फोरामीनोटमी एक प्रकार की सर्जरी है, जिसकी मदद से स्पाइन कॉलम (रीढ़ की हड्डी) में दबाव को कम किया जाता है। स्पाइनल कॉलम वर्टिब्रा (कशेरुकाएं) नामक हड्डियों से मिलकर बनी हैं, जिसमें ये हड्डियां एक श्रृंखला के अनुसार एक-दूसरे के ऊपर टिकी होती हैं। स्पाइनल कॉलम के बीचों-बीच एक सुरंगनुमा जगह बनी होती है, जिसके अंदर से स्पाइनल कॉर्ड (मेरुदंड) निकली होती है। मेरुदंड तंत्रिका तंतुओं (नर्व फाइबर) का समूह होता है, जो मस्तिष्क व शरीर के अन्य अंगों के बीच संकेत भेजने का काम करता है। नर्व फाइबर एक छिद्र के माध्यम से स्पाइनल कॉलम से बाहर निकलते हैं। इन छिद्रों को फोरामेन कहा जाता है, जो वर्टिब्रा में होते हैं। इन छिद्रों को न्यूरल फोरामेन कहा जाता है। फाेरामिनल स्टेनोसिस जैसी कुछ ऐसी स्थितियां हैं, जिससे न्यूरल फोरामेन के छिद्र संकुचित होने लगते हैं और परिणामस्वरूप नर्व फाइबर पर दबाव पड़ने लगता है। वह दबी हुई नस शरीर के जिस हिस्से में गई हुई होती है, उस हिस्से में दर्द व अन्य तकलीफें होने लगती हैं और उसकी सामान्य जीवन प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है।
फोरामीनोटमी सर्जरी में प्रभावित हिस्से के ऊपर की त्वचा में चीरा लगाया जाता है, ताकि दबी हुई नस तक पहुंचा जा सके। इसके बाद रुकावट को हटाया जाता है, ताकि नस पर दबाव न पड़े और दर्द व अन्य लक्षण ठीक हो जाएं। सर्जरी के एक या दो दिन बाद आपको अस्पताल से छुट्टी मिल सकती है। सर्जरी के बाद डॉक्टर आपको कुछ फिजियोथेरेपी सिखाएं, जिनसे आपको स्वस्थ होने में मदद मिलेगी।
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