गर्भावस्था में क्या खाएं और क्या ना खाएं - What to eat and not to eat during Pregnancy in Hindi

गर्भावस्था का समय बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। गर्भावस्था में महिलाएं जो भी खाती हैं उसका सीधा असर बच्चे पर पड़ता है। इस दौरान शरीर को स्वस्थ और बच्चे को तंदुरुस्त रखने के लिए अच्छा और पोषक तत्वों से भरपूर आहार लेना बहुत जरूरी है। गर्भावस्था में महिलाओं के शरीर को पोषक तत्वों की ज्यादा जरूरत होती है। इसलिए इस समय महिलाओं को ऐसा आहार लेना चाहिए जिससे न केवल उनको बल्कि शिशु को भी पोषण दिया जा सके। इस समय कॉफी, चाय, कोल्ड-ड्रिंक और बाहरी भोजन खाने से परहेज करना चाहिए यदि मां के शरीर में ज्यादा कैफीन की मात्रा जाएगी तो इससे बच्चे के विकास में बुरा असर पड़ेगा।

  1. गर्भावस्था में संतुलित आहार - Pregnancy and balanced diet in Hindi
  2. गर्भावस्था में ज़रूरी पोषक तत्व - Important nutrients in pregnancy in Hindi
  3. गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए? - What to eat in pregnancy in Hindi?
  4. प्रेगनेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए? - What not to eat in pregnancy in Hindi?
  5. सारांश - Summary

गर्भावस्था में संतुलित आहार - Pregnancy and balanced diet in Hindi

गर्भावस्था के पहले 12 हफ्तों में संतुलित आहार लेना बहुत जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान लिए गए संतुलित आहार से प्रेगनेंसी में होने वाली समस्याओं जैसे कि कब्ज और जी मिचलाने आदि से बचा जा सकता है। पौष्टिक आहार मां और शिशु दोनों को स्वस्थ रहने में मदद मिलती है। संतुलित आहार लेना इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि कई बार पोषक तत्वों की कमी की वजह से भ्रूण के विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। गर्भधारण के बाद भोजन में 200 से 300 कैलोरी लेना ही अच्छा रहता है। अगर किसी महिला का गर्भावस्था के दौरान वजन 50 किलो है तो उसे प्रतिदिन लगभग 65 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए।

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गर्भावस्था में ज़रूरी पोषक तत्व - Important nutrients in pregnancy in Hindi

गर्भावस्था में स्वस्थ आहार के सेवन से जरूरी विटामिन प्राप्त किए जा सकते हैं जिससे भ्रूण के विकास और बच्चे के वजन को संतुलित रखने में मदद मिलती है। बच्चे को जन्मजात विकारों का खतरा नहीं होता है। गर्भावस्था में महिलाओं का मूड हर समय बदलता रहता है उससे भी बचा जा सकता है। बच्चे में किसी भी तरह की कमी और बीमारी नहीं होती और गर्भावस्था में होने वाले मधुमेह से भी बचाव होता है।

ऊपर बताए गए खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करके गर्भावस्था के समय को और भी ज्यादा सुखद - सरल और स्वस्थ बनाया जा सकता है । गर्भावस्‍था में पौष्टिक आहार लेना न केवल मां बल्कि शिशु के लिए भी बहुत जरूरी है।

अगर कोई महिला गर्भावस्‍था के दौरान खानपान पर ध्‍यान नहीं देती है या अपने भोजन में आवश्‍यक पोषक तत्‍वों को शामिल नहीं करती है तो इसकी वजह से उसके शिशु को नुकसान पहुंच सकता है। पोषक तत्‍वों की कमी के कारण शिशु का कोई जन्‍मजात विकार हो सकता है या उसमें किसी प्रकार की कोई कमी हो सकती है। संतुलित आहार न लेने के कारण खुद महिलाओं को भी प्रसव से संबंधित समस्‍याएं होने का खतरा रहता है। इसलिए गर्भवती महिला और शिशु दोनों के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए संतुलित आहार बहुत जरूरी है।

  1. मल्टी विटामिंस
  2. कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार
  3. प्रोटीन युक्त आहार
  4. कैल्शियम युक्त आहार
  5. आयोडीन युक्त आहार
  6. फोलिक एसिड युक्त आहार
  7. आयरन युक्त आहार

