मल में बलगम आना - Mucus In Stool in Hindi

Dr. Rajalakshmi VK (AIIMS)MBBS

August 12, 2020

September 01, 2021

मल में बलगम आना
मल में बलगम आना

मल में बलगम आना क्या है?

मल में बलगम की एक सीमित मात्रा आना एक सामान्य स्थिति होती है। सीमित मात्रा में मल में निकलने वाला बलगम आमतौर पर नंगी आंखों से दिखाई नहीं देता है। हालांकि, अगर मल में बलगम दिखाई दे रहा है, तो इसका मतलब है कि मल में बलगम की मात्रा बढ़ गई है। यह पाचन प्रणाली संबंधी विकार होने का संकेत दे सकता है।

(और पढ़ें - मल में खून आने के घरेलू उपाय)

मल में बलगम आने के लक्षण - Mucus in stool symptoms in Hindi

अधिक मात्रा में मल में बलगम आना कोई सामान्य स्थिति नहीं होती है और यह स्वास्थ्य संबंधी किसी रोग का संकेत दे सकता है। मल में बलगम आने की समस्या अचानक से भी हो सकती है या फिर धीरे-धीरे इसकी मात्रा बढ़ सकती है, जो कि इसके अंदरूनी कारण पर निर्भर करता है। हालांकि, यह भी जरूरी नहीं है कि मल में बलगम आना स्वास्थ्य संबंधी किसी समस्या का ही संकेत हो, लेकिन फिर भी जांच करवाकर इसकी पुष्टि करना बेहद आवश्यक होता है।

मल में बलगम आना खुद में ही एक लक्षण है और इसके साथ कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं, जो किसी बड़ी समस्या का संकेत देते हैं। इन लक्षणों में निम्न शामिल हो सकते हैं -

मल में बलगम के साथ-साथ कुछ अन्य लक्षण भी देखे जा सकते हैं। हालांकि, ये लक्षण इतने सामान्य नहीं हैं -

कुछ मामलों में मल में बलगम आना किसी घातक स्थिति का संकेत भी हो सकता है, जिसे आपात स्थिति के अनुसार जांच करवाना बेहद जरूरी होता है। यदि आपको या किसी अन्य व्यक्ति को मल में बलगम के साथ-साथ निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो गंभीर स्थिति का संकेत है -

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

मलम में थोड़ा बहुत बलगम आने को सामान्य स्थिति समझा जाता है, जिसमें आमतौर पर डॉक्टर से बात करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। हालांकि, यदि आपको मल में थोड़ा बलगम महसूस हो रहा है और साथ में उपरोक्त में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहा है, तो इस बारे में डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।

यदि कोई व्यक्ति एंटीबायोटिक दवाएं ले रहा है या उसने हाल ही में ली है, तो उनके मल में थोड़ा बहुत बलगम आ सकता है। ऐसे में यदि बलगम एक हफ्ते से ज्यादा समय तक रहता है, तो डॉक्टर से बात कर लेनी चाहिए।

यदि किसी व्यक्ति के मल से अचानक से अधिक बलगम आने लगा है, तो भी एक बार डॉक्टर से इस बारे में बात कर लेनी चाहिए।

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मल में बलगम आने का कारण - Mucus in stool causes in Hindi

मल में अधिक बलगम होना पेट की जंठरांत्र संबंधी समस्याओं का संकेत हो सकता है। जठरांत्र में एक विशेष म्यूकस मेम्बरेन होती है, जो आपके शरीर को खाद्य अवशेषों और आंतों में मौजूद रोगाणुओं से बचाते हैं। वर्ल्ड जर्नल ऑफ गैस्ट्रोएंटेरोलॉजी के स्रोत के अनुसार यदि सूजन संबंधी किसी समस्या के कारण म्यूकस लेयर क्षतिग्रस्त हो जाती है, तो यह बलगम मल के साथ निकलने लगता है। परत हटने के कारण रोगाणु आसानी से अंदरूनी अंगों की परतों तक पहुंच जाते हैं और आपको बीमार बना देते हैं।

