गला बैठना - Hoarseness (Hoarse Voice) in Hindi

Dr. Nabi Darya Vali (AIIMS)MBBS

September 29, 2018

April 19, 2023

गला बैठना
गला बैठना

परिचय:

गला बैठना एक आम समस्या होती है, इसमें गले की आवाज असाधारण रूप से  बदल जाती है। गला बैठने की समस्या अक्सर गला सूखने या गले में खुजली व जलन जैसी समस्याओं के साथ होती है। गला बैठने का सबसे मुख्य कारण जुकाम या साइनस संक्रमण होता है। ये समस्याएं दो हफ्तों के भीतर अपने आप ठीक हो जाती हैं।

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गला बैठने का की जांच करने के लिए मरीज की पिछली मेडिकल जानकारी ली जाती है और उनका शारीरिक परीक्षण किया जाता है।

गला बैठने से बचाव करने के लिए डॉक्टर धूम्रपान छोड़ने, पेट में जलन (एसिडिटी) पैदा करने वाले खाद्य पदार्थ ना खाने, गर्म पेय पदार्थों का सेवन करने और अपनी आवाज को कुछ दिनों के लिए आराम देने की सलाह देते हैं। गला बैठने का इलाज करने के लिए इसका कारण बनने वाली समस्याओं का पता लगा कर उनका इलाज किया जाता है। इसके अलावा गले की सफाई रखना, गले से संबंधित किसी विशेष समस्या का अलग से उपचार करना और वॉइस थेरेपी आदि भी गला बैठने के इलाज में शामिल हो सकते हैं।

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यदि गला बैठने का इलाज ना किया जाए तो इससे गले में गंभीर संक्रमण हो सकता है। इसके अलावा गला बैठने से आवाज कम होना और बलगम वाली खांसी होने जैसी समस्याएं भी पैदा हो जाती हैं।

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गला बैठना क्या है - What is Hoarseness (Hoarse Voice) in Hindi

असाधारण रूप से आवाज कम होना या फिर उसमें किसी प्रकार का बदलाव होने की स्थिति को गला बैठना कहा जाता है। गला बैठने से आवाज में कई प्रकार के बदलाव हो सकते हैं, जैसे आवाज मोटी, पतली, कम, ज्यादा या कमजोर होना। इसके अलावा गला बैठने से आवाज में और भी कई प्रकार के बदलाव आ सकते हैं। 

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गला बैठने के लक्षण - Hoarseness (Hoarse Voice) Symptoms in Hindi

गला बैठने के लक्षण - Hoarseness (Hoarse Voice) Symptoms in Hindi

गला बैठने के क्या लक्षण हैं?

गला बैठने पर अक्सर देखे जाने वाले लक्षण, इस तरह है:

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

यदि लगातार दो हफ्तों से गला बैठा हुआ है, तो उससे कई प्रकार की समस्याएं होने का खतरा बढ़ जाता है। यदि आपका भी कई दिनों से गला बैठा हुआ है, तो आपको डॉक्टर के पास जाकर उचित उपचार व सलाह लेनी चाहिए और अपने गले की जांच करवा लेनी चाहिए। यदि कुछ दिनों से आपकी आवाज पूरी तरह से बंद हो गई है, तो ऐसी स्थिति में जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाने की कोशिश करें।

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गला बैठने के कारण और जोखिम कारक - Hoarseness (Hoarse Voice) Causes & Risk Factors in Hindi

गला क्यों बैठता है?