मल्टी विटामिंस

अगर आप नियमित रूप से मल्टीविटामिन लेती हैं, तो इससे प्रेग्नेंट होने की संभावना बढ़ सकती है. रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि अगर महिलाएं प्रति सप्ताह 3 या इससे अधिक दिनों तक मल्टीविटामिन का सेवन करती हैं, तो लगभग 20 प्रतिशत ओव्यूलेटरी इनफर्टिलिटी से बचा जा सकता है. दरअसल, विटामिन में पाए जाने वाले सूक्ष्म पोषक तत्व प्रजनन क्षमता को बढ़ाने में आपकी मदद कर सकते हैं. प्रेग्नेंट होने के लिए महिलाओं को फोलेट युक्त मल्टीविटामिन का सेवन करना चाहिए, इससे उन्हें बेहतर रिजल्ट मिल सकता है.

कार्बोहाइड्रेट युक्त आहार

प्रेग्नेंट होने के लिए अपने डाइट में हेल्दी कार्ब्स को शामिल करें. वहीं, अत्यधिक संसाधित (highly processed) कार्ब्स को सीमित मात्रा में डाइट में शामिल करें. आपका शरीर अत्यधिक संसाधित कार्ब्स (जैसे कुकीज, केक, व्हाइट ब्रेड और व्हाइट राइस) को जल्दी से पचाता है और उन्हें ब्लड शुगर में बदल देता है. ऐसे में आपके शरीर में ब्लड शुगर की वृद्धि हो सकती है. रक्त-शर्करा की वृद्धि को कम करने के लिए, अग्न्याशय (Pancreas) रक्तप्रवाह में इंसुलिन स्त्राव करता है. अध्ययनों के मुताबिक, उच्च इंसुलिन का स्तर ओव्यूलेशन (Inhibit Ovulation) में अवरुद्ध उत्पन्न कर सकती है.

वहीं, हेल्दी कार्ब्स (जिनमें फाइबर होता है, जैसे- फल, सब्जियां, बीन्स और साबुत अनाज) आपके शरीर में धीरे-धीरे पचते हैं और रक्त शर्करा और इंसुलिन पर अधिक क्रमिक प्रभाव डालते हैं. ऐसे में इस तरह के अहार से प्रजनन क्षमता बेहतर होती है. इसके अलावा हेल्दी कार्ब्स युक्त आहार विटामिन बी, विटामिन ई और फाइबर के भी अच्छे स्त्रोत होते हैं.

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) जैसे हार्मोनल समस्याओं से जूझ रही महिलाओं को अपने आहार में ग्लूटेन युक्त आहार को कम करने की सलाह दी जाती है. ग्लूटेन युक्त आहार आपके शरीर में इंफ्लेमेशन की प्रतिक्रिया को बढ़ा सकता है. ऐसे में गर्भधारण करने में परेशानी आ सकती है. इसलिए अपने आहार में हमेशा हेल्दी कार्ब्स को शामिल करें.

प्रोटीन युक्त आहार

प्रोटीन में मौजूद एमीनो एसिड शरीर में कोशिकाओं को बनाने में मदद करता है। गर्भावस्था में 40 से 70  ग्राम प्रोटीन हर दिन लेना चाहिए। प्रोटीन की कमी को पूरा करने के लिए दूध-दही, अंडा,मसूर की दाल आदि का सेवन कर सकते हैं। गेहूं की रोटी, दाल, हरी सब्जी, मछली, अंकुरित दाल, सलाद में गाजर-चुकंदर आदि लेने से शरीर में प्रोटीन की कमी नहीं होगी।

कैल्शियम युक्त आहार

इसकी कमी से आपके बच्चे की हड्डियां और दांत कमजोर हो सकते हैं। कैल्शियम आपके बच्चे के हृदय और मांशपेशियों को विकसित करने में मदद करता है। दूध-दही, पनीर आदि में कैल्शियम होता है।

आयोडीन युक्त आहार

आपके शिशु के दिमाग के विकास के लिए आयोडीन बहुत जरूरी है। गर्भावस्था में आयोडीन की कमी से गर्भपात,समय से पहले प्रसव और भ्रूण की मृत्यु का खतरा रहता है। आयोडीन शरीर की थायरायड ग्रंथि के कार्य को ठीक करता है। दूधमछलीअंडा, भुना हुआ आलू (छिलके के साथ) आदि में आयोडीन की भरपूर मात्रा होती है।

