मेरिंगोटॉमी एक सर्जरी प्रक्रिया है, जिसमें कान के पर्दे में एक छिद्र बनाया जाता है। इस छिद्र की मदद से कान के मध्यस्थ हिस्से में जमा हुए द्रव को निकाला जाता है। कान के पर्दे को “इयरड्रम” कहा जाता है, जो कान के मध्य और बाहरी हिस्से के बीच मौजूद होता है। कान के बीच वाले हिस्से में अतिरिक्त द्रव जमा होने पर ठीक से सुनाई देना बंद हो जाता है, जिसे ठीक करने के लिए मेरिंगोटॉमी सर्जरी की जाती है।

सर्जरी से पहले डॉक्टर कुछ विशेष टेस्ट करते हैं, जैसे श्रवण परीक्षण या टिम्पैनोमेट्री आदि जिनकी मदद से कान के पर्दे की जांच की जाती है। आपको अपने साथ किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लाने को कहा जाएगा, ताकि वे सर्जरी के बाद आपको घर ले जा सकें। डॉक्टर आपको सर्जरी होने से पहले कम से कम आठ घंटे तक खाली पेट रहने की सलाह दे सकते हैं। यह सर्जरी बच्चे व बूढ़े भी करवा सकते हैं। यह सर्जरी करने के लिए बच्चों को जनरल एनेस्थीसिया दी जाती है, जबकि यदि वयस्कों को यह सर्जरी करवानी है तो हो सकता है कि लोकल एनेस्थीसिया की ही आवश्यकता पड़े।

इस सर्जरी के दौरान सर्जन कान के पर्दे में एक छोटा सा कट लगाते हैं, जिसकी मदद से अतिरिक्त द्रव को बाहर निकाला जाता है। सर्जरी के बाद आपको कुछ विशेष ईयर ड्रॉप दवाएं दी जाएंगी और जब तक सर्जरी के घाव पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाते हैं आपको ईयर प्लग लगाने की सलाह दी जाएगी।

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  1. मेरिंगोटॉमी क्या है - What is Myringotomy in Hindi
  2. मेरिंगोटॉमी किसलिए की जाती है - Why is Myringotomy done in Hindi
  3. मेरिंगोटॉमी से पहले - Before Myringotomy in Hindi
  4. मेरिंगोटॉमी के दौरान - During Myringotomy in Hindi
  5. मेरिंगोटॉमी के बाद - After Myringotomy in Hindi
  6. मेरिंगोटॉमी की जटिलताएं - Complications of Myringotomy in Hindi

मेरिंगोटॉमी क्या है

मेरिंगोटॉमी एक सर्जिकल प्रोसीजर है, जिसे कान के बीच वाले हिस्से में जमा द्रव को निकालने के लिए किया जाता है। मध्यस्थ कान में मौजूद द्रव में साधारण पानी, मृत कोशिकाएं और रक्त (संक्रमण) हो सकता है। इस सर्जरी में कान के पर्दे में छिद्र बनाया जाता है। कान का पर्दा एक झिल्ली है, जो बाहरी और मध्यस्थ कान के बीच में मौजूद होती है। बाहर होने वाली ध्वनि कान की नली से होते हुए कान के पर्दे तक पहुंचती है, जिससे कान के पर्दे में कंपन होने लगती है। इसके बाद ये कंपन कान के अंदरूनी हिस्से में जाती है, जहां पर इसे संकेतों में बदलकर मस्तिष्क तक पहुंचाया जाता है। ये संकेत मस्तिष्क तक पहुंचते हैं और मस्तिष्क इन्हें पढ़कर पता लगाता है कि ध्वनि में क्या संदेश है। हालांकि, यदि मध्यस्थ कान में द्रव जमा हो जाता है, तो यह पूरी प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है।

इस सर्जरी की मदद से कान के पर्दे में बनाए गए छिद्र में एक विशेष ट्यूब भी डाली जाती है, जिसे टिम्पैनोस्टमी कहा जाता है। यह नली धातु, प्लास्टिक या टेफ्लॉन मैटीरियल की बनी हो सकती है। यह ट्यूब लगाने से अंदर जमा हुआ द्रव बाहर निकलने लगता है और परिणामस्वरूप सुनने की क्षमता में सुधार होने लगता है।

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मेरिंगोटॉमी क्यों की जाती है?

यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या है, तो डॉक्टर यह सर्जरी करवाने की सलाह दे सकते हैं -

  • ओटाइटिस मीडिया -
    कान के बीच वाले हिस्से (पर्दे के पीछे) में संक्रमण की स्थिति को ओटाइटिस मीडिया कहा जाता है। हालांकि, मेरिंगोटॉमी को आमतौर पर तब ही किया जाता है, जब लगातार कई महीनों से बार-बार संक्रमण हो रहा हो। संक्रमण के मुख्य लक्षणों में निम्न को भी शामिल किया जाता है -
  • देर से बोलना -
    यदि आपको ठीक से सुनाई नहीं दे रहा है, तो आपके बोलने की क्षमता भी प्रभावित हो जाती है। खासकर बच्चों में मेरिंगोटॉमी की मदद से सुनने की क्षमता में सुधार किया जाता है और परिणामस्वरूप उनके देर से बोलने की समस्या भी ठीक हो जाती है। (और पढ़ें - बच्चों को देरी से बोलने की इलाज)
     
  • द्रव की जांच -
    डॉक्टर कान में मौजूद द्रव को निकाल कर उसका परीक्षण करने के लिए भी सर्जरी कर सकते हैं, ताकि संक्रमण आदि का पता लगाया जा सके।
     
  • टिम्पैनोस्टमी ट्यूब को लगाना -
    मध्यस्थ कान में इन नलियों को लगाने से जमा हुआ द्रव बाहर निकालने में मदद मिलती है। द्रव को निकाल कर मध्यस्थ कान में बार-बार होने वाले संक्रमण से बचाव किया जा सकता है। इस ट्यूब की मदद से आपको कान के अंदर दबाव को नियमित रखने में भी मदद मिलती है।

मेरिंगोटॉमी किसे नहीं करवानी चाहिए?

कुछ स्थितियों में आप मेरिंगोटॉमी सर्जरी नहीं करवा सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हैं -

  • कान के बीच वाले हिस्से में चर्बी बढ़ जाना (जो कैंसर संबंधी भी हो सकती है)
  • मध्यस्थ कान के आस-पास की रक्त वाहिकाएं असामान्य होना
  • यदि आपके सिर या नाक की पहले रेडियो थेरेपी हो चुकी है, तो भी यह सर्जरी आपके लिए जोखिम भरी हो सकती है

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मेरिंगोटॉमी सर्जरी से पहले क्या तैयारी की जाती है?

मेरिंगोटॉमी से पहले आमतौर पर निम्न तैयारियां की जाती हैं -

टेस्ट

कान का परीक्षण आमतौर पर ईएनटी (कान, नाक और गले के विशेषज्ञ) डॉक्टर द्वारा किया जाता है। ईएनटी कान का परीक्षण करने के लिए ओटोस्कोप नामक उपकरण का इस्तेमाल करते हैं। डॉक्टर निम्न दिए गए कुछ टेस्ट कर सकते हैं, जिससे यह पता लगाया जाता है कि आप सर्जरी करवाने के लिए पूरी तरह से स्वस्थ हैं या नहीं -

  • श्रवण परीक्षण - जिसकी मदद से सुनने की क्षमता की जांच की जाती है।
  • टिम्पैनोमेट्री - इसकी मदद से पता चलता है कि कान के अंदर दबाव को कम करने पर कान का पर्दा कैसी प्रतिक्रिया देता है।
  • ब्लड टेस्ट - रक्त की जांच की मदद से आपकी संपूर्ण स्वास्थ्य स्थिति की जांच की जाती है।

फास्टिंग

मेरिंगोटॉमी सर्जरी करने के लिए डॉक्टर आपको खाली पेट रहने की सलाह देते हैं। खाली पेट रहने के लिए डॉक्टर आपको सर्जरी से कम से कम आठ घंटे पहले से कुछ भी न खाने की सलाह दे सकते हैं।

ड्राइविंग

डॉक्टर आपको सर्जरी वाले दिन किसी को अपने साथ लाने की सलाह दे सकते हैं, ताकि वे सर्जरी से पहले अस्पताल के कार्यों में आपकी मदद कर सकें और सर्जरी के बाद आपको घर ले जा सकें।

