सुसैक सिंड्रोम - Susac's Syndrome in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

May 08, 2021

June 22, 2023

सुसैक सिंड्रोम
सुसैक सिंड्रोम

सुसैक सिंड्रोम एक ऑटोइम्यून स्थिति है, जो दिमाग की छोटी रक्त वाहिकाओं, रेटिना (आंख का एक हिस्सा) और आंतरिक कान (कोक्लीआ) को प्रभावित करती है। इस स्थिति की तीन मुख्य विशेषताएं हैं : मस्तिष्क रोग (एन्सेफैलोपैथी), सुनने में कठिनाई (हियरिंग लॉस) और देखने में ​दिक्कत (विजन लॉस)।

ऑटोइम्यून रोग का मतलब है कि प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से ऊतकों पर हमला करती है। कुछ लोगों में सुसैक सिंड्रोम के सभी लक्षण नहीं हो सकते हैं, लेकिन लक्षणों के विशिष्ट संयोजन विकसित हो सकते हैं। सुसैक सिंड्रोम पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित करता है। सुसैक सिंड्रोम के लक्षण जिस उम्र में शुरू होते हैं, वह आमतौर पर 20 से 40 वर्ष के बीच होता है, लेकिन कुछ लोगों में इस आयु सीमा से पहले या बाद में भी लक्षण देखे जा सकते हैं।

सुसैक सिंड्रोम का कारण अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है। इसका निदान नैदानिक परीक्षण और इमेजिंग टेस्ट पर आधारित है। उपचार के विकल्पों में कॉर्टिकोस्टेरॉइड और साइक्लोफॉस्फेमाइड के साथ-साथ एंटीकोआग्यूलेशन दवाएं शामिल हैं।

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सुसैक सिंड्रोम के लक्षण - Susac Syndrome symptoms in Hindi

सुसैक सिंड्रोम के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं :

मस्तिष्क के लक्षण (ये सबसे आम शुरुआती लक्षण हैं):

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आंख के लक्षण :

आंतरिक कान के लक्षण :

सुसैक सिंड्रोम वाले अधिकांश लोगों में एक ही समय में मस्तिष्क, आंख और आंतरिक कान से जुड़े लक्षण नहीं होते हैं, लेकिन इस बीमारी से ग्रस्त लगभग 85% लोग इन तीनों हिस्सों में लक्षणों का अनुभव करते हैं।

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सुसैक सिंड्रोम का कारण - Susac Syndrome causes in Hindi

वर्तमान में सुसैक सिंड्रोम का सही कारण पता नहीं है, लेकिन यह एक ऑटोइम्यून विकार है, ऑटोइम्यून का मतलब है कि प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से ऊतकों पर हमला करती है। जब ऐसा होता है, तो उन छोटी रक्त वाहिकाओं में सूजन हो जाती है जो मस्तिष्क, रेटिना और आंतरिक कान में खून की आपूर्ति करती हैं। यह सूजन रक्त वाहिकाओं को पूरी तरह से बंद करने का कारण बन सकती है, जिससे शरीर के कुछ हिस्सों को पर्याप्त खून या ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है। सुसैक सिंड्रोम के लक्षण तब दिखते हैं जब छोटी रक्त वाहिकाओं को नुकसान होता है और खून व ऑक्सीजन ले जाने वाली इन रक्त वाहिकाओं की क्षमता में कमी आ जाती है।

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सुसैक सिंड्रोम का निदान - Susac Syndrome diagnosis in Hindi

सुसैक सिंड्रोम का निदान पूरी तरह से नैदानिक मूल्यांकन, मेडिकल हिस्ट्री और कई विशिष्ट टेस्ट के आधार पर किया जा सकता है। इन परीक्षणों में एमआरआई भी शामिल हो सकता है। सुसैक सिंड्रोम वाले लोगों में, एमआरआई के माध्यम से मस्तिष्क में होने वाले बदलाव, खासकर कॉर्पस कॉलोसम (सी के आकार का तंत्रिका तंतु) में बदलाव के बारे में पता चल सकता है।

सुसैक सिंड्रोम के निदान के लिए आंखों की जांच भी की जा सकती है। इस टेस्ट में एक फ्लोरेसिन एंजियोग्राफी शामिल है, जो रेटिना के माध्यम से रक्त के प्रवाह को मापती है। अन्य टेस्ट में हियरिंग एक्जाम शामिल (सुनने का परीक्षण) है, जिसकी मदद से और मस्तिष्कमेरु द्रव के विश्लेषण और सुनने में परेशानी की जांच की जाती है।

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विजुअल डिस्ट​र्बेंस का जोखिम किसे है? - Who is at risk for visual disturbances in Hindi?

देखने से संबंधित समस्याओं का जोखिम निम्न लोगों को होता है :

कोई भी विजुअल डिस्ट​र्बेंस अनुभव कर सकता है। कई स्थितियां आपको एक या अधिक विजुअल डिस्ट​र्बेंस के जोखिम में डालती हैं। इनमें शामिल हैं :

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सुसैक सिंड्रोम का इलाज - Susac Syndrome treatment in Hindi

सुसैक सिंड्रोम का उपचार यदि उचित समय पर शुरू करने के साथ-साथ निरंतर जारी रखा जाए, तो नसों को होने वाले नुकसान, सुनने में दिक्कत और देखने से जुड़ी समस्या को कम करने में मदद की जा सकती है। उपचार में ऐसी दवाएं शामिल हैं, जो प्रतिरक्षा प्रणाली की गतिविधि को दबा देती हैं, ताकि यह मस्तिष्क, आंखों और कानों में रक्त वाहिकाओं को नुकसान न पहुंचा पाए। ऐसे में इम्यूनोस्प्रेसिव दवाओं को उपचार में शामिल किया जा सकता है, जिसमें कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स, साइक्लोफॉस्फेमाइड और इंट्रावीनस इम्युनोग्लोबुलिन की खुराक शामिल है। छोटी रक्त वाहिकाओं में थक्के को रोकने के लिए डॉक्टर खून को पतला करने में मदद करने वाली दवाएं जैसे एस्पिरिन लेने की सलाह दे सकते हैं। एक बार उपचार से लक्षणों में सुधार होने के बाद, दवाओं को धीरे-धीरे बंद किया जा सकता है।

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