अध्ययनों से पता चला है कि 8 सप्ताह तक इंटरवल ट्रेनिंग करने का फेफड़ों की क्षमता पर गहरा असर पड़ता है। यह भी साबित हो चुका है कि इंटरवल ट्रेनिंग से एरोबिक और एनारोबिक दोनोंं ही एक्‍सरसाइज में शरीर की  सहनशक्‍ति बढ़ती है।

लो इंटेनसिटी इंटरवल ट्रेनिंग:

लो इंटेनसिटी इंटरवल ट्रेनिंग, हाई इंटेनसिटी इंटरवल ट्रेनिंग जैसा ही है। लेकिन इसमें आने वाली एक्सरसाइज हाई इंटेनसिटी यानि उच्च तीव्रता वाली नहीं होती हैं। इस ट्रेनिंग को वह लोग आसानी से कर सकते हैं, जिन्हें हाई इंटेनसिटी इंटरवल ट्रेनिंग करने में दिक्कत आती है।

हाई इंटेनसिटी के साथ लो इंटेनसिटी ट्रेनिंग से रनिंग स्‍टैमिना बढ़ाने में मदद मिलती है।

जानिए इंटरवल ट्रेनिंग को आप अपनी दिनचर्या में कैसे शामिल कर सकते हैं:

  • कभी भी इंटेंस ट्रेनिंग से शुरुआत न करें। इसके बजाय पहले 15 से 20 दिनों के लिए 10 से 15 मिनट जाॅगिंग या वाॅर्मअप करें। आप वाॅर्मअप करने के लिए स्ट्रेचिंग या योगा भी कर सकते हैं।
  • वर्कआउट करने के लिए शेड्यूल तैयार करें। अगर आपने हाल-फिलहाल में ही एक्सरसाइज की शुरूआत की है तो एक सप्ताह में एक या दो ही सेशन करें, जिसमें कम से कम तीन दिन का गैप हो। इसे रिकवरी गैप कह सकते हैं। ऐसा कम से कम 6 हफ्तों तक करें।
  • इन 6 हफ्तों के दौरान अपने हार्ट रेट के साथ-साथ इस बात का भी ध्‍यान रखें कि आपको एक्‍सरसाइज के बाद कितने समय तक थकान रहती है। इससे आपको अपने अगले लेवल की ट्रेनिंग को शेड्यूल करने में मदद मिलेगी। यह जरूर ध्‍यान में रखें कि इस अवधि के दौरान आपकी हृदय गति कम रहे।
  • 6 हफ्तों के बाद रिकवरी गैप को ध्यान में रखते हुए वर्कआउट सेशन की संख्या में वृद्धि करें। उदाहरण के तौर पर, अगर आपने लो हार्ट रेट नोटिस की है तो आपके लिए रिकवरी गैप को उसके अनुसार कम कर देना ज्यादा सुरक्षित रहेगा।
  • पिरामिड ट्रेनिंग के सिद्धांत का अनुसरण करें। अपने अगले स्तर की ट्रेनिंग की शुरूआत 1ः3 अनुपात के साथ करें यानी 45 सेकेंड की हाई इंटेनसिटी के बाद 15 सेकेंड लो इंटेनसिटी। धीरे-धीरे हाई इंटेनसिटी और लो इंटेनसिटी के समय को बढ़ाते रहें। अगले राउंड के लिए 50 सेकेंड हाई इंटेनसिटी और 15 सेकेंड लो इंटेनसिटी का टारगेट रखें।
  • धीरे-धीरे इंटरवल ट्रेनिंग सत्र (ट्रेनिंग सेशन) में बदलाव करें, जिसमें हाई इंटेनसिटी और लो इंटेनसिटी दोनों तरह की एक्सरसाइज शामिल हो। उदाहरणार्थ, शुरुआत में 30 सेकेंड हाई इंटेनसिटी एक्सरसाइज के साथ 10 सेकेंड लो इंटेनसिटी एक्सरसाइज करें। दूसरे राउंड में 10 सेकेंड हाई इंटेनसिटी एक्सरसाइज और फिर 20 सेकेंड लो इंटेनसिटी एक्सरसाइज करें।
  • लगभग 30 सेकेंड का ब्रेक लेकर आराम करें।
  • धीरे-धीरे समय अवधि को बढ़ाते हुए एक्सरसाइज दोहराएं और ट्रेनिंग की इंटेनसिटी भी बढ़ाते रहें।