कई अलग-अलग कारणों से गला बैठने की समस्या हो सकती है:

  • एसिडिटी या रिफ्लक्स:
    रात को सोते समय पेट के एसिड भोजन नली से होते हुऐ गले तक पहुंच सके हैं। ये अम्ल गले का पिछले हिस्से और स्वर तंत्रियों में सूजन व लालिमा पैदा कर देते हैं, जिस कारण से गला बैठ जाता है।
  • जीवनशैली से जुड़ी समस्याएं:
    धूम्रपान करने, बर्फ के साथ बहुत शराब पीने, बर्फ या अधिक ठंडे पेय पदार्थ पीने, मिर्च और मसालेदार भोजन खाने आदि के कारण स्वर तंत्रियों में सूजन आ जाती है और गला बैठ जाता है। (और पढ़ें - शराब छुड़ाने के उपाय)
  • संक्रमण:
    सर्दी जुकाम या ऊपरी श्वसन तंत्र में संक्रमण होने से भी गला बैठने लग जाता है। (और पढ़ें - सर्दी जुकाम में क्या खाएं)
  • न्यूरोलॉजिकल समस्याएं:
    कभी-कभी स्वर तंत्री काम करना बंद कर देती हैं या उसे लकवा मार जाता है, जिस कारण से आवाज कमजोर हो जाती है।
  • आवाज का दुरुपयोग:
    लंबे समय तक तेज आवाज में बोलना, गाना, चिल्लाना या रोना आदि गला बैठने का कारण बन सकते हैं।
  • सूजन:
    स्वर तंत्रियों में सूजन आना, मांस बढ़ना या सिस्ट आदि बनने के कारण भी गला बैठने लग जाता है।
  • कैंसर:
    स्वर तंत्रियों में कैंसर होना एक आम समस्या है। इसके कारण भी गला बैठ सकता है। (और पढ़ें - मुंह के कैंसर का इलाज)

कुछ प्रकार की दवाएं जो गला बैठने का कारण बनती हैं:

  • सूंघी जाने वाली स्टेरॉयड दवाएं (जो सामान्य से अधिक सूंघने से जलन पैदा कर देती हैं)
  • एंटीसायकोटिक्स दवाएं (लारेंजियल डाइस्टनिया)
  • एंटीहिस्टामिन, डाईयुरेटिक्स और एंटीकोलिनर्जिक्स दवाएं (इनसे नाक व गले के क्षेत्र शुष्क हो जाते हैं)
  • एस इनहिबिटर दवाएं
  • बिस्फॉस्फोनेट (केमिकल लेरिंजाइटिस)

गला बैठने का खतरा कब बढ़ता है?

कुछ स्थितियों से जुड़े लोगों में गला बैठने का खतरा अधिक होता है, जैसे:

  • अध्यापक
  • सिंगर
  • राजनेता
  • बूढ़े लोग
  • अधिक धूम्रपान करने  वाले लोग
  • सब्जी मंडी में काम करने वाले लोग (चिल्ला कर नीलामी करने वाले)

कुछ प्रकार की समस्याएं जो गला बैठने का कारण बन सकती हैं, जैसे:

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गला बैठने से बचाव - Prevention of Hoarseness (Hoarse Voice) in Hindi

गला बैठने से कैसे बचें?

कुछ बातों का ध्यान रखकर गला बैठने से बचाव किया  जा सकता है, जैसे:

  • रात का खाना सोने से कम से कम तीन घंटे पहले खाएं, ऐसा करने से एसिड रिफ्लक्स जैसी समस्याएं कम हो जाती हैं। (और पढ़ें - खाना खाने का सही समय
  • पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ पिएं और अपने गले को नम रखें। यदि आपको किडनी, हृदय या लीवर संबंधी समस्याएं हैं और डॉक्टर ने सीमित मात्रा में ही तरल पदार्थ पीने को कहा है, तो इस बारे में डॉक्टर से बात कर लें। 
  • कब और कितना बोलना चाहिए और कब नहीं बोलना चाहिए आदि इसके बारे में डॉक्टर से सलाह लें। फुसफुसा कर ना बोलें ऐसा करने से आवाज प्रभावित होती है।
  • कुछ समय तक चुप रह कर अपनी आवाज को आराम दें और तेज आवाज में गाने, बोलने या चिल्लाने से बचें। 
  • यदि आप धूम्रपान करते हैं, तो छोड़ दें। (और पढ़ें - सिगरेट छोड़ने के उपाय)
  • धूम्रपान ना करें, क्योंकि सिगरेट आदि पीने से आपकी आवाज खराब हो जाती है और गले का कैंसर होने के जोखिम भी बढ़ जाते हैं। यदि आप धूम्रपान छोड़ने के लिए मदद चाहते हैं, तो इस बारे में डॉक्टर से बात करें क्योंकि डॉक्टर आपको धूम्रपान छोड़ने के तरीके और कुछ प्रकार की दवाओं के बारे में बता सकते हैं। ऐसा करने से धूम्रपान छोड़ने में आपको काफी मदद मिल सकती है।
  • यदि आपको किसी प्रकार की एलर्जी है और आपने उसका अभी तक इलाज नहीं करवाया है, तो जल्द से जल्द उसके बारे में डॉक्टर को बताएं और उसका इलाज करवाएं।
  • धुंए वाले स्थानों पर ना रहें।
  • अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पिएं। (पानी, फलों के रस और चाय)
  • अपने वातावरण को एलर्जिक पदार्थों मुक्त रखें, क्योंकि एलर्जी के कारण गला बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो सकता है।
  • गर्म पानी से नहाएं और गर्म पानी की भाप लें। (और पढ़ें - एलर्जी होने पर क्या होता है)
  • बार-बार अपने हाथ धोने की आदत डाल लें, क्योंकि गला बैठना अक्सर वायरल इन्फेक्शन के कारण होता है। नियमित रूप से हाथ धोने की आदत से रोगाणु फैलने से रोकथाम की जा सकती है और आप स्वस्थ रहते हैं।
  • यदि आपको एसिड रिफ्लक्स की समस्या है, तो उपचार नियमों का पालन करें, जो इस प्रकार हो सकते हैं:
    • एेसे खाद्य पदार्थों का सेवन बंद या कम से कम कर दें जो आपकी एसिड रिफ्लक्स की स्थिति को बदतर बना देते हैं। इन खाद्य पदार्थों में टमाटर, मिर्च व मसालेदार भोजन और चॉकलेट आदि शामिल हैं। 
    • अल्कोहल व कैफीन वाले पेय पदार्थों ना पिएं जैसे शराब, चाय, कॉफी और अन्य सोडा जैसे पेय पदार्थ आदि। (और पढ़ें - कैफीन के फायदे)
    • सोते समय अपने सिर को बेड के स्तर से 8 से 10 सेंटीमीटर ऊंचाई पर रखें, ऐसा करने के लिए आप बेड के अगले पैरों के नीचे एक-एक ईंट रख सकते हैं। ऐसा करने से रात में आपके पेट के तरल एसिड आपके गले तक नहीं आ पाएंगे।

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गला बैठने की जांच - Diagnosis of Hoarseness (Hoarse Voice) in Hindi

गला बैठने की जांच कैसे की जाती है?

इस स्थिति का परीक्षण डॉक्टर अक्सर आपकी पिछली मेडिकल जानकारी पूछ कर शुरू करते हैं, उसके बाद परीक्षण के दौरान आपकी आदतों, आपके कार्य और आपके शरीर से जुड़ी अन्य बीमारियों के बारे में पता लगाया जाता है। इसके अलावा परीक्षण के दौरान आप से यह भी पूछा जाएगा कि क्या आप धूम्रपान करते हैं, क्योंकि धूम्रपान गंभीर रूप से आपके गले को प्रभावित करता है। इस दौरान आपके गले को प्रभावित करने वाले सभी कारकों की जांच की भी जाती है।

(और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)

