परिचय:

ज्यादातर लोगों को कभी ना कभी पेट संबंधी कोई समस्या जरूर होती है। पेट हमारे शरीर का अंदरुनी अंग होता है, जो भोजन नली और छोटी आंत के बीच स्थित होता है। इस अंग से ही प्रोटीन के पाचन की प्रक्रिया शुरू होती है। पेट को मुख्य तीन कार्य करने होते हैं। खाए गए भोजन को जमा करना, पेट के एसिड को उस भोजन में मिलाना और फिर इस मिश्रण को छोटी आंत में भेजना।

पेट में किसी प्रकार की समस्या आने पर दर्दनाक और परेशान करने वाली स्थिति पैदा हो सकती है। यदि आपको यह ना पता हो कि आपके पेट में क्या समस्या है, तो यह और परेशान करने वाली स्थिति हो सकती है। अपच होना या पेट में जलन या सूजन होना आदि पेट की मुख्य समस्याएं हैं। पेप्टिक अल्सर और एसिड भाटा रोग जैसी पेट संबंधी कुछ ऐसी समस्याएं है जिनका इलाज करवाना जरूरी होता है। पेट के रोगों की जांच डॉक्टर के द्वारा ही की जाती है, जिस दौरान एक्स रेसीटी स्कैनअल्ट्रासाउंड या एंडोस्कोपी जैसे टेस्ट किए जाते हैं। कुछ मामलों में डॉक्टर आपको “गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट” (Gastroenterologist) के पास  भेज सकते हैं। 

पेट संबंधी कुछ ऐसे रोग भी हैं, जिनकी रोकथाम नहीं की जा सकती है। हालांकि सावधानियां बरत कर पेट संबंधी समस्याएं होने की संभावना कम की जा सकती है। लंबे समय तक दर्दनिवारक दवाएं ना लेना, धूम्रपान ना करना, अधिक वसायुक्त भोजन ना खाना, फाइबर व अन्य पोषक तत्वों से भरपूर भोजन खाना और दिन में कम से कम 8 गिलास पानी पीना आदि पेट संबंधी रोगों से बचाव करने के कुछ उदाहरण हैं। 

पेट संबंधी समस्याओं से  राहत पाने के लिए मेडिकल स्टोर पर कुछ ओटीसी (ओवर द काउंटर) दवाएं उपलब्ध हैं। मेडिकल स्टोर पर बिना डॉक्टर की पर्ची के मिलने वाली दवाओं को ओवर द काउंटर दवाएं कहा जाता है। इसके अलावा जीवनशैली में कुछ बदलाव करके भी संबंधी परेशानियों से राहत पाई जा सकती है, जैसे वसायुक्त भोजन ना खाना और धीरे-धीरे भोजन करने की आदत डालना। यदि पेट में कोई गंभीर समस्या है, तो ऐसी स्थिति के इलाज के लिए दवाएं व ऑपरेशन आदि करवाने की आवश्यकता भी पड़ सकती है। 

(और पढ़ें - वसा के स्रोत)

पेट के रोग क्या है - What is Stomach Disease in Hindi

पेट के रोग क्या हैं?

पेट को प्रभावित करने वाली बहुत सारी समस्याओं के समूह को “पेट के रोग” कहा जाता है। इन रोगों में पेट में सूजन, पेट के अल्सर, पेट में गैस और पेट का कैंसर आदि शामिल हैं। पेट के रोग होने से कई प्रकार के लक्षण होने लग जाते हैं, जैसे उल्टी और मतली, पेट दर्द, गले में जलन, अपच और दस्त लगना आदि। 

(और पढ़ें - सीने में जलन के लक्षण)

 

पेट के रोग के लक्षण - Stomach Disease Symptoms in Hindi

 

पेट के रोग के क्या लक्षण हैं?

 

 

 

डॉक्टर को कब दिखाना चाहिए?

