अपने मुंह में गुटखे का वो चमकदार पैकेट खाली करने से पहले दो बार सोच लें। क्योंकि यह न केवल आपके मुंह के कैंसर का कारण बन सकता है, बल्कि इसके कुछ घटक आपके डीएनए को भी नुकसान पहुंचा सकते हैं और सेक्स हार्मोन सहित प्रमुख शरीर के रसायनों के उत्पादन में भी बदलाव कर सकते हैं।

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चबाने वाला तम्बाकू कई अलग-अलग रूप में उपयोग किया जाता है। भारत में तम्बाकू के कई रूप बेचे जाते हैं और गुटखा भी उनमें से एक उत्पाद है। अपने नशे की लत के गुणों के परिणामस्वरूप, धुएं रहित तम्बाकू या चबाने वाली तम्बाकू का सेवन अक्सर स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभावों को पैदा करने के साथ आजीवन एक आदत बन जाता है।

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अब तक कई रिपोर्टों ने शरीर के विभिन्न मानकों पर निकोटीन के दीर्घकालिक हानिकारक प्रभावों का वर्णन किया है। युवाओं में कार्डियोपल्मोनरी पैरामीटर पर हमारे देश में गुटखे के उपयोग संबंधित प्रभाव पर बहुत कम अध्ययन किए गए हैं। इसलिए कार्डियोपल्मोनरी (हृदय तथा फेफड़ों संबंधी) पैरामीटर पर धुएं रहित तंबाकू के प्रभाव के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है।

इस लेख में विस्तार से बताया गया है कि गुटखा क्या है, गुटका खाने से होने वाली बीमारियां और नुकसान, गुटखा छोड़ने से आपको क्या फायदे हो सकते हैं।

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  1. गुटखा क्या है - Gutka kya hai in hindi
  2. गुटखा खाने के नुकसान - Gutkha ke side effect in hindi
  3. गुटका खाने से होने वाली बीमारियां - Gutkha se hone wale rog in hindi
  4. गुटखा छोड़ने के फायदे - Gutkha chodne ke labh in hindi
गुटखा से नुकसान, इससे होने वाले रोग, छोड़ने के फायदे के डॉक्टर

लगभग पिछले एक हजार वर्षों से तंबाकू का उपयोग दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में किसी न किसी रूप में किया जाता रहा है। चबाने वाला तम्बाकू को अकेले या किन्हीं अन्य अवयवों के साथ संयोजन में उपयोग किया जाता है। भारत में तम्बाकू कई रूप में खाई जाती है जैसे - पान (बीटल क्विड), सूखे पत्ते (पत्ति), पेस्ट (कीवान, जरदा), चूने के साथ तंबाकू (खैनी)।

गुटका या गुटखा चबाने वाली तंबाकू, सूखी सुपारी और पाम नट का एक मीठा मिश्रण होता है, जो भारत में माउथ फ्रेशनर के रूप में बेचा जाता है। इसमें कुछ कैंसर जनक तत्त्व पाए जाते हैं, जिन्हें मुंह के कैंसर और अन्य गंभीर नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों के लिए जिम्मेदार माना जाता है और इसलिए भारत में इन पर भी सिगरेट के समान ही प्रतिबंध और चेतावनी अंकित करना अनिवार्य होता है।

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यह बहुत लोकप्रिय है और मुख्य रूप से भारत में ही निर्मित है तथा बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल आदि जैसे कुछ अन्य देशों को निर्यात किया जाता है। गुटखा एक हल्का उत्तेजक और लत लगाने वाला उत्पाद है। हालांकि, गुटखा सहित सभी तम्बाकू उत्पादों के विज्ञापन पर भारत में प्रतिबंध लगा दिया गया है। कंपनियां उसी ब्रांड नाम से पान मसाला नाम देकर इन्हें बेच रही हैं। ये उत्पाद गुटखे के ही दूसरे विकल्प हैं।

अधिक गुटखा उपयोग करने से अंततः भूख कम लगने लगती है, नींद के पैटर्न में असामान्य बदलाव को बढ़ावा मिलता है और अन्य तंबाकू से संबंधित समस्याओं के साथ एकाग्रता में कमी आती है। एक गुटखा उपयोग करने वाला व्यक्ति आसानी से अपने पीले या नारंगी से लाल रंग के दाग वाले दांतों द्वारा पहचाना जा सकता है। सामान्य रूप से ब्रश करने से ऐसे दाग को हटाना मुश्किल होता है और आमतौर पर आपको किसी दांतों के डॉक्टर के पास जाना पड़ता है।

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गुटखा भी तम्बाकू की तरह ही खाया जाता है तथा स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होने और मुंह का कैंसर पैदा करने के कारण भारत में बड़ी संख्या में मौत का कारण बनता है। केवल अकेले तम्बाकू में ही 4000 हानिकारक रसायन और कई सारे कैंसर जनक तत्व होते है, लेकिन कुछ उत्पादक कंपनिया निर्माण लागत में कटौती और स्वाद बढ़ाने के लिए अन्य अवांछित कैंसर जनक रासायनिक तत्व जैसे केटोन और फिनोल डेरिवेटिव इसमें मिला देती हैं, जिससे यह विषाक्तता अधिक बढ़ जाती है।

