टाइप 2 डायबिटीज एक गंभीर बीमारी है. इसमें शरीर इंसुलिन प्रतिरोध हो जाता है यानी शरीर इंसुलिन का उपयोग उस तरह से नहीं कर पाता है, जिस तरह से करना चाहिए. टाइप 2 डायबिटीज सिर्फ ब्लड शुगर से संबंधित नहीं होता है. यह शरीर में ब्लड शुगर के स्तर को बढ़ाने के साथ ही कई जटिलताओं को भी बढ़ा सकता है. टाइप 2 डायबिटीज हृदय रोग, स्ट्रोक और हार्ट फेलियर के जोखिम को काफी हद तक बढ़ाता है. इसलिए, टाइप 2 डायबिटीज को कंट्रोल में रखना जरूरी होता है. इसके लिए डॉक्टर दवाइयां, हेल्दी डाइट और लाइफस्टाइल में बदलाव करने की सलाह देते हैं. वहीं, शुगर, कार्ब्स और हाई कैलोरी से परहेज करने को कहा जाता है. ऐसे में कई लोगों के मन में सवाल आता है कि टाइप 2 डायबिटीज में मछली खा सकते हैं या नहीं.

अगर आप डायबिटीज का इलाज खोज रहे हैं, तो यहां दिए लिंक पर क्लिक करें.

आज इस लेख में आप जानेंगे कि डायबिटीज के मरीज को मछली का सेवन करना चाहिए या नहीं -

(और पढ़ें - डायबिटीज में क्या खाना चाहिए)

  1. टाइप 2 डायबिटीज में मछली खा सकते हैं या नहीं?
  2. टाइप 2 डायबिटीज वालों को सप्ताह में कितनी बार मछली खानी चाहिए?
  3. डायबिटीज में मछली कैसे खानी चाहिए?
  4. टाइप 2 डायबिटीज में कौन सी मछली खानी चाहिए?
  5. सारांश
  6. क्या टाइप 2 डायबिटीज में मछली खा सकते हैं? के डॉक्टर

टाइप 2 डायबिटीज में मछली खा सकते हैं या नहीं, इस पर कई रिसर्च हो चुके हैं. कुछ रिसर्च का मानना है कि डायबिटीज में मछली खान सकते हैं. मछली को प्रोटीन व हेल्दी फैट का बेहतरीन स्रोत माना गया है. साथ ही इसमें विभिन्न तरह के विटामिन और मिनरल भी पाए जाते हैं. मछली खाने से हृदय रोग का जोखिम कम हो जाता है. इसके अलावा, कुछ रिसर्च यह भी बताते हैं कि मछली खाने से टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ सकता है.

(और पढ़ें - डायबिटीज में वजन कम करने की डाइट)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Madhurodh Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को डायबिटीज के लिए सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।

अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के अनुसार, टाइप 2 डायबिटीज वाले प्रति सप्ताह 2 बार मछली खा सकते हैं. डायबिटीज में सैल्मन, ट्राउट, सार्डिन जैसी मछली का सेवन किया जा सकता है. इस प्रकार की मछलियों में ओमेगा-3 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है. वहीं, टाइप 2 डायबिटीज रोगियों को शार्क, स्कोर्डफिश और टाइलफिश का सेवन करने से बचना चाहिए.

(और पढ़ें - डायबिटीज में खाई जाने वाली सब्जियां)

अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के मुताबिक, डायबिटीज वाले लोग मछली को ग्रिल करके खा सकते हैं. इसके अलावा, मछली को उबालकर या बेक करके भी खाया जा सकता है, क्योंकि अगर तली हुई मछली खाएंगे, तो इससे शरीर को अधिक कार्ब्स और कैलोरी मिल सकती है. इससे ब्लड शुगर का स्तर बढ़ सकता है.

(और पढ़ें - क्या डायबिटीज में सेब खा सकते हैं)

अधिकतर अध्ययन बताते हैं कि सप्ताह में 1 या 2 बार फिश खाने से ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रण में रह सकता है. जिन रिसर्च में साबित हुआ है कि टाइप 2 डायबिटीज में मछली खा सकते हैं, उन्होंने कुछ खास प्रकार की मछलियों का जिक्र भी किया है. इन मछलियों को टाइप 2 डायबिटीज में खाया जा सकता है. इन मछलियों को खाने से डायबिटीज से संबंधित हृदय रोग का जोखिम भी कम हो सकता है -

  1. सैल्मन फिश
  2. तिलापिया फिश
  3. कॉड फिश
  4. ट्राउट फिश
  5. टूना फिश
  6. सार्डिन फिश

सैल्मन फिश

अगर किसी को टाइप 2 डायबिटीज है, तो सैल्मन फिश खा सकते हैं. सैल्मन फिश में ओमेगा-3 फैटी एसिड अधिक मात्रा में पाया जाता है. यह एक हेल्दी फैट है, जो डायबिटीज की वजह से होने वाले हृदय रोग, हार्ट फेलियर और स्ट्रोक के जोखिम को काफी हद तक कम करने में मदद कर सकता है. एक अध्ययन की मानें तो सप्ताह में 2 बार सैल्मन फिश खाने से लाभ मिल सकता है.   

