टॉन्सिल गले के पीछे स्थिति ऊतक की गांठ है। गले के पीछे कुल दो टॉन्सिल मौजूद होते हैं, एक दाएं तरफ और एक बाएं तरफ। ये लसीका प्रणाली का हिस्सा होते हैं और हमारे शरीर से फॉरेन बॉडी (कोई भी ऐसी बाहरी चीज या वस्तु जो शरीर में फंस गयी है) और संक्रामक जीवों को बाहर निकालने में मदद करते हैं। जब टॉन्सिल में सूजन हो जाती है, तो इस स्थिति को टॉन्सिलाइटिस के रूप में जाना जाता है।

टॉन्सिलाइटिस आमतौर पर वायरल इंफेक्शन के कारण होता है। हालांकि, दुर्लभ मामलों में यह बैक्टीरियल इंफेक्शन के कारण भी हो सकता है। बैक्टीरिया मुंह से निकली सूक्ष्म बूंदों के जरिए फैलता है, ऐसा तब होता है जब कोई संक्रमित व्यक्ति अपने मुंह और नाक को कवर किए बिना खांसता या छींकता है। टॉन्सिलाइटिस आमतौर पर अचानक होता है, इस स्थिति को एक्यूट टॉन्सिलाइटिस के रूप में जाना जाता है। एक्यूट टॉन्सिलाइटिस सबसे अधिक बच्चों में होता है, लेकिन किशोरों और वयस्कों में भी इसका जोखिम रहता है। कुछ लोगों में टॉन्सिलाइटिस बार-बार होता है, जबकि कुछ में यह समस्या लगातार बनी रहती है, जिसे क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस के रूप में जाना जाता है।

टॉन्सिलाइटिस के सबसे सामान्य लक्षणों में तेज बुखार, गले में खराश और गर्दन में लिम्फ नोड्स की सूजन शामिल है। एक्यूट टॉन्सिलाइटिस के विशिष्ट लक्षणों में बुखार, गले में खराश, सांस की बदबू, निगलते समय दर्द, निर्जलीकरण, नींद में परेशानी, थकान, कानों में दर्द, बोलने में कठिनाई, टॉन्सिल की लालिमा और टॉन्सिल पर सफेद धब्बे या मवाद से भरे स्पॉट शामिल हैं। एक्यूट टॉन्सिलाइटिस के लक्षण आमतौर पर 4-5 दिनों के भीतर ठीक हो जाते हैं। क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस की स्थिति में व्यक्तियों में टॉन्सिल स्टोन भी हो सकता है। टॉन्सिलाइटिस के गंभीर रूप को पेरिटॉन्सिलर एब्सेस कहते हैं, जिसमें टॉन्सिल के पास मवाद बनता है और पीड़ित व्यक्ति में अतिरिक्त लक्षण दिखाई दे सकते हैं। इन लक्षणों में अधिक लार आना और मुंह खोलने में कठिनाई शामिल है।

टॉन्सिलाइटिस का निदान करने के लिए, डॉक्टर लक्षणों के बारे में पूछताछ करने के अलावा शारीरिक जांच कर सकते हैं। टॉन्सिलाइटिस का कारण निर्धारित करने के लिए डॉक्टर संक्रमित हिस्से से तरल का नमूना लेकर जांच कर सकते हैं। इसके अलावा वे ब्लड टेस्ट कराने की भी सलाह दे सकते हैं। बैक्टीरियल टॉन्सिलिटिस के लिए एंटीबायोटिक्स दिया जाता है, जबकि वायरल टॉन्सिलिटिस का उपचार लक्षणों का प्रबंधन करके किया जाता है।

होम्योपैथी ट्रीटमेंट से कई प्रकार की बीमारियां बिना किसी साइड इफेक्ट के ठीक हो सकती हैं। यही कारण है कि दुनियाभर में व्यापक रूप से होम्योपैथी का इस्तेमाल किया रहा है। होम्योपैथी उपायों को प्राकृतिक स्रोतों के जरिए तैयार किया जाता है, जिसका अर्थ है कि दवाओं को व्यक्ति के शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य के अनुसार प्रशासित किया जाता है। यही वजह है कि होम्योपैथिक उपचारों बिना किसी साइड इफेक्ट के या कम से कम साइड इफेक्ट के लिए जाना जाता है।

विशेषज्ञों का सुझाव है कि आर्सेनिक एल्बम, बेलाडोना और लाइकोपोडियम जैसे उपचार टॉन्सिलिटिस से जुड़ी असुविधा के इलाज में प्रभावी हैं।

(और पढ़ें - टॉन्सिल के घरेलू उपाय क्या हैं)

