कैल्शियम ब्लड टेस्ट, खून में कैल्शियम की मात्रा को मापता है।

कैल्शियम शरीर के सबसे महत्वपूर्ण खनिजों (Minerals) में से एक होता है, जो हड्डियों और दांतों को स्वस्थ व मजबूत बनाता है। तंत्रिकाओं, मांसपेशियों और दिल के ठीक से कार्य करने के लिए भी कैल्शियम आवश्यक होता है। शरीर का 99 प्रतिशत कैल्शियम हड्डियों में होता है और शेष 1 प्रतिशत खून में होता है।

अगर कैल्शियम की कमी हो जाए या उसकी मात्रा बहुत अधिक हो जाए तो हड्डियों के रोग, थायराइड रोगकिडनी रोग या अन्य मेडिकल स्थितियों का संकेत हो सकता है।

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  1. कैल्शियम ब्लड टेस्ट क्या होता है? - What is Calcium Blood Test in Hindi?
  2. कैल्शियम ब्लड टेस्ट क्यों किया जाता है - What is the purpose of Calcium Blood Test in Hindi
  3. कैल्शियम ब्लड टेस्ट से पहले - Before Calcium Blood Test in Hindi
  4. कैल्शियम ब्लड टेस्ट के दौरान - During Calcium Blood Test in Hindi
  5. कैल्शियम ब्लड टेस्ट के बाद - After Calcium Blood Test in Hindi
  6. कैल्शियम ब्लड टेस्ट के क्या जोखिम होते हैं - What are the risks of Calcium Blood Test in Hindi
  7. कैल्शियम ब्लड टेस्ट के परिणाम और नॉर्मल रेंज - Calcium Blood Test Result and Normal Range in Hindi
  8. कैल्शियम ब्लड टेस्ट कब करवाना चाहिए - When to get Calcium Blood Test in Hindi

कैल्शियम ब्लड टेस्ट क्या होता है?

अगर आपके खून (Bloodstream) में मिनरल की मात्रा बहुत अधिक या बहुत कम है, तो कैल्शियम ब्लड टेस्ट की मदद से इसका पता लगाया जाता है। अक्सर इसको नियमित जांच के साथ ही किया जाता है। इस टेस्ट की मदद से उन रोगों की जांच की जाती है जो आपकी हड्डियों, तंत्रिकाओं, गुर्दे, हृदय और अन्य अंगों को प्रभावित करते हैं।

शरीर में कैल्शियम के दो रूप होते हैं -

  • फ्री कैल्शियम, यह खून में होता है और अन्य किसी चीज से नहीं जुड़ा होता।
  • हड्डियों का कैल्शियम, यह एल्बुमिन (Albumin) नाम के एक प्रोटीन और खून में अन्य पदार्थों से जुड़ा होता है।

ब्लड कैल्शियम टेस्ट दो प्रकार के होते हैं -

  • टोटल कैल्शियम टेस्ट (Total Calcium Test), इस टेस्ट की मदद से शरीर में दोनों प्रकार के कैल्शियम की जांच की जाती है। डॉक्टर ज्यादातर इसी टेस्ट का आदेश देते हैं।
  • आयनाइज्ड कैल्शियम टेस्ट (Ionized Calcium Test) का इस्तेमाल सिर्फ फ्री कैल्शियम की मात्रा को मापने के लिए किया जाता है।

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कैल्शिमय ब्लड टेस्ट किस लिए किया जाता है?