(और पढ़ें - डायबिटीज में न खाए जाने वाले फल)

तिलापिया फिश

टाइप 2 डायबिटीज में तिलापिया फिश खाना भी फायदेमंद साबित हो सकता है. तिलापिया में कैलोरी कम होती है, वहीं प्रोटीन अधिक मात्रा में पाया जाता है. एक रिसर्च की मानें तो इसे भाप में पकाकर खाना लाभकारी हो सकता है. एक छोटी तिलापिया में 137 कैलोरी और 28.5 ग्राम प्रोटीन होता है.

(और पढ़ें - क्या शुगर के मरीज अंडा खा सकते हैं)

कॉड फिश

कॉड फिश में भी कैलोरी कम और प्रोटीन अधिक होता है. यह एक सफेद फिश है. इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है. टाइप 2 डायबिटीज में कॉड फिश को खाया जा सकता है. यह डायबिटीज संबंधित हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है. डायबिटीज में कॉड को ऑलिव ऑयल में पकाकर खाया जा सकता है.

(और पढ़ें - शुगर में दही खाना चाहिए या नहीं)

ट्राउट फिश

ट्राउट फिश में भी ओमेगा 3 फैटी एसिड की मात्रा अधिक होती है. इस मछली को हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है, लेकिन ट्राउट फिश को पकाते समय अधिक नमक का उपयोग करने से बचना चाहिए. इसके अलावा, श्रिंप फिश भी खा सकते हैं. इसमें कैलोरी कम और प्रोटीन अधिक होता है, लेकिन इसमें कोलेस्ट्रॉल अधिक होता है. इसलिए, अगर किसी का ब्लड शुगर या कोलेस्ट्रॉल का स्तर बहुत बढ़ा हुआ है, तो इससे परहेज करें.

(और पढ़ें - शुगर में पनीर खाना चाहिए या नहीं)

टूना फिश

टाइप 2 डायबिटीज वाले लोगों के लिए टूना फिश खाना भी लाभकारी हो सकता है. आप टूना फिश को फ्राई करके खा सकते हैं. इसका स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें नींबू व काली मिर्च आदि का छिड़काव किया जा सकता है.

(और पढ़ें - शुगर में प्याज खाना चाहिए या नहीं)

सार्डिन फिश

सार्डिन में ओमेगा-3 फैटी एसिड अधिक होता है. इसके अलावा, इसमें कैल्शियम और विटामिन-डी भी पाया जाता है. आपको बता दें कि 56 ग्राम सार्डिन फिश में लगभग 108 मिलीग्राम कैल्शियम होता है. वहीं, 1.36 एमसीजी विटामिन-डी पाया जाता है. इस फिश को खाने से हृदय स्वास्थ्य भी बेहतर बना रहता है.

(और पढ़ें - डायबिटीज में मुर्गा खाना चाहिए या नहीं)

टाइप 2 डायबिटीज गंभीर बीमारी होती है. इस बीमारी को कंट्रोल में रखने के लिए दवाइयां, डाइट और एक्सरसाइज का अहम रोल होता है. डायबिटीज में हेल्दी डाइट लेना जरूरी होता है. अगर टाइप 2 डायबिटीज में मछली खाने की बात करें, तो इस पर कई रिसर्च हुए हैं. कुछ रिसर्च बताते हैं कि टाइप 2 डायबिटीज में मछली नहीं खानी चाहिए, तो कुछ अध्ययनों में साबित हुआ है कि टाइप 2 डायबिटीज में सार्डिन, सैल्मन, ट्राउन, कॉड फिश का सेवन किया जा सकता है. इसलिए, डायबिटीज से ग्रस्त मरीज को डॉक्टर से पूछकर ही मछली खानी चाहिए.

(और पढ़ें - डायबिटीज में परहेज)

Dr. Narayanan N K

एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
16 वर्षों का अनुभव

Dr. Tanmay Bharani

एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
15 वर्षों का अनुभव

Dr. Sunil Kumar Mishra

एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
23 वर्षों का अनुभव

Dr. Parjeet Kaur

एंडोक्राइन ग्रंथियों और होर्मोनेस सम्बन्धी विज्ञान
19 वर्षों का अनुभव

और पढ़ें ...
ऐप पर पढ़ें