पैरों के ऊतकों में द्रव पदार्थ इकट्ठा हो जाने के कारण पैरों में सूजन हो जाती है, जिसे डॉक्टर पेडल एडिमा कहते हैं। पैरों में द्रव पदार्थ जमने के विभिन्न कारण हो सकते हैं। कुछ मुख्य कारण हैं, हृदय, फेफड़े, लिवर, किडनी और थायरॉयड ग्रंथि से संबंधित बीमारियां या वेरीकोस वेंस की समस्या, इंफ्लमैशन (सेलुलाइटिस, रूमेटाइड अर्थराइटिस, फाइलेरिया, गाउट से संबंधित) और फ्रैक्चर, लिगामेंट में मोच, कैल्शियम के जमाव, जैसी स्तिथियां। पैरों की सूजन कुछ दवाओं के साइड इफेक्ट के कारण भी हो सकती है। इसके अतिरिक्त, बुढ़ापा, लंबे समय तक खड़े रहना, गर्भावस्था और एलर्जी जैसे कुछ अन्य कारण भी पैरों में सूजन के लिए जिम्मेदार हो सकते हैं।

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परंपरागत रूप से, सूजन को मूत्रवर्धक (मूत्र के रूप में शरीर से अतिरिक्त पानी को हटाने के लिए दी जाने वाली दवा) के उपयोग और इस स्थिति के अंतर्निहित कारण का इलाज करके किया जाता है। किंतु होम्योपैथिक उपचार न केवल रोग के लक्षणों को ठीक करता है, बल्कि व्यक्ति की कुछ स्थितियों से पीड़ित होते रहने की प्रवृत्ति को भी ठीक करता है, इस प्रकार की प्रवृति को मिआस्म (miasms) भी कहा जाता है। पैरों की सूजन के उपचार में आमतौर पर आर्सेनिकम एल्बम, एपिस मेलिफिका, कैल्केरिया कार्बोनिका, एपोकिनम, ब्रायोनिया, लाइकोपोडियम, रस टाक्सिकोडेन्ड्रन​, सल्फर और चाइना जैसी होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग किया जाता है।

  1. होम्योपैथी में पैरों में सूजन का इलाज कैसे होता है? - Homeopathy me pero me sujan ka upchar kaise hota hai?
  2. पैरों में सूजन की होम्योपैथिक दवा - Pero me sujan ki homeopathic medicine
  3. होम्योपैथी में पैरों में सूजन के लिए खान-पान और जीवनशैली के बदलाव - Homeopathy me pero me sujan ke liye khan pan aur jeevan shaili ke badlav
  4. पैरों में सूजन के होम्योपैथिक इलाज के नुकसान और जोखिम कारक - Pero me sujan ke homeopathic upchar ke nuksan aur jokhim karak
  5. पैरों में सूजन के होम्योपैथिक उपचार से जुड़े अन्य सुझाव - Pero me sujan ke homeopathic upchar se jude anya sujhav
पैरों में सूजन की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

होम्योपैथिक उपचार समरूपता के नियम पर आधारित है। इसका मतलब है कि स्वस्थ लोगों में कुछ लक्षणों को उत्पन्न करने वाली दवा का उपयोग बीमार लोगों में इसी तरह के लक्षणों (बीमारी की स्थिति) के इलाज के लिए किया जा सकता है। चयनित होम्योपैथिक दवा, जिससे रोगी के लक्षणों के समान लक्षण होते हैं, रोगी को कोई असुविधा पैदा किए बिना स्थायी इलाज कर देती है।

रोगी की किसी विशेष बीमारी (मिआस्म ) से पीड़ित होने की प्रवृत्ति भी सही दवा की उपयुक्त खुराक के चयन में मदद करती है। इस प्रकार एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक द्वारा चुनी गई होम्योपैथिक दवा मौजूद लक्षण का इलाज करके पैरों में सूजन को कम करने के लिए शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को तैयार करती है और रोगी के सामान्य स्वास्थ्य में सुधार करती है।