  1. टॉन्सिल्स की होम्योपैथिक दवा - Tonsillitis ki homeopathic medicine in Hindi
  2. होम्योपैथी के अनुसार टॉन्सिल्स के लिए आहार और जीवनशैली में बदलाव - Homeopathy ke anusar Tonsillitis ke liye khanpan aur jeevan shaili me badlav
  3. टॉन्सिल्स के लिए होम्योपैथिक दवाएं और उपचार कितने प्रभावी हैं - Tonsillitis ke liye Homeopathic medicine kitni effective hai
  4. टॉन्सिल्स के लिए होम्योपैथिक दवा के नुकसान और जोखिम - Tonsillitis ke liye Homeopathic medicine ke nuksan
  5. टॉन्सिल्स के लिए होम्योपैथिक उपचार से संबंधित टिप्स - Tonsillitis ke liye Homeopathic treatment se jude tips
टॉन्सिल्स की होम्योपैथिक दवा और इलाज के डॉक्टर

टॉन्सिलाइटिस के इलाज के लिए सबसे अच्छे उपाय निम्नलिखित हैं :

आर्सेनिक एल्बम
सामान्य नाम :
आर्सेनिक एसिड
लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों को प्रबंधित करने के लिए सबसे उपयुक्त है

यह लक्षण नम मौसम या आधी रात के बाद खराब हो जाते हैं, लेकिन गर्मी या गर्म ड्रिंक पीने से इनमें सुधार होता है।

बेलाडोना
सामान्य नाम :
डेडली नाइटशेड
लक्षण : आमतौर पर निम्नलिखित लक्षणों को इस उपाय के जरिए ठीक किया जाता है

छूने के बाद या दोपहर के बाद यह लक्षण खराब हो जाते हैं जबकि सेमी इरेक्ट पोजिशन में रहने पर इनमें सुधार होता है।

बैरिटा कार्बोनिका
सामान्य नाम :
कार्बोनेट ऑफ बेरेटा
लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों के इलाज के लिए उपयुक्त है

  • मानसिक थकान
  • भ्रम की स्थिति
  • कानों में दर्द
  • चेहरे और ऊपरी होंठ में सूजन
  • मसूड़ों से खून आना
  • दांतों में दर्द
  • जीभ के अगले हिस्से में दर्द
  • सुबह के समय में लार टपकना
  • भोजन निगलते समय गले में ऐंठन
  • टॉन्सिल में सूजन
  • सर्दी-जुकाम के समय टॉन्सिल में मवाद बन जाना
  • निगलने के दौरान तेज दर्द
  • गले में गांठ महसूस करना
  • जब भोजन अन्नप्रणाली में प्रवेश करता है तो गला चोक हो जाना
  • बहुत ज्यादा बात करने पर गले में दर्द
  • टॉन्सिल में चुभने वाला दर्द
  • पैर ठंडे होना
  • सही नींद न ले पाना

यह लक्षण मानसिक थकान से खराब हो जाते हैं और खुली हवा में रहने से बेहतर हो सकते हैं।

कैल्केरिया कार्बोनिका
सामान्य नाम :
कार्बोनेट ऑफ लाइम
लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों के उपचार में सहायक हो सकता है :

  • कान में थ्रोबिंग पेन (धमक जैसा दर्द) 
  • मौसम बदलने पर सर्दी-जुकाम होना
  • मुंह में खट्टा स्वाद
  • रात में जीभ सूखना
  • मसूड़ों से खून आना
  • टॉन्सिल की सूजन
  • निगलते समय दर्द
  • रात में पैल्पिटेशन की समस्या, खासकर खाने के बाद
  • पसीने के साथ बुखार
  • सर्दी और गर्मी लगना
  • रात को पसीना, खासकर सिर, गर्दन और छाती पर

नम मौसम में रहने या अत्यधिक थकान से यह लक्षण बदतर हो जाते हैं जबकि शुष्क जलवायु में यह बेहतर हो जाते हैं।

हेपर सल्फर
सामान्य नाम :
हैनिमैन कैल्शियम सल्फाइड
लक्षण : इस उपाय से निम्नलिखित लक्षणों को बेहतर किया जा सकता है :

  • ठंडे पसीने के साथ सिरदर्द
  • आंखों में सूजन
  • मुंह खोलने के दौरान जबड़े में दर्द
  • मसूड़ों में दर्द और ब्लीडिंग
  • निगलने में ​कठिनाई
  • गले में दर्द, जो कानों की ओर बढ़ता है
  • खुली हवा में ठंड लगना
  • अत्यधिक पसीना

