दुनियाभर में लोकप्रिय मसालों में काली मिर्च का नाम भी शामिल है। खाने को तीखा स्‍वाद देने वाली काली मिर्च लोगों को बहुत पसंद आती है, क्‍योंकि इसके नुकसान कम और फायदे ज्‍यादा होते हैं। यूरोप में खाना पकाने में सबसे आम मसालों में सूखी और पिसी हुई काली मिर्च का बहुत इस्‍तेमाल किया जाता है।

काली मिर्च में पेपराइन नामक रसायन होता है जिसकी वजह से इसका स्‍वाद तीखा होता है। पेपराइन को जठरांत्र तंत्र के फायदेमंद माना जाता है। पाचन में सुधार के अलावा काली मिर्च शक्‍तिशाली एंटीऑक्‍सीडेंट भी है। इसलिए इसे खाने से न केवल पाचन क्षमता बढ़ती है और खाना अच्‍छी तरह से अवशोषित हो पाता हे बल्कि शरीर के मेटाबोलिज्‍म द्वारा पैदा हुए ऑक्‍सीडेटिव स्‍ट्रेस (फ्री रेडिकल्‍स और एंटीऑक्‍सीडेंट के बीच हुए असंतुलन) से निपटने में भी मदद मिलती है। काली मिर्च का सेवन करने का मुख्य लाभ यह है कि यह वजन घटाने और सर्दी-खांसी को कम करने में मदद करती है। कई अध्ययनों में यह कहा गया है कि काली मिर्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर, रक्त शर्करा नियंत्रण और मस्तिष्क व पेट के स्वास्थ्य में सुधार कर सकती है। स्‍वास्‍थ्‍यवर्द्धक एवं खाने का जायका बढ़ाने वाले गुणों के कारण काली मिर्च को “मसालों का राजा” कहा जाता है।

(और पढ़ें - पाचन शक्ति बढ़ाने के लिए क्या करें)

पिपेरेसी कुल से संबंधित पाइपर निग्रेम एल के फलों को सुखाकर काली मिर्च तैयार की जाती है। काली मिर्च मुख्य रूप से भारत के दक्षिण पश्चिमी क्षेत्र में उगाई जाती है जिसमें केरल और मैसूर के कुछ हिस्‍से, तमिलनाडु एवं गोवा का नाम शामिल है। दिलचस्प बात यह है कि संपूर्ण मिर्च की खेती करने वाले क्षेत्र को कभी मालाबार कहा जाता था जो कि अब केरल के नाम से लोकप्रिय है। प्राचीन काल से मालाबार तट को मिर्च की खेती और आयात-निर्यात के लिए जाना जाता है। यहां से मिर्च को इंडोनेशिया, मलेशिया निर्यात किया जाता था और बाद में बाकी देशों में भी मिर्च की खेती की जाने लगी।

अपने तीखे स्‍वाद और स्‍वास्‍थ्‍यवर्द्धक गुणों के कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में काली मिर्च की कीमत और मांग बहुत ज्‍यादा है।

काली मिर्च के बारे में तथ्‍य:

  • वैज्ञानिक नाम: पाइपर निग्रेम एल
  • कुल: पिपेरेसी
  • सामान्‍य नाम: काली मिर्च
  • संस्‍कृत नाम: मरिच उष्‍ण
  • भौगोलिक विवरण: प्रमुख तौर पर काली मिर्च दक्षिण भारत से संबंधित है। रोमन काल के दौरान भारत में बंदरगाहों से लाल सागर क्षेत्र में काली मिर्च का आयात किया गया था और इसका मूल स्‍थान पूर्वी उष्णकटिबंधीय क्षेत्र थे। वैश्विक स्‍तर पर मसालों के व्‍यापार में काली मिर्च को सबसे पुरानी वस्तुओं में से एक माना जाता है। दक्षिण भारत और चीन में काली मिर्च की खेती जाती है। इसके अलावा पूर्व और वेस्‍ट इंडीज, मलय प्रायद्वीप, मलय द्वीपसमूह, सियाम, मालाबार, वियतनाम, ब्राजील, इंडोनेशिया आदि में भी काली मिर्च की खेती की जाती है।
  • रोचक तथ्‍य: इस समय काली मिर्च का आयात सबसे ज्‍यादा संयुक्‍त राज्‍य द्वारा किया जाता है। वर्ष 2009 में संयुक्‍त राज्‍य ने लगभग 67.1 करोड़ रुपए की काली मिर्च आयात की थी जो कि विश्‍व में इसके कुल उत्‍पादन का 18 फीसदी हिस्‍सा है। मध्‍य युग के दौरान वजन के आधार पर काली मिर्च के दानों की कीमत चांदी से ज्‍यादा हुआ करती थी। 
  1. काली मिर्च के फायदे - Kali Mirch ke Fayde in Hindi
  2. काली मिर्च के नुकसान - Kali Mirch ke Nuksan in Hindi
  3. काली मिर्च के अन्य फायदे - Other benefits of Kali Mirch in Hindi
  4. काली मिर्च खाने का तरीका - Kali Mirch khane ka tarika in Hindi
  5. काली मिर्च की तासीर - Kali Mirch ki taseer in Hindi