निम्न स्थितियां होने पर डॉक्टर को दिखा लेना चाहिए:

  • पेट में गंभीर दर्द होना
  • मल के साथ खून आना
  • पेट की परत के अंदर छिद्र बन जाना, यह एक गंभीर स्थिति होती है जिसको तुरंत मेडिकल देखभाल की जरूरत पड़ती है। 
  • वजन घटना जिसके कारण का पता ना हो
  • लगातार उल्टी और दस्त लगना (और पढ़ें - दस्त रोकने के देसी उपाय)
  • छाती में जलन महसूस होना, एंटासिड्स (सीन में जलन को शांत करने वाली दवाएं) लेने के बाद भी आराम ना होना।

पेट के रोग के कारण और जोखिम कारक - Stomach Disease Causes & Risk Factors in Hindi

पेट के रोग के कारण?

पेट के रोग निम्न कारणों से हो सकते हैं:

  • पेट का कैंसर (Stomach cancer): 
    पेट के किसी भी हिस्से में विकसित होने वाले कैंसर को पेट का कैंसर कहा जाता है। एडिकार्सिनोमा (Adenocarcinoma) सबसे आम प्रकार का पेट का कैंसर होता है, जो पेट की परत में विकसित होने लगता है। (और पढ़ें - कैंसर का इलाज)
  • क्रोन रोग (Crohn's disease): 
    यह सूजन व जलन पैदा करने वाला रोग है, जो पाचन तंत्र के किसी भी हिस्से में सूजन व जलन पैदा कर देता है। क्रोन रोग के कारण पेट में भी सूजन व जलन होने लग जाती है, हालांकि क्रोन रोग बहुत ही कम मामलों में हो पाता है। किसी वायरस या बैक्टीरिया से होने वाले संक्रमण के कारण भी क्रोन रोग हो सकता है। जब आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली शरीर संक्रमण फैला रहे सूक्ष्म जीवों (वायरस या बैक्टीरिया) के साथ लड़ने लगती है, किसी असाधारण प्रतिक्रिया के कारण प्रतिरक्षा प्रणाली पेट की कोशिकाओं पर भी हमला करने लग जाती है। ऐसी स्थिति में पेट में सूजन व जलन हो जाती है। (और पढ़ें - चेहरे पर सूजन के लक्षण)
  • गेस्ट्राइटिस (Gastritis): 
    इस स्थिति को पेट की सूजन के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में मरीज को बार-बार पेट में दर्द व अन्य तकलीफ होने लगती हैं, जो खासकर खाना खाने के बाद महसूस होती है। कई बार इस स्थिति में मतली और उल्टी भी लगने लगती है। (और पढ़ें - गेस्ट्राइटिस के लक्षण)
  • पेट में गैस (Gas in stomach): 
    यह पेट संबंधी सबसे आम और सबसे कम गंभीर समस्या है, इस स्थिति में आपकी पाचन प्रणाली में गैस बनने लग जाती है। इसमें कई बार अचानक से पेट में दर्द होने लगता है और कई बार पेट में फुलाव (Bloating) भी महसूस होने लगता है। (और पढ़ें - पेट की गैस के लिए योग)
  • पेट में अल्सर (Peptic ulcer): 
    इस स्थिति में पेट की अंदरुनी परत में छिद्र होने लग जाती हैं। ये छेद अक्सर इतने गहरे होते हैं, जिनसे अल्सर बनने लग जाते हैं। (और पढ़ें - पेट में अल्सर के घरेलू उपाय)
  • गैस्ट्रोपैरीसिस (Gastroparesis): 
    इस स्थिति को गैस्ट्रिक स्टेसिस (Gastric stasis) भी कहा जाता है। इस स्थिति में पेट ठीक से खाली नहीं हो पाता या खाली होने में अधिक समय लगने लगता है। पेट खाली होने में समय लगने का मतलब है कि आपके पेट को मल निकलने में काफी समय लग जाता है। जब पेट की तंत्रिकाएं और नरम मांसपेशियां आपस में ठीक से काम करती हैं, तब पेट की सभी गतिविधियां और पेट खाली होने की प्रक्रिया ठीक से काम करती है। जब ये नसें व मांसपेशियां आपस में मिलकर ठीक से काम ना कर पाएं तो इससे पेट संबंधी कार्यों पर प्रभाव पड़ता है और ना ही पेट ठीक से खाली हो पाता। (और पढ़ें - डायबिटिक गैस्ट्रोपैरीसिस के लक्षण)

पेट के रोग का खतरा कब बढ़ता है?

