सर्जरी की जानकारी के लिए फॉर्म भरें।
हम 48 घंटों के भीतर आपसे संपर्क करेंगे।

माइट्रल वाल्व का ऑपरेशन एक सर्जरी प्रोसीजर है, जिसमें माइट्रल वाल्व को रिपेयर किया जाता है। माइट्रल वाल्व ऊतकों से बने पल्ले होते हैं, जो हृदय के बाएं कक्षों (एट्रियम और वेंट्रिकल) के बीच स्थित होता है। यह वाल्व बाएं एट्रियम और वेंट्रिकल के बीच रक्त के बहाव को नियंत्रित करने का काम करता है। यदि इस वाल्व में किसी भी प्रकार की समस्या होती है, तो उससे हृदय की कार्य प्रक्रिया प्रभावित हो जाती है।

सर्जन वाल्व को रिपेयर करने के लिए माइट्रल वाल्व के ऑपरेशन को मिनीमली इनवेसिव या ओपन हार्ट सर्जरी के रूप में करते हैं। सर्जरी से पहले आपको खाली पेट रहने की सलाह दी जाती है। इस सर्जरी को जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन देकर किया जाता है और सर्जरी के बाद कुछ दिन तक आपको अस्पताल में रखा जा सकता है। सर्जरी के बाद जब आप घर पहुंचते हैं, तो आपको अपने आहार, दवाओं और घाव की विशेष देखभाल करने की आवश्यकता पड़ती है। डॉक्टर आपको ऑपरेशन के कुछ दिन बाद फिर से अस्पताल बुला सकते हैं, जिसमें आपके स्वास्थ्य की जांच की जाती है।

(और पढ़ें - घाव भरने के घरेलू उपाय)  

  1. माइट्रल वाल्व का ऑपरेशन क्या है - What is Mitral valve repair surgery in Hindi
  2. माइट्रल वाल्व का ऑपरेशन किसलिए किया जाता है - Why is Mitral valve repair surgery done in Hindi
  3. माइट्रल वाल्व के ऑपरेशन से पहले - Before Mitral valve repair surgery in Hindi
  4. माइट्रल वाल्व के ऑपरेशन के दौरान - During Mitral valve repair surgery in Hindi
  5. माइट्रल वाल्व के ऑपरेशन के बाद - After Mitral valve repair surgery in Hindi
  6. माइट्रल वाल्व के ऑपरेशन की जटिलताएं - Complications of Mitral valve repair surgery in Hindi
माइट्रल वाल्व का ऑपरेशन के डॉक्टर

माइट्रल वाल्व सर्जरी किसे कहते हैं?

माइट्रल वाल्व का ऑपरेशन आमतौर पर क्षतिग्रस्त या रोगग्रस्त माइट्रल वाल्व को ठीक करने के लिए किया जाता है। माइट्रल वाल्व ऊतकों से बने पल्ले हैं, जो बाएं एट्रियम और वेंट्रिकल के बीच स्थित होते हैं।

मानव हृदय में चार कक्ष (चैम्बर) होते हैं, जो रक्त में ऑक्सीजन मिलाने और उसे पूरे शरीर में पंप करने में मदद करते हैं। ऊपर वाले दो कक्षों को एट्रियम और नीचे वाले दो कक्षों को वेंट्रिकल के नाम से जाना जाता है, रक्त इन सभी कक्षों से होकर गुजरता है। दाएं एट्रियम में शरीर से ऑक्सीजन रहित रक्त आता है, जो वहां से दाएं वेंट्रिकल में पहुंचता है। इसके बाद इसमें ऑक्सीजन मिलाने के लिए फेफड़ों में भेज दिया जाता है।

फेफड़ों से ऑक्सीजन युक्त रक्त निकल कर बाएं एट्रियम में और फिर वहां से बाएं वेंट्रिकल में पहुंचता है। बाएं वेंट्रिकल से रक्त को पूरे शरीर में पंप किया जाता है। माइट्रल वाल्व लेफ्ट एट्रियम से लेफ्ट वेंट्रिकल के बीच रक्त के बहाव को कंट्रोल करती है। इन दोनों कक्षों के बीच रक्त सिर्फ तब ही चलता है, जब माइट्रल वाल्व ठीक से खुल पा रहा हो। माइट्रल वाल्व बाएं वेंट्रिकल से रक्त को वापस बाएं एट्रियम में जाने से भी रोकती है