यह लक्षण शुष्क, ठंडी हवाओं में खराब होते हैं जबकि नम मौसम में या खाने के बाद इनमें सुधार होता है।

मर्क्यूरियस सॉल्यूबिलिस
सामान्य नाम :
क्विकसिल्वर
लक्षण : यह उपाय निम्नलिखित लक्षणों को प्रबंधित कर सकता है :

  • सिर में चुभन और जलन के साथ दर्द
  • आंखों में जलन के साथ सूजन
  • कानों से पीला डिस्चार्ज और रात में दर्द
  • मुंह में धातु का स्वाद आना
  • जीभ में कंपन्न के कारण बात करने में कठिनाई
  • मसूड़ों से खून आना
  • मुंह से दुर्गंध आना
  • अत्यधिक प्यास
  • गले में सूजन जो नीले लाल रंग में दिखाई दे सकती है
  • गले में खराश, विशेष रूप से दाहिनी ओर
  • निगलने पर कान में चुभन
  • मवाद बनने के बाद निगलने में कठिनाई
  • गले में जलन
  • आवाज धीमी हो जाना
  • हाथ पैर में कमजोरी
  • रात में पसीना बहना
  • गर्मी और कंपकंपी यानी सिहरन महसूस होना
  • ठंड लगना - यह स्थिति शाम को बढ़ सकती है

लाइकोपोडियम क्लैवैटम
सामान्य नाम :
क्लब मॉस
लक्षण : इस उपाय से निम्नलिखित लक्षणों से राहत मिलती है :

  • सिर में फटने जैसा दर्द होना
  • कानों से गाढ़ा और पीला डिस्चार्ज होना
  • दांतों में दर्द
  • मुंह और जीभ सूखना
  • गले में सूखापन
  • गले में सूजन
  • निगलते समय गले में चुभन वाला दर्द
  • टॉन्सिल में सूजन
  • टॉन्सिल में छाले
  • रात में घबराहट
  • दोपहर 3 से 4 बजे के बीच ठंड लगना
  • पसीने के साथ बुखार
  • दिन के समय सुस्ती

यह लक्षण गर्मी के कारण खराब हो सकते हैं। हालांकि, गर्म पेय से गले के दर्द से राहत मिल सकती है। आधी रात के बाद यह लक्षण ठीक हो जाते हैं।

(और पढ़ें - टॉन्सिल का ऑपरेशन कैसा होता है)

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होम्योपैथी चिकित्सा का एक लोकप्रिय रूप है, जो कई बीमारियों और स्थितियों के उपचार में मददगार है। कोई भी व्यक्ति होम्योपैथिक उपचार को अपनी दैनिक दिनचर्या में बहुत आसानी से शामिल कर सकता है। हालांकि, इन दवाइयों के साथ जीवनशैली में कुछ निश्चित बदलाव करने की जरूरत होती है, ताकि कोई बाहरी कारक उपचार के प्रभाव में हस्तक्षेप न कर सके और दवाइयों का प्रभाव अच्छे से हो सके। नीचे कुछ सलाह दी गई है, ​जिन्हें अपनाने से होम्योपैथी उपचार की कार्रवाई पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और समग्र स्वास्थ्य में सुधार हो सकेगा।

क्या करना चाहिए

  • होम्योपैथी ट्रीटमेंट के दौरान व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखें। यह भी सुनिश्चित करें कि परिवेश साफ सुथरा रहे।
  • प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों की जगह ऐसे स्वस्थ खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए, जो पोषक तत्वों और फाइबर से भरपूर होते हैं।
  • सक्रिय जीवन शैली बनाएं, इसके लिए दैनिक रूप से व्यायाम करें।
  • दैनिक कार्यों में व्यस्त रहते हुए एक अच्छी मुद्रा बनाए रखें।
  • ऐसे कपड़े पहने जो आरामदायक हों और शरीर तक हवा पहुंच सके। टाइट कपड़ों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।

क्या नहीं करना चाहिए

  • होम्योपैथिक दवाओं का उपयोग करते समय चाय और कॉफी जैसे पेय पदार्थों का सेवन न करें या कम से कम करें।
  • शराब पीने की आदत छोड़ दें, क्योंकि यह होम्योपैथिक दवाओं के काम में हस्तक्षेप करेगा।
  • अधिक नमक या चीनी वाले खाद्य पदार्थों का सेवन सीमित या बंद कर दें।
  • रूम फ्रेशनर्स और परफ्यूम जैसे आर्टिफिशियल सेंट के इस्तेमाल से बचना चाहिए।
  • एयर कंडीशनिंग या रूम हीटर जैसे आर्टिफिशियल उपकरणों के उपयोग से बचना चाहिए।

