फेफड़ों के कैंसर का होम्योपैथी इलाज

आमतौर पर मानव शरीर की कोशिकाएं एक निर्दिष्ट समय पर मर जाती हैं, जबकि कैंसर की स्थिति में ऐसा नहीं होता है। कैंसर ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर की कोशिकाएं बढ़ती हैं और सामान्य से बहुत अधिक तेजी से फैलने लगती हैं। इसके कारण असामान्य रूप से ऊतक - ट्यूमर - और अन्य कैंसर संबंधित लक्षण विकसित होने लगते हैं।

फेफड़ों के कैंसर के मामले में फेफड़े के ऊतकों में अतिवृद्धि होने लगती है और श्वसन कार्यों को प्रभावित करती है। आमतौर पर इस कैंसर का निदान ऐसे स्मॉल सेल (छोटी कोशिकाओं) या नॉन-स्मॉल सेल के रूप में किया जाता है, य​ह इस बात पर निर्भर करता है कि कैंसर की कोशिकाएं माइक्रोस्कोप के जरिए कैसे दिखाई देती हैं।

परंपरागत रूप से, फेफड़ों के कैंसर के उपचार में कीमोथेरेपी, रेडियोथेरेपी और कुछ मामलों में सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।

फेफड़ों के कैंसर के इलाज के लिए होम्योपैथी को एक पूरक उपचार (कॉम्प्लीमेंटरी ट्रीटमेंट) के रूप में लिया जा सकता है। यह कैंसर के लक्षणों को कम करने और रोगी के शरीर के सरंचना को मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित करता है। जब एक योग्य चिकित्सक के मार्गदर्शन में होम्योपैथी ट्रीटमेंट लिया जाता है, तो न केवल कैंसर के दौरान तनाव को कम करने में मदद मिलती है, बल्कि यह कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को भी कम करने में सहायक है। चूंकि, ये उपचार प्राकृतिक उत्पादों से बने होते हैं, इसलिए इनके दुष्प्रभाव नहीं होते हैं।

कुछ होम्योपैथी ट्रीटमेंट, जो फेफड़ों के कैंसर के उपचार में उपयोग किए जाते हैं, उनमें एंटीमोनियम क्लोरैटम, आर्सेनिकम एल्बम, एस्टेरियस रूबेंस, कार्बो एनिमैलिस, सिस्टस कैनाडेंसिस, कोनियम मैक्यूलैटम, गैलियम एपरिन, हाइड्रैस्टिस कैनाडेंसिस, आयोडियम, कैलियम सायनैटम, क्रीओसटम, सेम्पेरविवं टेक्टरम और थूजा ऑक्सिडेंटलिस शामिल हैं।

  1. फेफड़ों के कैंसर के लिए होम्योपैथिक दवाएं - Homeopathic medicines for lung cancer in hindi
  2. लंग कैंसर रोगियों में आहार व जीवनशैली में परिवर्तन - Dietary and lifestyle changes for a patient with lung cancer in hindi
  3. लंग कैंसर के लिए होम्योपैथिक दवाएं कितनी प्रभावी? - How effective are homeopathic medicines and treatments for lung cancer in hindi
  4. होम्योपैथिक दवा के साइड इफेक्ट्स व जोखिम - Side effects and risks of homeopathic medicine in hindi
  5. टिप्स - Takeaway in hindi

एंटीमोनियम क्लोरैटम

सामान्य नाम : बटर ऑफ एंटीमनी

लक्षण : इस ट्रीटमेंट के साथ इस दवा से निम्नलिखित लक्षणों का उपाय किया जा सकता है :

आर्सेनिकम एल्बम

सामान्य नाम : आर्सेनिक एसिड, आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड

लक्षण : आर्सेनिकम एल्बम का प्रभाव शरीर के प्रत्येक भाग पर पड़ता है। इसके जरिए निम्नलिखित लक्षणों का इलाज भी किया जा सकता है :