दवाएं

यदि आप किसी भी प्रकार की दवा ले रहे हैं या कुछ समय पहले लेते थे, तो डॉक्टर को उनके बारे में बता दें। इसके अलावा यदि आप कोई विटामिन, मिनरल, सप्लीमेंट या कोई हर्बल उत्पाद ले रहे हैं, तो भी इसके बारे में डॉक्टर को बता देना चाहिए। डॉक्टर आपको सर्जरी से एक हफ्ता पहले ही कुछ दवाओं को छोड़ने की सलाह दे सकते हैं या फिर उनकी खुराक में कुछ बदलाव कर सकते हैं।

यदि आप एस्पिरिन, विटामिन ई, वार्फेरिन या फिर रक्त को पतला करने वाली कोई अन्य दवा लेते हैं, तो डॉक्टर सर्जरी से पहले इन दवाओं को कुछ समय के लिए छोड़ने की सलाह दे सकते हैं।

सहमति पत्र

डॉक्टर आपको सर्जरी के बारे में समझाकर एक विशेष सहमति पत्र देंगे, जिसपर हस्ताक्षर करके आप सर्जन को सर्जरी करने की अनुमति दे देते हैं। हालांकि, सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करने से पहले इसे एक बार अच्छे से पढ़ अवश्य लें।

इसके अलावा यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या हो गई है, तो भी सर्जरी से पहले ही डॉक्टर को इन समस्याओं के बारे में बता देना चाहिए -

इसके अलावा यदि आप धूम्रपान या शराब का सेवन करते हैं, तो भी इस बारे में डॉक्टर को बता दें। ऐसा इसलिए क्योंकि इनसे सर्जरी के बाद ठीक होने की प्रक्रिया धीमी पड़ जाती है।

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मेरिंगोटॉमी कैसे की जाती है?

बच्चों में यह सर्जरी जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाकर की जाती है, जबकि वयस्कों में जनरल एनेस्थीसिया की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इसकी बजाय वयस्कों में लोकल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया जाता है, जिससे सिर्फ वही हिस्सा सुन्न होता है, जिसकी सर्जरी की जानी है।

इएनटी सर्जन और उनकी मेडिकल टीम मेरिंगोटॉमी को निम्न प्रक्रियाओं के रूप में करती हैं -

  • मेरिंगोटॉमी के दौरान सबसे पहले आपको एक विशेष कुर्सी पर बिठाया जाएगा और आपके सिर को एक तरफ झुकाया जाएगा ताकि जिस कान की सर्जरी करनी है वह ऊपर की तरफ हो जाए।
  • कान के अंदर का एक स्पष्ट दृश्य प्राप्त करने के लिए सर्जन एक छोटे माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करते हैं।
  • वयस्कों में सर्जन कान के बीच वाले हिस्से में फेनल सोल्यूशन डालते हैं। यह सोल्यूशन बच्चों और उन लोगों को नहीं दिया जाता जो प्रोसीजर के दौरान स्थिर नहीं रह सकते हैं।
  • इसके बाद कान के पर्दे में एक छोटा सा कट बनाया जाता है।
  • सक्शन डिवाइस (चूसने वाला उपकरण) की मदद से कान में जमा अतिरिक्त द्रव को निकाल दिया जाता है।
  • यदि सर्जन को लगता कि द्रव को आगे भी निकालने की जरूरत पड़ सकती है, तो वे एक ट्यूब लगा देते हैं (टिम्पैनोस्टमी) जिसकी मदद से सर्जरी के बाद भी कान से द्रव निकलता रहता है।
  • कान में लगाया गया कट आमतौर पर अपने आप ठीक हो जाता है।
  • सर्जरी के बाद घावों पर एंटीबायोटिक दवाएं लगा दी जाती हैं, ताकि संक्रमण न हो पाए। ये दवाएं ईयर ड्रॉप्स या क्रीम के रूप में होती हैं।
  • कान के अंदर रुई का टुकड़ा डाल दिया जाता है, ताकि घाव में ठेस या चोट आदि लगने से बचाव किया जा सके।

यह सर्जरी जल्दी ही हो जाती है, जिसमें कुछ 15 से 20 मिनट का समय लगता है। आपको सर्जरी वाले दिन ही अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है। हालांकि, कुछ दुर्लभ मामलों में आपको एक दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ सकता है, जो आपकी स्वास्थ्य स्थिति पर निर्भर करता है।