कैल्शिमय ब्लड टेस्ट निम्नलिखित कारणों से किया जाता है:

  • कैल्शियम मेटाबॉलिज्म और पैराथायराइड ग्रंथि के कार्यों का मूल्यांकन करने के लिए।
  • न्यूरोमस्कुलर, कंकालीय (Skeletal), अंतःस्रावी विकार, अरीथमियस, खून का थक्का जमना, और खून में अम्लीय असंतुलन आदि जैसी समस्याओं के परीक्षण करने में भी कैल्शियम ब्लड टेस्ट सहायता करता है।
  • हृदय, हड्डियां, तंत्रिकाओं, गुर्दे और दातों को प्रभावित करने वाली समस्याओं की जांच व उनका आकलन करने के लिए कैल्शियम ब्लड टेस्ट किया जाता है।
  • उन लोगों पर नजर रखने के लिए जो हाइपरपैराथायराइडिज्म (Hyperparathyroidism), गुर्दे खराब हो जाना और कुछ प्रकार की कैंसर जैसी समस्याओं से पीड़ित हैं। (और पढ़ें - किडनी खराब करने वाली इन दस आदतों से करें परहेज़)
  • खून में कैल्शियम के उच्च या निम्न स्तर का मूल्यांकन करने के लिए।
  • हाइपरपैराथायराइडिज्म का शक होने पर उसकी पुष्टी करने के लिए।
  • गुर्दे संबंधी किसी गंभीर समस्या वाले मरीजों के स्वास्थ्य पर नजर रखने के लिए।
  • कैल्शियम या फास्फोरस स्तर और संदिग्ध PTH स्तर की असामान्यता के साथ रोगियों की निगरानी के लिए
  • कैल्शियम या फास्फोरस के असामान्य स्तर वाले लोगों पर नजर रखने के लिए
  • जिन लोगों में पीटीएच (Parathyroid hormone) का स्तर असामान्य होने का शक हो, उसकी जांच करने के लिए भी कैल्शियम ब्लड टेस्ट किया जाता है।

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कैल्शियम ब्लड टेस्ट से पहले क्या किया जाता है?

  • कैल्शियम ब्लड टेस्ट करवाने से पहले खाना-पीना आदि छोड़ने की आवश्यकता नहीं होती। लेकिन अगर कैल्शियम ब्लड टेस्ट को पीटीएच,  फॉसफोरस या विटामिन डी टेस्ट के साथ किया जा रहा है, तो इन टेस्टों के लिए डॉक्टरों के अनुसार कुछ समय के लिए खाना-पीना छोड़ना पड़ सकता है।
  • यह सुनिश्चित कर लें कि अगर आप किसी प्रकार की दवा, सप्लीमेंट या औषधि आदि ले रहे हैं, तो टेस्ट करने वाले डॉक्टरों को इनके बारे में पता हो। इसके अलावा अगर आप बिना पर्ची के ली गई (OTC) दवाएं या अवैध ड्रग आदि ले रहे हैं, तो इस बारे में भी डॉक्टर को बता दें।

अगर निम्न दवाओं मे से आप कोई दवा ले रहे हैं, तो टेस्ट करवाने से पहले डॉक्टर आपको ये दवाएं कुछ समय के लिए बंद करने की सलाह दे सकते हैं।

कैल्शियम टेस्ट के दौरान क्या किया जाता है?

इस टेस्ट के लिए डॉक्टर या नर्स आपके हाथ से खून का सैंपल निकालते हैं। सैंपल निकालने के लिए जब सुई लगाई जाती है, तो आपको हल्की सी चुभन महसूस हो सकती है। खून निकालने के बाद सुई को निकाल लिया जाता है और सुई वाली जगह पर बैंडेज या रुई का टुकड़ा रख दिया जाता है। जिस हिस्से से सैंपल लिया गया था, वहां पर हल्का दर्द एवं नीला निशान पड़ सकता है। कुछ लोगों को कुछ पल के लिए सिर घूमने जैसी समस्या हो सकती है।

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कैल्शियम ब्लड टेस्ट के बाद क्या किया जाता है?

टेस्ट के लिए सैंपल लेने के बाद सुई निकाली जाती है, और उस जगह पर बैंडेज या रूई का टुकड़ा रख दिया जाता है, ताकि खून बहने से रोकथाम की जा सके। खून निकलने से थोड़ी सी चुभन महसूस होती है और बाद में हल्का नीला पड़ सकता है।

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कैल्शिमय ब्लड टेस्ट के क्या जोखिम हो सकते हैं?

