हेपेटाइटिस-सी एक वायरस है, जो लिवर को प्रभावित करता है. इससे सूजन और फाइब्रोसिस की समस्या हो सकती है. व्यक्ति जो कुछ भी खाता या पीता है, वह लिवर से गुजरता है. फिर यह एनर्जी या केमिकल में कन्वर्ट होता है, जिससे शरीर सामान्य तरीके से काम करता है. ऐसे में यदि हेपेटाइटिस-सी इंफेक्शन हो जाए, तो यह लिवर को डैमेज कर सकता है. लिवर के डैमेज होने से सिरोसिस या स्केरिंग होने की आशंका रहती है.

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यदि हेपेटाइटिस-सी से लिवर खराब हो जाता है, तो जरूरी हो जाता है व्यक्ति अपनी डाइट में बदलाव लाए. ऐसे में सवाल उठता है कि हेपेटाइटिस-सी होने पर क्या खाना चाहिए. फल, हरी सब्जियां, प्रोटीन, कॉफी व ग्रीन टी जैसे फूड्स को हेपेटाइटिस-सी में खाने के लिए कहा जाता है. आज इस लेख में जानेंगे कि हेपेटाइटिस-सी में क्या खाना चाहिए -

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  1. हेपेटाइटिस-सी के मरीज ये खाएं
  2. हेपेटाइटिस-सी के मरीज इनसे करें परहेज
  3. सारांश
हेपेटाइटिस-सी में क्या खाएं और क्या नहीं के डॉक्टर

हेपेटाइटिस-सी के मरीज को टाइप 2 डायबिटीज व फैटी लिवर डिजीज होने का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में फल, हरी सब्जियां, प्रोटीन, कॉफी व ग्रीन टी जैसी खास चीजों के सेवन से हेपेटाइटिस-सी से प्रभावित लोगों की सेहत पर पॉजिटिव असर जरूर पड़ सकता है.

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आइए, विस्तार से जानते है कि हेपेटाइटिस-सी में क्या खाना चाहिए -

फल व सब्जियां

फल और सब्जियों में फाइबर की मात्रा ज्यादा होती है, जिससे पेट देर तक भरा महसूस होता है और अन्य पोषक तत्व दिल की सेहत को भी सपोर्ट करते हैं. अच्छी बात तो यह भी है कि इनमें कैलोरी और फैट कम होता है, जिससे वेट मेंटेन करने में भी आसानी रहती है. यह फैटी लिवर डिजीज और डायबिटीज दोनों को होने से रोकता है. फल और सब्जियों से फाइबर, फोलेट, विटामिन-एविटामिन-बी6विटामिन-सी और पोटेशियम भी मिलता है, जो शरीर के लिए जरूरी हैं.

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साबुत अनाज

साबुत अनाज में भी फाइबर और न्यूट्रिएंट्स खूब होते हैं, जो ब्लड शुगर को नहीं बढ़ाते हैं. अमेरिकन डायबिटीज एसोसिएशन के अनुसार, ब्राउन राइस, होल व्हीट ब्रेड और ओट्स ब्रेकफास्ट के लिए बढ़िया हैं. साबुत अनाज में फाइबर ज्यादा होता है, जो व्हाइट ब्रेड व मैदा में नहीं होता है. इनमें विटामिन-बीजिंकमैग्नीशियम व आयरन भी होता है.

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प्रोटीन

फिश, स्किनलेस चिकन, टर्की, नॉन फैट डेयरी उत्पाद, बीन्स, नट्स और सीड्स में हेल्दी प्रोटीन होता है. इस तरह के प्रोटीन के सेवन से पेट भरा और वेट मेंटेन रहता है, जिससे अंततः लिवर सुरक्षित रहता है और फैटी लिवर डिजीज से बचाव होता है. प्रोटीन हेपेटाइटिस-सी द्वारा डैमेज किए गए सेल्स को रिपेयर और रिप्लेस करने में भी मदद करता है.

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस-बी का उपचार)

कॉफी

हेपेटाइटिस-सी वालों के लिए कॉफी का सेवन सही रहता है. शोध बताते हैं कि जिन लोगों को हेपेटाइटिस-सी होता है, यदि वे एक दिन में दो-तीन कप कॉफी पीते हैं, तो उनका इलाज सही तरह से आगे बढ़ता है. एक अन्य शोध के अनुसार, कैफीन के सेवन से एडवांस्ड लिवर फाइब्रोसिस और लिवर इन्फ्लेमेशन का जोखिम भी कम होता है.   

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस-बी टेस्ट)

ग्रीन टी

नए शोध कहते हैं कि ग्रीन टी में फेनोलिक कैटचिन्स होते हैं, जो हेपेटाइटिस-सी होने की स्थिति में फायदा पहुंचाते हैं.

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हेपेटाइटिस-सी की अवस्था में मरीज को निम्न तरह के खाद्य व पेय पदार्थों के सेवन से दूरी बनाकर रखनी चाहिए -

फैट

स्वस्थ शरीर के लिए फैट जरूर होता है, लेकिन हेपेटाइटिस-सी की अवस्था में फैट लिवर में जमना शुरू हो जाता है और सिरोसिस का कारण बन सकता है. इसलिए, मीट, फुल फैट युक्त डेयरी प्रोडक्ट्स व नमकीन-बिस्कुट जैसे सैचुरेटेड फैट से परहेज करना चाहिए.

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस-बी में क्या खाना चाहिए)

नमक

डाइट में नमक की मात्रा जितनी कम हो, उतना ही अच्छा होता है. इसके लिए घर में बनने वाली सब्जी व दाल में नमक कम ही रहना चाहिए. साथ ही पैकेड व प्रोसेस्ड फूड से भी दूरी बनकार रखनी चाहिए.

(और पढ़ें - हेपेटाइटिस-डी)

शुगर

हेपेटाइटिस-सी से ग्रस्त मरीज के चीनी का सेवन करना भी सही नहीं है. लिवर शरीर में ब्लड शुगर लेवल को संतुलित बनाए रखने का काम करता है. ऐसे में चीनी का सेवन करने से मरीज के शरीर में इंसुलिन का स्तर बिगड़ने और डायबिटीज का शिकार होने का खतरा बढ़ जाता है.

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शराब

शराब व धूम्रपान सीधा लिवर पर नकारात्मक असर डालते हैं. इसलिए, हेपेटाइटिस-सी के मरीज को इन दोनों चीजों का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए.

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हेपेटाइटिस-सी हो जाए, तो न्यूट्रिशन का खास ध्यान रखने की जरूरत पड़ती है. हेपेटाइटिस-सी होने पर फल और हरी सब्जियां, प्रोटीन, साबुत अनाज, कॉफी के सेवन से मदद मिलती है. कहने का मतलब है कि हेपेटातीस-सी होने पर वेट को मेंटेन रखने की कोशिश करनी चाहिए. यदि आपको या आपकी पहचान में किसी को हेपेटाइटिस-सी है, तो किसी भी तरह की डाइट का पालन करने से पहले डॉक्टर से सलाह जरूर लेनी चाहिए, क्योंकि यह जरूरी नहीं है कि एक ही डाइट सब पर समान असर दिखाए.

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Dt. Vinkaljit Kaur

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