इसके अलावा सर्दी-जुकाम और फ्लू के वायरस भी बलगम बनने की प्रक्रिया को बढ़ा देते हैं, जिससे श्वसन तंत्र प्रभावित हो जाता है। कुछ दुर्लभ मामलों में इस स्थिति के कारण मल में बलगम की मात्रा भी बढ़ जाती है। शरीर में पानी की कमी और कब्ज भी मल में बलगम बढ़ाने का कारण बन सकते हैं और इनके कारण मल अधिक चिपचिपा हो सकता है, जिसमें बलगम की अधिकता जैसा प्रतीत होता है। ये बदलाव अचानक से होते हैं।

मल में बलगम की मात्रा मुख्य रूप से जठरांत्र पथ संबंधी विकारों के कारण बढ़ती है। इसके अलावा निम्न कुछ समस्याएं भी हैं, जो मल में बलगम बढ़ाने का काम कर सकती हैं -

  • क्रोन रोग -
    यह रोग आंतों में सूजन, जलन व लालिमा पैदा करके पूरे जठरांत्र पथ को प्रभावित कर देता है। क्रोन रोग के शुरुआती लक्षणों में दस्त व थकान आदि शामिल हैं। मल में बलगम आना भी क्रोन रोग का एक लक्षण हो सकता है।
     
  • सिस्टिक फाइब्रोसिस -
    यह एक आनुवंशिक विकार होता है, जिसमें शरीर में गाढ़ा व चिपचिपा बलगम बनने लगता है। सिस्टिक फाइब्रोसिस बलगम मुख्य रूप से फेफड़े, अग्न्याशय, लिवर और आंतों में बनता है। सिस्टिक फाइब्रोसिस के कारण मल में बलगम की मात्रा बढ़ सकती है।
     
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस -
    क्रोन रोग की तरह यह भी आंतों में सूजन व लालिमा पैदा करता है। यह एक दीर्घकालिक समस्या है, जिसके कारण बड़ी आंत और गुदा में सूजन व जलन जैसी समस्याएं पैदा हो जाती हैं।
     
  • इरिटेबल बाउल सिंड्रोम -
    आईबीएस भी आंतों को प्रभावित करने वाली स्थिति है, जिसके कारण पेट में दर्द, मरोड़ और दस्त जैसे लक्षण पैदा हो सकते हैं। हालांकि, यह आंतों में सूजन व जलन का कारण नहीं बनता, लेकिन इसके कारण मल में बलगम की समस्या हो सकती है।
     
  • आंतों का संक्रमण -
    आंतों में होने वाला संक्रमण भी मल में बलगम आने का कारण बन सकता है। उदाहरण के तौर पर साल्मोनेला और सिंगेलोसिस जैसे बैक्टीरिया के कारण होने वाले संक्रमण से मल में बलगम की मात्रा बढ़ जाती है। यह संक्रमण मुख्य रूप से दूषित भोजन खाने से होता है।
     
  • परजीवी संक्रमण -
    पैरासाइट इन्फेक्शन के लक्षण व कारण विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं। मलेरिया भी इनसे होने वाले रोगों में से एक है, जो मच्छरों के काटने से होता है। इसके अलावा इनसे ट्राइकोमोनिएसिस नामक यौन संचारित रोग भी हो जाता है। ये परजीवी संक्रमण मल में बलगम की मात्रा को बढ़ा सकते हैं।
     
  • अवशोषण से संबंधित समस्याएं -
    जब आंत खाद्य पदार्थों से कुछ विशेष पोषक तत्वों को पूर्ण रूप से अवशोषित न कर पाए तो इस स्थिति को मालएब्जॉर्प्शन सिंड्रोम के नाम से जाना जाता है। इससे सिंड्रोम से कुछ अन्य समस्याएं भी जुड़ी हो सकती हैं, जैसे लैक्टोज इंटॉलरेंस और सीलिएक रोग आदि। ये सभी समस्याएं मल की सामान्य प्रक्रिया को प्रभावित कर सकती हैं और मल में बलगम की मात्रा को बढ़ा सकती हैं।
     