कैल्शियम ब्लड टेस्ट से बहुत ही मामूली जोखिम जुड़े हैं। हर व्यक्ति की नसें व धमनियां दूसरे व्यक्ति से आकार में अलग हो सकती है, यहां तक की शरीर के एक तरफ से दूसरे तरफ की नसों व धमनियों का आकार अलग-अलग हो सकता है। कुछ लोगों के लिए खून का सैंपल देना, अन्य लोगों के मुकाबले कठिन हो सकता है।

खून के सैंपल लेने से जुड़े अन्य जोखिम मामूली हो सकते हैं, जिनमें निम्न शामिल हो सकते हैं -

  • अधिक खून बहना,
  • बेहोशी या चक्कर आना,
  • हेमेटोमा (त्वचा के नीचे खून जमना)
  • संक्रमण (त्वचा में छेद होने के कारण संक्रमण होने के कुछ मामूली जोखिम)
  • नस को ढूंढने के लिए कई जगह सुई लगाना।

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नॉर्मल रिजल्ट :

 कैल्शियम ब्लड टेस्ट की नॉर्मल रेंज इस प्रकार हैं -

  • आयोनाइज्ड कैल्शियम : 1.1-1.35 mmol/L (4.64-5.28 mg/dL)
  • वयस्कों में टोटल कैल्शियम : 8.5-10.3 mmol/L (8.9-10.1 mg/dL)

एबनॉर्मल रिजल्ट :

हाइपरकैल्शीमिया में ब्लड कैल्शियम के निम्न रिजल्ट आ सकते हैं -

  • माइल्ड हाइपरकैल्शीमिया
    • टोटल कैल्शियम :10.5-11.9 mg/dL (2.5-3 mmol/L)
    • आयोनाइज्ड कैल्शियम : 5.6-8 mg/dL (1.4-2 mmol/L)
  • मॉड्रेट हाइपरकैल्शीमिया
    • टोटल कैल्शियम : 12-13.9 mg/dL (3-3.5 mmol/L)
    • आयोनाइज्ड कैल्शियम : 8-10 mg/dL (2-2.5 mmol/L)
  • हाइपरकैल्शीमिया क्राइसिस
    • टोटल कैल्शियम : 14-16 mg/dL (3.5-4 mmol/L)
    • आयोनाइज्ड कैल्शियम :10-12 mg/dL (2.5-3 mmol/L)

खून में कैल्शियम का स्तर सामान्य से अधिक होना, स्वास्थ्य संबंधी कई स्थितियों के कारण हो सकता है। इसके सामान्य कारण निम्न हैं :

  • लंबे समय से बिस्तर पर रहना,
  • कैल्शियम और विटामिन डी अधिक मात्रा में लेना,
  • हाइपरपैराथायराइडिज्म (इसमें पैराथायराइड ग्रंथि अधिक मात्रा में हार्मोन बनाने लग जाती है; यह अक्सर विटामिन डी के निम्न स्तर से भी जुड़ा होता है।)
  • संक्रमण जो ग्रैन्युलोमस (Granulomas) का कारण बनता है, जैसे टीबी, और कुछ माइक्रोबैक्टीरियल या फंगल संक्रमण
  • मल्टीपल मायलोमा, टी सेल लिम्फोमा, और कुछ प्रकार के कैंसर।
  • मेटास्टेटिक बोन ट्यूमर, (एक प्रकार का हड्डियों के कैंसर जो फैलता है)।
  • ऑवरएक्टिवर थायरायड ग्रंथि, हाइपरथायरायडिज्म या थायराइड हार्मोन का प्रतिस्थापन करने वाली दवाएं अत्याधिक मात्रा मे लेना।
  • पेजेट रोग, (हड्डी का असामान्य तरीके से नष्ट होना और फिर से बढ़ना, इससे प्रभावित हड्डियों में कुरूपता आ जाती है।)
  • सारकॉइडोसिस, (इसमें लिम्फ नोड्स, फेफड़े, लिवर, आंख, त्वचा, या अन्य ऊतकों में सूजन व लालिमा आ जाती है।)
  • किसी ट्यूमर से पैरा थायराइड हार्मोन जैसे पदार्थ निकलना।
  • लिथियम, टैमोक्सिफेन, और थियाज़िड्स आदि जैसी दवाओं का इस्तेमाल करना।