(और पढ़ें - माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स का इलाज)

myUpchar के डॉक्टरों ने अपने कई वर्षों की शोध के बाद आयुर्वेद की 100% असली और शुद्ध जड़ी-बूटियों का उपयोग करके myUpchar Ayurveda Hridyas Capsule बनाया है। इस आयुर्वेदिक दवा को हमारे डॉक्टरों ने कई लाख लोगों को हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याओं में सुझाया है, जिससे उनको अच्छे प्रभाव देखने को मिले हैं।
BP Tablet
₹691  ₹999  30% छूट
खरीदें

माइट्रल वाल्व सर्जरी क्यों की जाती है?

यदि आपको निम्न में से कोई भी समस्या है, तो डॉक्टर माइट्रल वाल्व का ऑपरेशन करवाने की सलाह दे सकते हैं -

  • माइट्रल स्टेनोसिस -
    इसमें माइट्रल वाल्व संकुचित होने लगता है। इस स्थिति से होने वाले लक्षण आमतौर पर समस्या होने के 10 से 20 साल बाद विकसित होते हैं। माइट्रल वाल्व स्टेनोसिस से होने वाले कुछ लक्षणों में निम्न शामिल है -
  • माइट्रल रिगर्जिटेशन -
    इस स्थिति में माइट्रल वाल्व पूरी तरह से बंद नहीं हो पाती है। माइट्रल रिगर्जिटेशन से निम्न लक्षण देखे जा सकते हैं -
    • टांगों या पैरों में द्रव जमा होना
    • शारीरिक गतिविधि करते समय सांस फूलना (बाद में थोड़ी सी गतिविधि करने पर भी सांस फूलने लगता है)
    • गंभीर थकान व कमजोरी
       
  • माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स -
    इस स्थिति में माइट्रल वाल्व के पल्ले एट्रियम की तरफ चले जाते हैं और परिणामस्वरूप ठीक से बंद नहीं हो पाते हैं। माइट्रल वाल्व प्रोलैप्स के लक्षणों में निम्न शामिल हैं -

माइट्रल वाल्व सर्जरी किसे नहीं करवानी चाहिए?

कुछ स्थितियां हैं, जिनमें यह सर्जरी नहीं की जाती है या फिर बहुत ही ध्यानपूर्वक की जाती है -

  • एओर्टिक वाल्व में कैल्शियम जमना (एओर्टिक कैल्सिफिकेशन)
  • माइट्रल वाल्व में अधिक मात्रा में कैल्शियम जमा होना (सीवियर माइट्रल एनुलर कैल्सिफिकेशन)
  • फेफड़ों में मौजूद छोटी-छोटी थैलियां क्षतिग्रस्त होना (वातस्फीति)
  • फेफड़ों की रक्त वाहिकाओं में ब्लड प्रेशर बढ़ना (पल्मोनरी हाइपरटेंशन)
  • कई रोगों का समूह जिस कारण से फेफड़े पूरी तरह से फैल न पा रहे हों, (रेस्ट्रिक्टिव लंग डिजीज)

(और पढ़ें - फेफड़ों के रोगों का इलाज)

माइट्रल वाल्व सर्जरी से पहले क्या तैयारी की जाती है?

माइट्रल वाल्व के ऑपरेशन से पहले कुछ विशेष तैयारियां करने की आवश्यकता पड़ती है, जिनमें निम्न शामिल है -