फोलिक एसिड युक्त आहार

फोलिक एसिड मानव निर्मित विटामिन बी का ही रूप है जिसे फोलेट कहते हैं, फोलेट लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में अहम भूमिका निभाता है, जिसे विटामिन बी9 भी कहते हैं। फोलिक एसिड फलों और हरी सब्जियों में पाया जाता है। पालक, सेम आदि में फोलिक एसिड होता है।

(और पढ़ें - गर्भावस्था में फोलिक एसिड का महत्व)

आयरन युक्त आहार

गर्भावस्था में आयरन की दोगुनी मात्रा की जरूरत होती है। भ्रूण को विकसित होने के लिए अतिरिक्त खून की जरूरत होती है जिसके लिए शरीर में आयरन की पर्याप्त मात्रा होना अधिक आवश्यक है। महिलाएं मीट-चिकन,सोयाबीन, सेम की फली, मसूर की दाल और हरी पत्तीदार सब्जियों का सेवन करके आयरन की जरूरत को पूरा कर सकती हैं।

गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए? - What to eat in pregnancy in Hindi?

प्रेग्नेंट होने के लिए ऐसे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जिससे फर्टिलिटी क्षमता बढ़ सके. जैसे- दूध, दही, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार, नट्स इत्यादि. रिसर्च में भी इन बातों को साबित किया गया है कि इस तरह के आहार से प्रजनन क्षमता बढ़ती है. आइए विस्तार से जानें प्रेग्नेंट होने के लिए क्या खाएं -

  1. शकरकंद और अंडे
  2. फलियां और सूखे मेवे
  3. पौधे आधारित प्रोटीन
  4. पौधे आधारित वसा
  5. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार
  6. डेयरी प्रोडक्ट्स

शकरकंद और अंडे

शकरकंद में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए पाया जाता है। यह भ्रूण के विकास के लिए जरूरी है। गर्भवती महिलाओं को विटामिन ए युक्त आहार लेने की सलाह दी जाती है और अंडे से भी गर्भवती महिलाओं की ये जरूरत पूरी हो सकती है। शकरकंद और अंडे में लगभग थोड़ी- थोड़ी मात्रा में हर पोषक तत्व मौजूद हैं लेकिन ध्यान रहे कि कच्चे अंडे की बजाय पूरा पका हुआ अंडा खाएं। विटामिन सीविटामिन k और विटामिन ए, कैल्शियम, आयरन और पोटैशियम की कमी को पूरा करने के लिए गर्भावस्था के दौरान पालक और पत्तेदार सब्जियों को अपने आहार में शामिल करें।

फलियां और सूखे मेवे

फलियों में फाइबर, प्रोटीन, आयरन, और कैल्शियम ज्यादा होता है इसलिए सभी गर्भवती महिलाओं को अपने आहार में फलियों जैसे कि बीन्स, सहजन लेना चाहिए। सूखे मेवे भी प्रेगनेंसी में फायदेमंद होते हैं। बादाम,काजू और मूंगफली के आलावा मक्का और गेहूं से बना दलिया, सोयाबीन, शिमला मिर्च लेना चाहिए।

पौधे आधारित प्रोटीन

प्रेग्नेंट होने के लिए अपने आहार में पौधे आधारित प्रोटीन का सेवन करें. रिसर्च से पता चलता है कि पशु आधारित प्रोटीन (जैसे- मांस, मछली और अंडे) को भोजन में शामिल करने से इंफर्टिलिटी की समस्या बढ़ सकती है. ऐसे में अगर आप प्रेग्नेंट होना चाहती है, तो अपने आहार में वनस्पति प्रोटीन स्रोतों (जैसे- बीन्स, नट्स, और बीज) को शामिल करें. इससे महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ सकती है.

पौधे आधारित वसा

अगर आप प्रेग्नेंट होना चाहती हैं, तो अपने आहार में पौधे आधारित वसा को शामिल करें. ड्राई फ्रूट्स, ऑलिव ऑयल, अंगूर के बीज जैसे वसा को शामिल करना आपके लिए बेहतर हो सकता है. इन आहार के सेवन से शरीर में सूजन कम होती है, जो नियमित ओव्यूलेशन और सामान्य प्रजनन क्षमता को बढ़ावा देने में आपकी मदद कर सकती है. इनफर्लिटिली की परेशानी से जूझ रही महिलाओं के लिए गुड फैट काफी अच्छा माना जाता है.