कुछ ऐसे कारक हैं, जो पेट संबंधित रोग होने का खतरा बढ़ाते हैं:

(और पढ़ें - थेरेपी क्या है)

पेट के रोग से बचाव - Prevention of Stomach Disease in Hindi

पेट के रोग से बचाव कैसे करें?

कुछ तरीके हैं जिनकी मदद से पेट संबंधी रोग होने से बचाव किया जा सकता है:

  • यदि आपको रोज एसिडिटी की समस्या होती है, तो एक बार खाने की बजाए भोजन को थोड़ा-थोड़ा करके कई बार खाएं
  • संक्रमण के बचने के लिए बार-बाप अपने हाथों को धोते रहें
  • शराब, चाय, कॉफी और अन्य सोडा पेय पदार्थों का ना पिए (और पढ़ें - शराब छुड़ाने के उपाय)
  • भोजन को धीरे-धीरे और अच्छे से चबाएं
  • गर्म और अधिक मसालेदार भोजन ना खाएं (और पढ़ें - मसालेदार भोजन के फायदे)
  • डॉक्टर की सलाह लिए बिना लंबे समय तक दर्द निवारक दवाएं ना लें
  • कम वसा वाले और संतुलित भोजन खाएं (और पढ़ें - संतुलित आहार का महत्व)
  • स्वस्थ वजन बनाए रखें
  • पेट में जलन या दर्द पैदा करने वाले भोजन ना खाएं
  • तनाव को कम रखें (और पढ़ें - तनाव के लिए योगासन)
  • खाना खाने के 2 घंटे बाद तक सोएं या लेटें नहीं
  • भोजन को अच्छे से चबा कर खाएं
  • नियमित रूप से व्यायाम करें (और पढ़ें - व्यायाम छोड़ने के नुकसान)
  • दवाओं को अल्कोहल के साथ ना मिलाएं
  • तनाव कम करें, क्योंकि तनाव से गेस्ट्राइटिस की समस्या उभर जाती है, इसलिए गेस्ट्राइटिस को नियंत्रित रखने के लिए तनाव को नियंत्रित रखना भी जरूरी होता है।
(और पढ़ें - तनाव दूर करने के घरेलू उपाय)

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पेट के रोग का परीक्षण - Diagnosis of Stomach Disease in Hindi

पेट के रोग की जांच कैसे की जाती है?

स्थिति की जांच करने के लिए डॉक्टर आपसे आपकी पिछली मेडिकल स्थिति के बारे में पूछेंगे और आपका शारीरिक परीक्षण करेंगे। डॉक्टर आपके पेट को छू कर यह भी पता लगा सकते हैं, कि छूने से दर्द बढ़ रहा है या नहीं। 

पेट संबंधी स्थिति की जांच करने के लिए कई टेस्ट किए जा सकते हैं:

  • बायोप्सी: 
    यदि पेट में कैंसर होने का संदेह हो तो पेट के ऊतकों का छोटा सा टुकड़ा सेंपल के रूप में निकाला जाता है और उसकी जांच की जाती है। इस प्रक्रिया को बायोप्सी कहा जाता है। (और पढ़ें - क्रिएटिनिन टेस्ट क्या होता है)
  • ब्लड टेस्ट:
    खून में एच पाइलोरी आदि जैसे बैक्टीरिया की उपस्थिति का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट किया जाता है। क्योंकि ये बैक्टीरिया पेट में संक्रमण का कारण बनते हैं। (और पढ़ें - पैप स्मीयर टेस्ट क्या होता है)
  • एंडोस्कोपी: 
    परीक्षण की पुष्टि करने के लिए डॉक्टर आपको गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट के पास भेज सकते हैं, जो एंडोस्कोपी टेस्ट करते हैं। गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट पाचन तंत्र के विशेषज्ञ डॉक्टर होते हैं। एंडोस्कोपी के दौरान आपको बेहोश करने वाली दवा दी जाती है। उसके बाद आप एंडोस्कोप नामक एक ट्यूब को आपके मुंह में डाला जाता है, जो भोजन नली से होते हुए पेट तक पहुंचती है। इस ट्यूब के सिरे पर एक लाइट और कैमरा लगा होता है, जिसकी मदद से डॉक्टर पेट के अंदर तस्वीरें ले पाते हैं। कभी-कभी एंडोस्कोपी की मदद से पेट के ऊतक का सेंपल भी निकाला जाता है, जिसे बायोप्सी कहा जाता है। (और पढ़ें - लैब टेस्ट क्या है)
  • अल्ट्रासाउंड: 
    इस टेस्ट की मदद से पेट के अंदर के ऊतकों और आस-पास के अंगों की तस्वीरें बनाई जाती है (और पढ़ें - एसजीपीटी टेस्ट)
  • इमेजिंग टेस्ट: 
    सीटी स्कैन और एक्स रे आदि (और पढ़ें - लेप्रोस्कोपी टेस्ट)
  • बेरियम निगलना: 
    यह एक प्रकार का एक्स रे टेस्ट होता है। इसका इस्तेमाल अक्सर निगलने से संबंधित विकार और पेट के अल्सर आदि की जांच करने के लिए किया जाता है। टेस्ट के दौरान मरीज को एक बेरियम नाम का द्रव पिलाया जाता है। यह द्रव एक्स रे की तस्वीर में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। बेरियम की मदद से एक्स रे में भोजन नली और पेट काफी स्पष्ट दिखाई देने लग जाते हैं। (और पढ़ें - इको टेस्ट क्या होता है)
  • स्टूल टेस्ट (मल की जांच): 
    इस टेस्ट की मदद से मल में खून की उपस्थिति की जांच की जाती है, जो संभावित रूप से गेस्ट्राइटिस का संकेत हो सकता है। (और पढ़ें - स्टूल टेस्ट क्या है)

 

पेट के रोग का इलाज - Stomach Disease Treatment in Hindi

पेट के रोग का इलाज कैसे किया जाता है?

पेट के रोग का इलाज उसके प्रकार के आधार पर किया जाता है। 

एच पाइलोरी के संक्रमण के कारण होने वाले गेस्ट्राइटिस का इलाज करने के लिए डॉक्टर कुछ प्रकार की एंटीबायोटिक्स दवाओं का कोर्स लिख सकते हैं। 

पेट के अम्ल को बेअसर करने वाली दवाएं, डॉक्टर आपके इलाज में एंटासिड्स दवाओं के कोर्स को भी शामिल कर सकते हैं। ये दवाएं पेट में उपस्थित एसिड को बेअसर कर देती हैं, जिससे सीने में जलन जैसी स्थिति से तुरंत आराम मिलता है। (और पढ़ें - दवाओं की जानकारी

एसिड उत्पादन को कम करने वाली दवाएं, इन दवाओं को एसिड ब्लॉकर दवाएं भी कहा जाता है। इन दवाओं की मदद से पाचन तंत्र में बनने वाले अम्ल की मात्रा को कम कर देती है, जिससे गेस्ट्राइटिस के लक्षण शांत होते हैं और पेट के अन्य रोग जल्दी ठीक होने लग जाते हैं। 

गैस्ट्रोपैरीसिस का इलाज करने के लिए पेट की अंदरुनी मांसपेशियों को ठीक से काम करने के लिए उत्तेजित करना। मल त्याग प्रक्रिया में उपयोग की जाने वाली मांसपेशियों के उत्तेजित करने के लिए मुख्य रूप से चार प्रकार की दवाओं का इस्तेमाल किया जाता है, इन दवाओं में निम्न शामिल हैं:

  • सिसाप्राइड (Cisapride) 
  • डोम्पेरिडोन (Domperidone) 
  • मेटोक्लोलप्रामाइड (Meroclopramide) 
  • इरिथ्रोमाइसिन (Erythromycin)