  • डॉक्टर आपका शारीरिक परीक्षण करते हैं और आपके स्वास्थ्य संबंधी पिछली सभी जानकारी लेते हैं। इसके अलावा आपके कुछ टेस्ट भी किए जा सकते हैं, जैसे ब्लड टेस्ट और इकोकार्डियोग्राफी आदि।
  • आपको सर्जरी के लिए खाली पेट अस्पताल आने की सलाह दी जाती है। इसके लिए आपको ऑपरेशन वाले दिन से पहली आधी रात के बाद कुछ भी न खाने या पीने की सलाह दी जाती है।
  • यदि आप किसी भी प्रकार की दवा, हर्बल उत्पाद, विटामिन या मिनरल आदि लेते हैं, तो डॉक्टर को इस बारे में बता दें। डॉक्टर इनमे से कुछ दवाएं न लेने की सलाह दे सकते हैं, जैसे रक्त को पतला करने वाली दवाएं। रक्त को पतला करने वाली दवाएं जैसे एस्पिरिन, वारफेरिन व विटामिन ई आदि से सर्जरी प्रोसीजर के दौरान और बाद में रक्तस्राव की समस्या हो सकती है।
  • यदि आप सिगरेट या शराब पीते हैं, तो डॉक्टर सर्जरी से कुछ दिन पहले आपको इनका सेवन बंद करने की सलाह देते हैं। धूम्रपान व शराब का सेवन सर्जरी के बाद स्वस्थ होने की प्रक्रिया को भी प्रभावित करता है, इसलिए सर्जरी के बाद कुछ दिन तक भी इनका सेवन नहीं करना चाहिए।
  • यदि आप गर्भवती हैं या गर्भधारण की योजना बना रही है, तो इस बारे में डॉक्टर को बता दें।
  • यदि आपको कोई हृदय उपकरण लगा है जैसे पेसमेकर आदि तो इस बारे में डॉक्टर को बता देना चाहिए।
  • आपको अपने साथ अस्पताल में किसी करीबी रिश्तेदार या मित्र को लाने की सलाह दी जाती है, ताकि सर्जरी से पहले व बाद में आपको मदद मिल सके।

(और पढ़ें - सिगरेट छोड़ने के घरेलू उपाय)

माइट्रल वाल्व सर्जरी कैसे की जाती है?

जब सर्जरी के लिए आप अस्पताल पहुंच जाते हैं, तो आपको एक विशेष ड्रेस पहनने की सलाह दी जाती है, जिसे हॉस्पिटल गाउन कहा जाता है। माइट्रल वाल्व का ऑपरेशन शुरू करने के लिए निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -

  • आपको ऑपरेशन थिएटर में ले जाकर ऑपरेशन टेबल पर पीठ के बल लिटा दिया जाएगा
  • आपकी बांह या हाथ की नस में सुई लगाकर उसे इंट्रावेनस से जोड़ दिया जाएगा, जिसकी मदद से सर्जरी के दौरान आपको दवाएं व अन्य आवश्यक द्रव दिए जाते हैं।
  • आपको जनरल एनेस्थीसिया का इंजेक्शन लगाया जाता है, ताकि आप सर्जरी प्रोसीजर के दौरान सोते रहें और आपको कुछ महसूस न हो
  • आपके मुंह के माध्यम से फेफड़ों में एक ब्रीथिंग ट्यूब डाली जाती है, जो आपको नींद के दौरान सांस लेने में मदद करती है।
  • सर्जरी के दौरान पेशाब को निकालने के लिए मूत्राशय में कैथेटर ट्यूब लगा दी जाती है, जिससे पेशाब कैथेटर से जुड़ी थैली में जमा होता रहता है।
  • मुंह के माध्यम से ही एक अन्य ट्यूब को पेट तक डाला जाता है, ताकि पेट के अंदर की सामग्री (भोजन आदि) को निकाला जा सके और आपको सर्जरी के दौरान उल्टी आदि की समस्या न हो।
  • सर्जरी के दौरान आपके हृदय को बंद रखना पड़ता है, जिसके लिए सर्जन हृदय को हार्ट-लंग बाईपास मशीन से जोड़ते हैं। जब आपका हृदय बंद होता है, तो यह मशीन शरीर को ऑक्सीजन युक्त रक्त प्रदान करती है।
  • इसके बाद आपकी छाती के हिस्से को एंटीसेप्टिक दवाओं से साफ किया जाता है। यदि सीने पर बाल हैं, तो उन्हें भी शेव कर दिया जाता है, ताकि सर्जरी करते समय कोई परेशानी न हो।

माइट्रल वाल्व के ऑपरेशन को ओपन हार्ट सर्जरी या मिनीमली इनवेसिव सर्जरी प्रोसीजर के रूप में किया जा सकता है। ओपन हार्ट सर्जरी प्रोसीजर कुछ इस प्रकार है -