अध्ययनों से पता चला है कि आईवीएफ सर्कल के दौरान एवोकाडो का एक निश्चित मात्रा में मोनोअनसैचुरेटेड वसा का सेवन करने से आईवीएफ सफलता दर साढ़े तीन गुना बढ़ सकता है. साथ ही सभी ट्रांस वसा के सेवन से बचें और अधिक स्वस्थ असंतृप्त वसा खाएं. ट्रांस वसा (मुख्य रूप से वाणिज्यिक बेक्ड और स्नैक खाद्य पदार्थों, पशु उत्पादों, फ्रेंच फ्राइज़ और कुछ मार्जरीन जैसे खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं) इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ाते हैं. इंसुलिन रक्तप्रवाह से ग्लूकोज को कोशिकाओं तक ले जाने में मदद करता है; प्रतिरोध का मतलब है कि ग्लूकोज को कोशिकाओं तक ले जाने में कठिनाई का सामना करना.  अग्न्याशय वैसे भी अधिक इंसुलिन पंप करता रहता है, जिसके परिणामस्वरूप आपके रक्तप्रवाह में अधिक इंसुलिन हो सकता है. उच्च इंसुलिन का स्तर बहुत अधिक चयापचय संबंधी गड़बड़ी का कारण बनता है, जो ओव्यूलेशन को प्रभावित कर सकता है. इसलिए प्रेग्नेंट होने के लिए ट्रांस फैट को खाने से बचना चाहिए.

एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आहार

जब आप प्रेग्नेंट होने की कोशिश कर रही हैं, तो अपने आहार में एंटीऑक्सीडेंट जैसे - फोलेट और जिंक को शामिल करें. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर खाद्य पदार्थ पुरुषों और महिलाओं दोनों की प्रजनन क्षमता को बेहतर करता है. इस तरह के आहार से शरीर में मुक्त कण निष्क्रिय होते हैं, जो शुक्राणु और अंडे की कोशिकाओं को नुकसान होने से बचा सकते हैं.

रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि फोेलेट से भरपूर आहार का सेवन करने से महिलाओं की प्रजनन क्षमता बेहतर होती है. साथ ही इससे बर्थ रेट में सुधार आता है. ऐसे में प्रेग्नेंट होने के लिए एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर फल, सब्जियां, ड्राईफ्रूट्स और अनाज को शामिल करें. इससे आपको बेहतर रिजल्ट मिल सकता है.

डेयरी प्रोडक्ट्स

प्रेग्नेंट होने के लिए अपनी डाइट में डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करना बहुत ही जरूरी होता है. दूध, दही, पनीर जैसी चीजों को डाइट में शामिल करने से हड्डियां मजबूत होती हैं. इसके अलावा डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करने से प्रजनन क्षमता बेहतर हो सकती है. प्रजनन क्षमता बेहतर करने के लिए रोजाना दूध पिएं, अपने आहार में दही शामिल करें. वहीं, आप दूध से स्मूदी भी तैयार कर सकते हैं. इसके अलावा पनीर युक्त आहार को शामिल करें.

कम वसा युक्त डेयरी प्रोडक्ट्स को आहार में शामिल करने से स्वास्थ्य बेहतर होता है. लेकिन कुछ अध्ययनों में इस बात का खुलासा हुआ है कि जिन महिलाओं को ओव्यूलेशन की समस्या होती है, उन्हें फुल-फैट डेयरी प्रोडक्ट को अपने डाइट में शामिल करना चाहिए. इससे उन्हें अधिक फायदा होता है.

प्रेगनेंसी में क्या नहीं खाना चाहिए? - What not to eat in pregnancy in Hindi?

गर्भवती होने पर पहली चीज जो अक्सर महिलाएं जानना चाहती हैं वो यह है कि वे क्या नहीं खा सकती हैं। यदि आप सूशी या कॉफी पसंद करती हैं तो आपके लिए ये लिस्ट ज़रूर ही निराशाजनक होगी।

कुछ खाद्य पदार्थों का सेवन शायद ही कभी किया जाना चाहिए, जबकि अन्य को पूरी तरह से खाना छोड़ना ज़रूरी होता है। यहां कुछ खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ दिए गए हैं जिन्हें आपको प्रेगनेंसी के दौरान खाना कम करना है या बिलकुल रोकना है।

  1. सोया
  2. शर्करायुक्त और प्रोसेड्स्ट ड्रिंक्स
  3. शराब
  4. कैफीन

सोया

प्रेग्नेंट होने के लिए प्रसंस्कृत सोया उत्पादों के अधिक सेवन से बचें. गर्भवती होने की कोशिश करने वाली महिलाओं को सोया युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए, इससे प्रजनन क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है. कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक मात्रा में सोया प्रोटीन का सेवन करने से आपके हार्मोनल संतुलन बाधित हो सकते हैं. इसलिए एक्सपर्ट की सलाह लेकर ही सोया युक्त खाद्य पदार्थों को अपने आहार में शामिल करें.