खून में कैल्शियम का स्तर सामान्य से निम्न करने वाले कारण निम्न हो सकते हैं:

  • हाइपोपैराथायराइडिज्म (पैराथायराइड ग्रंथि द्वारा पर्याप्त मात्रा में हार्मोन ना बना पाना)
  • गुर्दे खराब होना,
  • खून में एल्बुमिन का स्तर कम होना,
  • लिवर संबंधी रोग,
  • मैग्नीशियम की कमी,
  • अग्नाशयशोथ (Pancreatitis)
  • विटामिन डी की कमी।

अगर आपके खून में कैल्शियम का स्तर बहुत कम या ज्यादा है, तो इसका कारण ढूंढने के लिए डॉक्टर निम्न में से किसी एक टेस्ट का सुझाव दे सकते हैं।

  • किडनी फंक्शन टेस्ट,
  • पैराथायराइड हार्मोन स्तर,
  • फॉसफोरस स्तर,
  • विटामिन डी स्तर।
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कैल्शियम ब्लड टेस्ट कब करवाना चाहिए?

कैल्शियम टेस्ट, एक परीक्षण के रूप में किया जाता है, अगर आप डॉक्टर के पास कुछ ऐसे लक्षण लेकर जाते हैं, जो निम्न बीमारियों के संकेत देते हैं -

  • गुर्दे की पथरी,
  • हड्डियों संबंधित रोग,
  • न्यूरोलोजिक (तंत्रिकाओं संबंधी) विकार

अगर आपको निम्न समस्या है तो भी डॉक्टर कैल्शियम ब्लड टेस्ट करवाने का अनुरोध कर सकते हैं -

  • अगर आपको किडनी रोग है, क्योंकि जिन लोगों में गुर्दे की बीमारी की समस्या है, उन लोगों में आमतौर पर कैल्शियम का स्तर कम ही होता है।
  • अन्य रोग जो खून में कैल्शियम की मात्रा के स्तर को असामान्य करते हैं, जैसे थायरायड रोग, आंतों के रोग, कैंसर या पोषण में कमी
  • अगर आपको कुछ प्रकार के कैंसर (खासकर जैसै ब्रेस्ट कैंसरफेफड़ों के कैंसरसिर और गर्दन का कैंसरकिडनी के कैंसर और मल्टीपल माइलोमा), किडनी रोग या किडनी प्रतिस्थापन (Kidney transplant) है, तो आपको नियमित लेबोरेटरी जांच के रूप में कैल्शिमय ब्लड टेस्ट करवाने पड़ सकते हैं।
  • अगर यह स्पष्ट है कि आपके कैल्शियम का स्तर असामान्य है या आप कैल्शियम व विटामिन डी के सप्लीमेंट्स ले रहे हैं, तो कैल्शियम स्तर पर नजर रखने के लिए आपको कैल्शियम ब्लड टेस्ट की आवश्यकता पड़ती है।

कैल्शियम का उच्च स्तर होने के निम्न लक्षण हो सकते हैं:

कैल्शियम का निम्न स्तर होने के निम्न लक्षण हो सकते हैं:

कैल्शियम ब्लड टेस्ट से जुड़े सवाल और जवाब

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मेरे अंकल ने कैल्शियम ब्लड टेस्ट करवाया था जिसमें कैल्शियम लेवल 14-15 है। हमे लगा कि पैराथायरायड ग्रंथि ठीक से कार्य नहीं कर रही है लेकिन पीएचटी (पैराथायरायड हार्मोन) लेवल 2.5 से कम आया है। हमें क्या करना चाहिए?