नोट करेंः

अगर आपको डायबिटीज, हृदय रोग, जोड़ों और मांसपेशियों से संबंधित समस्या है, तो इंटरवल ट्रेनिंग आपके लिए नहीं है।

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फेफड़ों की क्षमता में सुधार लाने के लिए टिप्‍स:

  • धूम्रपान न करें, खासकर यदि आपको सीओपीडी (क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) हो
  • प्रदूषित, धूले भरे वातावरण और धूम्रपान करने वाले लोगों के आसपास रहने से बचें
  • डाइट में एंटीऑक्सीडेंट युक्‍त चीजों की मात्रा बढ़ाएं
  • रोजाना सुबह सैर करें
  • हमेशा सही पोजीशन में बैठें और शुद्ध वातावरण में रहें।

अक्‍सर इंटेंस वर्कआउट के दौरान शरीर और मांसपेशियों में ऊर्जा की कमी, थकान और मांसपेशियों में दर्द की समस्या आती है। कुछ ऐसे आहार हैं जो तुरंत एनर्जी पाने और स्टैमिना बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं। इनमें से कुछ आहारों की सूची यहां मौजूद है-

  • केला:
    केला कार्बोहाइड्रेट, पोटैशियम, एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन सी का बेहतरीन स्रोत है। यह आपको ट्रेनिंग सेशन से हुई थकान से उबरने में तुरंत मदद करता है। यह बी.पी के स्तर को भी संतुलित रखता है।
     
  • सेब:
    सेब सिंपल शुगर और फइटोकेमिकल्स का एक अच्छा स्रोत है जैसे क्वेरसेटिन और कैटेचिन। इसे अपने ऑक्‍सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है।
     
  • ओटमील:
    ओटमील (जई का दलिया) साबुत अनाज है जिसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, डाइटरी फाइबर और विटामिन बी, बीटा ग्लूकन के साथ कुछ मात्रा में वसा मौजूद है। इसमें मौजूद सभी पोषक तत्व धीरे-धीरे शरीर द्वारा सोखे जाते हैं और शरीर को निरंतर ऊर्जा प्रदान करते हैं।
     
  • दही:
    दही को ऊर्जा प्रदान करने वाला बेहतरीन आहार माना जाता है जिसे आप वर्कआउट के बाद या पहले ले सकते हैं। इसमें प्रोटीन और कैल्शियम भी है, यह वर्कआउट के बाद मांसपेशियों में दर्द या खिंचाव को कम करने में भी मदद कर सकता है। बेहतरीन परिणाम के लिए अपनी डाइट में फाइबर युक्त फल और दही शामिल करने की कोशिश करें।
     
  • एवोकैडो:
    एवोकैडो मोनोसैच्युरेटेड फैटी एसिड और जरूरी पोषक तत्वों का अच्छा स्रोत है, जिसे तुरंत एनर्जी पाने के लिए लिया जा सकता है। यह फाइबर से भरा हुआ है, यह वर्कआउट के दौरान एनर्जी को बनाए रखने में भी मदद करता है।

पूरी परफॉर्मेंस को को बेहतर करने के लिए क्राॅस ट्रेनिंग में एक से ज्यादा प्रकार की ट्रेनिंग एक्टीविटी शामिल हैं। क्राॅस ट्रेनिंग फिटनेस के सभी पांच मापदंडों को संतुलित रखने में मदद करती है। इसके पांच मापदंड हैं, हृदय और मांसपेशियों की मजबूती, मांसपेशियों की क्षमता, लचीलापन और शारीरिक बनावट।