काली मिर्च के गुण दें पोषण को बढ़ावा - Black Pepper for Nutrition Absorption in Hindi

काली मिर्च में निहित पिपेरीने नामक एक यौगिक विटामिन ए और विटामिन सी, सेलेनियम, बीटा कैरोटीन जैसे अन्य पोषक तत्वों की जैव-उपलब्धता (bioavailability) को बढ़ाता है, जिससे आपके समग्र स्वास्थ्य में सुधार आता है। जैव-उपलब्धता आपके शरीर द्वारा अवशोषित पोषक तत्व या पूरक की मात्रा को संदर्भित करता है। कर्क्यूमिन (हल्दी में पाया जाने वाला एक यौगिक) कैंसर, संक्रमण और सूजन से लड़ने में मदद करता है। शोधकर्ताओं के अनुसार काली मिर्च में पाया जाने वाला पिपेरीने यौगिक कर्क्यूमिन की जैव-उपलब्धता को बीस गुना तक बढ़ा देती है।

इसके अलावा, पिपेरीने आंत्र में अमीनो एसिड ट्रांसपोर्टर को बढ़ाता है। यह कोशिकाओं से पदार्थों को हटाने से रोकता है और आंत्र गतिविधि को कम कर देता है जिससे अधिक यौगिक सक्रिय रूप में शरीर में प्रवेश करते हैं और उपयोग के लिए उपलब्ध रहते हैं।

काली मिर्च के फायदे बढ़ाएँ पाचन शक्ति - Black Pepper for Digestion in Hindi

काली मिर्च स्वाद की कलिका (टेस्ट बड्स) को उत्तेजित करता है और पेट में हाइड्रोक्लोरिक एसिड के स्राव को बढ़ाता है, जो आपके बेहतर और स्वस्थ पाचन में मदद करता है। अधिकतम लोगों को यह लगता है कि हाइड्रोक्लोरिक एसिड के ज्यादा होने से पाचन समस्याएं उत्पन्न हो सकती है परंतु दिलचस्प बात तो यह है कि ज्यादातर पाचन समस्याएं हाइड्रोक्लोरिक एसिड की कमी के कारण होती हैं न कि उसके बढ़ने की वजह से। खाने में थोड़ी सी काली मिर्च भोजन को तेजी से पचाने में मदद कर सकती है।

पाचन में सुधार करके काली मिर्च उदर-संबंधी सूजन, अपच, उदर-स्फीति (पेट फूलना), पेट में गैस और कब्ज जैसी समस्याओं से मुक्ति दिलाता है। 

(और पढ़ें - पेट में गैस दूर करने के घरेलू उपाय)

इसमें जीवाणुरोधी गुण भी होते हैं जो बैक्टीरिया प्रेरित आंत्र रोगों का इलाज करने में सहायक हैं। 

(और पढ़ें – पाचन क्रिया सुधारने के आयुर्वेदिक उपाय)

काली मिर्च के लाभ करें भूख को उत्तेजित - Black Pepper Increases Appetite in Hindi

आपके भोजन में एक अच्छ स्वाद जोड़ने के साथ-साथ काली मिर्च पाचन शक्ति और भूक को भी बढ़ाती है। अनुसंधानों से यह पता चला है कि काली मिर्च अपनी सुगंध के माध्यम से भूख को बढ़ाने में मदद करती है। अतः जिन लोगों को कम भूख लगती है उनको भूख बढ़ाने के लिए काली मिर्च एक अच्छा और सरल उपाय है। 

अपनी क्षुधा में सुधार लाने के लिए निम्नलिखित आयुर्वेदिक उपाय का अनुसरण करें :-

आधा चम्मच काली मिर्च और गुड़ के पाउडर का एक मिश्रण तैयार कर लें। और इस मिश्रण का प्रतिदिन सेवन करें।