  • बेचैनी
  • शारीरिक या मानसिक तौर पर गंभीर थकावट
  • पूरे शरीर में जलन, विशेषकर छाती में
  • कमजोरी व चिड़चिड़ापन
  • क्लोरोसिस (पोषण संबंधी बीमारी)
  • शरीर में अपक्षयी परिवर्तन (अंग व ऊतकों के कार्य में लगातार गिरावट)
  • मलेरियल कैचेक्सिया (शरीर की कमजोरी)
  • सेप्टिक इंफेक्शन (संक्रमण के प्रति लड़ने के लिए शरीर विशेष रसायनों को रक्तप्रवाह में छोड़ता है, जिससे प्रतिक्रिया होती है, इस स्थिति को सेप्टिक इंफेक्शन कहा जाता है)

उपरोक्त लक्षण आधी रात, बरसात या ठंड के मौसम में, दायीं ओर लेटने, ठंडा भोजन या पेय पदार्थ लेने के बाद बिगड़ जाते हैं। लक्षणों में सुधार तब होता है, जब व्यक्ति अपना सिर उठाए रहता है और गर्म पेय पदार्थों का सेवन करता है। सिर को ऊपर उठाने से, स्वास्थ्य समस्याओं और खर्राटों से होने वाली समस्याओं में सुधार होता है और श्वास मार्ग खुला रहता है।

एस्टेरियस रूबेंस

सामान्य नाम : रेड स्टारफिश (लाल सितारा जैसी दिखने वाली मछली)

लक्षण : इसका उपयोग स्तन कैंसर और अन्य प्रकार के कैंसर जैसी गंभीर स्थितियों के लिए किया जाता है। इसके जरिए निम्नलिखित लक्षणों का इलाज किया जा सकता है :

  • शरीर में चुभने वाला दर्द
  • न्यूराल्जिया (नसों के प्रभावित होने या उन्हें किसी प्रकार के नुकसान होने से होने वाला दर्द) और हिस्टीरिया (भावना का बेकाबू हो जाना या उत्तेजित होना)
  • चेहरे पर लालिमा
  • छाती की मांसपेशियों में दर्द

रात में, ठंड या नम मौसम में, बाईं ओर लेटने और कॉफी पीने पर लक्षणों का बिगड़ना

कार्बो एनिमैलिस

सामान्य नाम : एनिमल चारकोल

लक्षण : यह ट्रीटमेंट उन लोगों में अच्छी तरह से काम करता है, जिनमें रक्त परिसंचरण की कमी है। आमतौर पर बुजुर्गों को यह ट्रीटमेंट दिया जाता है। लक्षण इस प्रकार हैं :

ये लक्षण तरल पदार्थ के सेवन के बाद बदतर हो सकते हैं।

सिस्टस कैनाडेंसिस

सामान्य नाम : रॉक रोज

लक्षण : सिस्टस कैनाडेंसिस उन लोगों में अच्छा काम करता है, जो ठंड के मौसम के प्रति अत्यधिक संवेदनशील होते हैं। यह एक ऐसा उपाय है जो विशेष रूप से ग्रंथियों को प्रभावित करने वाली स्थितियों में कार्य करता है। यह निम्न लक्षणों में मदद कर सकता है :

  • संक्रमण के कारण त्वचा का फटना
  • गर्दन की ग्रंथियों से संबंधित खतरनाक बीमारी
  • लंबे समय से प्रभावित कर रही सूजन
  • सीने में ठंड लगना
  • फेफड़ों में ब्लीडिंग
  • अस्थमा, जो लेटने की स्थिति में और खराब हो सकता है।

उपरोक्त लक्षण मानसिक परिश्रम के साथ और ठंडी हवा के मामूली जोखिम के साथ खराब हो जाते हैं। ऐस में कुछ खाने से रोगियों को अस्थायी राहत मिल सकती है।

कोनियम मैक्यूलैटम

सामान्य नाम : पॉइजन हेमलॉक

लक्षण : निम्नलिखित संकेतों के मामले में इस ट्रीटमेंट का प्रयोग किया जाता है :

