प्रीमैच्योर यानी समय से पहले जन्मे बच्चों को वैसे तो स्वास्थ्य संबंधी कई प्रकार के जोखिम होते हैं। लेकिन एक नई रिसर्च में शोधकर्ताओं ने ऐसे बच्चों में बड़े खतरे की बात कही है। वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रीमैच्योर बच्चों को बचपन में संक्रमण के साथ अस्पताल में भर्ती होने का तीन गुना अधिक खतरा होता है। दरअसल ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के एक प्रमुख अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है, जिसे चिकित्सा क्षेत्र की प्रमुख पत्रिका ' ब्रिटिश मेडिकल जर्नल' (बीएमजे) में प्रकाशित किया गया है।

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सात से 10 साल की उम्र के बच्चों को जोखिम - रिसर्च
रिसर्च में पता चला है कि 37 हफ्ते से पहले जन्मे बच्चों के साथ यह जोखिम जुड़ा है। बता दें कि सामान्य गर्भ अवधि 40 सप्ताह की होती है, लेकिन इससे तीन हफ्ते पहले पैदा हुए बच्चे भी इस खतरे के दायरे में आ सकते हैं। शोधकर्ताओं के अनुसार 28 सप्ताह से पहले जन्में बच्चों में सात से 10 साल के बीच अस्पताल में भर्ती होने की दर तीन गुना अधिक पायी गई। अध्ययन में खुलासा हुआ कि 40 सप्ताह यानी गर्भकाल के पूरा होने पर जन्में बच्चों की तुलना में समय से पहले (प्रीमैच्योर बेबी) जन्में बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने का आंकड़ा भी छह गुना अधिक था।

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किन कारणों से अस्पताल में भर्ती होने का खतरा
रिपोर्ट में बताया गया है कि बच्चों के अस्पताल में भर्ती होने की वजहों में कई तरह की स्थितियां शामिल थीं, जैसे-सांस संबंधी रोग और पांचन तंत्र (गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल) की परेशानी से जुड़ी स्थिति। यह पता करने के लिए बच्चों में यह रिस्क कैसे जुड़ा है उन्होंने 1 जनवरी, 2005 से लेकर 31 दिसंबर, 2006 के बीच के आंकड़ों का विश्लेषण किया। शोधकर्ताओं ने इस अवधि के दौरान ब्रिटेन के एनएचएस अस्पतालों में पैदा हुए 10 लाख से अधिक बच्चों के डेटा का विश्लेषण किया। इससे अलग यह आंकड़ा भी हैरान करने वाला है कि अकेले ब्रिटेन में ही हर साल लगभग 60,000 बच्चे समय से पहले (प्रीमैच्योर) पैदा होते हैं।

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रिसर्च की प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर मारिया क्विग्ले के मुताबिक 'हमारे निष्कर्षों से ऐसे मजबूत संकेत मिले हैं जो यह बताते हैं कि समय से काफी पहले जन्में बच्चों के निकट भविष्य में बीमारियों के संपर्क में आने का ज्यादा बड़ा खतरा होता है।' यानी जो बच्चे नियत समय से काफी पहले पैदा हो जाते हैं, उनके पूरे बाल्यकाल में अस्पताल में भर्ती होने का खतरा बना रहता है।' मारिया आगे कहती हैं, 'रिसर्च में यह बात भी सामने आई कि संक्रमण हर उम्र के बच्चों के साथ अस्पताल में ज्यादा बार भर्ती होने का एक मुख्य कारण था। इसलिए हमें बच्चों में संक्रमण की रोकथाम के लिए जरूरी कदम उठाने चाहिए।'

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