इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन एक मिनीमली इनवेसिव सर्जरी है, जिसका मतलब है कि इस सर्जरी प्रोसीजर में बहुत छोटा सा चीरा लगाना पड़ता है। इस सर्जरी प्रोसीजर में आंख में एक विशेष प्लास्टिक रिंग लगाई जाती है, जिससे क्षतिग्रस्त (या रोगग्रस्त) कॉर्निया की आकृति में कुछ बदलाव हो जाता है और परिणामस्वरूप दृष्टि में भी सुधार होता है।
कॉर्निया आंख की सबसे बाहरी परत है। यह पारदर्शी है, जो बाहर से आंख में जाने वाली रोशनी को मोड़कर आंख के प्राकृतिक लेंस तक पहुंचाती है। हालांकि, कुछ स्थितियों में कॉर्निया की आकृति खराब हो जाती है, जिससे दृष्टि भी प्रभावित हो जाती है। इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी से इस समस्या का इलाज नहीं हो पाता है, लेकिन यह चश्मे व लेंस लगाने में थोड़ी आसानी कर देती है। इस सर्जरी से कुछ जोखिम हो सकते हैं, जैसे रात को ठीक से न देख पाना, प्रभामंडल दिखना और आकाश में तैरते सितारे दिखाई देना आदि। ये सभी लक्षण आमतौर पर सर्जरी के छह महीने बाद ठीक हो जाते हैं।
(और पढ़ें - आंखों की बीमारी का इलाज)
- इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन क्या है - What is Intracorneal ring segment implantation in Hindi
- इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन किसलिए किया जाता है - Why is Intracorneal ring segment implantation in Hindi
- इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन से पहले - Before Intracorneal ring segment implantation in Hindi
- इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन के दौरान - During Intracorneal ring segment implantation in Hindi
- इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन के बाद - After Intracorneal ring segment implantation in Hindi
- इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन की जटिलताएं - Complications of Intracorneal ring segment implantation in Hindi
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन क्या है - What is Intracorneal ring segment implantation in Hindi
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी क्या है?
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन को आईसीआरएस (ICRS) भी कहा जाता है। यह एक मिनिमली इनवेसिव सर्जरी है, जिसमें आंख के कॉर्निया में एक विशेष डिवाइस लगाई जाती है। यह डिवाइस एक छल्ले (रिंग) की आकृति की होता है, जो कॉर्निया की आकृति में कुछ बदलाव करके दृष्टि में सुधार करती है।
कॉर्निया आंख की मजबूत, पारदर्शी और सबसे बाहरी परत है। यह आंख को सिर्फ धूल-मिट्टी व रोगाणुओं से ही नहीं बचाता, बल्कि इसके साथ ही यह दृष्टि में भी काफी मदद करता है। कॉर्निया आंख के लिए एक खिड़की के रूप में काम करता है, जो आंख के अंदर जाने वाली रोशनी को नियंत्रित करता है। जब किसी वस्तु से रोशनी की किरणें आंखों में जाती हैं, तो कॉर्निया इन किरणों को मोड़कर आंख के प्राकृतिक लेंस पर भेज देता है। लेंस इसके बाद इन किरणों को रेटिना में भेजता है, जहां इनको आवेगों (इम्पल्स) में बदला जाता है। इसके बाद ऑप्टिक नर्व के माध्यम से इन आवेगों को मस्तिष्क तक पहुंचाया जाता है।
हालांकि, आंख संबंधी कुछ समस्याएं हैं, जिनमें कॉर्निया अपनी सामान्य आकृति खोकर पतला व ढलान-नुमा बन जाता है, जिसके कारण दृष्टि खराब हो जाती है। ऐसा आमतौर पर केराटोकोनस जैसी स्थितियों में होता है। वैसे तो इस स्थिति को शुरुआत में कॉन्टेक्ट लेंस व नंबर वाले चश्मों के साथ ठीक किया जा सकता है, लेकिन बाद में यह स्थिति खराब होने लगती है और इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी की आवश्यकता पड़ती है।
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन प्रोसीजर, कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन के एक विकल्प के रूप में किया जाता है। इसमें प्लास्टिक के दो अर्धचंद्राकार छल्ले कॉर्निया में लगा दिए जाते हैं, जिससे कॉर्निया अपनी सामान्य आकृति में आ जाता है।
आईसीआरएस इम्प्लांटेशन प्रोसीजर को कॉर्नियल ट्रांसप्लांटेशन से बेहतर माना जाता है। ऐसा इसलिए यदि कोई दिक्कत होती है, तो छल्ले को आसानी से निकाला जा सकता है।
इस सर्जरी प्रोसीजर से केरेटोकोनस का इलाज नहीं किया जाता है, इसलिए इसके साथ कॉर्नियल कोलीजन क्रॉसलिंकिंग नामक सर्जरी प्रोसीजर भी किया जाता है, जिससे कॉर्निया को स्थिर किया जाता है।
(और पढ़ें - कॉर्नियल अल्सर के लक्षण)
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन किसलिए किया जाता है - Why is Intracorneal ring segment implantation in Hindi
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी किसलिए की जाती है?
यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या है, तो इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी की जा सकती है -
केराटोकोनस के साथ एस्टिगमेटिज्म या मायोपिया होना,
- केराटोकोनस के लक्षणों में निम्न शामिल हैं -
- दृष्टि ठीक न होना
- धुंधलापन
- रोशनी के प्रति संवेदनशीलता (प्रकाश सहन न कर पाना)
- रोशनी से चमक लगना
- बार-बार चश्मे या कॉन्टेक्ट लेंस के नंबर बदलवाने की आवश्यकता पड़ना
- मायोपिया के लक्षणों में निम्न शामिल हैं -
- सिरदर्द
- आंखों पर जोर पड़ना
- दूर की चीजें देखने में दिक्कत होना
- चीजों को स्पष्ट देखने के लिए आंखों को सिकोड़ना
पेल्लूसिड मार्जिनल डीजेनेरेशन -
- इस स्थिति में आमतौर पर कोई लक्षण पैदा नहीं होता है। हालांकि, इससे ग्रस्त लोगों को धीरे-धीरे अपनी दृष्टि में कमी महसूस होने लगती है, जो चश्मे से ठीक नहीं हो पाती है।
- लेसिक सर्जरी के बाद कॉर्निया कमजोर पड़ जाना
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?
यदि आपकी उम्र 21 साल से नीचे है और साथ ही आपको निम्न में से कोई समस्या है, तो इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी नहीं की जाती है -
- कॉर्निया का बीच वाला हिस्सा धुंधला होना
- कॉर्निया की मोटाई 450 माइक्रॉन से कम होना
- एडिमा के कारण कॉर्निया में अपारदर्शिता होना (कॉर्नियल हाईड्रॉप्स)
- एडवांस केराटेएक्टेसिया ग्रेड 4 (कॉर्निया में असाधारण रूप से उभाड़ हो जाना)
- हर्पेटिक केराटिटिस (हर्पीस वायरस के कारण आंख में वायरल संक्रमण होना)
- वैस्कुलर कोलेजन और स्व प्रतिरक्षित रोग
(और पढ़ें - आंखों की सूजन का इलाज)
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन से पहले - Before Intracorneal ring segment implantation in Hindi
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी से पहले क्या तैयारी की जाती है?