पेप्टिक अल्सर का इलाज करने के लिए डॉक्टर कुछ प्रकार की दवाओं का संयोजन (एक साथ) करके दे सकते हैं। इन दवाओं का कोर्स दो हफ्तों तक का हो सकता है। दवाओं के संयोजन में एंटीबायोटिक और प्रोटोन पंप इनहिबिटर जैसी दवाएं शामिल होती है, एंटीबायोटिक दवाएं  संक्रमण को खत्म करती है और प्रोटोन पंप इनहिबिटर पेट के एसिड को कम करती हैं। इन दवाओं में डॉक्टर सुक्रालफेट (Sucralfate) दवाएं भी लिख सकते हैं। ये दवाएं पेट में अपनी परत बनाती हैं, जिससे पेट में एसिड के लक्षण कम हो जाते हैं। 

पेट में कैंसर का सटीक इलाज कैंसर की स्टेज और जगह पर निर्भर करता है। निम्न तरीकों की मदद से पेट के कैंसर का इलाज किया जा सकता है:

पेट के रोग की जटिलताएं - Stomach Disease Risks & Complications in Hindi

पेट के रोग से क्या समस्याएं होती है?

पेट के रोग होने पर कई समस्याएं हो सकती हैं:

  • यदि गेस्ट्राइटिस को बिना इलाज किए छोड़ दिया जाए, तो इस स्थिति में पेट में अल्सर होने के साथ-साथ पेट से खून बहने लग सकता है। गेस्ट्राइटिस के कुछ प्रकार पेट में कैंसर होने का खतरा भी बढ़ा देते हैं, पेट के कैंसर का खतरा विशेष रूप से उन लोगों में अधिक बढ़ता जिनके पेट की अंदरुनी परत पतली होती है। (और पढ़ें - कैंसर में क्या खाना चाहिए)
  • गैस्ट्रोपैरीसिस की स्थिति में भोजन पेट में फंसने का खतरा बढ़ जाता है। पेट में भोजन फंसने के कारण पेट में रुकावट या पेट में संक्रमण होने का खतरा हो सकता है। 

पेट के अल्सर होने पर पेट की अंदरुनी परत में छिद्र होने लग सकते हैं। परत में छिद्र होने पर पेट में एक तीव्र संक्रमण बन जाता है। 

(और पढ़ें - बैक्टीरियल संक्रमण का इलाज)

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पेट के रोग की दवा - OTC medicines for Stomach Disease in Hindi

पेट के रोग के लिए बहुत दवाइयां उपलब्ध हैं। नीचे यह सारी दवाइयां दी गयी हैं। लेकिन ध्यान रहे कि डॉक्टर से सलाह किये बिना आप कृपया कोई भी दवाई न लें। बिना डॉक्टर की सलाह से दवाई लेने से आपकी सेहत को गंभीर नुक्सान हो सकता है।

OTC Medicine NamePack SizePrice (Rs.)
Baksons B1 Influenza & Fever Dropएक बोतल में 30 ml ड्रौप180.0
Doliosis D1 Detoxifier Dropएक बोतल में 30 ml ड्रौप180.0
Baksons Cantharis Ointmentएक ट्यूब में 25 gm ऑइंटमेंट63.0
REPL Dr. Advice No.25 Cough Dry Dropएक बोतल में 30 ml ड्रौप146.0
Hapdco MTC-34 Cold & Flu Dropएक बोतल में 30 ml ड्रौप135.0
Haslab Drox 21 Pneumo Dropएक बोतल में 30 ml ड्रौप144.0
Haslab Drox 34 Febro Dropएक बोतल में 30 ml ड्रौप144.0
REPL Dr. Advice No.21 Bronchitis Dropएक बोतल में 30 ml ड्रौप161.0
LDD Bioscience Koughfix Tablet (25 Gm)एक बोतल में 25 gm टैबलेट130.5
Dr. Wellmans WHL Fevo Care Dropएक बोतल में 30 ml ड्रौप127.0
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