  • एनल फिशर -
    जब गुदा की परत में छोटी-छोटी दरार व छेद बन जाते हैं। ये आंतों में सूजन व जलन पैदा करने वाली समस्याओं से संबंधित भी हो सकता है, जिनमें मुख्य रूप से क्रोन रोग और अल्सरेटिव कोलाइटिस आदि शामिल हैं।
     
  • एनल फिस्टुला -
    जब गुदा में हुआ कोई घाव आदि पूर्ण तरीके से ठीक न हो पाए या फिर उसे बिना इलाज किए छोड़ दिया जाए तो एनल फिस्टुला रोग विकसित हो सकता है। यह रोग मल में बलगम का कारण बन सकता है।
     
  • कोलन कैंसर या गुदा का कैंसर -
    कोलन या गुदा कैंसर से भी मल प्रक्रिया काफी प्रभावित हो सकती है। इसके कारण मल में खून व बलगम आना जैसे लक्षण भी देखे जा सकते हैं।

मल में बलगम आने का परीक्षण- Mucus in stool diagnosis in hindi

यदि आपका मल अधिक चिपचिपा या उसमें बलगम दिखाई दे रहा है या फिर आपको साथ में अन्य लक्षण भी हो रहे हैं, तो डॉक्टर इसकी जांच के लिए स्टूल कल्चर कर सकते हैं। स्टूल कल्चर के लिए मल का सैंपल लिया जाता है, जिसमें संक्रमण आदि की जांच की जाती है।

इस टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें आपको मल का सैंपल लेने के लिए एक विशेष कंटेनर दिया जाएगा, जिसमें मल डालकर आपको लैब में देना होता है। डॉक्टर आपको महसूस हो रहे लक्षणों के अनुसार कुछ अन्य टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं। इनमें निम्न टेस्ट शामिल हो सकते हैं -

मल में बलगम आने का इलाज - Mucus in stool treatment in Hindi

डॉक्टर इस स्थिति का इलाज उसके कारण के अनुसार करते हैं। परीक्षण के दौरान किए जाने वाले टेस्टों के रिजल्ट की मदद से उचित इलाज का चुनाव किया जाता है। इसके साथ कुछ लोगों को जीवनशैली में कुछ बदलाव करने की सलाह भी दी जा सकती है, जिनमें निम्न शामिल है -

  • पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं
  • प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थ खाएं या फिर प्रोबायोटिक वाले सप्लीमेंट्स लें
  • कम अम्लीय और बिना मसाले के खाद्य पदार्थ लें
  • अपने आहार में पर्याप्त मात्रा में फाइबर, कार्बोहाइड्रेट और वसा युक्त खाद्य पदार्थों को उचित मात्रा में शामिल करें

परीक्षण के दौरान मल में बलगम की मात्रा को बढ़ाने वाली स्थितियों का पता लगाया जाता है और फिर उनके अनुसार इलाज दवाएं शुरू की जाती हैं। उदाहरण के तौर पर क्रोन रोग, सिस्टिक फाइब्रोसिस, अल्सरेटिव कोलाइटिस और इरीटेबल बाउल सिंड्रोम से ग्रस्त लोगों को विभिन्न प्रकार की एंटी इन्फ्लेमेटरी दवाएं दी जाती हैं। साथ ही साथ अन्य दवाओं का भी कोर्स दिया जाता है।

एनल फिशर और फिस्टुला से ग्रस्त लोगों को जीवन शैली में बदलाव के साथ-साथ दवाएं भी दी जाती हैं। कुछ गंभीर मामलों में स्थिति को नियंत्रित करने के लिए सर्जरी भी करनी पड़ सकती है।

यदि परीक्षण में कैंसर पाया गया है, तो मरीज को ऑन्कोलॉजिस्ट के पास भेज दिया जाता है। ऑन्कोलॉजिस्ट कैंसर का इलाज करने वाले स्पेश्लिस्ट डॉक्टर होते हैं। कैंसर के इलाज की मदद से स्थिति की गंभीरता को कम किया जा सकता है और मल में बलगम आने जैसी समस्याएं भी ठीक हो जाती हैं।

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मल में बलगम आना की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Mucus In Stool in Hindi

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