(और पढ़ें – भूख कम लगने के कारण​)

काली मिर्च के उपाय करें वजन कम करने के लिए - Black Pepper Helps in Weight Loss in Hindi

हालांकि, यह बात सत्य है कि काली मिर्च भूख को बढ़ाती है, परंतु फिर भी यह आपके वजन को कम करने में मदद कर सकती है। काली मिर्च की बाहरी परत में फाइटोन्यूट्रिएंट्स होते हैं जो वसा कोशिकाओं को तोड़ने में मदद करते हैं।  2010 में चूहों पर किये गए एक अध्ययन के अनुसार, काली मिर्च शरीर में वसा संचय को रोकती है। इसके अलावा, काली मिर्च आपके चयापचय में सुधार करके कैलोरीज के शमन में मदद कर सकती है।

(और पढ़ें - मोटापा कम करने के लिए योगासन)

इसके अलावा, काली मिर्च एक वसा रहित आहार भी है। एक मूत्रवर्धक और डाइफोरेक्टिक जड़ी बूटी होने के कारण, यह पेशाब और पसीना को बढ़ाती है, जो बदले में शरीर से विषाक्त पदार्थों और अधिक पानी को बाहर निकालने में सहायता करती है। लेकिन इसकी खपत को नियंत्रित करने की आवश्यकता है। एक बार में भोजन में एक चुटकी पर्याप्त है।

(और पढ़ें – डिलीवरी के बाद वजन कम कैसे करें)

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काली मिर्च का प्रयोग करे गैस की समस्या का समाधान - Black Pepper Prevents Gas in Hindi

एक कार्मिनेटिव होने के नाते, काली मिर्च पेट में गैस को खत्म करती है, और साथ ही में यह गैस के गठन (निर्माण) को रोकने में भी मदद करती है।

काली मिर्च के कार्मिनेटिवे औषधीय गुण का लाभ उठाने के लिए निम्नलिखित में से एक उपाय का पालन करें -

  • यदि आपका पेट प्रायः गैस का शिकार बनता रहता है तो मिर्च पाउडर या मिर्च के बजाय काली मिर्च की मदद से अपने भोजन को लजीज व मसालेदार बनाये। यह गैस के गठन को रोकने का सबसे सरल उपाय है।
  • अपच और पेट में भारीपन का इलाज करने के लिए, काली मिर्च और जीरा पाउडर प्रत्येक का एक तिहाई चम्मच को एक गिलास छाछ में मिलाकर पियें। (और पढ़ें - बदहजमी के घरेलू उपाय)
  • आप गैस के दर्द को दूर करने के लिए कैरियर तेल (एक आधार तेल) में मिश्रित काली मिर्च के तेल के साथ अपने पेट की मालिश कर सकते हैं।

(और पढ़ें – पेट की गैस दूर करने के घरेलू उपाय)

काली मिर्च पाउडर दिलाएं सर्दी से राहत - Kali Mirch Powder Benefits for Cold and Cough in Hindi

क्योंकि काली मिर्च कफ को कम करने में सहायक है, काली मिर्च का उपयोग भरी हुई नाक और कंजेशन को साफ करने के लिए किया जा सकता है। काली मिर्च में रोगाणुरोधी गुण भी मौजूद होते हैं और यही वजह है कि काली मिर्च खांसी और सर्दी-जुकाम के उपचारों में व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाती है। 

(और पढ़ें - खांसी के घरेलू उपचार)

कंजेशन से राहत पाने के लिए निम्न प्रक्रिया का अनुसरण करें -

  • श्वास तंत्र को साफ करने के लिए प्रतिदिन दो या तीन बार एक गिलास गुनगुने पानी में काली मिर्च पाउडर का आधा चम्मच मिलाकर पियें।
  • काली मिर्च प्रकृति में एंटी-बैक्टीरियल होती है और इसलिए यह सर्दी और खांसी को ठीक करने में मदद करती है। ताजी क्रश की हुई काली मिर्च के साथ एक चम्मच शहद बड़े काम का साबित हो सकता है।
  • इसके अतिरिक्त, आप कुछ काली मिर्च और युकेलिप्टुस (नीलगिरी) तेल के साथ मिश्रित गर्म पानी के बर्तन से भाप लेने का प्रयास कर सकते हैं। (और पढ़ें- नीलगिरी तेल के फायदे और नुक्सान)
  • एक और आसान उपाय ये है कि काली मिर्च और तिल के तेल की कुछ बूंदों का मिश्रण बनाएं और उसे सूंघें। यह छींक को तो प्रेरित करेगा, लेकिन आपके साइनस को साफ़ कर देगा। (और पढ़ें – सर्दी जुकाम के घरेलू उपाय)
  • काली मिर्च विटामिन सी से भरपूर होती है और यह एक अच्छे एंटीबायोटिक के रूप में भी काम करती है।

