यदि पित्ताशय की थैली में बार-बार पथरी हो या इसमें कोई अन्य गंभीर विकार हो जाए और उसे दवाओं या अन्य किसी थेरेपी से ठीक करना मुश्किल हो जाए तो इस स्थिति में पित्ताशय की थैली यानी गॉल ब्लैडर निकालने की सलाह दी जाती है।
ऐसा माना जाता है कि भारत की कुल आबादी में से 12% आबादी को मूत्रपथ की पथरी होने की आशंका है जिनमें से 50% आबादी को गुर्दे की क्षति हो सकती है। इसके अलावा, उत्तर भारत की लगभग 15% जनसंख्या गुर्दे की पथरी की समस्या से ग्रस्त है, लेकिन दक्षिण भारत में इसके मामले कम हैं। महाराष्ट्र, गुजरात, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान के हिस्सों में गुर्दे की पथरी की समस्या इतनी प्रचलित है कि परिवार के अधिकांश सदस्य अपने जीवनकाल के किसी समय में इससे पीड़ित जरूर होते हैं। भारत में पथरी की समस्याओं का प्रसार 11% है और महिलाओं के मुकाबले पुरुषों में यह समस्या 3 गुना अधिक है।
पित्त की थैली का ऑपरेशन करवाने में ज्यादा खर्चा नहीं आता है। नर्सिंग होम में इस सर्जरी में दस हजार रुपये लगते हैं जबकि प्राइवेट अस्पताल में इसका दोगुना खर्चा आ सकता है।