सर्जरी से कुछ दिन पहले आपको अस्पताल बुलाया जाता है, जहां पर सबसे पहले सामान्य आई टेस्ट किया जाता है। साथ ही कुछ अन्य टेस्ट भी किए जाते हैं, जिनमें कॉर्निया में बदलाव और रोशनी पर फोकस करने की क्षमता आदि की जांच की जाती है। इसके अलावा आपको कुछ अन्य टेस्ट भी करवाने पड़ सकते हैं -
- कॉर्नियल टोपोग्राफी -
इस टेस्ट प्रोसीजर में आंख का कंप्यूटराइज्ड फोटोग्राफ लिया जाता है, जिसमें कॉर्निया में अनियमितताओं का पता लगाया जाता है।
- अल्ट्रासाउंड पेचिमेट्री -
अल्ट्रासाउंड पेचिमेट्री की मदद से कॉर्निया की मोटाई का पता लगाया जाता है।
इसके अलावा सर्जरी की तैयारी करने के लिए निम्न सलाह दी जा सकती है -
- यदि आप किसी भी प्रकार की कोई दवा, विटामिन, मिनरल या हर्बल उत्पाद ले रहे हैं, तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें। आपको इनमें से कुछ दवाओं को एक निश्चित समय के लिए बंद करने को कहा जा सकता है, जिनमें मुख्य रूप से रक्त पतला करने वाली दवाएं शामिल हैं, जैसे एस्पिरिन, वारफेरिन और विटामिन ई आदि।
- सर्जरी वाले दिन अस्पताल में अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लेकर आएं, जो सर्जरी से पहले और बाद के कार्यों में आपकी मदद कर सके।
- सर्जरी के लिए अस्पताल जाने से पहले नहा लें और मेकअप न करें। यदि आपने कोई आभूषण या गैजेट पहना है, तो उसे भी उतारकर घर पर ही रख दें।
- यदि आप सिगरेट या शराब पीते हैं, तो डॉक्टर आपको सर्जरी से कुछ दिन पहले और बाद तक इन्हें छोड़ने की सलाह दे सकते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि धूम्रपान व शराब का सेवन सर्जरी के बाद जटिलताएं होने के खतरे को बढ़ा सकता है।
- आपको सर्जरी के लिए खाली पेट अस्पताल आने को कहा जाता है। इसके लिए आपको सर्जरी वाले दिन से पहली आधी रात के बाद कुछ भी खाने या पीने से मना किया जाता है। हालांकि, आपको सर्जरी से दो घंटे पहले साफ पानी, फलों के रस और बिना मीठे की चाय व कॉफी पीने की अनुमति दी जा सकती है।
- अस्पताल जाते समय ढीले-ढाले व आरामदायक कपड़े पहनें।
- अंत में आपको एक सहमति पत्र दिया जाता है, जिस पर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे सकते हैं।
(और पढ़ें - ब्लैक कॉफी पीने के फायदे)
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन के दौरान - During Intracorneal ring segment implantation in Hindi
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी कैसे की जाती है?
जब आप सर्जरी के लिए अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो हॉस्पिटल स्टाफ आपको पहनने के लिए विशेष ड्रेस देते हैं। इस सर्जरी में या तो जनरल या फिर लोकल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया जाता है। यह सर्जिकल प्रोसीजर कुछ इस प्रकार है -
- एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाने के बाद, सर्जन एक लिड स्पेक्युलम नामक उपकरण को आंख में डालते हैं। लिड स्पेक्युलम एक ऐसा उपकरण है, जिसकी मदद से आंख को खोलकर रखा जाता है।
- इसके बाद जिस हिस्से की सर्जरी करनी है वहां पर निशान लगाए जाते हैं और फिर डायमंड नाइफ की मदद से चीरा लगाया जाता है। इस प्रोसीजर के दौरान आपकी आंख को एक ही स्थान पर स्थिर रखा जाता है।
- इसके बाद डिसेक्टर नामक एक अर्धवृत्ताकार उपकरण को आंख में डाला जाता है और फिर इसे घड़ी की दिशा में घुमाया जाता है, जिसकी मदद से रिंग इंप्लांट करने के लिए चैनल बनाए जाते हैं।
- इसके बाद इन चैनल में रिंग डाले जाते हैं और फिर हुक जैसे दिखने वाले उपकरण (सिन्सकी हुक) की मदद से उन्हें कॉर्निया पर लगा दिया जाता है।
- जब रिंग इंप्लांट हो जाता है, तो सर्जन आंख में विशेष आई ड्रॉप्स व क्रीम लगाते हैं, जिससे दर्द, सूजन व संक्रमण नहीं हो पाता है।
- इस सर्जरी में लगाए गए चीरे में टांके नहीं लगाए जाते हैं।
- यदि सर्जरी को जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर किया गया है, तो ऑपरेशन के बाद आपको रिकवरी वार्ड में शिफ्ट किया जाता है।
(और पढ़ें - आंख के संक्रमण के लक्षण)
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन के बाद - After Intracorneal ring segment implantation in Hindi
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी के बाद की देखभाल कैसे करें?