काली मिर्च का उपयोग करे गठिया दर्द को काबू - Black Pepper Oil for Arthritis in Hindi

काली मिर्च में मौजूद पपीरिन अपने एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-गठिया गुणों के कारण, गठिया के इलाज के लिए बेहद फायदेमंद है।

काली मिर्च का तेल त्वचा पर लगाने से यह त्वचा को गर्माहट देता है, जो आपके रक्त परिसंचरण में मदद करता है। इसका उपयोग गठिया से पीड़ित लोग दर्द से छुटकारा पाने के लिए कर सकते हैं। यह गठिया से पीड़ित लोगों के शरीर से यूरिक एसिड जैसे विषाक्त पदार्थों को हटाने में भी मदद करती है, जो बहुत हानिकारक होते हैं। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया है कि काली मिर्च दर्द और गठिया के लक्षणों की धारणा को कम करने में मदद करती है।

(और पढ़ें- गठिया के घरेलू उपाय)

काली मिर्च के औषधीय गुण करें कैंसर से बचाव - Black Pepper Prevents Cancer in Hindi

काली मिर्च में एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो कि कैंसर से लड़ते हैं, विशेषकर बृहदान्त्र और ब्रेस्ट कैंसर से। मिसौरी में सेंट लुई यूनिवर्सिटी में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि काली मिर्च अपने महत्वपूर्ण एंटी-प्रोलिफेरेटिव गतिविधि के कारण बृहदान्त्र कोशिका प्रसार को बाधित करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, इसमें निहित पॉलीफेनॉल सामग्री उच्च रक्तचापमधुमेह और हृदय रोग के खिलाफ भी रक्षा प्रदान करती है।

काली मिर्च विटामिन सी से भरपूर होती है और यह एक अच्छे एंटीबायोटिक के रूप में भी काम करती है। कुछ अध्ययनों से पता चला है कि काली मिर्च में मौजूद पाइपरिन (piperine) कई तरह के कैंसर को होने से रोक सकता है। पाइपरिन आंतों में सेलेनियम, कर्क्यूमिन, बीटा कैरोटीन और विटामिन बी जैसे अन्य पोषक तत्वों को अवशोषित करने में मदद करता है जो कैंसर की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है। और इतना ही नहीं, प्रोस्टेट कैंसर में उपयोग की जाने वाली केमोथेरेपी दवा में भी पाइपरिन पाया जाता है।

(और पढ़ें – कैंसर रोगियों के लिए आहार)

काली मिर्च खाने के फायदे हैं डिप्रेशन में उपयोगी - Kali Mirch ke Fayde for Depression in Hindi

काली मिर्च में पिपेरीन सेरोटोनिन के उत्पादन में वृद्धि करके एक एंटीडिप्रेसेंट के रूप में कार्य करता है। सेरोटोनिन मूड नियमन के लिए एक महत्वपूर्ण न्यूरोट्रांसमीटर है और सेरोटोनिन का निम्न स्तर डिप्रेशन का एक महत्वपूर्ण कारक है।

(और पढ़ें – डिप्रेशन दूर करने के घरेलू उपाय)

इसके अलावा, पिपेरीन मस्तिष्क में बीटा एंडोर्फिन को बढ़ाता है जो मानसिक स्पष्टता को प्रोतसाहित करता है। एंडोर्फिन प्राकृतिक दर्द निवारक और मूड लिफ्टर के रूप में काम करते हैं। वे तनाव को कम करते हैं और कल्याण की भावना को बढ़ावा देते हैं, जिससे चिंता और उदासी कम हो जाती है। इसलिए, अपने दैनिक भोजन में काली मिर्च को शामिल करें और अपने-अपने मूड को सुधारने के साथ-साथ संज्ञानात्मक कार्य में भी सुधार लाएं।