डॉक्टर आपके गले के अंदर देखकर भी गले का परीक्षण कर सकते हैं, ऐसा करने के लिए डॉक्टर या तो एक टॉर्च और एक आइने का उपयोग करते हैं या फिर एक पतली और लचीली ट्यूब का इस्तेमाल करते हैं। इस ट्यूब के एक सिरे पर लाइट और कैमरा लगा होता है, जो गले के अंदर की तस्वीरें कंप्यूटर स्क्रीन पर भेजता है। इस दौरान गले के अंदर किसी प्रकार के घाव, दाग या गांठ आदि की जांच की जाती है। (और पढ़ें - टॉन्सिल का इलाज)

गला बैठने का परीक्षण करने के लिए डॉक्टर कुछ प्रकार के टेस्ट भी लिख सकते हैं:

  • कम्पलीट ब्लड काउंट:
    इस टेस्ट की मदद से खून में सफेद रक्त कोशिकाओं की संख्या की जांच की जाती है, जिसकी मदद से संक्रमण का पता लगाया जाता है।
    (और पढ़ें - ब्लड टेस्ट क्या है)
     
  • लैरिंगोस्कोपी:
    इस टेस्ट की मदद से गले के अंदर की जांच की जाती है। इस टेस्ट में धातु से बनी एक पतली ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता है जिसके सिरे पर एक कैमरा लगा होता है।
    (और पढ़ें - लैप्रोस्कोपी क्या है)
     
  • बायोप्सी:
    यदि जांच के दौरान गले के अंदर मांस बढ़ा हुआ या कोई गांठ मिलती है, तो डॉक्टर उसके आस-पास के क्षेत्र को सुन्न कर देते हैं और उस में से जांच के लिए छोटा सा टुकड़ा सेंपल के रूप में निकाल लेते हैं। सेंपल को जांच के लिए लेबोरेटरी में भेज दिया जाता है। यदि गांठ छोटी है या थोड़ा सा मांस बढ़ा हुआ है, तो उसके पूरे हिस्से को ही निकाल कर जांच के लिए भेज दिया जाता है।
    (और पढ़ें - बायोप्सी क्या है)
     
  • थायराइड फंक्शन टेस्ट 
    (और पढ़ें - थायराइड फंक्शन टेस्ट)

गला बैठने का इलाज - Hoarse Voice Treatment in Hindi

गला बैठने का इलाज कैसे किया जाता है?

  • यदि आपके डॉक्टर इलाज में कुछ एंटीबायोटिक दवाएं लिखते हैं, उन्हें डॉक्टर के निर्देशों के अनुसार ही लें और डॉक्टर द्वारा दिया गया कोर्स पूरा करें। यदि आपको लगता है कि आप ठीक हो गए हैं, तो भी दवाओं का कोर्स बीच में ना छोड़ें।
     
  • यदि सूंघने वाली स्टेरॉयड दवाओं (Inhaled steroid) के कारण गला बैठने की समस्या हुई है, तो उन दवाओं का उपयोग बंद करके या उनको किसी दूसरी दवा के साथ बदल कर गले में सुधार किया जा सकता है। सूंघने वाली दवाएं अक्सर अस्थमा के मरीजों के लिए इस्तेमाल की जाती हैं।
     
  • यदि गले में ट्यूमर बनने या लैरिंक्स संबंधी किसी समस्या के कारण गला बैठने की समस्या हुई है, तो उसका इलाज करने के लिए सर्जरी करने की आवश्यकता भी पड़ सकती है। (और पढ़ें - ट्यूमर का इलाज)
     
  • गला बैठने का इलाज करने के लिए सबसे पहले गले से जुड़ी समस्याओं का इलाज किया जाता है। यदि गले में मांस बढ़ गया है, गांठ बन गई है या फिर किसी प्रकार के छाले बन गए हैं, तो उनके संपर्क में आने वाले उत्तेजक पदार्थों को हटाने से वे ठीक हो जाते हैं।  (और पढ़ें - मुंह के छाले का कारण)
     