प्रक्रियाः

क्राॅस ट्रेनिंग करने के लिए अपने मौजूदा ट्रेनिंग एक्‍सरसाइज में विभिन्न एक्टिविटीज जैसे वेट ट्रेनिंग, पुशअप्स, साइकिलिंग और स्विमिंग को शामिल कर सकते हैं। तीन एक्टिविटी के बीच में कोई अन्‍य वैकल्पिक एक्‍सरसाइज भी करें जिससे शरीर की अलग-अलग मांंसपेशियोंं पर उचित दबाव पड़े।

विभिन्न प्रकार की ब्रीदिंग एक्सरसाइज पल्मोनरी लंग कैपेसिटी को बढ़ाने मे मदद कर सकते हैं और ऑक्सीजन की जरूरत को पूरा करते हैं जिससे आपके दौड़ने की क्षमता बढ़ेगी और भागने के दौरान सांस फूलने की समस्‍या में कमी आएगी। सामान्यतः तीन प्रकार की ब्रीदिंग एक्सरसाइज होती हैं, जिसे हर उम्र के लोग कर सकते हैं:

  1. पर्सड ब्रीदिंग है उपयोगी रनिंग स्टैमिना एक्सरसाइज
  2. रनिंग स्टैमिना बढ़ाने के लिए रिब स्ट्रेचिंग है लाभकारी
  3. उदरीय श्वसन (डायफ्रामिक ब्रीदिंग) करें अपना रनिंग स्टैमिना बढ़ाने के लिए

पर्सड ब्रीदिंग है उपयोगी रनिंग स्टैमिना एक्सरसाइज

सांस लेने की क्षमता में सुधार लाने में मदद करती है पसर्ड लिप ब्रीथिंग एक्‍सरसाइज। यह श्वसन क्षमता को बेहतर करने में मददगार है। यह काफी हद तक डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज की तरह ही है जिसमें नाक से सांस ली जाती है और मुंह से सांस छोड़ी जाती है। इसमें फर्क सिर्फ इतना है कि डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग एक्सरसाइज की तुलना में इसे धीमी गति से करते हैं ताकि फेफड़ों पर ज्‍यादा दबाव ना पड़े। पर्सड लिप ब्रीदिंग, डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग से ज्‍यादा असरकारी है जबकि नियमित ब्रीदिंग पैटर्न पर सिनर्जेस्टिक प्रभाव के कारण दोनों को एक-साथ किया जाता है।

प्रक्रियाः

पर्सड लिप ब्रीदिंग एक्सरसाइज की प्रक्रिया काफी हद तक डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग की तरह ही है। सिर्फ इसमें फर्क इतना है कि डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग में गहरी सांस ली जाती है। इसे आप लेटकर या खड़े होकर भी कर सकते हैं। जबकि पसर्ड लिप ब्रीदिंग को सावधानीपूर्वक करना होता है और इसे खड़े होकर या फिर बैठकर किया जा सकता है।

कैसे करें:

आप इसे अपनी सुविधा के अनुसार बैठकर या खड़े होकर कर सकते हैं। शरीर को रिलैक्स रखें। दो सेकेंड तक सांस अंदर खींंचें और होंठों के जरिए हवा को बाहर निकालें। इसी प्रक्रिया को 10 मिनट तक दोहराएं।

रनिंग स्टैमिना बढ़ाने के लिए रिब स्ट्रेचिंग है लाभकारी

फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने के लिए रिबकेज और एक्सेसरी मसल्स (पसलियों के बीच की मांसपेशियां) की मदद से रिब स्ट्रेचिंग की जाती है।