(और पढ़ें - टॉन्सिल स्टोन क्या है)

होम्योपैथिक दवाओं को टॉन्सिलाइटिस के लक्षणों से राहत प्रदान करने और इसे बार बार ट्रिगर होने से रोकने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली में सुधार हेतु काफी प्रभावी पाया गया।

भारत में बच्चों में टॉन्सिलाइटिस के इलाज में होम्योपैथिक दवाओं की प्रभावकारिता का परीक्षण करने के लिए एक अध्ययन किया गया। इसमें टॉन्सिलाइटिस से ग्रस्त 30 रोगियों को शामिल किया गया। इनमें से 18 ठीक हो गए और 10 में पहले से काफी सुधार हुआ, जबकि 2 रोगियों में कोई सुधार नहीं देखा गया। इसलिए, यह निष्कर्ष निकाला गया कि होम्योपैथिक उपचार बच्चों में टॉन्सिलाइटिस के उपचार में प्रभावी है और इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं है।

6-12 वर्ष की आयु के बच्चों पर किए गए एक अन्य अध्ययन में यह पता चला कि होम्योपैथिक उपचार जैसे कि बेलाडोना और हेपर सल्फ्यूरिस एक्यूट वायरल टॉन्सिलाइटिस के प्रति असरदार है। इसमें एंटी इंफ्लेमेटरी (सूजन को रोकने वाली) और दर्द निवारक गुण मौजूद हैं।

(और पढ़ें - टॉन्सिल स्टोन के घरेलू उपाय क्या है)

आमतौर पर होम्योपैथिक दवाएं सभी आयु वर्ग के लिए सुरक्षित और प्रभावी हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि इन्हें प्राकृतिक पदार्थों से तैयार किया जाता है और इस्तेमाल किए जाने से पहले इन्हें घुलनशील रूप दिया जाता है। इन दवाइयों का निर्धारण करने से पहले बेहद सावधानी बरती जाती है। कोई भी होम्योपैथी डॉक्टर मरीज के लक्षणों के साथ-साथ उसकी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक स्थिति की जांच किए बगैर उपाय निर्धारित नहीं करता है। इसलिए, एलर्जी का जोखिम खत्म या न्यूनतम हो जाता है।

(और पढ़ें - बच्चों में टॉन्सिल के उपचार क्या है)

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टॉन्सिलाइटिस एक खतरनाक स्थिति तो नहीं है लेकिन दुर्लभ मामलों में यह गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। इसके सरल उपायों में आराम करना, ऐसे खाद्य पदार्थों और पेय पदार्थों का सेवन करना जो गले को रिलैक्स करने के साथ सूजन और बेचैनी को नियंत्रित कर सकते हैं, आदि शामिल हैं। होम्योपैथिक दवाएं टॉन्सिलाइटिस को ठीक करने और संक्रमण के कारणों से लड़ने के लिए व्यक्ति की प्रतिरक्षा में सुधार करती हैं। इसके अलावा होम्योपैथी ट्रीटमेंट बार-बार होने वाली या क्रोनिक टॉन्सिलाइटिस के उपचार के लिए भी बेहतरीन विकल्प हैं।

Dr. Rupali Mendhe

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होमियोपैथ
21 वर्षों का अनुभव

Dr. Rubina Tamboli

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होमियोपैथ
7 वर्षों का अनुभव

Dr. Anas Kaladiya

Dr. Anas Kaladiya

होमियोपैथ
5 वर्षों का अनुभव

Dr. Prabhash Kumar Chaudhari

Dr. Prabhash Kumar Chaudhari

होमियोपैथ
5 वर्षों का अनुभव

संदर्भ

  1. MedlinePlus Medical Encyclopedia. [Internet] US National Library of Medicine; Tonsillitis
  2. American Academy of Otolaryngology–Head and Neck Surgery Foundation. Tonsillitis. Alexandria; [internet]
  3. Siva Rami Reddy. E. A Brief Study of Efficacy of Homoeopathic Medicines in Controlling Tonsillitis in Paediatric Age Group. Volume 12, Issue 1 Ver. II (Jan. - Feb.2017), PP 01-05
  4. National Health Service [Internet]. UK; Tonsillitis
  5. William Boericke. [link]. Kessinger Publishing: Médi-T 1999, Volume 1
  6. Eunice Malapane et al. Efficacy of a Homeopathic Complex on Acute Viral Tonsillitis.  Journal of alternative and complementary medicine (New York, N.Y.) 20(11) · September 2014

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