डॉक्टरों का कहना है कि अवसाद कुछ दिनों की समस्या नहीं है, यह एक लंबी बीमारी है। यह एक मानसिक स्वास्थ्य विकार है जो लगातार उदासी और किसी भी चीज से कोई लगाव न होने के कारण होता है। काली मिर्च में मौजूद पिपेरिन अवसाद से निपटने में मदद करता है। यह मस्तिष्क को उत्तेजित करता है और इसे अधिक सक्रिय बनाकर ठीक से काम करने में मदद करता है।

(और पढ़ें – मानसिक रोग के कारण)

काली मिर्च बेनिफिट्स है दांत और मसूड़ों की समस्याओं का प्राकृतिक उपचार - Black Pepper ke Fayde for Oral Problems in Hindi

चूंकि काली मिर्च दर्द और सूजन को कम करने में सहायक है, आप काली मिर्च का उपयोग नमक के साथ मसूड़ों में जलन व सूजन को ठीक करने में कर सकते हैं। इसका इस्तेमाल मुंह की बदबू और मसूड़ों से खून आना जैसी मौखिक परेशानियों का समाधान करने के लिए भी किया जा सकता है।

दांत और मसूड़ों से सम्बन्धित समस्याओं को अलविदा कहने के लिए -

  • पानी की कुछ बूंदों में नमक और काली मिर्च दोनों को बराबर मात्रा में मिलाएं और इससे अपने मसूढ़ों की मालिश करें।
  • दांत को दर्द को कम करने के लिए, लौंग के तेल में काली मिर्च पाउडर की एक चुटकी मिलाकर प्रभावित क्षेत्र पर लगाएं। 

(और पढ़ें – मसूड़ों की सूजन का इलाज​)

काली मिर्च का फायदा दिमाग के लिए - Kali Mirch for Brain in Hindi

काली मिर्च आपके मस्तिष्क के स्वास्थ्य पर बहुत अधिक प्रभाव डालती है। काली मिर्च में मौजूद पाइपरिन एक ऐसे एंजाइम को रोकता है जो सेरोटोनिन (दिमाग को शांत रखने वाला रसायन) को तोड़ देता है। यह एंजाइम मेलाटोनिन (melatonin) नामक एक और हार्मोन के कार्य को भी कम करता है - जो हमारी नींद को नियंत्रित करने में मदद करता है।

पार्किंसंस रोग में भी पाइपरिन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह ऐसे एंजाइम को रोकता है जो डोपामाइन (अच्छा महसूस करवाने वाला हार्मोन) के उत्पादन में रुकावट डालता है। पार्किंसंस रोगियों में आमतौर पर डोपामाइन की कमी पाई जाती है, और काली मिर्च का सेवन आपको अच्छा महसूस करने में मदद कर सकती है। काली मिर्च अल्जाइमर रोग को भी रोक सकती है। इसके अलावा, यह स्ट्रोक के लिए भी लाभकारी मानी जाती है। एक भारतीय अध्ययन के अनुसार, काली मिर्च में मौजूद पाइपरिन अमीलाइडल प्लेक के गठन को कम कर सकता है और अल्जाइमर रोग को रोक सकता है।

(और पढ़ें- अल्जाइमर के लिए आहार

यह काली मिर्च के कुछ स्वास्थ्य लाभ हैं। लेकिन जैसा कि एक कहावत है - बहुत अच्छी चीज की भी ज्यादा मात्रा खराब हो सकती है। तो काली मिर्च के साथ भी कुछ ऐसा ही मामला है। यदि आप काली मिर्च के सेवन की मात्रा को नियंत्रण में रखें तो यह आपकी सेहत के लिए खूब अच्छी है। परंतु जिस पल आप इसका सेवन अधिक मात्रा में करेंगे, यह आपके शरीर पर नकरात्मक प्रभाव भी डाल सकती है।