  • गैट समस्याएं (सामान्य तरह से चलने में समस्या आना)
  • कंपकपी या सिहरन के साथ-साथ दिमाग और शरीर दोनों में कमजोरी, विशेषकर ऐसा सुबह के समय होता है जब व्यक्ति बिस्तर पर होता है।
  • ट्यूमर
  • चोट लगने पर एक सामान्यीकृत एहसास
  • पैरों में दर्द और जकड़न
  • लगातार छोटी और सूखी खांसी आना, यह लक्षण रात और शाम के समय बदतर हो जाते हैं। इसमें थोड़ी देर तक खांसने पर कफ बाहर निकल सकता है।
  • सांस लेने में दिक्कत
  • सीने में दर्द और सीने में जकड़न, जिसके कारण सांस लेने में मुश्किल होती है।
  • गले में खुजली के साथ खांसी

पीरियड्स से पहले और इसके दौरान यह लक्षण लेटने, करवट लेने और तनाव की स्थिति में बिगड़ जाते हैं।

(और पढ़ें - गले में खराश खुजली हो तो क्या करें)

गैलियम एपरिन

सामान्य नाम : गूज-ग्रास

लक्षण : गैलियम एक मूत्रवर्धक है। यह मुख्य रूप से मूत्र प्रणाली पर असर करता है और अल्सर वाली सतहों के लिए फायदेमंद है। चोट लगने के तीन से छह दिनों के अंदर खुले घाव वाले हिस्से पर दानेदार ऊतक दिखाई देते हैं और इन प्रभावित हिस्सों को ठीक करने में गैलियम एपरिन ट्रीटमेंट असरदार है। इसका उपयोग निम्नलिखित स्थितियों में भी किया जाता है :

  • ड्रॉप्सी (पानी के अतिरिक्त संचय के कारण होने वाली एक सामान्यीकृत सूजन) और पथरी (मूत्राशय में)
  • पेशाब करने में दर्द
  • स्कर्वी (विटामिन सी की कमी के कारण होने वाली एक बीमारी)
  • सिस्टिटिस (मूत्राशय की सूजन)
  • अल्सर, जो कैंसर में तब्दील हो सकता है।
  • त्वचा की समस्याएं, जो जल्दी ठीक नहीं होती हैं।

हाइड्रैस्टिस कैनाडेंसिस

सामान्य नाम : गोल्डन सील

लक्षण : यह उपाय म्यूकस मेंब्रेन्स (कुछ अंगों की अंदरूनी परत) को रिलैक्स करता है। इस उपाय के द्वारा निम्नलिखित लक्षणों का इलाज किया जाता है :

  • नाक या गले में बलगम का अत्यधिक स्राव
  • मांसपेशीयों में कमजोरी
  • पीठ के निचले हिस्से में दर्द
  • खराब पाचन और कब्ज
  • यौवन और गर्भावस्था के दौरान गोइटर (बढ़ा हुआ थायरॉयड)
  • सूखी खांसी
  • बूढ़े व्यक्तियों में घरघराहट के साथ खांसी और सांस फूलना
  • सीने में जलन के साथ-साथ दर्द
  • बाईं ओर लेटने पर घुटन महसूस होना
  • बार-बार बेहोशी आना, रोगी को अत्यधिक पसीना आने के साथ-साथ उसके शरीर पर छाले पड़ जाते हैं।

आयोडियम

सामान्य नाम : आयोडियम 

लक्षण : निम्नलिखित लक्षणों में इस उपाय की जरूरत पड़ती है:

  • कंपकपी
  • लंबे समय से सूजन की समस्या में अचानक वृद्धि हो जाना
  • रक्तस्राव (रक्त वाहिका का टूटना और ब्लीडिंग)
  • गले में गुदगुदी की भावना, जिसके कारण सूखी खांसी की समस्या ट्रिगर होती है। इस स्थिति में रोगी को खांसते समय गर्दन में दर्द महसूस होता है।
  • रक्त वाहिकाओं का असामान्य तरीके से सिकुड़ना
  • कोशिकाओं का प्रभावित होना
  • ग्रंथियों का सिकुड़ना
  • त्वचा को नुकसान पहुंचना (खरोंच)
  • आवाज बैठना
  • खांसते समय अपना गला पकड़ लेना (विशेषकर बच्चों में)
  • बलगम में खून आना
  • निमोनिया (फेफड़ों की सूजन)
  • सीने में कमजोरी
  • सांस लेने पर गले में दर्द
  • सांस लेने में तकलीफ