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विभिन्न शोध अध्ययनों से पता चलता है कि होम्योपैथिक दवाएं इंफ्लमैशन को कम करती हैं, जिससे अंततः रूमेटाइड अर्थराइटिस जैसे विकारों से जुड़े विभिन्न जोड़ों के दर्द और सूजन में कमी होती है। इसके अलावा, होम्योपैथिक दवाएं दर्द और इसके कारण होने वाली परेशानी तथा तकलीफ को कम करके जीवन की गुणवत्ता सुधारने में भी मदद करती हैं। ये दवाएं वेरीकोस वेंस और डीप वेन थ्रोम्बोसिस के कारण पैरों में सूजन को कम करने में भी उपयोगी पायी गई हैं। 

(और पढ़ें - गठिया के दर्द का इलाज)

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पैरों में सूजन के लिए उपयोग की जाने वाली होम्योपैथिक दवाएं निम्नलिखित हैं:

  • अर्निका मोंटाना (Arnica Montana)
    सामान्य नाम:
    लेपर्ड्स बेन (Leopard’s bane)
    लक्षण: यह दवा उन लोगों के लिए सबसे उपयुक्त है जो चोट या ट्रॉमा के कारण लंबे समय से पैरों की सूजन से पीड़ित हैं। निम्नलिखित लक्षण होने पर भी यह दवा लाभदायक हो सकती है:

पशुओं पर किए गए अध्ययनों से पता चलता है कि अर्निका मोंटाना इन्फ्लैमटरी स्थितियों में रक्त परिसंचरण में बदलाव के कारण होने वाली सूजन को कम करने में प्रभावी है।

  • एपिस मेलिफिका (Apis Mellifica)
    सामान्य नाम:
    हनी बी (The Honey Bee)
    लक्षण: यह दवा उन लोगों में अच्छी तरह से काम करती है जो बेचैन और घबराए हुए होते हैं, काम करने में अक्षम होते हैं और चीजों को छोड़ने की प्रवृत्ति रखते हैं। निम्नलिखित लक्षणों में यह दवा अच्छी प्रतिक्रिया करती हैं:

    • किडनी से संबंधित विकारों से पूरे शरीर और पैरों में सूजन (और पढ़ें - किडनी रोग का इलाज)
    • गठिया और सिनोवाइटिस (जॉइंट कैप्सूल में इंफ्लमैशन) (और पढ़ें - गठिया के घरेलू उपाय)
    • सूजन वाला हिस्सा चमकदार और मोम की तरह दिखना
    • पैरों के सूजन वाले क्षेत्र में कसाव और कठोरता महसूस होना
    • ऐसा महसूस होता है जैसे कि पैर का आकार बड़ा हो गया है
    • कमजोरी, पीड़ा और थकान होना (और पढ़ें - कमजोरी दूर करने के घरेलू उपाय)
    • चलने से पैरों में सूजन आना
    • पैरों में गंभीर जलन महसूस होना, जो मधुमक्खी के डंक की तरह लगती है और आमतौर पर दिल की समस्याओं से जुड़ी होती है
    • थोड़े से स्पर्श से या प्रभावित क्षेत्र पर दबाव देने से जलन बढ़ जाती है
    • ठंडी सिकाई और दर्द वाले क्षेत्र को खुला रखने से लक्षण कम हो जाना

लैब-अध्ययनों से पता चलता है कि एपिस मेलिस्पा किडनी में इंफ्लमैशन (नेफ्रोटिक सिंड्रोम) को कम करने में प्रभावी है और इस प्रकार इस स्थिति के कारण होने वाली पैरों की सूजन से राहत मिलती है।