आपको अस्पताल से छुट्टी मिलने से पहले कुछ विशेष निर्देश दिए जाते हैं, जिनका पालन करके आप घर पर अपनी देखभाल कर पाते हैं -
- सर्जरी के बाद कुछ दिन तक आपको दिन के समय धूप वाले चश्मे और रात के समय आईशिल्ड पहनने की सलाह दी जाती है।
- आपको कुछ प्रकार की दवाएं जैसे पेन-किलर व एंटीबायोटिक दी जाती हैं। जिनकी मदद से सर्जरी के बाद दर्द व संक्रमण नहीं हो पाता है।
- सर्जरी के बाद आप सामान्य रूप से चल-फिर सकते हैं और थोड़ा बहुत टीवी व मोबाइल फोन की स्क्रीन देख सकते हैं। हालांकि, सर्जरी के बाद चार से छह हफ्तों तक स्विमिंग, खेलकूद, जॉगिंग और अन्य कोई ऐसी गतिविधि न करें।
- सर्जरी के बाद आपको नहाने के लिए विशेष सलाह दी जाती है, जिसमें आपको गर्दन से नीचे पानी डालने को कहा जाता है। आपको कम से कम तीन से छह हफ्तों तक सिर पर पानी डालने से मना किया जाएगा।
- मुंह धोते या शेविंग आदि करते समय भी पानी को आंखों के अंदर न जाने दें।
- डॉक्टर से अनुमति लिए बगैर ड्राइविंग या अन्य किसी मशीन को ऑपरेट न करें।
- कम से कम चार हफ्तों तक आंख का कोई मेकअप (जैसे काजल आदि) न करें।
- यदि आप धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं, तो उन्हें तब तक छोड़ कर रखें जब तक आप सर्जरी से पूरी तरह से स्वस्थ नहीं हो जाते। (और पढ़ें - शराब छोड़ने के उपाय)
यह सर्जरी करवाने के बाद नजर के चश्मे व कॉन्टेक्ट लेंस से पूरी तरह से छुटकारा नहीं मिल पाता है। इसकी बजाय आईसीआरएस से कॉर्निया को स्थिर किया जाता है, जिससे कॉन्टेक्ट लेंस और चश्मे लगाने में थोड़ी आसानी रहती है।
(और पढ़ें - सिगरेट छोड़ने के घरेलू तरीके)
डॉक्टर को कब दिखाएं?
यदि आपको सर्जरी के बाद निम्न जटिलताएं हो रही हैं -
- ऐसा महसूस होना जैसे लक्षण उल्टा बढ़ रहे हैं
- यदि आपको आंख से द्रव बहना या दर्द होने जेसी समस्याएं होने लगी हैं
- आंखों मे ंलालिमा बढ़ जाना (और पढ़ें - आंख लाल होने के कारण)
- दृष्टि पहले की तुलना में कम हो जाना
(और पढ़ें - आंख लाल होने के घरेलू उपाय)
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन की जटिलताएं - Complications of Intracorneal ring segment implantation in Hindi
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी से क्या जोखिम हो सकते हैं?
इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन सर्जरी से निम्न जोखिम व जटिलताएं हो सकती हैं -
- संक्रमण
- प्रभामंडल दिखाई देना
- नजर कभी कम कभी ज्यादा लगना
- दृष्टि कम या ज्यादा होना
- धुंधला दिखना
- आकाश में तैरते सितारों जैसी आकृतियां दिखना
- कॉन्टेक्ट लेंस न लगा पाना
इनमें से अधिकतर साइड इफेक्ट तीन से छह महीनों के अंदर ठीक हो जाते हैं। हालांकि, कुछ लोगों को साल के बाद तक भी यह लक्षण महसूस होते हैं, जिससे इंट्राकॉर्नियल रिंग सेगमेंट इम्प्लांटेशन को निकालने की आवश्यकता पड़ सकती है।
(और पढ़ें - चश्मा हटाने के घरेलू उपाय)
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संदर्भ
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