य​ह लक्षण पीठ या दाईं ओर लेटने या गर्म वातावरण में बैठने पर बदतर हो सकते हैं, जबकि इन लक्षणों में खुली हवा में रहने पर सुधार हो सकता है।

कैलियम सायनैटम

सामान्य नाम : पोटेशियम साइनाइड

लक्षण : इस उपाय का उपयोग निम्नलिखित लक्षणों के उपचार के लिए किया जाता है :

यह लक्षण सुबह 4 बजे से लेकर शाम 4 बजे के बीच बिगड़ जाते हैं।

क्रीओसटम

सामान्य नाम : बीचवुड क्रिओसटे

लक्षण : इसका उपयोग निम्नलिखित स्थितियों में किया जा सकता है :

  • थूक में खून आना
  • बूढ़े लोगों में सर्दियों के मौसम में खांसी की समस्या और उनके सीने में भारी दबाव महसूस होना
  • शरीर में तेज झुनझुनाहट
  • शाम के समय में खांसी आना
  • ऐसे डिस्चार्ज होना, जिनसे जलन और छिलने का एहसास होता है।
  • तंत्रिका संबंधी गंभीर समस्याएं
  • हर खांसी के बाद मवाद आना
  • फेफड़ों की कोशिकाओं का कार्य न करना
  • यह लक्षण ठंड में बिगड़ जाते हैं।

सेम्पेरविवं टेक्टरम

सामान्य नाम : हाउसलीक

लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित स्थितियों के लिए अनुशंसित है :

  • दाद
  • ट्यूमर, जो कैंसर में बदल सकता है।
  • जीभ का कठोर होना
  • बवासीर
  • अल्सर के साथ जीभ का कैंसर, इस स्थिति में आसानी से खून बह सकता है, खासकर रात में

थूजा ऑक्सिडेंटलिस

सामान्य नाम : आर्बर विटे

लक्षण : यह उपाय शरीर के लगभग सभी प्रमुख अंग प्रणालियों पर असर करता है। यह निम्नलिखित लक्षणों को दूर करने में मदद करता है :

यह लक्षण नम वातावरण में, रात में, कॉफी का सेवन करने और नाश्ते के बाद खराब हो जाते हैं। जब रोगी बाईं करवट लेकर लेट जाता है, तो लक्षणों में सुधार होता है।

(और पढ़ें - फेफड़ों के कैंसर का ऑपरेशन कैसे होता है)

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होम्योपैथी के अनुसार, फेफड़े के कैंसर वाले रोगियों में आहार और जीवन शैली में परिवर्तन करने से फायदा होता है। होम्योपैथिक दवाओं को लेते समय कुछ ऐसे काम हैं जिन्हें ध्यान में रखना चाहिए:

क्या करना चाहिए

  • स्वस्थ आहार का पालन करें और एक स्वस्थ जीवन शैली को अपनाएं।
  • कमरे या निवास स्थान को ठंडा और हवादार रखें।
  • अपने परिवेश को हमेशा साफ सुथरा रखें।
  • आरामदायक कपड़े पहनें, ऐसे में कॉटन सुविधाजनक हो सकता है क्योंकि यह शरीर से चिपकता नहीं है।

क्या न करें

  • कैफीन युक्त पेय और हर्बल चाय, बियर और शराब के सेवन से बचें।
  • मसालेदार भोजन, सॉस, चॉकलेट के सेवन से बचें।
  • उन व्यंजनों का सेवन न करें, जिनमें औषधीय जड़ी-बूटियां, जड़ें और पौधों के डंठल होते हैं यानी औषधीय गुण वाले भोजन न करें।
  • बत्तख और गीज (यह एक पक्षी की प्रजाति है) के मांस का सेवन न करें।
  • चीनी और नमक का सेवन बहुत ​हल्की मात्रा में करें।
  • सुगंधित इत्र, पाउडर वाला मंजन या सुगंधित पानी का उपयोग करने से बचें।