  • रस टाक्सिकोडेन्ड्रन​ (Rhus Toxicodendron)
    सामान्य नाम:
    पाइजन आइवी (Poison ivy)
    लक्षण: यह दवा रूमेटाइड अर्थराइटिस, त्वचा संक्रमण (सेलुलाइटिस), अत्यधिक चलने से शारीरिक तनाव के कारण मांसपेशियों और स्नायुबंधन में खिंचाव तथा पैरों में कैल्शियम का जमाव (कैल्केनियल स्पर या हील स्पर - calcaneal spur) आदि से होने वाली पैरों की सूजन के उपचार में उपयोगी है। निम्नलिखित लक्षणों में इस दवा से लाभ हो सकता है:

    • पैरों के सूजन वाले क्षेत्रों में गंभीर दर्द और जकड़न के साथ गर्मी का अहसास, जिससे ऐसा महसूस होता है जैसे कि पैर को लकवा मार गया है
    • ठंड, नम हवा और आराम करने से दर्द बढ़ना
    • चलने, गर्म सिकाई और शारीरिक स्थिति में लगातार परिवर्तन करने से से दर्द कम होता है

एक शोध अध्ययन में कैल्केनियल स्पर (calcaneal spur) के इलाज में रस टाक्सिकोडेन्ड्रन को असरकारी पाया गया है। कैल्केनियल स्पर के कारण गंभीर दर्द और पैर की एड़ी में सूजन हो जाती है। पशुओं पर हुए एक अध्ययन में दावा किया गया है कि रस टाक्सिकोडेन्ड्रन इंफ्लमैशन को कम करती है, जिससे पैरों में सूजन कम होती है।

इंडियन जर्नल ऑफ रिसर्च इन होम्योपैथी में प्रकाशित एक ​​अध्ययन के अनुसार रस टाक्सिकोडेन्ड्रन, एपिस मेलिफिका, पल्सेटिला निग्रिकेंस, ब्रायोनिया एल्बा, साइलीशिया और हिपर सल्फ्यूरिस जैसी होम्योपैथिक दवाएं सूजन (लिम्फोडिमा) और क्रोनिक फाइलेरियासिस से पीड़ित लोगों में एडिनोलिम्फैंजाइटिस (लिम्फ नोड्स और लिम्फेटिक वाहिकाओं की सूजन) के अचानक अटैक के दौरान पैरों में दर्द को कम करने में सफल रही।

  • कॉस्टिकम (Causticum)
    सामान्य नाम: हैनिमैनस टिंक्चुरा एक्रिस साइन काली (Hahnemann’s tinctura acris sine kali)
    लक्षण: यह दवा गहरे रंग और मजबूत मांसपेशियों वाले लोगों में सबसे अच्छा काम करती है। निम्नलिखित लक्षणों के लिए यह दवा लाभदायक होती है:

पशुओं पर हुए अध्ययनों से पता चलता है कि कॉस्टिकम की नियमित खुराक से शरीर पर एंटी इंफ्लेमेटरी प्रभाव पड़ता है और संभवतः इसलिए यह दवा इंफ्लमैशन और पैरों में सूजन कम करने में सफल होती है।

  • लैकेसिस म्यूटस (Lachesis Mutus)
    सामान्य नाम: बुशमास्टर, सुरुकुकु (Bushmaster, surukuku)
    लक्षण: यह दवा अजीब कल्पनाओं वाले पतले, कमजोर लोगों पर सबसे अच्छा काम करती है। यह रजोनिवृत्त महिलाओं और बूढ़े लोगों के लिए भी प्रभावी है। निम्नलिखित लक्षणों में यह दवा लाभदायक हो सकती है:

    • मुख्य रूप से वेरीकोस वेंस के कारण पैरों में सूजन होना (और पढ़ें - वैरिकोज वेन्स के घरेलू नुस्खे)
    • सुजा हुआ हिस्सा नीली और बैंगनी रंग की रक्त वाहिकाओं के जाल के साथ संगमरमर की तरह दिखना
    • अल्सर के साथ वेरीकोस वेंस प्रभावित हिस्से को सुजा हुआ और कठोर बना देती हैं
    • पैरों और टांगों में अधिक सूजन से जुड़ा हुआ रूमेटिस्म
    • नींद के दौरान दर्द और सूजन बढ़ जाती है और गर्म सिकाई के बाद बेहतर हो जाती है