  • यदि स्वर तंत्रियों के कैंसर का समय पर पता लग जाए, तो ऑपरेशन या रेडिएशन थेरेपी द्वारा उसका सफलतापूर्वक इलाज किया जा सकता है।
     
  • वॉइस थेरेपी और स्पीच लैंगवेज पैथोलॉजिस्ट भी काफी मददगार हो सकते है।
     
  • गले के ध्वनि यंत्र (Voice box) में किसी प्रकार की क्षति या चोट के कारण भी गला बैठ सकता है। गले के ऑपरेशन से संबंधित कई प्रकार की सर्जरी भी कुछ मामलों में ध्वनि यंत्र को क्षतिग्रस्त कर देती हैं। (और पढ़ें - सर्जरी से पहले की तैयारी)
     
  • गला बैठने का इलाज करने के लिए डिकंजेस्टेन्ट (बंद नाक को खोलने वाली दवाएं) का उपयोग ना करें, क्योंकि ये दवाएं गले को शुष्क बना देती हैं और जलन पैदा कर देती हैं। 
     
  • यदि गला बैठने का कारण बनने वाली अंदरुनी समस्याओं का इलाज संभव हो, तो उनका इलाज करके भी गले की स्थिति में सुधार लाया जा सकता है। यदि गले की कोई नस क्षतिग्रस्त हो गई है और उसके ठीक होने की उम्मीद की जा रही है, तो एक बल्किंग एजेंट (Bulking agents) को इंजेक्ट किया जाता है, जो कुछ सीमित समय के लिए ध्वनि यंत्र को सहारा प्रदान करता है। यदि डॉक्टर को लगता है, कि नस ठीक नहीं हो सकती तो ऐसी स्थिति में ऑपरेशन किया जाता है। ऑपरेशन के दौरान स्वर तंत्रियों को फिर से संगठित जाता है या ऐसे पदार्थों को इंजेक्ट किया जाता है जो एक स्थायी कृत्रिम स्वर तंत्रियां बनाते हैं। 
     
  • कभी-कभी गले के ध्वनि यंत्र की मांसपेशियों में ऐंठन आ जाती है, जिस कारण से गला बैठ जाता है। इस समस्या का अक्सर बोटुलिनम टॉक्सिन (Botox) इंजेक्शन की मदद से सफलतापूर्वक इलाज कर दिया जाता है। इस इंजेक्शन की मदद से ऐंठन से ग्रस्त मांसपेशी को कमजोर बना दिया जाता है। इस इंजेक्शन के बाद 3 से 6 महीने तक आराम रहता है और उसके बाद फिर से यह इंजेक्शन लगवाने की आवश्यकता पड़ जाती है।

(और पढ़ें - पेट में ऐंठन का इलाज)

गला बैठने की जटिलताएं - Hoarseness Complications in Hindi

गला बैठने पर क्या समस्या होती है?

यदि गला बैठने पर उसका समय पर इलाज ना करवाया जाए, तो लैरिंक्स ग्रंथि का सामान्य से अधिक उपयोग होने के कारण गले के ध्वनि यंत्र के ऊतक मोटे हो जाते हैं और उसकी ऊपरी त्वचा भी कठोर होने लग जाती है।

गला बैठने से होने वाली कुछ गंभीर जटिलताओं में संक्रमण और कैंसर आदि भी शामिल हैं और इनके साथ-साथ स्थायी रूप से आवाज चली जाना भी गला बैठने से होने वाली एक समस्या हो सकती है। (और पढ़ें - आवाज़ को सुरीली कैसे बनाएं)

इसलिए गला बैठने के इलाज का महत्व समझे और जितना जल्दी हो सके उसका इलाज करवाएं, ताकि कोई भी गंभीर स्थिति पैदा होने से पहले ही इस समस्या को काबू किया जा सके।

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गला बैठना के डॉक्टर

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गला बैठना की ओटीसी दवा - OTC Medicines for Hoarseness (Hoarse Voice) in Hindi

गला बैठना के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

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