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मेरिंगोटॉमी के बाद की देखभाल

मेरिंगोटॉमी सर्जरी के बाद जब आप घर आ जाते हैं, तो आपको निम्न की देखभाल करनी जरूरी होती है -

एनेस्थीसिया के प्रभाव की देखभाल

सर्जरी के बाद लगभग 24 घंटों तक भी आपके बच्चे को नींद व चक्कर आने जैसा महसूस हो सकता है। जब तक बच्चा खुद को पूरी तरह से स्वस्थ न महसूस करे उसे आराम करने देना चाहिए। जैसे ही ये लक्षण गायब होते हैं, तो बच्चा धीरे-धीरे अपनी सामान्य गतिविधियां कर सकता है। हालांकि, यदि लोकल एनेस्थीसिया लगाई गई है, तो उससे किसी प्रकार के लक्षण पैदा नहीं होते हैं।

कान की देखभाल

  • सर्जरी के बाद कान में लगाए गए रुई के टुकड़े को चार से पांच घंटों बाद बदल देना चाहिए।
  • डॉक्टर के सुझाव के अनुसार ईयर ड्रॉप्स को दिन में कई बार डालना चाहिए।
  • छींकते समय जितना हो सके आराम से छींकने की कोशिश करें और अपना मुंह खुला रखें, ताकि हवा का दबाव कानों तक न जा सके।
  • सोते समय अपने सिर के नीचे कम से कम दो तकिये लगाएं ताकि आपका सिर ऊपर उठा रहे।
  • डॉक्टर द्वारा बताई गई चीजों के अलावा अन्य कुछ भी कान में न डालें, ऐसा करने से स्थिति गंभीर हो सकती है।

दवाएं

  • सर्जरी के बाद दर्द को कम करने के लिए डॉक्टर दर्दनिवारक दवाएं देते हैं
  • यदि आपको सूजन हो गई है, तो एंटी-इंफ्लेमेटरी दवाएं भी दी जा सकती हैं।
  • सर्जरी के बाद कान में संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है, इसलिए डॉक्टर आपको एंटीबायोटिक दवाएं भी दे सकते हैं। (और पढ़ें - सूजन कम करने के उपाय)

नहाने संबंधी देखभाल

  • सर्जरी के बाद कम से कम दस दिन तक आपको कान में पानी जाने से रोकना होता है और इसके बाद भी विशेष रूप से ध्यान रखना है।
  • नहाने या शॉवर लेने के दौरान आप ईयर प्लग का इस्तेमाल कर सकते हैं।
  • आप गीले कपड़े की मदद से अपने चेहरे व गर्दन आदि को साफ कर सकते हैं।

ईयर ट्यूब केयर

कान में ईयर ट्यूब लगी होने के कारण आपको कई बार असाधारण ध्वनि सुनाई दे सकती है। इस ट्यूब से चबाने, डकार लेने या फिर जम्हाई लेने के दौरान हल्का दर्द भी महसूस हो सकता है। ऐसा आमतौर पर सिर्फ तब तक होता है, जब तक आपके कान का घाव पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता है। ईयर ट्यूब को निकालने में आमतौर पर छह महीने से एक साल का समय लगता है।

डॉक्टर से सलाह लिए बगैर स्विमिंग या डाइविंग आदि न करें।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको सर्जरी के बाद निम्न लक्षण महसूस हो रहे है, तो डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए -

(और पढ़ें - खांसी के लिए घरेलू उपाय)

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मेरिंगोटॉमी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

मेरिंगोटॉमी सर्जरी से निम्न जोखिम व जटिलताएं देखी जा सकती हैं -

  • संक्रमण (और पढ़ें - परजीवी संक्रमण के लक्षण)
  • क्रोनिक स्कार - ये सर्जरी वाली जगह पर बनने वाले निशान होते हैं, जो धीरे-धीरे बढ़ते रहते हैं। ये स्कार खासतौर पर बच्चों को होते हैं, जिन्हें एक से अधिक बार यह सर्जरी करवानी पड़ती है।
  • कान से रक्तस्राव होना
  • सर्जरी के दौरान कान के पर्दे के आसपास की संरचना में चोट लगना
  • सर्जरी ठीक से न हो पाने के कारण कान से बार-बार द्रव बाहर आना
  • दोबारा सर्जरी करवाने की आवश्यकता पड़ना

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