Dr. Ram Saini MD, MBBS , सामान्य चिकित्सा

अगर पैराथायरायड हार्मोन लेवल 2.5 है और कैल्शियम लेवल इतना ज्यादा है तो यह किसी गंभीर समस्या का संकेत हो सकता है जिसका अभी तक पता नहीं चल पाया है। इस तरह के पेशेंट में कैंसर होने की अधिक संभावना होती है। बिना कोई देरी किए डॉक्टर को दिखाएं।

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मैंने अपने कुछ टेस्ट करवाए थे जिसकी रिपोर्ट में कैल्शियम 13.56, यूरिक एसिड 7.40, फास्फोरस 2.35, सोडियम 135 आया है। डॉक्टर ने मुझे पैराथायरायड हार्मोन टेस्ट करवाने के लिए कहा है। मैं जानना चाहता हूं, इसमें कोई घबराने वाली बात तो नहीं है? डॉक्टर ने मुझे इस टेस्ट के लिए क्यों कहा है?

Dr. Anand Singh MBBS , सामान्य चिकित्सा

कैल्शियम लेवल ज्यादा हो तो इसमें घबराने वाली कोई बात नहीं है। इसका मतलब सिर्फ यह है कि हड्डियों में कैल्शियम की कमी है। कैल्शियम युक्त आहार लें। अगर आपको इसके अलावा कोई और प्रॉब्लम नहीं है तो चिंता न करें। रोजाना दूध पिएं, आपको पैराथायरायड हार्मोन टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं है।

 

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मैंने अपना कैल्शियम ब्लड टेस्ट करवाया था जिसकी रिपोर्ट में कैल्शियम लेवल बहुत ज्यादा आया है। क्या मुझे कैंसर हो सकता है? कैंसर और हाई लेवल कैल्शियम में क्या संबंध है?

Dr. Ram Saini MD, MBBS , सामान्य चिकित्सा

कैंसर कई तरीकों से खून में कैल्शियम की मात्रा बढ़ा सकता है। कैंसर-संबंधी हाइपर्कैल्सीमिया के कारणों में हड्डी से संबंधी कैंसर, जैसे मल्टीपल माइलोमा या ल्यूकेमिया या कैंसर जो हड्डी तक फैल गया हो हड्डी टूटने का खतरा हो। इसकी वजह से अत्यधिक मात्रा में ब्लड में कैल्शियम रिलीज होने लगता है।

 

सवाल 4 साल से अधिक पहले

मैंने अपना कैल्शियम ब्लड टेस्ट करवाया था जिसमे कैल्शियम लेवल ज्यादा है, शरीर में कैल्शियम ज्यादा कैसे होता है?

Dr Anjum Mujawar MBBS, MBBS , आकस्मिक चिकित्सा

हाइपर्कैल्सीमिया एक ऐसी स्थिति है जिसमें ब्लड में कैल्शियम लेवल नॉर्मल से ज्यादा हो जाता है। ब्लड में ज्यादा कैल्शियम आपकी हड्डियों को कमजोर कर सकता है, किडनी स्टोन कर सकता है और आपके हृदय एवं मस्तिष्क के कार्यों में बाधा ला सकता है। आमतौर पर, हाइपर्कैल्सीमिया पैराथायरायड ग्रंथि के अधिक सक्रिय होने का कारण होता है।

संदर्भ

  1. Institute of Medicine (US) Committee to Review Dietary Reference Intakes for Vitamin D and Calcium; Editors: A Catharine Ross, Christine L Taylor, Ann L Yaktine, and Heather B Del Valle.
  2. Laxmaya Savva. Serum calcium measurement: Total versus free (ionized) Calcium. Indian Journal of Clinical Biochemistry. 2005;20(2):158-161.
  3. John T Potts Jr. Harrison’s Principles of Internal medicine. Diseases of the parathyroid gland and other hyper- and hypocalcemic disorders. 16th edition. 2252-2262
  4. Ruppe MD. Medications that affect calcium. Endocr Pract. 2011;17 Suppl 1:26-30. doi: 10.4158/EP10281.RA. PMID: 21134875

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