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साइंटिफिक जर्नल केमिकल रिसर्च इन टॉक्सिकोलॉजी में छपे चंडीगढ़ के अध्ययन के अनुसार, तम्बाकू, कत्था, सुपारी, कास्टिक चूना और कुछ खाद्य पदार्थों का एक मिश्रित एंजाइमों के एक प्रमुख वर्ग के सामान्य कार्य को प्रभावित करता है, जिसे सीवाईपी 450 के रूप में जाना जाता है, जो शरीर में लगभग हर अंग में पाया जाता है।

ये एंजाइम सेक्स हार्मोन समेत कई हार्मोन के उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जैसे एस्ट्रोजन, टेस्टोस्टेरोन, कोलेस्ट्रॉल और विटामिन डी। गुटखा उन हार्मोन के उत्पादन को भी प्रभावित करता है जो शरीर में दवाओं और संभावित जहरीले पदार्थों को तोड़ने में मदद करते हैं।

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गुटखा चबाने से मुंह का स्वास्थ्य गिरता है और मसूड़े तथा दांत खराब होते है और मुंह में घावों के विकास में भी वृद्धि होती है। गुटखा मुंह के अलावा शरीर के अन्य अंगों को भी प्रभावित करता है।

गुटखा या गुटका ओरल सबम्यूकस फाइब्रोसिस (एसएमएफ, जिससे व्यक्ति अपना मुंह पूरा नहीं खोल पाता है) की आशंका को बढ़ाता है, इसमें मुंह के किसी भी विशेष क्षेत्र में कोलेजन फाइबर की अनियमित वृद्धि होती है, यह कैंसर से पहले होने वाला एक प्रबल रोग है।

एक अध्ययन से पता चलता है कि चार भारतीयों में से एक को मुंह का कैंसर एसएमएफ से होता है। सुपारी में मौजूद कैंसर जनक एल्कलॉइड तंबाकू के साथ उपयोग किए जाने पर स्थिति को बिगाड़ देते हैं।

कुछ अध्ययन बताते हैं कि गुटखे में पाए जाने वाले तत्व पेट, एसोफैगस, मूत्राशय और आंत जैसे कई अन्य आंतरिक अंगों में भी कैंसर पैदा करने में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। लंबे समय तक गुटखा उपयोग करने से स्ट्रोक और हृदय रोग के कारण मौत की संभावना बढ़ जाती है।

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मुंह में सफेद दाग (ल्यूकोप्लाकिया), मुंह में लाल दाग (एरिथ्रोप्लेकिया), मुंह के मुलायम ऊतकों पर घाव और गांठे होने लगती है, जो मुंह के कैंसर में बदल सकती हैं, उनमें आमतौर पर दर्द नहीं होता हैं। भारत में कुल कैंसर का 40% हिस्सा मुंह का कैंसर होता है।

अन्य उत्तेजक की तरह यह ब्लड प्रेशर में असामान्य परिवर्तन का कारण बनता है और धुंधला दिखने के साथ जलन, चक्कर आने का कारण भी बनता है।

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गुटखा का उपयोग करने वाली गर्भवती महिलाएं कम वजन के शिशु को जन्म देती हैं। गुटका छोड़ने से पैदा होने वाले लक्षण तम्बाकू के समान ही होते हैं, रोजाना गुटखा खाने वाले कई लोगों में क्रोध, कुंठा, चिड़चिड़ापन, चिंता और अवसाद जैसे लक्षण गुटखा छोड़ने के तुरंत बाद दिखाई देते हैं।

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अमेरिका के नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ के अनुसार, कुछ लोगों को गुटखा उपयोग करने से विषाक्तता के लक्षणों का भी अनुभव होता है। इनमें अधिक लार आना, त्वचा का अधिक फटना, अधिक पसीना आना, असंतोष, दस्त, फ्लशिंग और बुखार इत्यादि शामिल हैं।

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गुटखा छोड़ने से आपके लिए एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन के द्वार खुल सकते है, लोग इसे छोड़ने के बाद अपने जीवन में एक सुखद परिवर्तन महसूस करते हैं। गुटखा छोड़ने के कुछ फायदे निम्नलिखित हैं -

  • आपकी सांस से बेहतर गंध आने लग जाएगी। (और पढ़ें - मुंह की बदबू दूर करने के उपाय)
  • आपकी भोजन का स्वाद और सुगंध लेने की खोयी हुई क्षमता वापस आ जाएगी।
  • आपके दागदार दांत धीरे-धीरे फिर से सफेद हो सकते हैं। (और पढ़ें - दांत के मैल का इलाज)
  • अपने लिए एक अच्छा जीवन साथी ढूंढना आसान हो सकता है। क्योंकि बहुत से लोग गुटखा उपयोग नहीं करते हैं और गुटखा उपयोग करने वाले लोगों के आस-पास रहना भी पसंद नहीं करते हैं।
  • आप के पैसे भी बचेंगे और समाज में आपकी छवि भी बेहतर हो सकती है।

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Siddhartha Vatsa

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संदर्भ

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