प्रक्रियाः

रिब्स स्ट्रेचिंग एक्सरसाइज सांस लेने और छोड़ने की क्रिया पर निर्भर करती है।

इस तरह करें रिब स्ट्रेचिंग एक्सरसाइजः

  • सीधे खड़े हों जाएं और पीठ भी सीधी रखें।
  • अपने फेफड़ों से शेष वायु को बाहर निकालें।
  • रिब्स को फैलाते हुए धीरे-धीरे सांस लें और फेफड़ों में हवा भरें।
  • सांस को 10 से 15 सेकेंड के लिए रोके रखें।
  • धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
  • ऊपर बताए गए सभी स्टेप्स को 3 से 4 मिनट तक करें।
  • अब अपनी कमर को साइड की ओर झुकाकर रिब्स को स्ट्रेच करें और ऊपर बताई गई सांस लेने की प्रक्रिया को दोहराएं।

उदरीय श्वसन (डायफ्रामिक ब्रीदिंग) करें अपना रनिंग स्टैमिना बढ़ाने के लिए

डायाफ्रामिक ब्रीदिंग या उदरीय श्वसन एक्सरसाइज में फेफड़ों की क्षमता बढ़ाने के लिए डायाफ्राम (उदर) की मांसपेशियों का इस्तेमाल किया जाता है। शोध से पता चला है कि डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग से फेफड़ों को संपूर्ण रूप से मजबूती मिलती है। आमतौर पर ये एक्‍सरसाइज़ वो लोग करते हैं जो खेल या फिटनेस ट्रेनिंग से जुड़े ना हों। हालांकि कभी-कभी कुछ एथलीट और खिलाड़ी इस प्रक्रिया को वाॅर्मअप के लिए इस्‍तेमाल करते हैं।

कैसे करें:

कैसे करें डायाफ्रामेटिक ब्रीदिंग एक्सरसाइजः

  • सबसे पहले आराम से बैठ जाएं और हाथों को छाती के ऊपर रखें।
  • नाक से सांस लें। महसूस करें कि सांस नाक से होते हुए छाती और फिर पेट तक जा रही है।
  • मुंह से, होंठों को हल्का खोलकर सांस छोड़ें। इस बीच पेट हल्का अंदर की ओर दबाएं। ध्यान रखें कि सांस लेने या छोड़ने के दौरान आपका पेट अंदर और बाहर होना चाहिए, छाती नहीं।
  • यहां बताए गए सभी स्टेप्स को 10 मिनट तक दोहराएं।

योग के पांच मुख्य सिद्धांतों में से एक प्राणायाम/अनुलोम-विलोम है। इसमें लयबद्ध तरीके से सांस लेना और सांस छोड़ना शा‍मिल है ताकि शरीर के सभी ऊर्जा केंद्र सक्रिय हो सकें। नियमित प्रणायाम करने से आपका स्वास्थ्य बेहतर होता है और ऊर्जा से भरपूर महसूस करते हैं।

इस तरह करें प्राणायाम:

  • पद्मासन में बैठें। पीठ को सीधी रखें।
  • अपने दाहिने हाथ की पहली उंगली से बाईं नाक को बंद करें और दाईं नाक से सांस लें।
  • अब दाईं नाक को अंगूठे से बंद करें और बाईं नाक से सांस छोड़ें।
  • इसी प्रक्रिया को 10 मिनट तक दोहराएं।

ध्यान दें:

अगर आपको चक्कर जैसा महसूस हो रहा है तो प्राणायाम न करें।

योग, शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर करने का एक पारंपरिक तरीका है। आमतौर पर खिलाड़ियों और एथलीटों द्वारा योग का अभ्यास नहीं किया जाता है क्योंकि वे स्टैमिना बढ़ाने के लिए काफी हद तक इंटरवल ट्रेनिंग पर निर्भर रहते हैं। हालांकि, योग करने में ज्यादा परिश्रम नहीं लगता इसलिए इसे कोई भी आसानी से इसे कर सकता है।