  • सर्जन सीने के बीच वाले हिस्से में एक लंबा चीरा लगाते हैं
  • इसके बाद ब्रेस्टबोन में चीरा लगाकर उसे थोड़ा दूर किया जाता है, ताकि हृदय तक पहुंचा जाए
  • हृदय तक पहुंचने के बाद उसके बाईं तरफ कट लगाया जाता है। 

इसके बाद माइट्रल वाल्व को रिपेयर करने की प्रक्रिया शुरू की जाती है, जो इस प्रकार है -

  • रिंग एनुलोप्लास्टी -
    इसमें वाल्व के छल्ले वाले हिस्से को किसी कृत्रिम छल्ले के साथ सील दिया जाता है। यह छल्ला आमतौर पर धातु, कपड़े या ऊतकों से ही बना होता है।
     
  • वाल्व रिपेयर -
    इस प्रोसीजर में माइट्रल वाल्व के पल्लों (फ्लैप) को आवश्यकता अनुसार काटकर और वापस सीलकर उसे सामान्य आकृति व आकार दिया जाता है। 

यदि माइट्रल वाल्व के ऑपरेशन को मिनीमली इनवेसिव सर्जरी से किया जाता है, तो उसकी प्रोसीजर कुछ इस प्रकार होती है -

  • सर्जन सीने के दाईं ओर ब्रेस्टबोन के पास एक से चार छोटे-छोटे चीरे लगाते हैं।
  • यदि एंडोस्कोपिक सर्जरी है, तो एंडोस्कोप नामक उपकरण को इनमें से एक कट के अंदर डाला जाता है। इस उपकरण के सिरे पर कैमरा व लाइट लगी होती है, जो हृदय की तस्वीरों को बाहर मॉनिटर स्क्रीन पर दिखाती है (और पढ़ें - एंडोस्कोपी क्या है)
  • इस सर्जरी को हृदय के बाएं हिस्से में कट लगाकर किया जाता है।
  • इसके बाद रिंग एनुलोप्लास्टी या वाल्व रिपेयर सर्जरी की जाती है, जिनका चुनाव माइट्रल वाल्व की क्षति पर निर्भर करता है

जब सर्जरी से वाल्व को रिपेयर कर दिया जाता है, तो निम्न प्रक्रियाएं की जाती हैं -

  • हृदय की धड़कन को सामान्य बनाए रखने के लिए कुछ समय तक पेसमेकर लगाना
  • हृदय में लगाए गए चीरों को बंद करके टांके लगाना और हार्ट-लंग बाईपास मशीन को हटा देना
  • हृदय के आसपास जमा होने वाले द्रव को निकालने के लिए ड्रेनेज ट्यूब लगना
  • ब्रेस्टबोन को आपस में जोड़ना और त्वचा में टांके लगाना
  • इसके बाद सीने पर पट्टी कर दी जाती है।

ओपन हार्ट सर्जरी करने में तीन से छह घंटे का समय लगता है, जबकि मिनीमली इनवेसिव सर्जरी में दो से चार घंटे का समय लग सकता है।

(और पढ़ें - हार्ट बाईपास सर्जरी क्या है)

माइट्रल वाल्व सर्जरी के बाद क्या देखभाल की जाती है?

जब आप घर पहुंच जाते हैं, तो आपको निम्न सलाह दी जाती हैं -

घाव की देखभाल

  • माइट्रल वाल्व सर्जरी के घाव को पूरी तरह से ठीक होने में छह हफ्ते या उससे भी अधिक समय लगता है
  • आपको पहले छह हफ्तों तक शरीर के ऊपरी हिस्से को हिलाने से संबंधित विशेष देखभाल करने की आवश्यकता होती है।
  • सर्जरी वाले हिस्से को पानी व हल्के साबुन के साथ साफ करने की सलाह दी जाती है
  • सर्जरी वाले हिस्से को साबुन व पानी के साथ साफ करते रहें

नहाना व शॉवर लेना -

  • आपको सिर्फ दस मिनट तक ही शॉवर लेने की सलाह दी जाती है। जब तक आपका घाव पूरी तरह से ठीक नहीं हो जाता है, तब तक आपको बाथटब या पूल आदि में नहाने से भी मना किया जाता है।