शोध अध्ययनों द्वारा यह प्रदर्शित किया गया है कि होम्योपैथिक दवाएं जैसे कि मदर टिंक्चर के रूप में करकुमा लोंगा और ट्रायबुलस टेरेस्ट्रिस में एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो सूजन को कम करने में प्रभावी है।

होम्योपैथिक दवाएं शरीर की स्वयं को ठीक करने की शक्ति को जगाने और सकारात्मक प्रतिक्रिया उत्पन्न करने के लिए बहुत कम मात्रा में उपयोग की जाती हैं। हालांकि, कुछ जीवनशैली और आहार संबंधी कारकों के कारण उनका असर प्रभावित हो सकता है। पैरों की सूजन के प्रभावी उपचार के लिए नीचे दिए गए बिंदुओं को ध्यान में रखना महत्वपूर्ण है।

क्या करें

  • पोषक तत्वों से समृद्ध और कृत्रिम जायके, रंग तथा औषधीय गुणों से मुक्त स्वस्थ भोजन करें। 
  • अपनी दैनिक दिनचर्या में नियमित रूप से और मध्यम एक्सरसाइज शामिल करें। 
  • अच्छी किताबें पढ़कर अपने मन को सक्रिय रखें। 
  • अपने वातावरण को साफ रखें। 

क्या न करें

  • स्ट्रांग कॉफी तथा मसालों वाले सूप और जड़ी बूटियों से बचें। 
  • ऐसे खाद्य पदार्थों जिनमें कृत्रिम रंग, जायके और तेज गंध हो उन्हें अपने खाने में शामिल करने से बचें। 
  • खराब और बासी सब्जियों तथा मांस और अंडे जैसे पशु उत्पादों को खाने से बचें। (और पढ़ें - हरी सब्जियां खाने के फायदे)
  • ज्यादा खाने, अधिक नमक और अपने खाने में चीनी का अतिरिक्त सेवन करने से बचें। 
  • पैरों को नम और गीले वातावरण से दूर रखें।
  • लंबे समय तक बैठने या लेटने से बचें, क्योंकि यह पैरों में सूजन को बढ़ा सकता है।

बिना किसी साइड इफेक्ट के इलाज होम्योपैथिक उपचार का सबसे बड़ा लाभ है। इसके अलावा, होम्योपैथिक उपचार से जुड़ा कोई जोखिम नहीं है। इन दवाओं को बिना किसी गंभीर प्रभाव के एलोपैथिक दवाओं के साथ सुरक्षित रूप से लिया जा सकता है।

हालांकि, गलत दवा या किसी दवा की गलत खुराक लेने से कुछ हल्के प्रभाव हो सकते हैं जो बीमारी के इलाज से संबंधित नहीं होते हैं। इसलिए, होम्योपैथिक उपचार को एक योग्य होम्योपैथिक चिकित्सक की देखरेख में ही शुरू करना चाहिए।

(और पढ़ें - कमर दर्द का होम्योपैथिक इलाज)

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होम्योपैथिक उपचार व्यक्तिगत अवधारणा और समरूपता के नियम पर आधारित है। पैरों में सूजन से पीड़ित प्रत्येक व्यक्ति के लिए उपयुक्त विशिष्ट उपाय से उसका इलाज किया जाता है। यह उपाय मूल कारण का इलाज करके पैरों की सूजन से राहत देने में मदद करता है। परिणामस्वरूप, समग्र स्वास्थ्य में सामान्य सुधार के साथ-साथ इलाज का असर लंबे समय तक बना रहता है। जब ऊतक को कोई स्थायी नुकसान नहीं होता है तो होम्योपैथिक दवाएं ऐसी स्थिति की पुनरावृत्ति को रोकने में भी मदद करती हैं।

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Dr. Anmol Sharma

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संदर्भ

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