  • आसन: बहुत सारे ऐसे योगासन हैं, जो स्टैमिना बढ़ाने के लिए मददगार साबित हो सकते हैं। आइए इन पर एक नजर डालते हैं।
  1. रनिंग स्टैमिना बढ़ाने के लिए नौकासन (नावासन)
  2. उत्कट कोण आसन है रनिंग स्टैमिना बढ़ाने का उपाय
  3. दौड़ने का स्टैमिना बढ़ाने के लिए धनुरासन
  4. भागने का स्टैमिना बढ़ाने के लिए मत्स्यासन
  5. रनिंग स्टैमिना के लिए उष्ट्रासन
  6. दौड़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए चक्रासन (ऊर्ध्व धनुरासन)

रनिंग स्टैमिना बढ़ाने के लिए नौकासन (नावासन)

नावासन आपकी मांसपेशियों के आंतरिक भाग को मजबूती देता है, जिससे दौड़ लगाने के दौरान पैर, श्रोणी (पेल्विस) और पीठ को हिलाने में आसानी होती है। यह आपकी शारीरिक दशा (पॉश्‍चर) को ठीक कर ज्‍यादा दौड़ लगाने में भी मदद करता है।

नौकासन करने का तरीका:

  • सीधे होकर बैठ जाएं। रीढ़ की हड्डी को लम्बा खींचे और पैरों को सामने की ओर रखें।
  • दोनों हाथों को कूल्हों के साइड में यानी जमीन पर रखें। उंगलियां पैरों की ओर होनी चाहिए।
  • अपने घुटनों और पैरों को ऊपर की ओर यानी आंखों के लेवल तक उठाएं। इस दौरान सांस बाहर की ओर छोड़ें। आपके पैर इतने ऊपर होने चाहिए कि जमीन से 45 डिग्री का एंगल बने।
  • अब थोड़ा-सा पीछे झुकते हुए अपने हाथों को पैरों के सामने लाएं।   
  • अंतिम पोजीशन में आपके शरीर का पूरा भार कूल्हों पर होना चाहिए।
  • ध्यान रखें कि आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी हो।
  • इसी अवस्था में 10 सेकेंड तक रहें और फिर आराम करें।
  • बेहतर परिणाम के लिए इस आसन को 4 से 5 बार दोहराएं।

उत्कट कोण आसन है रनिंग स्टैमिना बढ़ाने का उपाय

उत्कट कोणासन आपके पूरे शरीर के स्टैमिना को बढ़ाने का काम करता है।

उत्कट कोणासन करने का तरीका:

  • सीधे खड़े हो जाएं और टांगों को थोड़ा फैलाकर खड़े हों।
  • अपने पैरों को 45 डिग्री में बाहर की ओर मोड़ें।
  • सांस लेते हुए घुटनों को हल्का सा मोड़ें।
  • अब अपने हाथों को कंधों के ऊपर उठाएं और कोहनी से 90 डिग्री की पोजीशन बनाएं। हथेलियों को अपने चेहरे से दूर रखें।
  • अपने कूल्हों को घुटनों तक लेकर आएं।
  • इसी अवस्था में 30 सेकेंड तक रहें।
  • अब पैरों को सीधा करके वापिस सामान्य पोजीशन में लौट आएं।

दौड़ने का स्टैमिना बढ़ाने के लिए धनुरासन

धनुरासन छाती की मांसपेशियों को खोलकर फेफडों की क्षमता को बेहतर करता है।

धनुरासन करने का तरीका:

  • सबसे पहले पेट के बल जमीन पर लेट जाएं। सिर को जमीन की ओर रखें और हाथों को साइड में रखें।
  • अपने घुटनों को इस तरह मोड़ें की एड़ी सिर की ओर हो।
  • अब अपने हाथों से टखनों को छुएं।
  • इस पोजीशन में 10 सेकेंड तक रहें।
  • अब पैरों को सीधा करके सामान्य अवस्था में लौट आएं।