शारीरिक गतिविधियां -

  • सर्जरी के बाद जल्दी स्वस्थ होने के लिए आपको शारीरिक रूप से गतिशील (एक्टिव) रहने की सलाह दी जाती है।
  • कम मेहनत वाली शारीरिक गतिविधियां करें, जैसे चलना-फिरना आदि। इन शारीरिक गतिविधियों से आपके फेफड़े व हृदय स्वस्थ रहते हैं।
  • इन शारीरिक गतिविधियों को डॉक्टर की सलाह के अनुसार थोड़ा-थोड़ा बढ़ाया जाता है।
  • यदि कोई भी एक्टिविटी करते समय आपको सीने में दर्द, सांस फूलना और चक्कर आने जैसा महसूस होता है, तो उसे तुरंत छोड़ दें
  • जब तक डॉक्टर आपको अनुमति न दें, तब तक भारी वजन उठाना, तेज दौड़ना या शरीर को मोड़ना आदि जैसी गतिविधियां न करें, क्योंकि इनसे सीने पर दबाव पड़ सकता है।
  • डॉक्टर आमतौर पर छह से आठ हफ्तों बाद आपको अपने सामान्य कार्य शुरू करने की अनुमति देते हैं।

यात्रा -

  • माइट्रल वाल्व के ऑपरेशन के बाद कम से कम दो से चार हफ्तों तक कोई भी यात्रा न करें। यदि कहीं जाना जरूरी है, तो डॉक्टर से इसकी अनुमति लें और उनके द्वारा दिए गए निर्देशों का ध्यानपूर्वक पालन करें।

आहार -

  • माइट्रल वाल्व सर्जरी के बाद आपको एक विशेष डाईट प्लान दिया जाएगा। यदि आपको डाईट का कोई प्लान नहीं बताया गया है, तो भी आपको स्वास्थ्यकर व संतुलित आहार का ही सेवन करना है, ताकि आप जल्दी ठीक हो सकें और आपका वजन भी न बढ़े।
  • सर्जरी के बाद आमतौर पर आपको ऐसे आहार दिए जाते हैं, जिनमें कोलेस्ट्रॉल व वसा कम मात्रा में हो और फाइबर पर्याप्त मात्रा में।
  • आपको इस दौरान अधिक मीठा, नमक और चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों का सेवन न करने की सलाह भी दी जा सकती है।
  • आपको बाहर तैयार या डिब्बाबंद खाद्य पदार्थ खाने से भी मना किया जाता है।

दवाएं -

  • माइट्रल वाल्व सर्जरी के बाद आपको दर्दसूजन हो सकती है, जिसके लिए दर्द निवारक व सूजन रोधी दवाएं दी जाती हैं।
  • इस दौरान आपको रक्त को पतला करने वाली दवा भी दी जा सकती है, ताकि हृदय को ब्लड पंप करने में कोई दिक्कत न हो।
  • माइट्रल वाल्व के ऑपरेशन से हृदय की कार्य क्षमता में सुधार होता है और भविष्य का जीवन बेहतर होने की संभावनाएं बढ़ती हैं।

डॉक्टर को कब दिखाएं?

यदि आपको निम्न में से कोई भी लक्षण महसूस हो रहे हैं, तो डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए -

  • तेज बुखार
  • मसूड़ों से खून आना
  • नाक से खून आना (नकसीर)
  • सांस लेने में तकलीफ होना
  • आसानी से नील पड़ना
  • सिर चकराना
  • लगातार दो दिनों से शरीर में रोजाना एक किलो वजन की बढ़ोत्तरी होना
  • नाड़ी असामान्य या तेज होना
  • चीरे वाली जगह पर दर्द बढ़ना
  • चीरे वाली जगह पर लालिमा, रक्त व द्रव स्राव और सूजन होना आदि
  • लगातार जी मिचलाना व उल्टियां आना
  • शरीर के अंगों में कमजोरी
  • सिरदर्द
  • खांसी के साथ हल्के पीले या हरे रंग का बलगम आना
  • बलगम में खून
  • संक्रमण

(और पढ़ें - गले में कफ का इलाज)

माइट्रल वाल्व सर्जरी से क्या जोखिम हो सकते हैं?