(और पढ़ें - फेफड़ों के कैंसर से जुड़े सवाल और जवाब)

कैंसर के लिए एक पूरक चिकित्सा के रूप में होम्योपैथिक उपचार का सहारा लिया जाता है, इससे जीवन की गुणवत्ता में सुधार होता है।

लैब में किए गए अध्ययन से पता चला है कि होम्योपैथिक दवाएं फेफड़ों के कैंसर, मूत्राशय कैंसर और स्तन कैंसर सहित विभिन्न प्रकार के कैंसर के उपचार में मदद कर सकती हैं।

कोचरन डेटाबेस ऑफ सिस्टमिक रिव्यू में छपी एक साहित्य समीक्षा में पता चला है कि होम्योपैथिक दवाओं को पारंपरिक दवाओं के साथ सुरक्षित रूप से इस्तेमाल किया जा सकता है और यह एलोपैथिक दवाओं के साथ किसी प्रकार का रिएक्शन नहीं करती हैं।

एक संभावित अवलोकन अध्ययन में, कैंसर रोगियों के एक समूह को दो वर्गों में बांटा गया था। एक वर्ग को पूरक होम्योपैथिक चिकित्सा के साथ और दूसरे का पारंपरिक चिकित्सा के साथ इलाज किया गया। इसके बाद, तीन माह तक सभी रोगियों की उनकी जीवन में गुणवत्ता को लेकर निगरानी की गई। रोगियों को उनके ट्यूमर के आकार और रोग के अनुसार जोड़े में मिलान किया गया था। कुल 11 जोड़ों में थकान के लक्षणों में कमी आई और उनके जीवन की गुणवत्ता में सुधार पाया गया।

अध्ययन में शामिल किए गए लोगों की संख्या और परिणाम संतोषजनक नहीं थे, इसलिए किसी भी चीज की पुष्टि करना मु​श्किल हो गया। होम्योपैथिक उपचार की कैंसर-विरोधी क्षमता को प्रदर्शित करने के लिए और अधिक सबूत की आवश्यकता है।

और पढ़ें - फेफड़ों के कैंसर में फायदा पहुंचा सकता है मरीज का अधिक वजन

फेफड़े का कैंसर तब होता है जब फेफड़ों के ऊतकों में कोशिकाएं सामान्य से बहुत तेज गति से विभाजित होने लगती हैं। आमतौर पर होम्योपैथिक दवाइयां सुरक्षित होती हैं। फिर भी, होम्योपैथिक डॉक्टर सामान्य तौर पर उपचार में सुधार लाने से पहले रोगियों को लक्षणों के अस्थायी तौर पर बिगड़ने के बारे में चेतावनी दे सकते हैं। किसी भी उपाय को करने से पहले एक योग्य चिकित्सक को बताएं, क्योंकि हर उपाय सभी को समान रूप से सूट नहीं करता है।

(और पढ़ें - सिगरेट ही नहीं, हवा भी बना रही है लंग कैंसर का मरीज)

जब फेफड़ों के ऊतकों में कोशिकाएं सामान्य से बहुत तेज गति से या अनियंत्रित तरीके से विभाजित होने लगती हैं, तब फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा होता है। इसमें फेफड़ों के सामान्य कामकाज प्रभावित हो सकते हैं और सांस लेने में समस्या आ सकती है। कीमोथेरेपी के दुष्प्रभावों को दूर करने और तनाव को कम करने के लिए होम्योपैथिक दवाओं को पारंपरिक उपचार के साथ लिया जा सकता है।

लैब में किए गए अध्ययन से पता चला है कि होम्योपैथिक दवाएं कैंसर के लिए एक पूरक चिकित्सा के रूप में ली जा सकती हैं। हालांकि, इन लाभों की पुष्टि के लिए नैदानिक अध्ययन की आवश्यकता है। फिलहाल, होम्योपैथिक दवाइयां सुरक्षित हैं और आमतौर पर डॉक्टर की देखरेख में लेने पर कोई दुष्प्रभाव नहीं होता है।

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