भागने का स्टैमिना बढ़ाने के लिए मत्स्यासन

मत्स्यासन मांसपेशियों को मजबूती देता है और सांस लेने के पैटर्न को बेहतर करने में मदद करता है ताकि सांस लेने में तकलीफ भी न हो और आप देर तक दौड़ सकें।

मत्स्यासन करने का तरीका:

  • पैरों को क्राॅस करके सीधे होकर बैठ जाएं (पद्मासन की तरह)।
  • हाथों को घुटनों पर रखते हुए पीछे जमीन की ओर इतना झुकें कि सिर जमीन को छू सके। 
  • कोहनी को जमीन पर स्थिर रखने की कोशिश करें।
  • हाथ से पैरों के अंगूठे को पकड़ें।
  • कुछ सेकेंड्स के लिए इसी स्थिति में रहें और फिर सिर एवं छाती को रिलैक्स करें। अपने पैरों को खोलें और सामान्य पोजीशन में बैठ जाएं।

रनिंग स्टैमिना के लिए उष्ट्रासन

उष्ट्रासन काफी हद तक नौकासन की तरह ही होता है जो आपकी मांसपेशियों के आंतरिक भाग को मजबूती देता है और शरीर में ऊर्जा भरता है।

उष्ट्रासन करने का तरीका:

  • सबसे पहले जमीन पर घुटनों के बल बैठ जाएं। हाथों को घुटनों के ऊपर रखें। (मुख्य रूप से वज्रासन की तरह)
  • अब अपने पैरों, घुटनों को जोड़कर रखें। मुश्किल लगे तो पैरों को हल्का सा खोल लें और घुटनों के बल सीधे खड़े हो जाएं।
  • सांस लेते हुए कमर से पीछे की ओर झुकें। दोनों हाथों से एड़ी को छूने की कोशिश करें।
  • पीछे की ओर उतना ही झुकें, जितना कि आप मुड़ सकते हैं। जबरदस्‍ती झुकने की कोशिश न करें।
  • इसी अवस्था में कुछ देर के लिए रहें। इस बीच 10 सेकेंड के लिए नॉर्मल सांस लेते रहें।
  • अब अपनी पुरानी स्थिति में लौट आएं।

दौड़ने की क्षमता बढ़ाने के लिए चक्रासन (ऊर्ध्व धनुरासन)

ऊर्ध्व धनुरासन मासंपेशियों को स्ट्रेच करने में मदद करता है जिससे फेफडों की क्षमता बेहतर होती है। इसका स्‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍‍फूर्तिदायक प्रभाव भी होता है ताकि दौड़ने से पहले आप वाॅर्मअप हो जाएं।

ऊर्ध्व धनुरास करने का तरीका:

  • सबसे पहले जमीन पर चटाई बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं।
  • हाथ और पैर सीधे रखें।
  • घुटनों को मोड़कर कूल्हों के पास लेकर आएं।
  • हथेलियों को सिर के पास ले जाएं। हाथों के बीच पैरों जितनी दूरी हो। हाथ कान से हल्के ऊपर की ओर हों।
  • आपके पैरों के पंजे जमीन से सटे हुए होने चाहिए।
  • अपने पैरों और हाथों पर वजन डालते हुए कूल्हों को जमीन से ऊपर उठाएं।
  • सांस लें और धीरे-धीरे धड़ और सिर को नीचे जमीन की ओर झुकाएं।
  • अंतिम पोजीशन में आपके हाथ सीधे स्ट्रेच होने चाहिए और कंधे हल्के से कमर की ओर दबे होने चाहिए। जमीन की ओर आपका सिर लटका हुआ होना चाहिए।
  • जमीन की ओर देखने की कोशिश करें और इसी अवस्था में कुछ सेकेंड तक रहें। सांस की गति सामान्य रखें।
  • अब सामान्‍य अवस्था में लौटने के लिए अपने हाथ और घुटनों को मोड़ें।

Dr. Arun Mathur

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