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शर्करायुक्त और प्रोसेड्स्ट ड्रिंक्स

प्रेग्नेंट होने की इच्छा रखने वाली महिलाओं को अपने आहार में शर्करा युक्त ड्रिंक्स को कम करना चाहिए. शर्करा युक्त आहार का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल प्रभावित होता है, जिससे आपके शरीर में इंसुलिन और सामान्य हार्मोनल समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. ऐसे में अगर आप बेहतर फर्टिलिटी डाइट प्लान फॉलो करना चाहते हैं, तो कैंडीज और डेसर्ट का सेवन बंद करें. साथ ही फ्रूट जूस, एनर्जी ड्रिंक और चीनी युक्त चाय का सेवन न करें. इसके अलावा प्रोसेस्ड सोडा ड्रिंक्स का भी सेवन न करें. यह ओवुलेटरी इनफर्टिलिटी की समस्या बढ़ा सकता है. अगर आप मीठे उत्पादों का इस्तेमाल करना चाहती हैं, तो अपने आहार में कृत्रिम मिठास के बजाय कम ग्लाइसेमिक लोड (lower glycemic loads) वाले कम संसाधित आहार को चुनें. इसके लिए आप अपने आहार में एगेव सिरप (agave syrup), शहद, मेपल सिरप, और स्टीविया जैसे नैचुरल स्वीटनर को चुन सकते हैं.

शराब

नियमित रूप से शराब का सेवन करने वालों में निर्जलीकरण की समस्या बढ़ सकती है. इसी कारणों से कई एक्सपर्ट अपने आहार में एल्कोहल की मात्रा कम करने की सलाह देते हैं. इससे आपकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है.

कैफीन

अगर आप प्रेग्नेंट होना चाहती हैं, तो अपने आहार में कैफीन युक्त चीजें जैसे- चाय और कॉफी की मात्रा कम कर दें. हार्वर्ड के अध्ययन के मुताबिक, एक दिन में कई कप कॉफी या चाय का सेवन करने से ओवुलेशन से जुड़ी समस्याओं पर बहुत कम प्रभाव पड़ता है, लेकिन इससे निर्जलीकरण हो सकता है. ऐसे में सुबह की शुरुआत कॉफी या चाय से करने से निर्जलीकरण की समस्या हो सकती है. कैफीन एक मूत्रवर्धक है, जो आपके श्लेष्म झिल्ली (mucous membrane) को नम रहने से रोक सकता है, जिससे आपके ग्रीवा द्रव की स्थिरता प्रभावित हो सकती है.

ऐसे में कॉफी, एनर्जी ड्रिंक और चाय जैसे कैफीन का सेवन प्रतिदिन 200 मिलीग्राम से कम करें. हालांकि, आप डिकैफ़िनेटेड चाय का सेवन बढ़ा सकते हैं. कुछ अध्ययनों से पता चला है कि गर्भवती होने के लिए हर्बल चाय का सेवन काफी अच्छा साबित हो सकता है.

सारांश - Summary

प्रेग्नेंट होने के लिए आप अपने आहार में डेयरी प्रोडक्ट्स जैसे - दही, दूध, पनीर शामिल कर सकते हैं. इसके अलावा आप नट्स, बींस, हरी सब्जियां, फल, मल्टी विटामिंस अपने आहार में शामिल कर सकती हैं. प्रेग्नेंट होने के लिए सही डाइट प्लान होना बहुत जरूरी है.

लेकिन कुछ ऐसी चीजें हैं, जिसका प्रेग्नेंट होने की कोशिश करने वालों को नहीं खाना-पीना चाहिए. जैसे- शराब, धूम्रपान, सोया इत्यादि. इन सभी चीजों से प्रेग्नेंसी में परेशानी हो सकती है. इससे न सिर्फ पुरुषों को स्पर्म काउंट कम होता है, बल्कि महिलाओं में भी प्रेग्नेंसी से जुड़ी परेशानी हो सकती है.

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