शरीर को ग्लूकोज से एनर्जी मिलती है और ग्लूकोज शरीर को खाने से मिलता है. वहीं, इंसुलिन हार्मोन ग्लूकोज को बॉडी सेल तक पहुंचाता है, लेकिन इंसुलिन की मात्रा कम होने पर ग्लूकोज सभी सेल तक नहीं पहुंच पाता है और खून में ही रह जाता है. इससे खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है और समय के साथ ब्लड में बहुत ज्यादा ग्लूकोज होने से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. ऐसी ही एक समस्या डायबिटीज है.

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पुरुषों की तुलना में महिलाओं को प्रेगनेंसी संबंधी कारणों की वजह से डायबिटीज होने का खतरा ज्यादा रहता है. डायबिटीज को पूरी तरह से सही करने का इलाज नहीं है, लेकिन समय से पता लग जाने पर उसको कंट्रोल जरूर किया जा सकता है. प्यास और भूख का बढ़ना, जल्दी-जल्दी पेशाब आना, बिना किसी कारण के वजन में बदलाव आदि महिलाओं में डायबिटीज के आम लक्षण हैं.

आज इस लेख में हम महिलाओं में डायबिटीज होने के लक्षणों के बारे में ही विस्तार से चर्चा करेंगे -

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  1. महिलाओं में नजर आने वाले डायबिटीज के लक्षण
  2. सारांश
  3. महिलाओं में डायबिटीज के लक्षण के डॉक्टर

डायबिटीज का असर शरीर के लगभग सभी अंगों पर पड़ता है. टाइप-2 डायबिटीज होने पर कई बार संकेत हल्के होते हैं, जिनका पता लगाना मुश्किल होता है. वहीं, टाइप-1 डायबिटीज के लक्षण आमतौर पर कुछ दिनों या कुछ हफ्तों में दिखने लगते हैं. अधिकतर लक्षण महिलाओं और पुरुषों में समान होते हैं, लेकिन कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो सिर्फ महिलाओं में दिखते हैं, जिन्हें अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है.

इन लक्षणों की जानकारी होने से डायबिटीज की पहचान कर जल्दी इलाज करवाने में मदद मिल सकती है. स्किन इंफेक्शनचिड़चिड़ापन व चोट का देर से सही होना डायबिटीज के कुछ लक्षण हैं. आइए, डायबिटीज होने के लक्षणों के बारे में विस्तार से जानते हैं -

  1. वजाइना व मुंह में यीस्ट इन्फेक्शन
  2. यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन
  3. सेक्सुअल प्रॉब्लम
  4. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम
  5. प्रेगनेंसी से जुड़ी समस्या
  6. समय से पहले मेनोपॉज
  7. डाइजेशन से जुड़ी समस्या
  8. आंखों की रोशनी पर प्रभाव

वजाइना व मुंह में यीस्ट इन्फेक्शन

खून में ग्लूकोज की ज्यादा मात्रा होने से फंगस तेजी से बढ़ता है. इस कारण डायबिटीज होने पर मुंह में या वजाइना में यीस्ट इंफेक्शन हो सकता है. मुंह में इंफेक्शन होने पर जीभ और मुंह के अंदर एक सफेद कोटिंग बन जाती है. वजाइना में इन्फेक्शन फैलने पर खुजलीदर्द, वजाइना से डिस्चार्ज अधिक होना और ड्राइनेस बढ़ जाती है. ऐसे किसी भी परेशानी के सामने आते ही डायबिटीज की जांच तुरंत करवाएं.

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यूरिनरी ट्रेक्ट इन्फेक्शन

ग्लूकोज के ज्यादा स्तर से शरीर की इम्यूनिटी कमजोर हो जाती है, जिसके कारण बैक्टीरिया यूरिनरी ट्रैक्ट में प्रवेश कर जाते हैं. वहां वो इंफेक्शन पैदा कर सकते हैं. यूटीआई का सही समय पर इलाज न होने पर ये इंफेक्शन किडनी में पहुंचकर खतरनाक बन सकता है. यूटीआई होने पर कई परेशानियां होती हैं, जैसे -

यूरिनरी ट्रैक्ट में किसी भी तरह का इंफेक्शन होने पर डायबिटीज की जांच तुरंत करवाएं.