माइट्रल वाल्व के ऑपरेशन से निम्न जोखिम व जटिलताएं हो सकती हैं -

  • सर्जिकल प्रोसीजर के दौरान शरीर के किसी अन्य अंग को क्षति पहुंना
  • फेफड़े, किडनी, सीने, हार्ट वाल्व या मूत्राशय में संक्रमण होना
  • अधिक रक्तस्राव होना (परिणामस्वरूप शरीर में खून की कमी होना)
  • हृदय की धड़कन असाधारण होना, जिसके लिए पेसमेकर या दवाओं की आवश्यकता पड़ना
  • याददाश्त खोना
  • पोस्टपेरिकार्डियोटमी सिंड्रोम, जिसमें लगभग छह महीनों तक सीने में दर्द और हल्का बुखार रहता है।

(और पढ़ें - खून की कमी के घरेलू उपाय)

Dr. Farhan Shikoh

Dr. Farhan Shikoh

कार्डियोलॉजी
11 वर्षों का अनुभव

Dr. Amit Singh

Dr. Amit Singh

कार्डियोलॉजी
10 वर्षों का अनुभव

Dr. Shekar M G

Dr. Shekar M G

कार्डियोलॉजी
18 वर्षों का अनुभव

Dr. Janardhana Reddy D

Dr. Janardhana Reddy D

कार्डियोलॉजी
20 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. Herrmann HC, Mack MJ. Transcatheter therapies for valvular heart disease. In: Zipes DP, Libby P, Bonow RO, Mann DL, Tomaselli GF, Braunwald E, eds. Braunwald’s Heart Disease: A Textbook of Cardiovascular Medicine. 11th ed. Philadelphia, PA: Elsevier; 2019:chap 72.
  2. Bajwa G, Mihaljevic T. Minimally invasive mitral valve surgery: partial sternotomy approach. In: Sellke FW, Ruel M, eds. Atlas of Cardiac Surgical Techniques. 2nd ed. Philadelphia, PA: Elsevier; 2019:chap 20.
  3. Goldstone AB, Woo YJ. Surgical treatment of the mitral valve. In: Sellke FW, del Nido PJ, Swanson SJ, eds. Sabiston and Spencer Surgery of the Chest. 9th ed. Philadelphia, PA: Elsevier; 2016:chap 80.
  4. Rosengart TK, Anand J. Acquired heart disease: valvular. In: Townsend CM Jr, Beauchamp RD, Evers BM, Mattox KL, eds. Sabiston Textbook of Surgery. 20th ed. Philadelphia, PA: Elsevier; 2017:chap 60.
  5. Johns Hopkins Medicine [Internet]. The Johns Hopkins University, The Johns Hopkins Hospital, and Johns Hopkins Health System; Heart Valve Repair or Replacement Surgery
  6. UW Health: American Family Children's Hospital [Internet]. Madison (WI): University of Wisconsin Hospitals and Clinics Authority; Heart, Vascular and Thoracic Care
  7. Salik I, Lee L, Widrich J. Mitral Valve Repair. [Updated 2020 May 6]. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2020 Jan
  8. National Heart, Lung, and Blood Institute [Internet]. Bethesda (MD): U.S. Department of Health and Human Services; Mitral valve prolapse
  9. Carabello BA. Valvular heart disease. In: Goldman L, Schafer AI, eds. Goldman-Cecil Medicine. 25th ed. Philadelphia, PA: Elsevier Saunders; 2016:chap 75.
  10. Nishimura RA, Otto CM, Bonow RO, et al. 2014 AHA/ACC guideline for the management of patients with valvular heart disease: executive summary: a report of the American College of Cardiology/American Heart Association Task Force on Practice Guidelines [published correction appears in J Am Coll Ca. J Am Coll Cardiol. 2014;63(22):2438-2488. PMID: 24603192.
  11. American Heart Association [internet]. Dallas. Texas. U.S.A.; Heart Valve Surgery Recovery and Follow Up
ऐप पर पढ़ें
cross
डॉक्टर से अपना सवाल पूछें और 10 मिनट में जवाब पाएँ