  • चूँकि काली मिर्च स्वाभाविक रूप से उष्म होती है, इसका अत्यधिक सेवन आपके पेट में जलन पैदा कर सकता है। परंतु चिंता न करें क्योंकि यह जलन अस्थायी होती है और कुछ समय बाद, स्वयं ही ठीक हो जाती है।
  • काली मिर्च को त्वचा और ख़ास करके आँख के सीधे संपर्क से बचाना चाहिए। इससे बहुत जलन हो सकती है।
  • साइक्लोस्पोरिन ए, कोलिनरगिक, डिगॉक्सिन और साइटोक्रॉम पी 450 लेने वाले मरीजों को काली मिर्च के सेवन से बचना चाहिए।
  • काली मिर्च पेट को खराब कर सकती है और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं भी पैदा कर सकती है। इसलिए जठरांत्र संबंधी विकारों से पीड़ित रोगियों को काली मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिए।
  • काली मिर्च को प्रायः सूंघने से श्वसन की जलन, अस्थमा आदि जैसी श्वसन समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
  • कुछ दुर्लभ मामलों में, काली मिर्च का सेवन, त्वचा में खुजली, सूजन और लालिमा जैसे लक्षण पैदा कर सकता है। (और पढ़ें - खुजली दूर करने के घरेलू उपाय)
  • गर्भवती अवस्था में और स्तनपान अवधि के दौरान काली मिर्च का सेवन नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान आपका शरीर मसालों के प्रति संवेदनशील होता है और उसके पश्चात स्तन-पान कराते समय काली मिर्च की गर्मता आपके दूध में स्थानांतरित हो सकती है, जो आपके शिशु को हानि पहुंचा सकती है। (और पढ़ें - गर्भावस्था में पेट में दर्द और लड़का पैदा करने के उपाय)
  • ग्रीष्म ऋतू के दौरान काली मिर्च का अत्यधिक सेवन नाक से खून बहने की समस्या उत्पन्न कर सकता है।

यदि आप काली मिर्च खाने के फायदे और नुकसान की तुलना करेंगे तो अवश्य ही काली मिर्च के फायदों की जीत होगी। यदि आप इसे बहुत ज्यादा खा लेते हैं तो ये एकमात्र तरीका है कि काली मिर्च आप को हानि पहुंचा सकती है। तो, संयम से अपने पसंदीदा मसाले का आनंद लें!

  • कुछ अध्ययनों के अनुसार, काली मिर्च में मौजूद पाइपरिन जानवरों में ब्लड प्रेशर को कम कर सकता है, और मनुष्यों में भी इसी तरह के प्रभाव की उम्मीद की जा सकती है। एक स्लोवाकियाई अध्ययन (Slovakian study) में कहा गया है कि पाइपरिन का सेवन करने से यह ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है।
  • एक दक्षिण अफ्रीकी अध्ययन के अनुसार, काली मिर्च में मुजूद पाइपरिन के लार्वाइसाइड प्रभाव के कारण यह संक्रमण और बीमारी को फैलाने से रोकने में मदद करता है।
  • काली मिर्च में एंटीऑक्सीडेंट और सूजन कम करने वाले गुण होते हैं, जो पेप्टिक अल्सर (peptic ulcers) को ठीक करने में मदद करते हैं।
  • अध्ययनों से पता चला है कि काली मिर्च भांप लेने से धूम्रपान के लक्षण कम हो सकते हैं। काली मिर्च धूम्रपान करने की लालसा को रोकने में भी मदद कर सकती है। (और पढ़ें- धूम्रपान छोड़ने के घरेलू उपाय)
  • चेहरे से झुर्रियां, रेखाएं, और यहां तक कि काले धब्बों को हटाने के लिए काली मिर्च आपकी मदद कर सकती है। शहद या हल्दी की बराबर मात्रा, 1 चम्मच काली मिर्च और पानी के साथ मिलाएं। इस फेस मास्क को दिन में दो बार अपने चेहरे पर लगाएं।

(और पढ़ें - काले दाग हटाने के घरेलू उपाय)

  • आमलेट, अंडे की मेयोनेज़ और अन्य पनीर के व्यंजनों में काली मिर्च का उपयोग किया जा सकता है।
  • घर का बने बर्गर, सॉस यदि चीजों में काली मिर्च का पाउडर इस्तेमाल किया जा सकता है।  
  • सूप को बनाने के लिए भी काली मिर्च का पाउडर उपयोग हो सकता है।
  • खाना पकाने से पहले मांस, मुर्गी और मछली पर काली मिर्च का पाउडर छिड़का जा सकता है। 
  • समुद्री भोजन में काली मिर्च डालकर उसका सेवन करें।

काली मिर्च की तासीर गर्म होती है। यह हमारे स्वास्थ्य के लिए काफी फायदेमंद है पर इसका अधिक सेवन शरीर को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए नियमित मात्रा में ही काली मिर्च का उपयोग करें।

(और पढ़ें - सर्दियों में क्या नहीं खाना चाहिए)


उत्पाद या दवाइयाँ जिनमें काली मिर्च है

संदर्भ

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  2. Derosa G, Maffioli P, Sahebkar A. Piperine and Its Role in Chronic Diseases. Adv Exp Med Biol. 2016;928:173-184. PMID: 27671817
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