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सेक्सुअल प्रॉब्लम

डायबिटीज के कारण नर्व्स सिस्टम को नुकसान पहुंचता है. इससे शरीर के कई हिस्सों में झनझनाहट महसूस होती है या कुछ भी महसूस होना बंद हो जाता है. इसको डायबिटिक न्यूरोपैथी भी कहते हैं. मुख्य रूप से इसका प्रभाव सबसे पहले हाथ और पैर की उंगलियों में दिखता है. यह स्थिति वजाइना में सेंसेशन पर भी असर डाल सकती है, जिससे सेक्स ड्राइव कम हो जाती है. साथ ही वजाइना में ड्राइनेस हो सकती है, जिससे सेक्स के वक्त दर्द होता है. महिलाओं को ऐसी किसी भी स्थिति में डायबिटीज की जांच करवानी चाहिए.

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पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम

डायबिटीज से शरीर में हार्मोन के बनने और कंट्रोल पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिसके कारण पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम हो सकता है. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम होने पर कुछ मामलों में शरीर में इंसुलिन बनने के प्रोसेस पर असर पड़ता है, जिसके कारण खून में ग्लूकोज को कंट्रोल करना और ज्यादा मुश्किल हो जाता है. इसकी वजह से डायबिटीज होने का खतरा बढ़ जाता है. पीसीओएस के लक्षणों में शामिल है -

ऐसी किसी भी लक्षण के सामने आने पर डॉक्टर से जल्द से जल्द मिलना चाहिए और साथ ही पीसीओएस के साथ-साथ डायबिटीज की भी जांच करवानी चाहिए.

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प्रेगनेंसी से जुड़ी समस्या

डायबिटीज होने पर महिला को प्रेगनेंट होने में मुश्किल हो सकती है. इसके साथ ही अगर महिला को प्रेगनेंट होने के बाद हाई ब्लड प्रेशरअबॉर्शन व ब्लीडिंग आदि का सामना पड़ रहा हो, तो महिला को डायबिटीज हो सकती है. इसलिए प्रेगनेंट महिलाओं और प्रेगनेंट होने की कोशिश कर रही महिलाओं को डायबिटीज की जांच जरूर करवानी चाहिए.

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समय से पहले मेनोपॉज

अगर किसी महिला को 35-40 की उम्र में ही मेनोपॉज की स्थिति आती दिखाई दे, तो उसे तुरंत डॉक्टर से मिलना चाहिए और डायबिटीज की जांच भी करवानी चाहिए. ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव के कारण मेनोपॉज होने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए, डायबिटीज होने पर यह समस्या सामने आ सकती है.

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डाइजेशन से जुड़ी समस्या

खून में शुगर का स्तर अधिक होने से डाइजेशन पर भी असर पड़ता है. कभी अधिक या कभी न के बराबर भूख महसूस होना एक आम लक्षण है. इसके कारण सही मात्रा में खाना न खाने पर शरीर को उचित पोषण नहीं मिलता और कमजोरी आने लगती है. साथ ही सही तरह से खाना न खाने पर वजन बढ़ने का खतरा हो सकता है, जिससे डायबिटीज और अधिक बढ़ सकती है.

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आंखों की रोशनी पर प्रभाव

डायबिटीज होने पर आंखों की रोशनी कम होने लगती है. साथ ही धुंधला दिखना, तेजी से चश्मे का नंबर बदलना व कैटरैक्ट आदि भी कई लोगों में देखा जाता है. इसके अलावा, लंबे समय तक डायबिटीज का इलाज न करवाने या पता न लगने पर अंधेपन का खतरा बढ़ जाता है.

इनके अलावा, निम्न प्रकार के लक्षण भी नजर आ सकते हैं -

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महिलाओं के शरीर में होने वाले बदलाव ब्लड शुगर के कंट्रोल को मुश्किल बनाते हैं, जिसके कारण डायबिटीज का खतरा बढ़ जाता है. डायबिटीज के लक्षण एकदम से सामने नहीं आते हैं, जिस कारण डायबिटीज की वजह से शरीर पर होने वाला असर खतरनाक रूप ले सकता है. इसलिए, डायबिटीज के लक्षणों, जैसे - यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन, पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम आदि पर ध्यान देना डायबिटीज को रोकने, उससे होने वाली समस्याओं से बचने और लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए बहुत जरूरी है.

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